Author Topic: उत्तराखंड पर कवितायें : POEMS ON UTTARAKHAND ~!!!  (Read 336666 times)

Dinesh Bijalwan

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Housla aafjai ke liye sukriya Mehtaji aur Rajan bhaiji.  Apke  pharmaiesh ko poora karna ka  Mera prayaas poora  rahega .

हेम पन्त

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समयक उखव- दाजू भलीभाख फोकव
« Reply #71 on: October 11, 2008, 12:48:13 PM »
समयक उखव- दाजू भलीभाख फोकव
(Kumauni Anuwad of a poem by Henry Wadsworth Longfellow by Mr. Rakesh Belwal)

समयक उखव भीतेर, सब भागक् निर्माता छन
उमें क्वै महान निर्माणकार , क्वै गीतकार लै छन
क्वे काम बेकार नि हुन भुला, हर चीजक अपण महत्व छू
और जे काम बेकार दिखूं, वीकलै दुहरकामो में ओट छू।

आजकवक ईट-गार दगड़, जो लै ढांच हम ठाड़ करनू
उकै हमैं भली-भाक सुझूण व बणूण चैं,
यस नि सोचण चैं कि क्वे उकै नि देखणौं.
हमर पुरण निर्माणकार जिनूल बहुतै जतन करो कुछीं ..
किलै नी भुला...भगवानज्यू तो देखणीं..

आओ करू अपण काम ..दीखाई द्यू भलै नैं..
आओ बणूं अपण प्रदेश पवित्र जां हमर देवी-देवता रै सकैं
नहैथै हमर जीवन समयक-उखव भितेर अधूरै रै जाल
ऊखव कूटणीं टूट जाल , हाथ-पैर सिथिल है जाल

हमकू बणूण छू अपण बुनियाद इतुक ताकतवर कि
उणीं वाल कल जैके माथ भै सकैं
हम पा सकूं उ स्थान जा बै हमरि आँख
एक एकछत्र व विशाल दुनि के साफ देख सकैं.


यो आशक दगड़ कि आप इके अमल करला.....

आपुक अपण,

ऱाकेश बेलवाल

Dinesh Bijalwan

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अफ्वी छौ छालाजी मै  अफ्वी जाण पार - अफ्वी छौ  डिन्ड्लो मी अफ्वी छौ धूनार
अफ्वी छौ लिख्णो मी, अफ्वी छौ लिखाणू , अफ्वी तै लेजाण दग्ड्यो अप्णू रैबार

एम.एस. मेहता /M S Mehta 9910532720

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Dinesh Ji,

Lines seems to be very good. Could you please describe the lines in hindi also.

अफ्वी छौ छालाजी मै  अफ्वी जाण पार - अफ्वी छौ  डिन्ड्लो मी अफ्वी छौ धूनार


Dinesh Bijalwan

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मै स्वयम नदी हू और मुझे  खुद ही पार जाना है / मै खुद हि  डिन्ड्ला ( नदी पार करने के लिये रस्से पर फ़िस्लने वाली काठ की घोडी ) हु और खुद ही उसे खेने वाला धूनार हु /
मै खुद लिख रहा हु लिखा रहा  हु और खुद अपना सन्देस अपने ही लिये ले जाऊगा

Mukul

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bahut badiya kavita hai..........

अरुण/Sajwan

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Friends
As all of u, this is my hobby to write Poems.Here I'm posting one of my poems. Kindly forgive me for my mistakes.........


Jaga he mera garh kumaun ka
Veer Bharhon ka Vanshaj jaga;
Jagna ku ab bagat aige
Barson ki apri nind tyaga.

Dekha aaj hamaru pahad
hamu thai Bhatyanu cha:
Dekha taun Dandyu bati ki
Kwi dhai laganu cha.

"Aaj jab apuru ghar
Apuru raj apuru naam hwege;
tab tumari Barson ki
Matribhakti kilai sege."

"Kyanku aaj tum sab
Pardesh jana Chhawa;
Dyabton ki ya bhoomi
kilai tyagna chhawa."

"Are itna sal ladwa jab
Alag raj koo Khatir;
Kuch sal aur ladi jawa
taika vikas koo Khatir."

"Shiksha Rojgar ar Chikitsa
har gaon, har ghar ma holoo;
Aash rakha bhai bhaino
Ye rola bhi Ghaam ponchhloo."

खीमसिंह रावत

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Hindi anubad Arun ji ki kavita ka

जगा  हे  मेरा  गढ़  कुमाओं  का 
वीर  भादों  का  वंशज  जगा 
जागना  कु  अब  बगत  एज
बरसों  की  अपरी नींद  त्यागा .

देखा  आज  हमारू  पहाड़ 
हमू  थाई  भात्याणु  च
देखा  तों  दंद्यु  बाटी  की
कवी  ढाई  लगनु  च

"आज  जब  अपुरु  घर
अपुरु  राज  अपुरु  नाम  ह्वेगे
तब  तुमारी  बरसों  की 
मातृभक्ति  किले  सगे ."

"क्यंकू  आज  तुम  सब
परदेश  जन  छावा ;
द्याब्तों  की  या  भूमि
किले  त्यागना  छावा ."

"अरे  इतना  सल्  लड़वा  जब 
अलग  राज  koo  खातिर ;
कुछ  सल्  और  लड़ी  जावा 
taika  vikas  koo  खातिर ."

"Shiksha  Rojgar  ar  Chikitsa
हर  gaon , हर  घर  ma  holoo ;
Aash  रखा  भाई  bhaino
ये  rola  भी  Ghaam  ponchhloo ."

Mukesh Joshi

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सजवाण जी,
बहुत ही बेहतरीन पंक्तिया
उत्तराखंड से हो रहे लगातार पलायन पर आधारित.
अतिसुंदर कविता ...



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Jaga he mera garh kumaun ka
Veer Bharhon ka Vanshaj jaga;
Jagna ku ab bagat aige
Barson ki apri nind tyaga.

Dekha aaj hamaru pahad
hamu thai Bhatyanu cha:
Dekha taun Dandyu bati ki
Kwi dhai laganu cha.

"Aaj jab apuru ghar
Apuru raj apuru naam hwege;
tab tumari Barson ki
Matribhakti kilai sege."

"Kyanku aaj tum sab
Pardesh jana Chhawa;
Dyabton ki ya bhoomi
kilai tyagna chhawa."

"Are itna sal ladwa jab
Alag raj koo Khatir;
Kuch sal aur ladi jawa
taika vikas koo Khatir."

"Shiksha Rojgar ar Chikitsa
har gaon, har ghar ma holoo;
Aash rakha bhai bhaino
Ye rola bhi Ghaam ponchhloo."

Dinesh Bijalwan

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बौडी औ दग्डया हुवै गै बतेरी जगवाल
थामे नि थमैदो मन को उमाल
घास अर लाख्डू कान्डो का बोण
दिन डसदू सुर्म्यालो घाम रात डस्दी जोन
माया बण्गे तेरी जी को जन्जाल - बौडी औ------
सौन्ज्ड्यो दगड जब जान्दी दग्ड्याणी,
चैत्वाली बयार डाण्ड्यो जब रन्दी बयाणी
तिसू तिसू तिसि चोली जब कखी  भट्याणी
दिल मा उठ्दी हूक मेरा कानू बज्दी धूयाल -  बोडी औ
नथुली बुलाक झ्यूरी मेरी  कन करोदा खौलि मेरी
जुडी दथी  घास घ्सेरी सबि पुछ्दा बात तेरि
झ्ट्प्ट घर आवा कि मै तख बुलावा
नि कट्दु यखुलि बस्ग्याल --- बौडि औ

 

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