हे इस्कुलिया बांधा रचना शैलेन्द्र जोशी
जख भी तू जांदी दग्दियो कु दगडा तुवैकू चैदू
हे इस्कुलिया बांधा
कुई बैख देखी झट खौली जांदी
मन मा कुछ नि रैंदु फैर मूल हैस जांदी
हे इस्कुलिया बांधा
बिराना पीठी का ठंगरा मा लगुली सी छाई तू
बथोउ मा हलंदी फौंगी रे तू
जैन जिथे ढलकै उथै ढलक जांदी तू
बिना मेकप का जुनी सी दमकणी छाई तू
फयोली सी मुखड़ी मा रिबन का दुई फूल खिलिया दुई लटलियो मा
गर मीठी नींद मा
कचि उमर मा पकी उमर का सुपनिया देखती तू हज़ार
बिखरा लटुला जुनी मुखडा मा
कालू काजल पस्यु मा
गलोड़ी मा बादल सी घिरुयु
ना चदरी ओदणु कु सगोर
लाज से बैफीकर
फैर भी सर्म चा भिन्डी तुवे मा इस्कुलिया बांधा
रुढ़ सी झौल तुवे मा
हुयुन्दी सी सैली चा शरारत चौमास तुवे मा
बसंत कु मौलियार छाई तू
खूबसूरती कु भण्डार
निर्मल चित कु कोठार
जवानी कु उदंकार छाई तू
है इस्कुलिया बांधा
रचना शैलेन्द्र जोशी