Sanjay Shah (facebook)
दोस्तों एक पहाड़ी गजल पेश हैं ,, आवारगी से ,,,,
यो दिल यो पागल दिल दिल म्योर , वो के हैगो आवारगी
यो पहाड़ो मैं एक गों छियो, वो कथा हरे गया आवारगी,,,,,,,,,
यो दिल पागल दिल म्योरो ,,,,,,,,,,,,,,
वेई सब मके बेशक्ल के आवाज ने चौका दिया
मेल पूछा तू कोछे ,इले कोछो मैं आवारगी
यो दिल यो पागल दिल म्योरो
एक टूटी सड़क मैं म्यार हमराह ले, हमराज ले
एक मैं छि पैदल जनि बस नि आई आवारगी
यो पहाड़ मैं एक गों छियो, वो कथा हरे गयो आवारगी
यो दिल यो पागल दिल म्योर वो कई हैगो आवारगी ,,
यो पहाड़ो मैं एक गों छियो वो कथा हरे गयो आवारगी
एक पहाड़ी हवो के झोके लै पूछा जब म्योर पैदल उनो का सबब
सड़के की धुल मैं मैले लेखा आवारगी .
यो दिल यो पागल दिल म्योरो .वो के हैराई आवारगी
यो धुपेरी घाम की धुल खैयो , यो पहाड़ो को वीरा सफ़र
मैं तो थक गयु पैदल पैदल, तू बता के हैराई आवारगी ,,,,,
यो दिल दिल यो पागल, दिल म्योर वो थक गया आवारगी,,,,,,,,,,
मस्त गजल हैं आवार