शेरदा की एक कविता के अंश:
पार्भति को मैतुडा देश:, मेरो मुलुक कतुक प्यारा,
डान काना में जुन हंसछ:, पर्वतों में चरनि तारा.
हौसिया छ्न डाना पर्वत
हौसिया छ्न भरौ क भाडा
मन में बसौ मेरो मुलुक,
आंख में रिटौ "मेरो पहाड."
ख्वरा मुकुट ह्यूं चमकौ, खुट चमकौ गंगा धारा
पार्भति को मैतुडा देश:, मेरो मुलुक कतुक प्यारा .
धुरा जंगल, बांज पतेलि,
फ़ल काफ़ल क्या झुलि रूनि.
धन हिसालू, धन किल्मोडी,
फ़ूल बुरांज फ़ुली रूनि.
हरिया स्यारि मन खै जाछ: हौस लगुनी स्यर सिन्गारा
पार्भति को मैतुडा देश:, मेरो मुलुक कतुक प्यारा .