पड़लै च्यला पड़
बाबूलै कय पड़लै च्यला पड़, ईजलै कय पड़लै च्यला पड़
जरां अंख देखणी है जालै, द्वीव रवट भलिकै तुई खालै
य खेती पर के नीछ बज्यान, नि हुन द्वी मैहनैक खहन /
पड़लै च्यला पड़
एक मुठ्ठी निहून कहाण महाण, य खेती पर लगाई हाय खालि पराण
एतु करीबे मन्हु नीछ एक डालि, अटभट टोणण लगी रहयू खालि
च्यला तू पड़लिख जालै कसिकै, हमरी विपत्त जय क्य रहली यसिकै
पड़लै च्यला पड़
मन्हु झुंगर खाबै कसिकै दिन कटी गई, आघिन यलै पैद नीछ हणी
खेती पर छी पैली भारी इज्जत, अब यपर हैरौ खालि फज्जित
आजकै टैम नीछ पैलिक कस, अणि टैम छा डब्लुक और पैसोंक
पड़लै च्यला पड़
ईजलै त्येरी कमजोर जसी हैइ, आम्मलै आज भो जाणीये हैइ
जहाँलै खुटहात चलण रहयी, काम जैतूक हौल हम आफी करुल
मैं लै कभणी तक बैठ रुल, जहाँ लै टैम छा पड़लै च्यला पड़
पड़लै च्यला पड़
आफी ल्यूल हम घा लखड़, पाणिक लै नि कणी त्यूल फिकर
जही बै ब्या है जांछ च्यला, तहीबै को पड़ सकूँ आघिन
पढ़ीलिखी जालै, पढ़ीलिखी ब्वारी ल्यालै, हमुकै लै भल लागल
पड़लै च्यला पड़
हमर सालम यैक छा असोज, पढ़णियक लिजिक रौजे छा असोज
इस्कूलम बै आबै खेलिये झन, साग नीछ दै में रवटम खै लियै
तू भालिकै पढ़ीलिख ल्यलै, भै-बैणियों, गैव कै बाट दिखालै
पड़लै च्यला पड़
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