प्रवासी उत्तराखंडी ’प्रवासी भी कौन बनाता है इंसान को, ये पापी पेट ही इंसान को सब कुच्छ छोड़ने के लिए मजबूर कर देता है,लेकिन हमें इतना भी मजबूर नहीं होना चाहिए की हम अपनी देवभूमि की जिस मिटटी में हमने जन्म लिया है उसी को भूल जाएँ !चाहे हम कनिं भी रहें लेकिन हमें अपनी मात्र भूमि से जुडा रहेना चाहिए और अपनी इस देवभूमि को नहीं भूलना चाहिए !