Author Topic: Poems written by Tribhuwan Chandra Mathpal- त्रिभुवन चन्द्र मठपाल की कविताये  (Read 4728 times)

एम.एस. मेहता /M S Mehta 9910532720

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त्रिभुवन चन्द्र मठपाल
November 17 
आज हम लोगों के पिछड़ने का मुख्य कारण !!
हम प्राइमरी के सबक भूल चुके है।
जिसकी वजह से अपनी व अपनों की प्रतिभा को जोड़ नहीं पा रहे है। .
प्राइमरी का ये सबक अब कौन अमल में लायेगा ????

पर्वत कहता शीष उठाकर,
तुम भी ऊँचें बन जाओ।.
सागर कहता है लहराकर,
मन में गहराई लाओ ।।

समझ रहे हो क्या कहता है,
उठ उठ गिर गिर तरल तरँग।
भर भर अपने मन में,
मीठी मीठी मृदुल उमँग ।।

पृथ्वी कहती धैर्य न छोडो,
कितना ही हो सिर पर भार।
नभ कहता फैलो इतना,
ढक लो तुम सारा संसार।।

एम.एस. मेहता /M S Mehta 9910532720

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त्रिभुवन चन्द्र मठपाल
November 16
त्रिचम उवाच :-
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हमने उन्हैं अपना समझकर,
उनका शुक्रिया अदा नहीं किया।
और वो गाते फिरे कि मुझ नामुराद को,
मुलाकाती शिष्टाचार भी नहीं आता।।

एम.एस. मेहता /M S Mehta 9910532720

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त्रिभुवन चन्द्र मठपाल

क्या हम पर जानवर व चिड़िया राज करते हैं !!
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 बड़े दिन के बाद मेनका चाची ख़बरों आयी
 और मोदी को शेर ( जानवर )
 व राहुल को चिड़ियाँ कह गयी !!
 एक परिवार के होने के कारण मुझ जैसे अनपढ़ को ये समझ आया !!
 सोनिया गान्धी = गिद्ध ,
 प्रियंका गान्धी बाड्रा = गौरया ,
 मेनका गान्धी = चील,
 वरुण गान्धी = क़बूतर,

एम.एस. मेहता /M S Mehta 9910532720

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त्रिभुवन चन्द्र मठपाल
 
बिन्नी की बात में दम तो है !!
बिन्नी पर अनुशासनात्मक कार्यवाही जनता से पूछ के करे आप !!!

एम.एस. मेहता /M S Mehta 9910532720

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कर चले हम फिदा जानो-तन साथियो
June 2, 2011 at 7:29pm

कर चले हम फिदा जानो-तन साथियो

हार का न करो कोई ग़म साथियो

तुम तो कर लो इकट्ठा रक़म साथियो

दौर जब तक चले कोई फुरसत न लो

घर में, जितनी बने लक्ष्मी दाब लो

वक़्त होता है मेहमान, कुछ देर का

उसके जाने से पहले, उसे नाप लो

फिर करो बैठ कर ऐश तुम साथियो

तुम तो कर लो इकट्ठा रक़म साथियो

हींग भी न लगे न लगे फ़िटकरीहो

मगर जिंदगी में, मज़ा ही मज़ाये

सियासत भी क्या चीज़ है दोस्तो

ख़ूब डालो डकैती न होगी सज़ा

उल्टे सब लोग, चूमें क़दम साथियो

तुम तो कर लो इकट्ठा रक़म साथियो

सूट और टाई में दाग़ लगते नहीं

व्यर्थ इनपे ना पैसा बहाया करो

सर पे टोपी धरो खादी पहना करो

नाम गाँधी का ले ले के घपला करो

फिर मिलेगा न दूजा जनम साथियो

तुम तो कर लो इकट्ठा रक़म साथियो

copy taj rana ji se

 

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