मस्चुन्गाई
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हमारे वरिष्ठ सदस्य श्री डी एन बडोला जी का यह article पढिये
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मस्चुन्गाई ( वर पक्ष का दूत, वधू के द्वार )पर्वतीय अंचल मैं जब वर वधू की शादी रचाई जाती है तो अनेक रश्में निभाई जाती है मोबाइल व इन्टरनेट के युग मैं आज भी वधू के बाकायदा आगमन की सूचना देने हेतु मस्चुन्गाई, मन्ग्च्बाई या मस्चोई को वधू पक्ष के घर भेजा जाता है. मस्चुन्गाई कंधे मैं मॉस की दाल (उरद की दाल ) व चावल की थैली तथा हाथों मैं दही की ठेकी लेकर वधू पक्ष के घर जाता है.(कुछ लोग मास व चावल नहीं ले जाते हैं) उसे ससम्मान पिठ्याँ लगा व दक्षिणा देकर पठाया जाता है दही की ठेकी पीले वस्त्र मैं लपेटकर व कच्ची हल्दी तथा एक मुट्ठा हरी साग (सब्जी) व दूब के साथ भेजी जाती है. वधू पक्ष के लोग इस लगुनी शगुनी ठेकी का इन्तजार करते हैं तथा कौतुक वस पूछते है की मस्चुन्गाई दही की ठेकी लेकर आया कि नहीं मस्चुन्गाई दही की ठेकी को वर पक्ष द्वारा निर्मित मंडप मैं रख देता है. इस प्रथा का मुख्य उद्देश्य वधू पक्ष को बरात के आगमन तथा बारातियों की संख्या आदि की सूचना देना होता है. वधू पक्ष मस्चुन्गाई का स्वागत शंख घंट बजाकर करता है तथा उसको जलपान एवं टीका पिठ्या लगाकर तथा समुचित दक्षिणा देकर सम्मानित करता है.
मस्चुन्गाई से सूचना प्राप्त होते ही वधू पक्ष मैं चहल पहल शुरू हो जाती है तथा वधू के माता पिता दुल्हे व बरात के स्वागत एवं धूलि अर्घ के लिये तैयार हो जाते हैं.
मस्चुन्गाई
पुराने जमाने मैं जब यातायात अवं टेलीफोन आदि के साधन नहीं थे मस्चुन्गाई एक दिन पहले ही वधू पक्ष के घर जाकर वधू पक्ष को वर पक्ष द्वारा तैयारी, बारातियों की संख्या व बरात आने का समय आदि की पूर्ण जानकारी दिया करता था तथा दूसरे दिन बरात आने से पूर्व कुछ दूर पहले बरात मैं शामिल होकर वधू पक्ष की तयारियोँ की पूर्व सूचना एक भेदुवे (सी आइ डी) की तरह देता था.
वर पक्ष के दूत को मस्चुन्गाई क्यों कहा जाता है ? इसका कारण यह हो सकता है की वर पक्ष एक थैली मैं मॉस की दाल व चावल भी भेजता है. पहले थैली मैं मॉस की दाल रखी जाती है, फिर र्थैली मैं एक गाँठ मारी जाती है . इस गाँठ के बाद थैली मैं चावल भर दिया जाता है. फ़िर इसे गाँठ पाड़कर बंद कर दिया जाता है. इस थैली को कंधे मैं सहूलियत से रख व हाथ मैं दही की ठेकी लेकर मस्चुन्गाई वधू पक्ष के घर जाता है. थैली मैं मॉस व चावल रखे जाने के कारण ही इसे मॉस चावल का अपभ्रन्स मस्चुन्गाई कहा जाता है.मस्चुन्गाई हेतु एक से ज्यादा लोग भी जा सकते हैं कुछ लोग इसे मंग्चुनई भी कहते हैं. उनका कहना है की जो लोग लड़की मांगने तथा चुनने जाते हैं साधारणतया वही लोग मंग्चुनई बनाये जाते हैं
इस प्रकार मस्चुन्गाई प्रथा आज भी बदस्तूर जारी है. (D.N.Barola)
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