Author Topic: Poems & Songs written by Mr Vijay Gaur- श्री विजय गौड़ के लेख एव गीत  (Read 11643 times)

एम.एस. मेहता /M S Mehta 9910532720

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Dosto,

Mr Vijay Gaur (Garhwali poet) who is basically from Uttarakhand and he is presently living in Mumbai. He will be posting here his article & songs this topic. Apart from a Poet, he is also a Singer and has also has also released a music album in 2007 ""Kani Holi Wa" .

He also writes Garhwali poems and is working on Garhwali Literature. We are sure you would appreciate the work of Mr Vijay and like his articles.


M S Mehta
Merapahad Team

एम.एस. मेहता /M S Mehta 9910532720

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First poem from Mr Gaur

Vijay Gaur <bavaniboy@gmail.com>

    " ज्वान ब्यटुलि "

    त्वे परैं कब अकल औण लाटा,
    अब ता हवे ग्ये तू ज्वान लाटा.
    त्वे परैं ....

    बिना सोच बिचारि, स्यीं गिच्ची नि खुल्दन,
    अपणु ठट्टा नि लग्वाण लाटा,
    कनै कुछ भि त पैल बड़ों कि सल्ला लिन्दन,
    अफी नि बणदन परवाण लाटा.
    त्वे परैं ...

    ब्यटुला कि ज्योन छै सिन्क्वैली होस समाल,
    मैत्यों गालि नि खलाण लाटा,
    बेट्यु चाल-चलन कुटुमै ऐना होंद,
    वा मुलुकै कि होंद पछ्याण लाटा,
    त्वे परैं ...

    मनखी पछ्यन्ना भि औण चयेंदन,
    जै कै मा पिडा नि लगौण लाटा.
    द्वी दिनै मैमान मेरा घोल मा छै तू,
    फ़िर अफी बनोंण तिन पछ्याँण लाटा.
    त्वे परैं ...

    ददी-ददा कि खिलौणी, ब्वे-बाबु  की गौणी,
    चचों कि छै तु पराण लाटा,
    ब्यटुलू पर्या धन होंद, बुलदन,
    प़र  ये मन्न कनक्वे मनांण लाटा.
    त्वे परैं ...

    विजय गौड़
    06-07-2012
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Vijay Gaur

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" पहाडै कोलंबस"

हे मेरा उत्तराखंड की नारी!
माँ-भैणी , बेटी-ब्वारी,
मी तुमु थैं कोलम्बस की संज्ञा देणु चांदू,
यु तेरु ही प्रताप च कि,
ये निरंतर सुखदा पहाड़ मा भी,
झणी कें "नयी दुन्या" से हैरू घास ऐ जांदू.

जख नौजवान और दानु दारु मा  डुब्युं रांदु,
वुख तेरु संघर्ष मा कुछ भी फरक नि आन्दु,
नाम कु ता तेरी खुट्यो कुंगली बुल्दन,
पर विधाता भी स्यों थैं हिले नि पांदू.

क्वी डाली यनि नि च ज्वा त्वे नि पछ्यंदी,
और क्वी जंगल यनु नि जू त्वे नि बुलांदु,
मी थैं ता यनु लगदु कि तेरी पिडा देखि,
सुखीं डाली और जल्युं जंगल भी हैरू हवे जांदू.

हे मेरा पहाड़ कि दीदी भुलि, बेटी ब्वारी,
मी त्वैथैं शत शत नमन कन चांदू.
एक त्वी ता छै ज़ें देखि,
मी पहाड़ी होण मा शान चितान्दू!!!!
पहाड़ी होण मा शान चितांदु!!!!

विजय गौड़
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पूर्व प्रकाशित...
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Vijay Gaur

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Re: "Kani Holi Wa" by Vijay Gaur & Meena Rana , Holi Song
« Reply #5 on: July 08, 2012, 03:00:51 AM »
ALBUM: KANI HOLI WA
SINGERS: VIJAY GAUR & MEENA RANA.
LYRICS: VIJAY GAUR
ARTISTS: VIJAY GAUR, KANTA RAWAT, MANOJ JOSHI & TEAM...

Vijay Gaur

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Garhwali Poem: Maansingh (Maansoon) Boda Aie Ja by Vijay Gaur
« Reply #6 on: July 10, 2012, 08:45:03 AM »
दगिड्यो,

मान्सूनै आजकि स्तिथि से हम सब परिचित छां, ब्याली मेरी फेसबुक पर अपणा कुछ भै-बन्दों दगडी बात हूणी छै, वू सभी लोग दिल्ली मा रेदन और घौर भी लगातार जाणा रैन्दन. सब कु यु ही बुन्न छौ कि गरमन्न हाल बुरा हुयां छां, दिल्ली मा भी और उत्तराखंड मा भी...दगड़ा-दगडी आज सुबेर-२ श्रदेय भीष्म कुकरेती जी ना भी एक लेख भेजी छौ, वेमा भी मान्सुने कु बखान छौ. बचपन मा दानी बोड्यु का गिचन सुण्यो छौ कि 'बेटा, टी बी मा बुना छां कि "मानसिंग" नि ऐ अभी. मिन वां पर ही एक कविता बनै दये.आशा च सभी पाठको थैं या कविता घौर ली जाली और पुराणा दिनों कि याद दिलाली..

"मानसिंग (मानसून) बोड़ा ऐजा"

छि भै बोड़ा यन्न नि रुसान्दा,
अपणा नौन्यालू और भै-बन्दों थैं, सिन नि तर्सान्दा,
हपार देख! बोड़ी ढयाँ मा जईं धै लगाणु,
बल, उज्याड़ नि जांदा, च्या ठंडी हूणि, प्ये जा,
मानसिंग बोड़ा ऐजा!!!

माना की मैंगै भिंडी हवे ग्ये,
और कमै का वास्ता, तू प्रवासी हवे ग्ये,
नौन्याल भी हाथ नि बटाना छन,
और तू यकुलू प्वैड ग्ये,
पर बोड़ा! नाती-नतिणों की गट्टा-कुंजों की आस लगी च, दये जा.
मानसिंग बोड़ा ऐजा!!!

एक मैना बिटिन्न बोड़ी सज-धजी बैठीं च,
तेरा औण की खुशि मा, देखा कनि तणितणी हुयीं, कन्न ऐंठी च
सुच्णी च अब त बोर्डर पर लड़े वला दिन भी नि छन,
रिटैर आदिम थैं यन्नी देर किलै लग्नी च,
उठ, खड़ू हो और दिखे जा दम ख़म, अपणु प्रेम छलकै जा,
मानसिंग बोड़ा ऐजा!!!

तेरु उत्तराखंड जू अपणी हरयाली कु जणेदु छौ,
देख कनू खरडु, कनू निरस्यु दिखेणु च,
माना की त्येरा भै बंद अब मुंगरी, कखड़ी, गुदड़ी सब बिसरी ग्येनी!
पर त्येरु त अपणु धरम, अपणी मान मर्यादा च,
आ! झमाझम बरखी, कुयेड़ी लौन्कै, अपणु "डिसिप्लिन" दिखै जा,
मानसिंग बोड़ा ऐजा!!! सब्यो की तीस बुझै जा!!! तरस्यु सरेल रुझे जा!!!

विजय गौड़
०३-०७-२०१२
सर्वाधिकार सुरक्षित

Vijay Gaur

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http://www.youtube.com/watch?v=kYw-sn0hdpw&feature=player_detailpage#t=56s

उत्तराखंड से हो रहे पलायन पर आधारित एक खूबसूरत गीत...

Vijay Gaur

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दगिद्यो,

द्वी-तीन दिन बिटिन्न सरया दुन्या मा टाइम मगज़िने खबर न घपरोल मचयु च..जथगा गिचा उथगा छवी. अब जब विदेसी भी इथगा बुना छन ता मी ता पैदेशी हक से अपणा विचार रखि सकदु..भै रै बुरु न मन्या...


"मन्न मोहण्या"

http://www.firstpost.com/wp-content/uploads/2012/07/manmohan-cover1.jpg

त देखा कनू घपरोल मच्युं सरया दुन्या मा,
बुना क्या छन कि, बल हमरु मन्नू दादा, देस कु प्रधानमंत्री "अंडर अचीवर" ह्वै ग्ये.
यु 'टाइम मैगज़ीन' वला भी सच मा लाटा हि छन,
अरे लोलाओ तुमुन कब समझण कि,
'अचीव' कन्न का वास्ता वेथैं प्रधानमंत्री कख बणे ग्ये.

यु हिन्दुस्तान च मेरा विदेसी लिख्वारो, समीक्षकों,
और तुम मा बस एक अदद हिन्दुस्तानी दिमाग कि कमी व्है ग्ये.
व्हैला तुम अकलबर अपणा देस मा मिथें पूरू विस्वास च,
पर ये मैना तुमुन सच मा अपणु मैगज़ीन कु मुखपृष्ठ बर्बाद कै द्ये.

अरे दगिद्यो अगर लिखणा कि यनि आतुरी आयीं छै,
त 'माँ सोनिया' का बारा मा किलै नि लिख्ये ग्ये,
जौंका अखंड परताप से एक "वर्डक्लास इकोनोमिस्ट",
'अचीव' कन्न का वास्ता गिरज्वोड़ा लगान्दु रै ग्ये.

दिदाओ! अब मी आप लोगु थैं अपणा परदेस मा आमंत्रित कनू छौं,
जख ये साल यी नयी भारतमाता ना अपणु आशीर्वाद बरसै द्ये,
और उत्तराखंड कि लाटी जनता का मथी भी,
देस कि जन्न, नक्क एक अपणु 'धिन्ग्वा' बैठे द्ये!

खबरदार! भोल कखि तुम उत्तराखंड का विश्लेषण पर एक द्वी पन्ना बर्बाद कल्या,
त मिन पैली तुमरू ध्यान यी तरफ लै द्ये,
हिन्दुस्तान मा मंत्री, प्रधानमंत्री कु आधार तुमरा देस जनु नि होंद दिदा,
तभि त तुम चट्ट 'डेवलप कंट्री' कि सूची मा ऐ ग्यो,
और मी और म्येरू हिन्दुस्तान सदानि 'डेवलपिंग' रै ग्ये....
सदानि डेवलपिंग हि रै ग्ये....

विजय गौड़
१०/०७/२०१२
सर्वाधिकार सुरक्षित..

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बहुत सुंदर गौर जी.. जारी रखियेगा.. आशा हमारे पाठको को आपने कविताएं पसंद आ रही होंगे!

 

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