Author Topic: Poem Written on various issues of Uttarakhand- उत्तराखंड पर ये कविताये  (Read 15552 times)

एम.एस. मेहता /M S Mehta 9910532720

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Mangyta

By : Anusiya Prasad Upadhayay

पिंगˇी मुखड़ि/खुरस्या° बाˇ
गल्वड़् यों कि हडगि/आ°खा उड्यार
कंपदो गात/फैलायू° हात
बण्यंू कंगाल/लठि टेक्यि-टेक्यिी सर्कणू
ऽ राम मंगत्या/न भूत, न खबेस, न द्यबता।

एम.एस. मेहता /M S Mehta 9910532720

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"Pirem"

Pooran Pant Pathik
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त्वेन/कुजाण तब/किलै/ब्यालि
रंगणा से/मेरि हथगुलि पर
लिखिदे-पिरेम/
अब कख-कख जि रौं/
रिंगणू मि/
ऐतैं/मुठगी पुटग धैरिकै।

एम.एस. मेहता /M S Mehta 9910532720

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"Mera Kya Kasoor Chha"

Vijay Singh Batula

रीति अर रिवाजो का नाम पर
कुजाणी कब तल्क मिटणु रौलु मैं
आंख्यों का आंसू पौंछी कै
मैंन पूछी अपणी मा° थैं
किले दिनी त्वैन मैं बेटी कु जन्म
बोल मेरी मा°जी मेरु क्या कसूर छा
जु मिली मैंथे बेटी कु जन्म
क्या दर्द अर पीड़ा बणिकै रालू यो मेरू जीवन
तेरी कोख मा ही नौ मैना पˇी छौं मैं
ऐकै ई धरती मा, मैं भी त्वै सुख देलु
माना कि ∫वे जौंलू मैं बिराणी पर
त्वै तैं नि बिसरौंलू
तू ही छै जो मेरी पीड़ा समज्दी
तिरस्कार भी झेली व झेली अपमान भी
फिर भी दिनी त्वैन जन्म मैंतैं स्वीलि पिड़ा सैकी
वचन छा मेरु, देलु सब सुख त्वे
हे मनिख्यों बेटियौं तैं न समझा अभिशाप
औंण द्या हमतैं भी दुनिया मा
हमारू भी अस्तित्व रण द्यावा
बेटियों तैं भी अपणु प्यार द्यावा।

एम.एस. मेहता /M S Mehta 9910532720

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Jakha Takhi

By "Vishya Prakash Badoyee"

मौसम् त् सदान बदलीं
अर उड़दरा परिन्दा याने
चखुला भी सदान उड़ीन
दूर देश मुल्कों तलक।
पण, वूंका घोˇ त् रैं
सदान, इख्यिा जग्गा
जख्या- तक्खि
वुत नि पौंछा कखि।
आज आप अ∂फुतैं ही पूछा
अपणीं संस्कृति की चखुलीयूं
चुˇ्°ख्यू - चुˇ्°ख्यू उडै़की
संस्कृति अर संस्कारू
तैं पूछा कि मूल संस्कारों थैं
सुरक्षित रखणू क्या जरूरी नीछ?
शायद हमरा - तुमरा सबीयूंका
मूल घोक त् संस्कार ही छन
जु जरूर रΠयां चंन्दन
जतन जुट्टैकी जख्या-तक्खि।

एम.एस. मेहता /M S Mehta 9910532720

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Kandli

By : Jyanti Prasad Badauyee

मि छौं हारू घास कण्डˇि,
रैंदू बारामास कण्डˇि
तना म्यारू हारू हू°द
पत्ति मेरी हैरि
जलड़ु मेरो गुण हू°द
भुज्जि मेरी हैरी
हींग तुड़का लगै कैकि
चुनै रोटी साथ मा
चटपटी सुमर्या°ण लगदी
स्वाद लगदू जीभि मां
भूत - भूतड़ा भगांदू मी
छैˇ - झपेटू जब लगद,
छोटा नौंनो को सबि अन्याड़
मेरि डैरी को भाजि जांदान
तपदि भारी रूड़ि मास
मेरी कण्डˇि ककड़ि खैकी
तीस सबकी बुझी जांदा।
बाद मां जब बुडे़ जांदू,
मेरी छाल काम आंद
मेरा रेशों कू कमाल
कनु भलू सुहाणु लगद
थौला ट्वपली भलि बण्दीं।

एम.एस. मेहता /M S Mehta 9910532720

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Mero Gau Kee Pandhari

By : Girish Sundriyal

तिन सुणिने
बेटी-ब्वारीयूं की खैरी छ्वीं
तिन फूजिने
सासू सतईं ब्वार्यूं की अ°सधरि
तिन चखिने
नण्दा-भाभ्यूं की खट्टी-मिट्ठी छ्वीं
तिन द्यखिने
द्यूरा-भौज्यूं की चˇका-बˇकी
तिन सुˇझेने
द्यूराणि-जिठाण्यूं की अˇझीं गेड़ी
तिन पेनि
नै-नै ब्योल्यूं की भुक्कि
तिन दमकैने
बिगरैलि बांदु की मुखड़ी
तिन रूझेने
ननि-ननि छोरियूं की झुलड़ी
तिन भ्वरीने
रीति भान्डि-कूंडी
तिन धितैने
बाटा का बटोई
म्यारा गौं की पंद्यरी
तु कबि नि बिसिगि।


एम.एस. मेहता /M S Mehta 9910532720

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Narendra Singh Negi, Singer & Poet

तुमुन मैं हिटणु सिखाई
पर दनकण नि दे
तुमुन मैं बच्याणु सिखाई
पर बोल्ण नि दे
तुमुन मैं लारा लाण-पैरणा सिखैनी
पर मनमर्ज्यू पैर्ण नि दे
खाणु खाण सिखाई
पर कमौण नि दे
तुमुन मैं लिखै-पढ़ै जरूर छ
पर खुदमुखत्यारि को अखत्यार नि दे
तुमुन मैं फर पुछड़ि पंखुड़ि लगैनी
पर उड़ण नि दे
किलैकि
तुमथैं अपड़ा घर मा
बेटि कि जगा
कठपोथˇी चयेणी छै।

एम.एस. मेहता /M S Mehta 9910532720

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Narendra Singh Negi

एक नया डाम का
उद्घाटन समारोह मा
मुख्य अतिथि का साक्षात्कार का बाद
वे पत्रकारन्
कूड़ि पुंगड़ि बचाैंणै लड़ै हारी बैठ्या°
एक बुजुर्ग से पूछी
बोडा जी तुम भि कुछ बोला
ये डाम का बारा मा
वूंन पैलित मुण्ड हिलाई
चसमा उतारि, आ°खि फु°जिनी
फिर कुछ सोची बोली
बोन्न क्या छ बेटा
आगि का ताता डाम त
भौत सैनि जिन्दगि मा
पर पाणि का ये ऐड़ा डाम
निछन भै सयेणा!

सत्यदेव सिंह नेगी

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भौत भालू ब्वाल जी
नरेंदर सिंह नेगी जी एवं

मेहता जी कु भौत धन्यबाद

Narendra Singh Negi

एक नया डाम का
उद्घाटन समारोह मा
मुख्य अतिथि का साक्षात्कार का बाद
वे पत्रकारन्
कूड़ि पुंगड़ि बचाैंणै लड़ै हारी बैठ्या°
एक बुजुर्ग से पूछी
बोडा जी तुम भि कुछ बोला
ये डाम का बारा मा
वूंन पैलित मुण्ड हिलाई
चसमा उतारि, आ°खि फु°जिनी
फिर कुछ सोची बोली
बोन्न क्या छ बेटा
आगि का ताता डाम त
भौत सैनि जिन्दगि मा
पर पाणि का ये ऐड़ा डाम
निछन भै सयेणा!

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Batyula

By : Nand Kishore Hatwal

बूती जांदा नौंना
पर उगी औंदान ब्यटुला
खाद-पाणी नौंना तैं
पर कलकी जांदी ब्यटुला
एवरेस्ट जन तड़-तड़ा पोड़ो पर

धकियायी जान्दान नाैंना
पर चढ़ी जान्दान ब्यटुला
सुख का सुपिन्या दिखोंन्दा नौंना
पर जिन्दगी की सचै ब्यटुला।

 

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