Author Topic: Poems,Songs Lyric,Articles by Vinod Jethuri - विनोद जेठुडी जी की कविताये  (Read 18276 times)

Vinod Jethuri

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Thank you so much Yodha ji for your  appreciation.

Vinod ji excellent poems on Uttarakhand.

It is really a great efffort. Please keep it up.! God bless u.

Vinod Jethuri

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         ललीता छो छ्म्म


घास काटी ललीता, भैसू घस्यान्दी,. घास काटी ललीता छो छ्म
            घास काटी ललीता छो छ्म (कोरस)
डोल  भोरी  ललीता  दुध  पिजादी,     दुध कतै ना छो छ्म
             दुध कतै ना छो छ्म !! (कोरस)

रात उठी ललीता रतब्याणी कू, रात उठी ललीता छो छ्म
                        रात उठी ललीता छो छ्म (कोरस)
पाणी भोरि गागर लेन्दी य ललीता, पाणी कतै ना छो छ्म
                   पाणी कतै ना छो छ्म (कोरस)

छान्छ छोली ललीता ब्यखुनी बगत, छान्छ छोली ललीता छो छम
                  छान्छ छोली ललीता छो छम (कोरस)
नौणी भोरि परोठी लौन्दी य ललीता, घ्यू कतै ना छो छ्म
                     घ्यू कतै ना छो छ्म (कोरस)

कोदू पिसी ललीता चुन की रोटी, कोदू पिसी जन्दरू छो छ्म
         कोदू पिसी जन्दरू छो छ्म  (कोरस)
कोदु की रोटी. बाडी बणौ ललीता, चुनू कतै ना छो छ्म
                  चुन कतै ना छो छ्म (कोरस)

दाल बोयी ललीता भदाडोक बीच, दाल बोय़ी ललीता छो छ्म
            दाल बोय़ी ललीता छो छ्म  (कोरस)
दाल भात आज खैलै दे ललीता, दाल कतै ना छो छ्म
                 दाल कतै ना छो छ्म (कोरस)

पुन्गडियो मा साग पात य ललीता, पुन्गडियो मा साग छो छ्म
         पुन्गडियो मा साग छो छ्म (कोरस)
बिथू कु साग मरसू बणै दे, साग कतै ना छो छ्म
           साग कतै ना छो छ्म (कोरस)

घास काटी ललीता, भैसू घस्यान्दी,. घास काटी ललीता छो छ्म
            घास काटी ललीता छो छ्म (कोरस)
डोल  भोरी  ललीता  दुध  पिजादी,     दुध कतै ना छो छ्म
             दुध कतै ना छो छ्म !! (कोरस)



एलबम - ललीता छो छम्म, स्वर - मीना राणा जी, गीत - विनोद जेठुडी
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      घौर की खूद

घौर की आज याद छ आणी, मांजी बाबा की खूद सताणी - २
नी मणदू यू पापी पराण,  गांव  खोलो की याद छ आणी - २

देश पराया मनखी  विराण,  कै मा  अपणी  खैरी  लगाण - २
खैरी खै खै की दिन छा कट्ण, दिन गिणी- गिणी मन तै बुझाण
घौर की आज याद छ आणी, दीदी भुली कि खुद सताणी - २

सडकियो मा देखा गाडियो की लैन, छोटी-छोटी बातो मा पड्दू फ़ैन - २
याद आणी छ चाका की लैन, रोड बिचारी बणी रैन्दी मौन
घौर की आज याद छ आण, भैजि भुला की खुद सताणी - २

मीठू पाणी कू हवेगे स्याणी, यख देखा बस यू लुण्या पाणी - २
याद छ आणी डान्डी-कन्ठी, मीलो तलक छ रेतेली जमी
घौर की आज याद छ आणी, माजी बाबा कि याद सताणी - २

घौर की आज याद छ आणी, माजी बाबा कि याद सताणी !
नी मणदू यु पापी पराण,  गाव  खोलो कि याद छ आण !!

गीत:- विनोद जेठुडी, स्वर:- अर्जुन रावत, एलबम:- ललीता छो छम्म
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     प्यारी तेरी याद औन्दी

प्यारी तेरी याद औन्दी, परदेश जैकी...
कै मा लगौ छ्वी बात मी, अपण दिल की - २ (मेल)
स्वामी जी तुम्हारी याद औन्दी, घास काटी की
हाथ फ़टी गेन स्वामी, मोल गाडी की - २ (फ़ेमेल)

होटल कु खाणु हे प्यारी, बडी लम्बी डयुटी - २
तेरी हाथ की बणायी प्यारी, याद औन्दी रोटी -२ (मेल)
याद तुम्हारी औन्दी हे स्वामी, रोन्दू घुटी घुटी -२
चिठठी मा लिखी दिया स्वामी, कब औण छुटटी - २ (फ़ेमेल)

प्राईवेट नौकरी हे प्यारी, मिलदी नी छुट्टी - २
बग्वालियो मा छुट्टी लेण की, दियी छ अर्जी - २ (मेल)
झट घर आवा हे स्वांमी, मन छ उदास - २
तुम बगैर मेरा हे स्वामी, भूख ना प्यास - २ (फ़ेमेल)

नौकरि और पापी माया न दुर करी दी - २
जान सी जादा चाहन्दू जितै, वीसी दुर छी - २ (मेल)
या गिची पापी पुटकी, जू तू नी होन्दी
दवी पैसो क बान  कन, दुर लिजौन्दी - २ (फ़ेमेल)

हे प्यारी तेरी याद औन्दी, परदेश जैकी
कै मा लगौ छ्वी बात मी, अपण दिल की - २ (मेल)
स्वामी जी तुम्हारी याद औन्दी, घास काटी की
हाथ फ़टी गेन म्यार, मोल गाडी की - २ (फ़ेमेल)


एलबम - ललीता छो छम्म, स्वर - गीता चन्दोला जी एंव अर्जून रावत, गीत - विनोद जेठुडी
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डामो न डमीयाली

उत्तराखन्ड तै यून, डामो न डमीयाली..
छोट छोट गदनॊ पर भी, डाम बणैयाली..!
गगां जी की दगडी, अत्याचार करियाली
लेली रुप विकराल, जब नी सहयाली ...!!

Vinod Jethuri


Vinod Jethuri

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गढवाली शायरी

 दिखणु छौ ता, देखदुरैगे..
सुचणु छौ ता, सुचदुरैगे..!
भलीमयाली, मुखडीदेखी...
दगडियोंमीता, बौल्याबणीगे.. !!!
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Vinod Jethuri

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वक्त हर जख्म तै भूलै  देन्दू


क्वी कैकू बगैर, नी मूरदू.!
झूट छ कि मै नी रै सकदू
समय बडू बलवान छ दगडियों ..
वक्त हर जख्म तै भूलै  देन्दू.. !!


चोट लगली ता दर्द भी होलू !
हर दर्द कू क्वी उपचार ता होलू ?
दवैयी क बान भटकणू छौ मी..
यी दवैयी खुनी, कै डाक्टर मू जौलू ?


मी तै यू कन रोग लगी होलू ?
उफ़्फ़, दर्द मेरू यू बढदी जान्दू.
कब ऊ दिन आलू हे दगडियों !
जब मै बटी यू रोग मिटी जालू..


समय लगलू पर ठीक हवे जौलू
मीन भी कैकू दिल दुखै होलू
जन करलू बल तन ही भरलू....
वांकू ही शायद फ़ल मिनू होलू


अपणू तै क्वी, कमी नी चान्दू !
ती खूनी भी मै कमी नी करदू
तीन बस अपणी सूख की सोची..
हैकू कू बारे मा भला क्वी सूचदू ?

क्वी कैकू बगैर, नी मूरदू ...!
झूट छ कि मै नी रै सकदू
समय बडू बलवान छ दगडियों ..
वक्त हर जख्म तै भुलै देन्दू.. !!

Copyright © 2010 Vinod Jethuri

Himalayan Warrior /पहाड़ी योद्धा

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Excellent brother. You have nice stuff composition.. Keep it up. i am sure people must be liking your articles. God bless u.


Devbhoomi,Uttarakhand

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जेठुदी जी का एक गीत

सुर-सुर बथौ होलु डांडियो मा चलणी
बांज कि जडियो कु तुर - तुर पाणी
दगडियो क गैल होली छवी बात लाणी
सुवा बिचारी होली घास कु जाणी..
घसेरी पाखों मा गीत होली गाणी
रुडी क दिनो मा बोण-बोण डबकणी
घास कु बान कन होली भटकणी ?
गीत ही गीत मा होली धै लगाणी..
चला दगडियो अब घौर नी जाणी ?
मैत की वीं तै खुद होली लगणी
स्वामी की खुद मा रामी बौराणी
क्वासु शरीर थक होली बिसाणी..
वीकी खुद आज मन तै सताणी
सुवा बिचारी कन होली कुजाणी ?

 
सर्वाधिकार सुरक्षित @ विनोद जेठुडी, 2010
11 फ़रवरी 2011 @ 21:51

 

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