[justify]आप सभी को सपरिवार बसन्त ऋतु के स्वागत में मनाया जाने वाला पर्व बसंत पञ्चमी, विद्या की देवी माँ सरस्वती के पूजन का पर्व और उत्तराखण्ड में 'सिर पञ्चमी' के रूप में मनाये जाने इस पर्व की हार्दिक बधाई और शुभकामनाएं।उत्तराखण्ड में 'सिर पञ्चमी' के दिन लोग जौ के खेत में जाकर पूर्ण विधि-विधान के साथ जौ के पौधों को उखाड़कर घर में लाते हैं और मिट्टी और गाय के गोबर का गारा बनाकर अपने घरों के चौखटों पर लगाते हैं साथ ही परिवार के सभी सदस्यों के सिर पर इन जौ के पौधों को रखते हैं।बसंत ऋतु के आगमन पर पीला वस्त्र धारण करने की परंपरा है। साथ ही घरों में मां सरस्वती की पूजा-अर्चना की जाती है। साथ ही पकवान भी बनते हैं। आज के दिन पहाड़ों में लोग अपने छोटे बच्चों के कान एवं नाक भी छिदवाते हैं। बसंत पंचमी के इस पर्व को गांवों में बहन-बेटी के पावन रिश्ते मनाने की भी परंपरा है, जो वर्षो से चली आ रही है। त्यौहार को मनाने के लिए ससुराल में रह रही बहन या बेटी मायके आती है। या फिर मां-बाप स्वयं पंचमी देने बेटी के पास जाकर उसकी दीर्घायु की कामना करते हैं।विनोद गढ़िया www.MeraPahadForum.com