Author Topic: Poems & Songs written by Mr Vijay Gaur- श्री विजय गौड़ के लेख एव गीत  (Read 8054 times)

Vijay Gaur

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हुईं रालि यनि रुमुक, यिख कब तलक?
म्येरा मुलुक कब होलि सबेर?
आलो घाम कब तलक?

करम तुमरा, अर भोगणा हम छाँ साख्यों बिटी,
पलणा हम, कमौणा तुम, बौंण-पाखों बिटी,
खाणे नाम सदनि अबेर,
बस कामि-काम कब तलक?
म्येरा मुलुक ................................................

फट्दा बादल, रड़दा डांडा, जख दयेखा तख,
पाड्यों भाग म रोणु, सुख पर दुन्या कु हक,
खल्याणों गुसैं, दांदा भैर,
हे राम कब तलक,
म्येरा मुलुक ................................................

मुलुक म्येरू, भैरा क पर् वाण जब दयेखा तब,
उज्यलु म्येरू, हौरौं न जलांण, कब छुटलू ढब,
रौल्युं-रौल्युं पाणि ठैर,
बणदा डाम कब तलक,
म्येरा मुलुक ................................................

रचना: विजय गौड़
कविता संग्रह, "रैबार" से
०५।०७।२०१३       
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Vijay Gaur

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"उत्तराखंडो इतिहास गढ़वलि मा: अनुवाद विजय गौड़ द्वारा "(भाग-१)
सन्दर्भ: ए एस रावत, कुमों विस्वविद्यालय, वी आर त्रिवेदी।
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शुरुवाती इतिहास:

प्रथम सहत्राब्दी कु मध्य मा (ईसा पूर्व):

उत्तराखंड अर यिख का तीर्थ स्थान क बारा मा पैलु सन्दर्भ स्कन्द पुराण अर महाभारत मा मिल्दु, जख वेथें "केदारखंड" का नाम से वर्णित कर्युं च। हिन्दुओं का पुरखों न उत्तराखंड तैं सदानि हयूं से ढकीं धरती, एक पवित्र स्थान अर दयवतों क निवास क रूप मा पछ्याँण।


२ -१ शताब्दी (ईसा पूर्व):

ये समय मा शकों द्वारा पहाड़ मा पैलि दफै गोँ बसाणों कु वृत्तांत मिलदु।

प्रथम शताब्दी:

पैलि शताब्दी मा उत्तराखंड क कुच हिस्सों मा किरात लोग (तिब्बती-बर्मी मनखि) ऐकि बसणा  शुरू ह्वैन।

चौथी-पांचवीं शताब्दी:

यीं सदी मा अलकनंदा अर भागीरथी क बीच नागा रियासतों कु प्रभुत्व छौ।

छै सौ बीस (६२०)

चीन बीटिंन ह्वैन सांग नौ कु तीर्थ यात्री भारत घुमणो ऐ छौ।  वेन उत्तराखंड मा ये समय मा जनन्यु कु राज-पाट कु उल्लेख कर्युं च (ब्रह्मपुत्र)

सात सौ (७००)

यिख बीटिंन उत्तराखंड मा रजवाड़ों कु इतिहास शुरू होंद। राजस्थान क चंद वंश क रज्जाक चम्पावत मा राज-पाट चलौणे शुरूवात करदन। रज्जाक "सोम चंद" कु यु छ्वटु सि राज्य हि आज क कुमाऊँ कि नींव मन्ये जांद।

मध्य आठवीं सदी

यु वु बगत छौ जब कुमौं मा रेशम क कीड़ा पलणो कि शुरुआत ह्वै छै। नेपाल अर तिब्बत बिटी रेशम क कीड़ा कूमोँ मा लये गैन। रेशम उपजोंण कु यु काम सन १७९१ (गुरखा विजय)  तक जारी रै छौ।

Vijay Gaur

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"उत्तराखंडो इतिहास गढ़वलि मा: विजय गौड़ द्वारा "(भाग-२)

(सन्दर्भ: ए एस रावत, कुमों विस्वविद्यालय, वी आर त्रिवेदी)

९ वीं -११ वीं शताब्दी

यीं सदी मा कत्युरों कु राज छौ। पश्चिम मा सतलज से ल्येकि पूरब मा अल्मोड़ा तक कत्युरों कु बोलबाला छौ। कत्युरों न अपणु राज-पाट अग्नै काबुल से नेपाल तक फैल्ये दये। मूल रूप स्ये जोशीमठ मा बैठि कत्युरों न अपणि राजधानी 'कत्युर घाटी, अल्मोड़ा' बणे दये। शुरू क सालों मा प्रबुद्ध अर गतिशील राज-पाट कन वला कत्युर बाद-२ मा क्रूर अर तानाशाही मिजाज वला ह्वै ग्येनि। १२ वीं शताब्दी औंद-२ कत्युर कु राज कै रियासतों मा बंटी ग्ये।

८६९ - १०६५

ये समय क बीच खास (स्वदेसी) सरदारों न चन्द रजवाड़ो क विरोध कु डंका बजे दये अर शाही अदालत तैं मैदानों म लिजाणम सफलता पै।

१०६५


चन्द वंश कु रज्जाक 'वीर चन्द' फेर चम्पावत बौड़ी ऐ ग्ये अर वेन फिर से अपणु वंश कु हर्युं राज-पाट हत्ये दये।

सामंती युग

१२ वीं सदी

पश्चिमी नेपाल म डुल्लू छेत्र क मल्ल लोखु न कत्युर क राज छिन्न-भिन्न कैर दये। वुन यांका बाद बि कत्युरों कि संतानों न पुरु हिमालय मा छुट्टी-२ रियासतों पर राज कनु जारि राखि।

१३५८

परमार वंशो क़ रज्जाक अजय पाल न चांदपुर रियासत पर चढ़े कैर दये। अजय पाल जु कि मूल रूप से आजौ गुजरात कु छौ, वेतैं गढ़वाल क सबि ५२ गढ़ों तैं जितंण अर एकजुट कन मा सफलता मिलि। अजय पाल हि संयुक्त गढ़वाल कु पैलु रज्जाक छौ। वेन अपणु मुख्यालय श्रीनगर मा बणे अर १८०३ तक श्रीनगर, गढ़वालै राजधानी बणी रै। ये सर्या एकीकरण क बाद अजय पाल कि स्तिथि बि अशोक जनि व्है ग्ये, वु बि अब खून-खराबा नि कनु चांदू छौ, त वेन अध्यात्म कु बाटु हिटणु शुरू कैर दये।

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Vijay Gaur

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ठोका छत्ति बोला, हम कुमों-गढ़वाल का !!!

भै-भैण्यों! आज हमरा उत्तराखंडी समाज मा एक बदलाव दिखेणु, हम लोग जागरूक हूणा छाँ। आज कु युवा सवाल पुछणु सिखणु च जु म्येरा मन थैं एक नयु रैबार दीणू च।
मि येतेंन एक रचनात्मक बगत क रूप मा दिखणु छौं, भलु बदलाव क रूप मा दिख्णु छौं। ये हि विषय पर म्येरि य गढ़वली कविता, आस मा छौंऊ कि जन मितै दिखेणु, तनि आप बि दिखणा होला, अगर अज्युं नि दिखणा त कविता पौढ़ी दिखण बसिल्या, समझण बसिल्या। रैबार जरुर याद रख्याँ .......


दिदौं, औंण वला छन दिन अब म्येरा पहाड़ का,
ठोका छत्ति बोला, हम कुमों-गढ़वाल का।।

'ब' अर 'ख' से उब उठुणु समाज अब,
छ्वटि जात-बडि जात कु टुटणु रिवाज अब,
उठदि सोच, पढ़याँ-लिख्यों कु राज अब,
धार-खालों कु बदलुणु मिजाज अब,
जिकुड्यों आग सुलगणि,
औणान दिन उमाल का,
ठोका छत्ति बोला ..................................

बिंगणी मनख्यात चकडैतों कि चाल अब,
बँटयां गढ़वली-कुमै वलु, नि रै वु साल अब,
सरया उत्तराखंड एकि सवाल अब,
मुलुक मा लाण 'विकासौ बबाल' अब
जौलि ग्येनि रांका,
नि रैनि दिन जग्वाल का, 
ठोका छत्ति बोला ..................................

बुटि ग्येनि मुट्ट, मिलि ग्येनि हात अब,
'उत्तराखंडी' छोड़ी, नि रै क्वि जात अब,
निवास्युं कि कारा चा प्रवास्युं कि बात अब,
मुल्कौ खुणि हिटणा, सबि साथ-साथ अब,
भौ त व्है ग्ये भेद-भौ,
अब दिन अंग्वाल का,
ठोका छत्ति बोला .................................

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Vijay Gaur

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पाड़ से पलायन उन त झणी कथगा सालों बीटिं च पण अब य एक नासूर बणी ग्ये। युवा अपणा मुलुक रुकणों नाम हि लीणु। जु भि जरा पौड़-लिखि ग्येनि, उन्द रौड़ी ग्येनि। पाड़े ईं गत पर मेरु आवाहन नया ज़मना क नौन्यालु से, आखर केवल बाँचा हि न, युन्कु रैबार बि बींगा। कविता ज्यादा से ज्यादा मनख्यों तक पौन्चाणे कृपा बि कर्यां, मुल्क कु भलु होलु। आभार!!

जाणू कख छै, बतौ त लोला?
किलै कान्धम, धर्युं स्यु झोला?
उंदार कब तैं लग्युं रैलि?
क्वी त बोला, अब ड्यार हि रौंला।।

जब तलक तू छै लचार,
ऐ नि कबि जाणों विचार,
अब पैढी-ल्येखि ऐ कुच कनों बगत,
त छोड़ी जाणि छै यु घौर-मुलुक,
सबि उन्द हि चलि जैल्या,
त यिख कु रालु? बोला?
जाणू कख छै .........................

गूणी-बान्दरोन भरीं छन सार,
कूड़ी उजिडिक छन हुयीं उड्यार,
घ्यू-दूध अब मोल हि मुल्याणन,
छन्नि, गोर-बखरों खुज्याँणन,
रीत-रिवाज पाणी सि बिसगणा,
जख गै होला वु सब म्येला-खौला,
जाणू कख छै .........................

पहाड्यों म हि नि अब पहाडै अन्वार,
पछ्याँण मिटोणे कि य कनि मारामार?
जू जख जाणू, उखा कि हवे जाणू,
पहाडै, पहाड़ी अब क्वी नि बच्याणु,
भासा-संस्कृति कि नि छै खैरि,
पण पैनुणु नि क्वि पहाड़ी चोला,
जाणू कख छै .........................

रचना : विजय गौड़ (०५।०६।२०१३)     
कविता संग्रह"रैबार" से।
Also visit my blog http://vijaygarhwali.blogspot.in/ and share the poems to maximum number to uttarakhandis. य बस एक कविता नि च एक आन्दोलन च मुलुक से पलायन रुकणा क वास्ता, भासा/साहित्य कु विस्तार क वास्ता...अपणि भागिदारी निश्चित कारा ये आन्दोलन मा..... "जय भारत, जय उत्तराखंड"       

Vijay Gaur

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स्यालि-भीना क गीत साख्यों बिटि पाडै लोक संगीत मा गयेणा रैनि। एक तरफ त यूँ मा ये रिस्ता कि छेड़ छाड़ छै अर दुसरा तरफ एक समाज सणी संदेस बि होंदु छायो। यनु हि एक गीत आज आप लोखु क सामणि रखणों छऊँ. गीत पाडै बेटी-ब्वारयों कि रोजै खैरि बथान्द अर बथांद कि यु नि ह्वैनि त कुच नि ह्वै सकदु। आस च कि आप लोग रैबार बिन्गला अर गीत थैं हौरि भै-बन्दों तक बि पौन्चैला। ये भासा आन्दोलन मा आप लोखु कु साथ होलु त हम जरुर अपणि भासा, संस्कृति बचौंण मा सफल हुंला, यनु मै पुरु विस्वास च. त ल्यावा जीजा-स्यालि कु यु गीत आप सब्यों सणी

स्यालि - भीना!!!!

भीना : दथुलि-लगुलि ल्येकि, कखै पैटेई स्यालि, कनै हिटेई स्यालि,
लोलि खुन दये स्यीं रात ओ…
स्यालि: धाणी छन बथेरी, कनक्वै पुरयेलि भीना, कनक्वै छंट्येलि भीना,
मै जू खुन दयों स्यीं रात ओ …

भीना: तरुणि उमर, काम-धाण्यों कु यु सोर,
गात नि झुराणि, फण्ड खैत धार पोर,
औ बैठि छ्वीं लगौन्ला स्यालि मान म्येरि बात,
लोलि खुन दये स्यीं रात ओ….....
स्यालि खुन दये स्यीं रात ओ .....

स्यालि: रस्वैई-पत्वै कि, भीना होणि मै अबेर,
रीति भांडि-कुंडी, माँ न रुसौण सबेर,
द्वी त छन हात, काम धाण्यों कि लंगात,
कनक्वै खुन दयों स्यीं रात ओ …… ….
भीना खुन दयों स्यीं रात ओ .................

भीना: पाडै बेट्यों खैरि, जणी मिन बि सैरि,
रांदि छन दुखों मा, दिख्यांदि नि दुखेरि,
काम स्यु सदानि रौण, रात हो विरात,
स्यालि खुन दये स्यीं रात ओ…
लोलि खुन दये स्यीं रात ओ…

कनक्वै खुन दयों स्यीं रात ओ …… ….
कनक्वै खुन दयों स्यीं रात ओ …… ….

विजय गौड़
२१.७.२०१३
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Facebook Response:

   
Bhishma Kukreti    11:17am Jul 22
या बात सै च जीजाक टक अबि बि स्याळियूं पर लगीं रौंदी च, स्याऴयूँ
उन जीजा स्याळि कविता ह्वावो तो इमेज कुछ हौरि बणदि
जुगराज रयाँ जु तुमन श्रृंगार से कविता तैं उख म्वाड़ जख संघर्ष च , जख
जजबा-ऊर्जा स्त्री तैं पालनकर्ता बणाणो प्रेरणा दीन्दी

Excellent approach to create poem on images those are already in audience
mind and trying for creating new images.

Mukesh Singh Rawat    10:53am Jul 22
bheji ram ram subhprabhat waw bheji waw bahut khub

Prem Singh Kunwar   10:57am Jul 22
NAMSHKAR VIJAY GOUD JI AAPKA KA NAAME BAHUT SUNA MENE FB PAR OR AAP EK BAHUT HI MADHUR INSHAN HAI KI AAP KE DILO DIMAAG ME UTTRAKHAND KI SHASHKRITI KUT KUT KI BHARI HUI HAI AAP MUJE BHI APNA FRND YA YE SAMJO BHAI BANANE KI KIRPA KARENE AAP JESHE LOGO KI HAME SHAKT JAROORAT HAI KIRPAYA APNA B DO SAVAD HAMKO B WAPAS DENE KA KAST KAREN

Jit Negi    11:07am Jul 22
nice song...

Satyender Rawat    11:09am Jul 22
bahut ,achhu geet cha vijju bhaiji...mi asha rakhdu ki aapa ku naam samaj ma jyada se jyada roshan ho...ham ta bhaut khushi hweli

Narendra Rawat    11:16am Jul 22
kya baat hai sperbbbbbbbbbbbbbbbbbbbbbbbbbb


Vijay Gaur

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"भेड़चाल"

दगिड्यो,
अबि एक-द्वी हफ्ता पैलि कुमों मा कै पुरणा गितेर न नई कैसेट निकालि अर नौ धर्युं, "चौकलेट्या होंठ". याँ से पैलि गढ़वलि मा य उमाल कै बेर ऐ ग्ये। फुरकी बाँद, चखना बाँद, माया बाँद, चन्दा बाँद अर झणी क्य-२ हौरि बि. सच्ये हमरा गितेर/लिख्वार खुणि यनु कलम कु अकाल पोड़लु, सोचि नि छौ. यनि सिक्यसौर जै से हमरु स्तर सदनि खड़ोलूँ मा जाणु च, मन दुखि च. एक संदेस लिख्णु छौं, आस करदू कि तौं भग्यानों तलक पौञ्चलु।

लिखदरों बतावा त क्वी,
"बाँदों" कि य कनि उमाल?
गाणवलों सुणावा त क्वी,   
बिरणी सि य कनि अंग्वाल?
लिखदरों बतावा त  ………
गाणवलों सुणावा त ………

थड्या, चौंफुलों कि ज्वा औन्दि छै भौंण,
वा बन्सुलि, ढुलकि अब कैन घुरौंण?
तुम त मिस्याँ अफु बिसरौंण म,
तुमरि छ्वीं फेर कैन लगौण?
गाणवलों सुणावा त क्वी,
यु कनु ढब, कनि सज-समाल?
लिखदरों बतावा त  ………

"चंदा बांद", "फुरकी बाँद",
"चखना", "चौकलेट्या बाँद"   
गढ़-कुमों इकसनि रोग,
"बाँद" हुईं बखरयों सि तान्द,
गाणवलों सुणावा त क्वी,
क्य बकिबात, स्यु कनु बबाल?
लिखदरों बतावा त  ………
     
बौगा ना सिन, छित्ये सिकासौर म,
ठटा नि लग्वांण, अपणु कबि हौर म,
पाड़ी छाँ, पाड़ी बणी हि रावा,
बौंण छाँ रैणा चा रैणा छाँ घौर म,
गाणवलों सुणावा त क्वी, 
मेरु छुचों बस यु हि सवाल
लिखदरों बतावा त  ………
लिखणे कि य कनि अकाल?
गाणवलों …………
लिखदरों ……….…

रचना: विजय गौड़
१२ अगस्त २०१३
कविता संग्रह "रैबार" से 
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लोखु कि प्रतिक्रिया: (फेसबुक मा)


भगवान सिंह जयाड़ा commented on your photo.

भगवान wrote: "बहुत सुन्दर चिंतन की बात छ गौड़ जी ,,,सच मा कभी कभी यना नॉऊ की कैसिट देखिक ,बडु अजीब सी लगदु ,सस्ती लोकप्रियता हासिल करण का वास्ता कुछ गायक और रचनाकार भाई अपरी गढ़वाली संस्क्रती कु अपमान छन करण्या ,जू बहुत दुःख की बात छ ,,,"

प्रतिबिम्ब बड़थ्वाल commented on your photo.

प्रतिबिम्ब wrote: "अकाल ब्वालो भेड़चल ब्वालो .... सच मा गितेर लोग अपर खुद ही मजाक उड़ाना छन ..... पर लोग भी किले यों ते बढ़ावा दीना छन ..... भौत भल लेखी आपण विजय जी ... सब्यू ते सुचण प्वाडल ..."

Rawat Hindustani commented on your photo.

Rawat wrote: "आदर्श मार्गदर्शक"

Ashish Kuliyal commented on your photo.
Ashish wrote: "waaah supercb"
   
Surendra Semwal commented on your photo.
Surendra wrote: "Praud of uttrakhand....."

Narendra Gauniyal commented on your photo.

Narendra wrote: "gaud ji mushkil y chha ki harek mankhi ko apno star,apni soch,apni kshmta hoond.sikaseri ka karan kuchh log takna takan kardin.jab soch hi oonchi ni ho t ooncha star ka geet,sahity,lekhan,manchan kakh biti holu.samajh hamara samaaj ki theek ho t ina kauthger gitaron tai kwee tavajjo ni diye jali...fir ye tarah ka gitaar afu hi harchi jala...pan samaaj ma bi t kuchh oonka dagdya chhan..."
Anil Rawat   3:09pm Aug 12
dada ye pailee bhi bhi sanka band, chandra chori, roopa..... kathgaiee chali gyee.

Mukesh Singh Rawat   3:13pm Aug 12
waw waw bheji kya khub h pad kar bahut sundar laga ......

Manish Mehta   3:21pm Aug 12
बिलकुल सही बात को भेजी

Raj Rawat   3:36pm Aug 12
bahut sundar rachna bheji

Mukesh Singh Rawat   3:13pm Aug 12
waw waw bheji kya khub h pad kar bahut sundar laga ......

सतेन्द्र रावत   3:40pm Aug 12
सुन्दर सन्देश गाण वालू खिणी और सुणन वालू खिणी भी............


Manoj Rawat   3:42pm Aug 12
yeh sab bakwas gana likhi ki in logo ne apne gadhwal ke naam ko bhi duboya hai ish industries aise gano per rok lagna chahiye

सतेन्द्र रावत   3:58pm Aug 12
इना गाणु से हमर संस्कृति कु पता लगद, गान वालू थै अपनी संस्कृति कु ध्यान जरूर रखन पोडालु।


Devaki Nandan Kandpal   8:20pm Aug 12
bhula hum eak cha ki kumu ki gadao...hum uttarakhandi cha....

Prem Singh Kunwar   9:25pm Aug 12
wa vijay shab ek dam sahi boli aapan


Dinesh Chauhan   10:57pm Aug 12
bhaji ap jani soch ta sabhu ki ni hondi
Pankaj Rawat   12:40am Aug 13
Yu baando ki maya khoob lage yali
Kyu khatti kwee mithhi kwee muyali
Utpataang no dhairik yonl
Gadwaal ka noni badnaam kairi yali


Anil Rawat   3:09pm Aug 12
dada ye pailee bhi sanka band, chandra chori, roopa..... kathgaiee chali gyee.

Rahul Rawat   9:49am Aug 13
ये पब्लिक डिमांड है जिनकी संख्या २% भी नहीं है और ये गायक जिनकी यही मानसकिता है इन २% लोगों के साथ दो कौड़ी की इमेज बना रखी है। ये २% लोग खुद डिमांड नहीं करते बल्कि ये उनको परोसते हैं। दो कौड़ी का टाइटल और दो कौड़ी के बोलों से ये उपर नहीं उठ सकते।

मुझे इन गायकों से परेशानी नहीं है ये जो मर्ज़ी गायें बजाएं बस इनकी उस मानसकिता से है जो ये कहते है की ये पब्लिक डिमांड है। ये नहीं कहते की हमारे बस का यही है

Prem Singh Kunwar   10:05am Aug 13
thik beji aap ekdam manpasand ki baat likhdan bhut badiya

Rahul Rawat   10:18am Aug 13
मैं पूरी गारंटी देता हूँ की अभी काफी समय तक वो दौर नहीं आने वाला क्योंकि आप जैंसे अच्छी सोच वाले कलाकार उभर कर आ रहे हैं। किशन महिपाल, बिरेन्द्र राजपूत, विनोद सिरोला ने अभी पहाड़ की परंपरा की लाज रखी है तो साथ में अनुभवी नरेन्द्र सिंह नेगी नेगी, प्रीतम भारतवाण जिनसे लोक गायक इस समाज में है।

हाँ अगर ये लोग नहीं होते तो ये दो कौड़ी के टाइटल और दो कौड़ी के बोलों से उत्तराखंड भी प्रदूषित हो जाता।

Rawat Hindustani   10:12am Aug 13
"अप्प दीपो भवः "
जहां रहेगा वही रौशनी लुटायेगा !
चराग का अपना कोई मकां नहीं होता !

Vijay Gaur

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दगिड्यो,
आज 'रखड़ी त्योहार' च, सब्यों "रखडी" कि शुभकामना। आज फेर कुच लिखणों ज्यू बोलि। अपणा मुलुक, संस्कृति, रीत-रिवाजों थैं याद कनु छौ त बडू गौरव महसूस ह्वै। ये हि भाव क दगड़ी आज अपणु उत्तराखण्ड थैं सलाम कनु छौं हम सब्यों क तरफ बीटिंन, म्येरा दगड़ी तुम भि बोला, "जय उत्तराखंड, जय भारत".

'उत्तराखण्ड' मेरो प्राण!!!!

मेरो प्यारो उत्तराखण्ड, मेरो दुलारो उत्तराखण्ड,
उत्तराखण्ड मेरो प्राण,
उत्तराखण्ड म्येरि पछ्याँण, उत्तराखण्ड त्वै थैं सलाम,
त्वी त ज्यू, त्वी ज्याँन।

अंग्वाल ज्व त्वे ब्वटीं मिन,
म्वैरि बि नि छुटलि वा,
मन मा त्येरि हि खुद सदानि,
मेटि बि नि मिटदि ज्वा,
जख बि जौं, छ्वीं त्येरि लगांदु,
दुन्या थैं अफु मा त्वै दिखांदु,
त्वी त म्येरि सान,
मेरो प्यारो उत्तराखण्ड, मेरो दुलारो ……………

मैखुणि क्य छै तु,
कैमा आज मिन कनक्वै बतोंण,
नौना -ब्वै का बारा लिखदा
आखरों कख बिटि खुज्योंण,
लाड़ मा त्येरि हंसणु रांदु,
निंद-बिन्ज्याँ त्वै स्वच्णु रांदु,
त्वी त मेरो ध्यान,
मेरो प्यारो उत्तराखण्ड, मेरो दुलारो …………… ….

वुन त त्वे छोडि नौन्याल
दूर भिंडी ऐ ग्येनि त्येरा,
पण सब परैं त्येरि अन्वार,
आंख्यों मा सुपन्या त्येरा,
दूर छन द्वी-दिन क दूर,
बौढ़ला त्वैमा जरुर,
त्वी मेरो असमान,
मेरो प्यारो उत्तराखण्ड, मेरो दुलारो …………… ….

रचना : विजय गौड़
कविता संग्रह 'रैबार' से
Copyright @ Vijay Gaur 20/08/2013
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"जैंगुणु"(जुगनू)

ईं अंध्येरि रातम दयु जलै कु बैठ्युं च?

ह्वै यनु चक्रचाल अगास म,
लुकि ग्येनि जून अर गैणा,
सूढ़-बथों यनु ऐ धरति म,
दयुवा कखि बल्याँ नि दिख्येणा,
पण यनि बकिबात म बि उज्यलु बलै कु बैठ्युं च?
ईं अंध्येरि रातम दयु जलै कु बैठ्युं च?

अगास म धै लगै-लगै,
अगास म रै घिरये-घिरये,
डरोणा, सुणोंणा बादल छन,
अब नि होणु उज्यलु भै,
पण आसै ज्योत बिन बुझै कु बैठ्युं च?
ईं अंध्येरि रातम दयु जलै कु बैठ्युं च?

चुकापटो राज-पाटम यिख,
पुट्गों तलक डौर बैठीं च,
उठै जु मुंड चल्दा छाया,
वून घुन्डों मुंडलि क्वोचिं च,
पण जगदु मुछ्यलु पल्ये कु बैठ्युं च?
ईं अंध्येरि रातम दयु जलै कु बैठ्युं च? 

रौला-बौलों न बगाणे ठैरीं च,
रोणी-कंपणी मनख्यात सैरी च,
देवि-दिव्तों क थान बि दयेखा,
गदन्यों मा हुईं तैरा-तैरि च,
पण अपणि जगा, अड्ड लगै कु बैठ्युं च?
ईं अंध्येरि रातम दयु जलै कु बैठ्युं च? 

विजय गौड़
१३ अगस्त २०१३
कविता संग्रह"रैबार" से
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Vijay Gaur

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"उत्तराखंड मा संगीत-सिनेमा"

उत्तराखंड मा संगीत-सिनेमा कि आजै हालत से क्वी अजाण नि च, यन त येमा म्यरु मुलुक सदनि तिरस्कृत हि राई, पण बीचा कुच सालों मा जरा विस्वास सि ऐ छौ कि क्य कुच ह्वै जालु कि। आज उत्तराखंड सिने अवार्ड वला चन्द्रकांत भै कि पोस्ट "नि हॊन्दु रे जणी ऐन्सु यूका ............" पढ़ना क बाद मि अफु थैं रोकि नि पाई यु लिखण से। सच्ये आज क्वी नि आणु अग्नै प्रदेस मा ये उद्योग थैं बचाणु। कलाकार बस जन-कन कै द्वी पैंसि जमा कैरि कैसेट बणोंणा छन, क्वी फ़ौज क रुप्यों से, क्वी कूड़ी-पुन्गड़ी बेचि ये काम कना छन पण आखिर कब तक। टी-सीरीज, रामा क्वी बि अब पैन्सा लगाणु राजि नि, झणी क्य होलु, यी सचै पर चार लैन मा अपणा उदगार लिख्णु छौं, तुम बि अपणि सुणयाँ।

घर-बार कूड़ी-पुन्गड़ी फूकि कब तकै नचला हम?
यन भितरों जै-२ कि गाणों कब तकै बिचला हम?
द्वी चार मनख्यों क सारा इतिहास कब तकै रंचला हम?
मुलुक खणि मिलि-बैठि करणे कब तकै सुचला हम.. . . ?

विजय गौड़
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Jan Pratikriya:

Chandra Kant Negi: yahi haqeekat hai..

Vijay Butola: ·sahi baat hai ....

विजय गौड़: Sahi baat ch pan badi buri baat ch..muluk khuni abhisaap ch..

Chandra Kant Negi: विजय गौड़ ji kya aapko lagta hai ki is industry mein log Cinema ke vikas ko dhyan me rakh kar kaam kar rahe hain ??? ya adhikaans log apna souk poora kar rahe hain ?? jainsa budget wainsi quality !!!

Manish Mehta Sochniy .

Surendra Semwal: Pr iss gambheer samasya k liye kya hm or hamre Adrneey Log or hamari rajya govt kuch kadam utha rhe h....ki jisse iss uddhog or sanskrity ko bachaye ja ske.....pta nhi pahad k logon ko kab samajh me Ayega ki Agar kvi khin v hamare astitwa ki bat ayegi to.....Nam hme uss pahad ka hi lena padega...jisse hm bhagne ki kosis kr rhe h....Aj jhan pura word Samaj me apne astitwa k liye or apni sanskrity k liye har Ladayee k liye taiyyar h....or jarurat hone pr jan dene ko v taiyyar h....wahin hm apni pahchan se bhagne ki kosis kr rhe h....sacch me bahut durbhagyapurn h..............

विजय गौड़:  सच छाँ तुम बुलणा भाई चंद्रकांत जी, जिम्मेवरि लीणों क्वी तैयार नि, नतिजा यु च कि जु आणु बि च वेथैं अपणु बतोंण मा सरम च औणी. क्य कबि क्वी सेंसर बोर्ड होलु हमरु जैमा क्वी संवेदनशील लोखु कि टोलि होलि। Chandra Kant Negi

विजय गौड़: क्य कन, पुरण्यो न सच हि बोलि छौ, "बल ब्वै जिन म्येरि होंदि त रवै हि क्येकि छै"

Dev Deepu Sundriyal: क्या हुआ जो अभी, अपनी- अपनी फ़िक्र में उलझे हैं लोग मेरे गढ़ के!
जल्द वक़्त भी वो आएगा,
उनकी नादानी ग़ज़ब कुछ ढायेगी!
जाग भी जा ख़त्म अब नाराजी कर
फिर फना होने की बेला आयेगी!
मिल गया सन्देश तेरा देश को
आग चिंगारी यही सुलगायेगी!
!!!!!!!!!जय भारत जय उत्तराखंड!!!!!!!!!!!!!!!

Narendra Rawat: ekdum sache baat cha sabko sochna padega

Chandra Kant Negi: जहाँ तक मेरा मानना है ये एक गैर सरकारी इंडस्ट्री है। जिसको हमारे लोगों ने कभी भी रोजी रोटी का सहारा नहीं समझा (अगर समझा होता तो कलाकार वर्ग से आन्दोलन और धरने होते) तो सरकार भी इसको गंभीर नहीं ले रही।

एक एनजीओ भी सरकार से तभी मदद मांगती है जब वह कम से कम ३ साल तक अपने उद्देश्यों के अनुरूप काम करती है और सरकार को अपने कार्यों के प्रति आकर्षित करती है तभी सरकार उनको सरकारी सहायता प्राप्त एनजीओ घोषित करती है।

शुरू में कुछ ऐंसा काम हुआ था (1983 - 2000) की सरकार ने फिल्म पालिसी पर काम करना शुरू कर दिया था। लेकिन सरकार बदल गयी कलाकार बदल गए

विजय गौड़ आस त मिथें बि तनि हि च, दयेखा कथ्गा बगत लगदु। बस रैबार दीं ण वला भिंडी चयेणानDev Deepu Sundriyal ji..

विजय गौड़ कुच मिलि कि यनु करदा कि मुल्कौ भलु हो, युका थैं ठेरण नि दयेंण, यनु मेरु सुझाव च, अगर फिल्म नि बणदन त थ्वडा बदलाव कैरि पेश कनै कि कोसिस करला पण रुकण नि दयेंण, यनु म्येरू मत च, Chandra Kant Negi

Chandra Kant Negi: जब तक आप जनि विचार का कलाकार और दर्शक छन .. एक जिम्मेदार संस्था होणा का नाता हमरू प्रयास जारी रालू भुला

विजय गौड़: त पोस्ट डाला फेर!!
जरुर होलु ये साल बि यूका,
सिन नि लगण दयेंण हमुन,
संगीत-सिनेमा थैं जूँका !Chandra Kant Negi

विजय गौड़ Vinod Sirola ji bas like karan se hi kuch ni hon bhaare..apna vichaar jarur likha, yeen stithi se tum bi gujarna chhan ajkyaal..

Jagmohan Negi: sundar abhibyakti vijay ji...magar mera maana hai ki kuch sarthak banega to jaroor log accept karenge ..jaha tak YUCA ki baat hai unka prayas sarahniya hai....

विजय गौड़ Biklul sahi kaha aapne, lekin saarthak banaane ke liye log bhi to aage aane chahiye. Aage aane ke liye painsa chahiye, yahin aake hum sabki gaadi atak jaati hai. Creativity kya kare bechaari, arth ke aage sar jhukaye khadi hai, khaaskar hamaare chhetra ke sandarbh me to...Jagmohan Negi..

Vinod Sirola यंग उत्तराखंड जनि संस्था द्वारा यनु बयान सिनेमा जगत सी जुड़यां लोगु थैं demoralize कन्नू च, हालांकि भौतिक स्थिति भी कुछ यन्नी च पर या उत्तराखंड की यानि संस्था च जु उत्तराखंडी सिनेमा की अन्तराष्ट्रीय स्तर पछाण कराणि च कलाकार आप लोगु थैं देखिक अपड़ा काम मा गुणवत्ता लहाणा छन, या आपदा भूली नि भूलेंण्या पर उत्तराखंड थैं ईं बिप्दन लाग्यां मानसिक सदमा सि भैर निकालण मा आपकू सहयोग सर्वोपरि अपेक्षित च.......शायद यू यूका कु आधिकारिक बयान नि च,..............विजय गौड़ साहब आपकू सहयोग ये कार्य मा वाकई सराहनीय च.... 'घणा डालों बीच छिर्की आलू घाम तेरा मुल्क भी, सेक्कि पालै द्वी घडी छिन्न हौरी मुट्ठ बोटी की रक्ख'

Ramakant Dhyani @VIJAY ji aajkal ka gitar ar kalakar uttrakhand ki sanskirti par geet ni gana chi balki apani photo ar naam khuni gana chi in kam rala ta kudi pungdi beek b jali ta kwi fark ni poddu.

विजय गौड़ य ह्वै न बात.…
छंट्येलु अँधेरु, होलु उज्यालु सिंनक्वली,
ढान्डू-कांडों मा तब तलक तू सकणु रै!!!
हिटणा कु दियीं खुट्टी,
रै मनखी हिटणु रै!!!
बुटणा कु दियीं च स्या मुट्ट,
तू बुटणू रै!!Vinod Sirola

Vinod Sirola सिनेमा जगत की गुणवत्ता मा बदलाव औणु च, फेर बढ़िया फिल्म आर एल्बम तैयार होणी छन........ हम भी अपड़ी एल्बम मा क्वालिटी, culture अर Profesnalizam थैं सर्वोच्च स्थान देणा छां

Chandra Kant Negi "नि हॊन्दु रे जणी ऐन्सु यूका " यूका ह्वालू या नि ह्वालू सवाल यु नीच .. या सवाल वे हर फिकरमंद कलाकार या दर्शक कु च जैकी कुछ उम्मीद बंधे गये छाई कि हमारी फिल्म और सिनेमा थै लोगु का बीच पंहुचाणो एक मंच तैयार ह्वेगी लेकिन जब वेकि या उत्सुकता की ये साल कु कु फिल्म ह्वेली .. कन कन बणी ह्वेली, ये सवाल लेकि मार्किट माँ जांद त खौले रै जांद .. जब वु निराश ह्वेक वापस औंद और वी सवाल "नि हॊन्दु रे जणी ऐन्सु यूका"

विजय गौड़: ध्यानी जी मि यिख वुं गितेरों कि बात जमा नि कनु छौं, मि वुंकि कनु छौं जु भितिर बिटी कुच भलु कनै सोच दगड़ी लग्याँ छन। वुं थैं जनता -जनार्दन कु सहयोग भिंडी जरुरि च। पण लोग छन कि ३० रूप्या बि नि खर्चणा एक सी डी सणी, कैसेट नि बिकणी त कंपनी पैंसा लगाणु राजि नि, अर सच बि च, वोंन कब तलक बिन कमै क रौंण/रोण। Ramakant Dhyani

विजय गौड़: सिंन नि बोला कि,""नि हॊन्दु रे जणी ऐन्सु यूका"
तुमरा सारा कत्यों मन फुटणा छन कुंगला छ्युंका। Chandra Kant Negi, Vinod Sirola

भगवान सिंह जयाड़ा: गौड़ जी ,मैन अपरी गढ़वाली फिल्मु माँ जादा तर देखि ,उ सब अपरा उत्तराखंड का ही इर्द गिर्द ही घुमदी रांदी ,कुछ इन कथा बस्तु की जरूरत छ ,जै सी गढ़वाली फिल्मु की पहिचान कुछ इंडिया लेबल या वर्ल्ड लेबल पर होई चैद ,जै मा कहानी कार और गाणोंउ कु लिरिक्स लेखन मा कुछ तबदीली होई चैन्दी ,भाषा गढ़वाली त सर्बोपरी छ ,पर दूसरी भाशावो मा डबिंग की भी गुंजाइश की जरूरत होईं चैन्दी ,और दगड़ा मा कॉपी राईट की शक्त जरूरत छ ,जैसी गैर कानूनी ढंग सी कॉपी नि व्हे सकौंन ,, ,ताकि प्रोडूसर कै अपरा लगाया पैंसा मुनाफ़ा का साथ वसूल व्हे सकौंन ,मैं समझदु कि कलाकार ,गायक ,कथा बस्तु यूँ साबू मा कुछ तबदीली की जरूरत छ ,,बाकी आप लोग यां का बारा मा जादा जाणदा ,हमारू ता यु एक नजरिया छ ,,,

विजय गौड़ मि आपै बात से सहमत छौं। सिनेमा कि गुणवत्ता मा सुधार कि बड़ी जरुरत च। एक परेसनि य च कि राज्य तनि छ्वटु च, मथि बीटी द्वी भासा अर वेमा बि दिखदरा गिण्या-चुण्या। जब दिखदरा कम छन त लिखदरा बि स्वभाविक रूप से कम हि छन। एक समिति कि बड़ी जरुरत च, जैम कलाकार अर ब्यवसाय कि समझ रखण वला लोग बि व्हेन, ताकि हम येथें एक भासा आन्दोलन, सांस्कृतिक आन्दोलन क दगड़ी व्यवसायिक बि बणे सको, याँ से मुलुक म रोजगार क अवसर बि पैदा होला, पलायन बि रुकलु इत्यादि। पर य बड़ी लम्बि लड़े च ज्व केवल सोशल मीडिया पर हि न वे से भैर ऐकि वास्तविक जमीन पर लड़ण पोडली, तबि कुच होलु। Bhagwan Singh Jayara, Chandra Kant Negi, Manish Mehta, Vinod Sirola

Chandra Kant Negi विजय जी अपनी फिल्मों के प्रति दर्शकों का रुख एक बार फिर से मोड़ने के जरूरत है इसके लिए हम अपने गली मुहल्लों की संस्थाओ से बात कर के कुछ बेहतरीन फिल्मों को प्रोजेक्टर के माध्यम से दिखा सकते हैं ताकि दर्शकों की फिल्मों के प्रति रूचि बढे और आगमी फिल्मो, एल्बमों के लिए अधिक से अधिक दर्शको की संख्या बढे।

उपाय कई हैं लेकिन जरूरत है सोचने की और अम्ल में लाने की

विजय गौड़: सच्चि बात, यनु हि कुच कन्न पोडलू, तबि कुच होलु।





 

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