Author Topic: Articles By Bhisma Kukreti - श्री भीष्म कुकरेती जी के लेख  (Read 724554 times)

Bhishma Kukreti

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                                   Aryans De-Rooting   Hill Asur Kingdoms in context History of Haridwar ,Bijnor and Saharanpur

                                          हरिद्वार , बिजनौर और सहारनपुर इतिहास संदर्भ में आर्यों द्वारा असुर जनपदों का उत्पाटन

                                                                                    History of Haridwar Part  --45 

                                                         हरिद्वार का आदिकाल से सन 1947 तक इतिहास -भाग -45   
                                                                                                             
                                                   इतिहास विद्यार्थी ::: भीष्म कुकरेती

                                                               आर्य जनपदों की स्थापना
  आर्य समाज ने भारत में प्रवेश सेना के साथ नहीं किन्तु परिवार , चल सम्पति व पशु सम्पति के साथ किया था।  अतः कहा जा सकता है कि आर्यों का विस्तार सेना की सहायता से नही बल्कि सामाजिक उच्चता याने सम्पति- समृद्धि प्राप्ति से हुआ।
 आर्य अपने पशुओं को लेकर चराई वाले क्षेत्रों से धीरे धीरे आगे बढ़े।  उन दिनों सप्तसिंधु या सिंधु -सतलज क्षेत्र में उस समय अन्य जनपद थे।  ये जनपद भी सिंधु घाटी संभ्यता समाज समान अपनी रक्षा या जमीन के प्रति सावधान नही थे। अतः ये जनपद आर्यों के चारागाहों में आने के बाद  पूर्व व दक्षिण की ओर हटते गए और कुछ यहीं रहीं और आर्यों के साथ कलह में शामिल थीं ।  आर्यों के पहले सिंधु क्षेत्र में कॉल , द्रविड़ , खस जातियां बसी थीं।  आर्य प्रसार युद्ध से नही हुआ।  तभी तो कुभा से लेकर शुतुद्रि तक पंहुचने के लिए आर्यों को 300 साल या नौ दस पीढ़ियां लगीं।  आदि समाज के ऊपर आर्यों का शाशन बढ़ता गया।
 सप्त सिंधु  आर्यजनों में पुरू , यदु , तुर्वस , द्रह्यु जनपद मुख्य थे।
   धीरे धीरे इन आर्य जनपदों ने अनार्य जनपदों को नष्ट करना शुरू किया और पूर्व की ओर बढ़ना शुरू किया। आर्यों की तुत्सु  भरतों की एक उपशाखा थी।  इनमे बद्रयश्व , उसका पुत्र दिवोदास और पौत्र सुदास प्रसिद्ध हुए।  दिवोदास ने अपने जनपद के उत्तर में हिमालय की निचली ढालों में बसे जनपदों का उत्पाटन किया। सुदास ने सप्तसिंधु व पंजाब के आर्यों को एकजुट करने की कोशिस की।
 सुदास की महत्वाकांक्षा का अन्य आर्य जनपदों जैसे यदु , तरवस , पक्थ , भलान , अलीन , विषाणी, शिव आदि जनपदों ने भारी विरोध किया।
आर्यों द्वारा असुर जनपदों का उत्पाटन का शेष भाग अगले अद्ध्याय में पढ़िए -
**संदर्भ - ---
वैदिक इंडेक्स
डा शिव प्रसाद डबराल , उत्तराखंड  इतिहास - भाग -२
राहुल -ऋग्वेदिक आर्य
मजूमदार , पुसलकर , वैदिक एज
Copyright@ Bhishma Kukreti  Mumbai, India 17 /1/2015
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History of Haridwar to be continued in  हरिद्वार का आदिकाल से सन 1947 तक इतिहास; बिजनौर इतिहास, सहारनपुर इतिहास  -भाग 46


History of Kankhal, Haridwar, Uttarakhand ; History of Har ki Paidi Haridwar, Uttarakhand ; History of Jwalapur Haridwar, Uttarakhand ; History of Telpura Haridwar, Uttarakhand ; History of Sakrauda Haridwar, Uttarakhand ; History of Bhagwanpur Haridwar, Uttarakhand ; History of Roorkee, Haridwar, Uttarakhand ; History of Jhabarera Haridwar, Uttarakhand ; History of Manglaur Haridwar, Uttarakhand ; History of Laksar; Haridwar, Uttarakhand ; History of Sultanpur,  Haridwar, Uttarakhand ; History of Pathri Haridwar, Uttarakhand ; History of Landhaur Haridwar, Uttarakhand ; History of Bahdarabad, Uttarakhand ; Haridwar; History of Narsan Haridwar, Uttarakhand ;History of Bijnor; History of Nazibabad Bijnor ; History of Saharanpur
कनखल , हरिद्वार का इतिहास ; तेलपुरा , हरिद्वार का इतिहास ; सकरौदा ,  हरिद्वार का इतिहास ; भगवानपुर , हरिद्वार का इतिहास ;रुड़की ,हरिद्वार का इतिहास ; झाब्रेरा हरिद्वार का इतिहास ; मंगलौर हरिद्वार का इतिहास ;लक्सर हरिद्वार का इतिहास ;सुल्तानपुर ,हरिद्वार का इतिहास ;पाथरी , हरिद्वार का इतिहास ; बहदराबाद , हरिद्वार का इतिहास ; लंढौर , हरिद्वार का इतिहास ;बिजनौर इतिहास; नगीना ,  बिजनौर इतिहास; नजीबाबाद , नूरपुर , बिजनौर इतिहास;सहारनपुर इतिहास
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Bhishma Kukreti

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 Best  Harmless Garhwali Humor  , Satire, Wit, Sarcasm , Garhwali Vyangya , Garhwali Hasya


                                         फेसबुक माँ घट्ट /घराटौ फोटो अर इन्नोवेसन इन गढ़वाळ

                                          खरोळया ,  खुचर्यट्या, खमखमो  : भीष्म कुकरेती

                     परसि मि अपण गौं मा  छौ अर मीन अपण गांवक उजड़ीं तिबार्युं फोटो फेसबुक मा क्या डाळि कि फेसबुक का प्रवासी फेसबुक्या पहाड़ी  गाँव की उजड़ती व्यवस्था, उजड़दा कूड़ों अर   पलायन पर इथगा रोइन कि ऊँका आंसू फेसबुक से बगद -बगद म्यार गौं तक पौंछि गेन। भूको तैं एक कत्तर रुटी मिल जावो अर फेसबबुक का पोस्टकार तैं Likes व कमेंट्स मिल जावन तो वो अफु तैं स्वर्गवासी समजण मिसे जांद। अर बेथां Likes अर कमेंट्स से मि गद गद ह्वे ग्यों, म्यार रोम रोम पुळेण बिसे गेन अर मि स्वर्गवासी सि ह्वे ग्यों। फेसबुक का Likes -कमेंट्स से प्रेरित ह्वेक मीन गदन जैक बांज पड्या क्याड़ -झ्याडों रौ की फोटो लेन अर  फेसबुक मा पोस्ट कर देन।  बांज पड्या क्याड़ -झ्याडों रौ फोटो देखिक प्रवासी फेसबुक्योंन अपण गाँव वळु तैं चट्टेलिक  खूब गाळी देन जु अपण बांज पड्या क्याड़ -झ्याडों रौ तैं छोड़िक नौकरी खोज मा देस ऐ गेन। मि हौर प्रेरित ह्वे ग्यों अर फोटो खैंचणो घराट -घट्ट जिना चल ग्यों।  फोटो खिंचणो इ छौ कि मि तैं कैन धै लगै -" ये भीषम ! ये भीषम ! "। मीन इना -उना द्याख पर क्वी नि दिखे।  मेरी ददि अर ब्वेन बतयूं छौ कि घट्ट का पास भूत नि हूंदन त मि उन नि डौर पर बि डर त हुंदी च। मि इना उना हिरणु छौ कि घट्ट बटें अवाज ऐ।
घट्ट -ये भीषम ! मि घट्ट बुलणु छौं।
मि -घट्ट ?
घट्ट -क्यों जब तू बांज पड्यां रौ की फोटो से फेसबुक्या प्रवास्युं तैं रुलै सकद त मि घट्ट ह्वेक नि बचळे सकुद।
मि -हाँ , या बात त सै च।
घट्ट -अच्छा तो तू बि हौर प्रवास्युं तरां मेरी फोटो लीणो अयुं होलि हैं ?
मि -हाँ।
घट्ट -तीन मेरी फोटो याने घट्ट , घराट , पनचक्की की फोटो लेक क्या करण ?
मि -फेसबुक मा डळलु। 
घट्ट -अर शीर्षक मा लिखिल कि -उजड़ते घट्ट -घराट-पनचक्कियां  और ग्रामीण बजार में चमकती  बिजली की चक्कियां।  फिर तू अपण गौं वळु पर दोषारोपण करिल कि ये जाहिल लोग अपनी संस्कृति छोड़ बजारी चक्कियों का आटा खा रहे हैं।
मि -त्वे तैं कनकै पता कि हम प्रवासी चाहते हैं कि ग्रामीण अभी भी आदि वासी जिंदगी बिताएं और अपनी संस्कृति बचाएं। हैं ?
घट्ट -अरे जथगा बि मेरी , उर्ख्यळ -गंज्यळु ,  जंदरुं फोटो फेसबुक मा पोस्ट करदन वु सब यांको इ रुण रुंदन कि गाँव वाळ गौं तैं बर्बाद करणा छन , कुछ नि करणा छन।
मि -पर हम प्रवासी और कर बि क्या सकदवां ?
घट्ट -हाँ ! तुम गढ़वाल का गढ़वळि अर प्रवासी गढ़वळि रुणो अलावा कौर बि सकदां ? निक्कज्जा गढ़वळि कहींके ! अरे ये अळगस्युं गोशी लोगो !   यदि घट्ट -घराट , खेती खतम हूणि  च त कुछ नया किलै नि सुचदा ?
मि -हम प्रवास माँ रैक क्या कर  सकदां ?
घट्ट -यां रुण -धूणो जगा इन्नोवेट त कौर सकदां कि ना ? अब जन कि म्यारि उदाहरण लेदि।  चूँकि बिजली चक्की से मेरि जरूरत अब नी च तो घट्ट -घराट -पनचक्की मा यदि सुधार यानी टेक्निकल इम्प्रूवमेंट करे जाव तो नया तराका घट्ट गढ़वळयुं वास्ता उत्पादन का नया स्रोत्र नि बण सकुद क्या ?
मि -हाँ पर !
घट्ट -पर क्या मेरी वर्टिकल ऊर्जा तैं लौंगिच्यूडनल इनर्जी मा बदलिक क्या नि करे सक्यांद ?
मि -हाँ पर ?
घट्ट -मेरी इनर्जी से गदनौ पाणी मथि धार तलक लिजाँद तुम गढवळयूँ तीक टुटी गे क्या ?
मि -हाँ पर ?
घट्ट -तुम गढ़वाळ का गढवळयूँ  अर प्रवास का गढवळयूँ तैं इन्नोवेसन  गढ़वाल अर इन्नोवेसन फोर गढ़वाल की वैचारिक क्रान्ति लाण चयेंद कि ना ?
मि -हाँ मेक इन इंडिया का तहत मेक इन गढ़वाल एवम  इन्नोवेसन इन गढ़वाल फॉर गढ़वाल की विचारधारा तो मुंबई मा बैठिक बि उरये सक्यांद।
घट्ट -एक बात बथादि कि  इन्नोवेसन का वास्ता तीन आवश्यकताएं क्या छन ?
मि -पैली च आधारभूत आवश्यकता
घट्ट -दुसर बात ?
मि -फिर सक्षम लोग जु तकनीक मा बदलाव लावन अर जु तकनीक तैं प्रयोग कर सौकन।
घट्ट -तिसरी  बात ?
मि -इन्नोवेसन तैं प्रयोगिक धरातल पर लाणो वास्ता संसाधन।
घट्ट -अर फिर इन्नोवेसन का रस्ता क्या छन ?
मि -ज्ञान ,इन्नोवेसन का प्रति एक सकारात्मक सामाजिक सोच , निर्णय , इन्नोवेसन की सोच तैं प्रयोगिक धरातल पर लाण अर फिर इन्नोवेसन का प्रयोग।  फिर हर पग पर इन्नोवेटिव रूप से इम्प्रूवमेंट।
घट्ट -क्या इन्नोवेसन केवल तकनीक याने वैज्ञानिक तकनीक तक ही सीमित हूंद ?
मि -नै नै ! इन्नोवेसन तो विचार से हूंद। हरेक क्षेत्र मा इन्नोवेसन की जरूरत हूंदी।
घट्ट -तो सूण ! तू म्यार फोटो ना ले अर फेसबुक्यों तैं नि रुला अपितु फेसबुक्यों का मध्य इन्नोवेसन इन गढ़वाल फौर गढ़वाल की विचारधारा की बात कर।  अब  जा ! अर इन्नोवेटिव विचारों से इन्नोवेसन इन गढ़वाल फौर गढ़वाल की विचारधारातैं दुनिया मा फैला।



18/1/15,  Bhishma Kukreti , Mumbai India

   *लेख की   घटनाएँ ,  स्थान व नाम काल्पनिक हैं । लेख में  कथाएँ , चरित्र , स्थान केवल व्यंग्य रचने  हेतु उपयोग किये गए हैं।

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Garhwali Vyangya , Garhwali Hasya,
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Bhishma Kukreti

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   Gorkha King Singhpratap in context History of Gorkha /Nepal Rule over Kumaun, Garhwal
History of Gorkha /Nepal Rule over Kumaun, Garhwal and Himachal (1790-1815) -17
   
   History of Uttarakhand (Garhwal, Kumaon and Haridwar) -536
 
                        By: Bhishma Kukreti (A History Research Student)
 After death of Prithvi Narayan Shah, his son Singhpratap or Pratap Singh Shah was coroneted on 10th January 1775. Prithvi Narayan had two sons- Singhpratap and Bahadur Shah.
       The wars and battles for Gorkha Kingdom expansion were continued in the Singhpratap or Pratap Singh Shah period as it was not possible to keep busy army without battles. Gorkha army led by Abhiman Singh Basnet attacked on Tinhu Kingdom. In 1777, Gorkha army captured Upardang and Chittaun regions.
          From the time, Singhpratap or Pratap Singh Shah sat on crown,  Daljit Singh the Uncle of Singhpratap or Pratap Singh Shah and  Bahadur Shah were busy on expelling Singhpratap or Pratap Singh Shah from the crown. Singhpratap or Pratap Singh Shah came to know the conspiracy. Daljit Singh had to flee from Nepal. Singhpratap or Pratap Singh Shah captured his brother Bahadur Shah and put him jail. After some time, Bahadur Shah was sent into exile.
Singhpratap or Pratap Singh Shah died in October 1777 two and half years of taking the rule. His two and half year old son Ran Bahadur Shah was coroneted in 1777.
 


Copyright@ Bhishma Kukreti Mumbai, India, bckukreti@gmail.com 18/1/2015
History of Garhwal – Kumaon-Haridwar (Uttarakhand, India) to be continued… Part -537
(The History of Garhwal, Kumaon, Haridwar write up is aimed for general readers)
XX

                    Reference
Hamilton F.B. 1819, An Account of Kingdom of Nepal and the territories
Colnol Kirkpatrik 1811, An Account of Kingdom of Nepal
Dr S.P Dabral, Uttarakhand ka Itihas part 5, Veer Gatha Press, Dogadda
Bandana Rai, 2009 Gorkhas,: The Warrior Race
Krishna Rai Aryal, 1975, Monarchy in Making Nepal, Shanti Sadan, Giridhara, Nepal
I.R.Aryan and T.P. Dhungyal, 1975, A New History of Nepal , Voice of Nepal
L.K Pradhan, Thapa Politics:
Gorkhavansavali, Kashi, Bikram Samvat 2021 
Derek J. Waller, The Pundits: British Exploration of Tibet and Central Asia page 172-173
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Bhishma Kukreti

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                                        Aryans Conquering for Slaves

                                 हरिद्वार , बिजनौर और सहारनपुर इतिहास संदर्भ में आर्यों द्वारा दास प्राप्ति

                                                                  History of Haridwar Part  --46 

                                                         हरिद्वार का आदिकाल से सन 1947 तक इतिहास -भाग -46   
                                                                                                             
                                                   इतिहास विद्यार्थी ::: भीष्म कुकरेती

 सप्तसिंधु क्षेत्र में 300 वर्ष विताने के वाद आर्यों की जीवनपद्धति में परिवर्तन हुए।  धीरे धीरे आर्य निरा पशुचारक न रहकर कृषक -पशुचारक बन चुके थे। पशुपालन व कृषि एक दूसरे के पूरक बन चुके थे। कृषि कार्य व पशुपालन से सम्पति वृद्धि हेतु मानव श्रमिकों की आवश्यकता पड़ने पर आर्यों ने दास -दासियों का प्रयोग प्रारम्भ कर दिया था।
 ज्यों ज्यों कृषि -पशुपालन से समृद्धि -सम्पति वृद्धि की लालसा बढ़ती गयी आर्यों को दास दासियों की आवश्यकता पड़ती गयी।  अब आर्य अन्य भारतीय जातियों से कृषि भूमि , अनाज , ही नही छीनने लगे अपितु दास दासियाँ भी छीनने लगे या अनार्यों दास बनाने लगे। आर्य अब दासों के लिए भी अनार्यों के गाँवों पर भी छापे मारने लगे।

कृष्णवर्ण वर्ग वाले दो वर्गों में बांटे जाते हैं- द्रविड़ व गुहावासी।  द्रविड़ों व गुहावसियों से आर्यों का घोर संघर्ष चला था।  किन्तु ऋग्वेद काल में द्रविड़ व गुहावासी आर्यों की अधीनता स्वीकार कर चुके थे।
 ऋग्वेद अनुसार अनार्य या दास जाति कृष्ण वर्ण व लिंग पूजक थे। यद्यपि किरात पीले थे  किन्तु आर्यों ने उन्हें कृश्णवर्ण वर्ग में ही रखा अनार्य पत्थरों के दुर्ग निवासी याने  गुफावासी थे। इतिहासकार इन्हे किरात जाति के मानव मानते हैं जो पंजाब की पहाड़ियों से लेकर सहारनपुर , हरिद्वार , बिजनौर , गढ़वाल की भाभर तराई क्षेत्रों में फैले थे।
 



**संदर्भ - ---
वैदिक इंडेक्स
डा शिव प्रसाद डबराल , उत्तराखंड  इतिहास - भाग -२
राहुल -ऋग्वेदिक आर्य
मजूमदार , पुसलकर , वैदिक एज
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History of Haridwar to be continued in  हरिद्वार का आदिकाल से सन 1947 तक इतिहास; बिजनौर इतिहास, सहारनपुर इतिहास  -भाग 47

History of Kankhal, Haridwar, Uttarakhand ; History of Har ki Paidi Haridwar, Uttarakhand ; History of Jwalapur Haridwar, Uttarakhand ; History of Telpura Haridwar, Uttarakhand ; History of Sakrauda Haridwar, Uttarakhand ; History of Bhagwanpur Haridwar, Uttarakhand ; History of Roorkee, Haridwar, Uttarakhand ; History of Jhabarera Haridwar, Uttarakhand ; History of Manglaur Haridwar, Uttarakhand ; History of Laksar; Haridwar, Uttarakhand ; History of Sultanpur,  Haridwar, Uttarakhand ; History of Pathri Haridwar, Uttarakhand ; History of Landhaur Haridwar, Uttarakhand ; History of Bahdarabad, Uttarakhand ; Haridwar; History of Narsan Haridwar, Uttarakhand ;History of Bijnor; History of Nazibabad Bijnor ; History of Saharanpur
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                                                    चाउ -माउ कुण चिट्ठी

                                        चबोड़्या सर्यूळ  ::: भीष्म कुकरेती

प्रिय चाउ -माउ !
वु दिन कबि नि आइ जै दिन मीन  त्यार विषय मा नि स्वाच। मीन त्यार विषय मा नेताओं से ज्यादा स्वाच जथगा यी नेता   उत्तराखंड तैं खंद्वार बणानो बान सुचदन।  मि तैं अपण बूड -खूडूं पर गुस्सा आंद जौन तेरी खोज नि कार अर फोकट मा सत्तू , बुखण , खाजा तैं फास्ट समजणा रैन।  म्यार प्रेम कु त्याग  देख त सै ! म्यार भैजिन दुसर कज्याणि बान पुराणि बौ छवाड़ अर मीन त्यार प्रेमौ खातिर अपण लोक भोजन ही त्याग दे। मि अब काम करद त्यारि त्यारि बारा मा उंगद , त्यारि सुपिन दिखुद अर हर समय तेरी कामना करद।
मि तैं ऊं लोगुं से बड़ी चिढ हूंद जु त्वे तैं पाणो बान म्यार दगड़ छौंपा -दौड़ , प्रतियोगिता करदन। लोग बाग़ बस पकड़णो बान बसौ पैथर अटकदन अर मि बस त्यार स्वादों बान अटकदु ।  लोग बाग देहरादून बसणो कामना करदन अर मि ऊँ तैं समजान्दु कि जब चाउ -माउ गढ़वाळम उपलब्ध च तो देहरादून बसणो जरूरत क्या च ?

                                                       हाँ जरा यी चाउ -माउ  होटल वळु से विनती च -

ठीक च बल म्यार भैजि अपण नै कज्याणि बिगरौ मा पुरण बौ तैं बिसरणो कोशिस मा लग्युं च पर पुरण कज्याणिक गुण कोशिस करणो बाद बि नि बिसर सकणु च।  उनि मि चाउ माउ का प्रेम मा मि पगलाणु छौं किन्तु जख्या भंगुल का स्वाद नि बिसर सकणु छौं।  अतः होटल वळु से मेरी विनती च कि चाउ -माउ मा जख्या भंगलो तड़का अवश्य लगावन !
उनि यि होटल वाळ चाउ माउ खलाण से पैल चीनी सूप पिलान्दन।  पर जु मजा कंडाळी स्वाद मा आंद उ मजा चीनी सूप मा थुका आंद तो चाइनीज सूप की जगा कंडाळी परोसा कारो। 

                                                   उत्तराखंड सरकार से विनती

 एक त चाउ -माउ तैं राजकीय नास्ता घोषित कारो अर चाउ -माउ पर सब्सिडी का इंतजाम कारो।

विनीत ------------
एक खौल्या बीर जैकि धीत नि भर्यान्दि !

19/1/15 ,  Bhishma Kukreti , Mumbai India

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         History of Gorkha King Ran Bahadur Shah

History of Gorkha /Nepal Rule over Kumaun, Garhwal and Himachal (1790-1815) -18
   
   History of Uttarakhand (Garhwal, Kumaon and Haridwar) -537
 
                        By: Bhishma Kukreti (A History Research Student)

 Ran Bahadur Shah and his son Givani Yuddh Vikram Shah could be called as King of Uttarakhand too.
              Clashes between Queen Rajendra Lakshmi and Bahadur Shah for Gorkha Kingdom
                    Ran Bahadur Shah was two and half year old when he was coroneted. His mother Rajya Lakshmi was the Care Taker ( Nayab) of Gorkha Kingdom. On the time of death of Singh Pratap Shah died his rebellion brother Bahadur Shah was spending exile life in Betiya. When Bahadur Shah heard the news of death of Singh Pratap, he returned to Kathmandu. He replaced Rajya Lakshmi from Nayabship. Bahadur Shah declared himself as Nayab (Care Taker). Rajya Lakshmi captured Bahadur Shah and put him jail. As per suggestion of Rajguru Gajraj Mishra, Bahadur Shah was freed from jail Again, Bahadur Shah put Rajylakshmi in jail and became Nayab. The supporters of Rajya Lakshmi freed Rajya Lakshmi. Rajya Lakshmi exiled Bahadur Shah. Bahadur Shah went to Patna via Betia. This tusle for crown or Care Taker was continued for three years after Ran Bahadur took the regime.

Copyright@ Bhishma Kukreti Mumbai, India, bckukreti@gmail.com 19/1/2015
History of Garhwal – Kumaon-Haridwar (Uttarakhand, India) to be continued… Part -538
(The History of Garhwal, Kumaon, Haridwar write up is aimed for general readers)
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                    Reference
Hamilton F.B. 1819, An Account of Kingdom of Nepal and the territories
Colnol Kirkpatrik 1811, An Account of Kingdom of Nepal
Dr S.P Dabral, Uttarakhand ka Itihas part 5, Veer Gatha Press, Dogadda
Bandana Rai, 2009 Gorkhas,: The Warrior Race
Krishna Rai Aryal, 1975, Monarchy in Making Nepal, Shanti Sadan, Giridhara, Nepal
I.R.Aryan and T.P. Dhungyal, 1975, A New History of Nepal , Voice of Nepal
L.K Pradhan, Thapa Politics:
Gorkhavansavali, Kashi, Bikram Samvat 2021 
Derek J. Waller, The Pundits: British Exploration of Tibet and Central Asia page 172-173
XX
History of Gorkha Rule in Uttarakhand, Himachal Pradesh; History of Gorkha Rule in Pauri Garhwal, Udham Singh Nagar Kumaon, Uttarakhand, Himachal Pradesh; History of Gorkha Rule in Chamoli Garhwal, Nainital Kumaon, Uttarakhand, Himachal Pradesh; History of Gorkha Rule in Rudraprayag Garhwal, Almora Kumaon, Uttarakhand, Himachal Pradesh; History of Gorkha Rule in Tehri Garhwal, Champawat Kumaon, Uttarakhand, Himachal Pradesh; History of Gorkha Rule in Uttarkashi Garhwal, Bageshwar Kumaon, Uttarakhand, Himachal Pradesh; History of Gorkha Rule in Dehradun Garhwal, Pithoragarh Kumaon, Uttarakhand, Himachal Pradesh;
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Bhishma Kukreti

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                  Non Aryan Kingdoms- Kings of Rigveda in context History of Haridwar ,Bijnor and Saharanpur
           

                                हरिद्वार , बिजनौर और सहारनपुर इतिहास संदर्भ मेंअनार्य नरेश अथवा दास राजा

                                                              History of Haridwar Part  --47 

                                                         हरिद्वार का आदिकाल से सन 1947 तक इतिहास -भाग -47   
                                                                                                             
                                                   इतिहास विद्यार्थी ::: भीष्म कुकरेती 


                           किरात दुर्दांत जाति
          ऋग्वेद अध्ययन से कई अनार्य जातियों व् नरेशों का पता चलता है।  इन्हे ऋग्वेद या वैदिक साहित्य में दास नाम दिया गया है।
            ऋग्वेदिक किरात पड़ोसी पहाड़ियों में निवास करती थी और ऋग्वेद में बार बार एक ऐसी महान दास जाति का प्रयोग हुआ है जिसे हराने के लिए आर्यों को इन्द्रादि की आवश्यकता पड़ी थी।  यह महान जाति शक्तिशाली व दुर्जेय थी।
                            ऋग्वेदिक दास नरेश
शंबर - ऋग्वेदिक अनार्य नरेशों में शंबर सबसे अधिक शक्तिशाली नरेश था आर्य नरेश (परुष्णी -विपासा -शुतुद्रि क्षेत्र ) दिवोदास को चालीस वर्षों तक घोर युद्ध करना पड़ा था।  याने शंबर कांगड़ा का नरेश था।
ऋग्वेद में निम्न अनार्य नरेशों या दास राजाओं का विवरण मिलता है -
चुमुरी
धुनि
शुष्ण
बलबूत
पिपरु
कुयव
वृत्र
व्यन्स
रुधिका
नमुचि
कुलितर
भेद
अज
यक्ष
शिग्रु

इलीविष
वर्चिन
इनमे से संभवतया कुलितर व नमुचि शंबर के पूर्वज थे।
भेद ने शंबर की हत्या की थी और दिवोदास के पुत्र सुदास से दो भीषण युद्ध किये थे।


**संदर्भ - ---
वैदिक इंडेक्स
डा शिव प्रसाद डबराल , उत्तराखंड  इतिहास - भाग -२
राहुल -ऋग्वेदिक आर्य
मजूमदार , पुसलकर , वैदिक एज
Copyright@ Bhishma Kukreti  Mumbai, India 19 /1/2015
Contact--- bckukreti@gmail.com
History of Haridwar to be continued in  हरिद्वार का आदिकाल से सन 1947 तक इतिहास; बिजनौर इतिहास, सहारनपुर इतिहास  -भाग 48

History of Kankhal, Haridwar, Uttarakhand ; History of Har ki Paidi Haridwar, Uttarakhand ; History of Jwalapur Haridwar, Uttarakhand ; History of Telpura Haridwar, Uttarakhand ; History of Sakrauda Haridwar, Uttarakhand ; History of Bhagwanpur Haridwar, Uttarakhand ; History of Roorkee, Haridwar, Uttarakhand ; History of Jhabarera Haridwar, Uttarakhand ; History of Manglaur Haridwar, Uttarakhand ; History of Laksar; Haridwar, Uttarakhand ; History of Sultanpur,  Haridwar, Uttarakhand ; History of Pathri Haridwar, Uttarakhand ; History of Landhaur Haridwar, Uttarakhand ; History of Bahdarabad, Uttarakhand ; Haridwar; History of Narsan Haridwar, Uttarakhand ;History of Bijnor; History of Nazibabad Bijnor ; History of Saharanpur
कनखल , हरिद्वार का इतिहास ; तेलपुरा , हरिद्वार का इतिहास ; सकरौदा ,  हरिद्वार का इतिहास ; भगवानपुर , हरिद्वार का इतिहास ;रुड़की ,हरिद्वार का इतिहास ; झाब्रेरा हरिद्वार का इतिहास ; मंगलौर हरिद्वार का इतिहास ;लक्सर हरिद्वार का इतिहास ;सुल्तानपुर ,हरिद्वार का इतिहास ;पाथरी , हरिद्वार का इतिहास ; बहदराबाद , हरिद्वार का इतिहास ; लंढौर , हरिद्वार का इतिहास ;बिजनौर इतिहास; नगीना ,  बिजनौर इतिहास; नजीबाबाद , नूरपुर , बिजनौर इतिहास;सहारनपुर इतिहास
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Best  Harmless Garhwali Humor  , Satire, Wit, Sarcasm , Garhwali Vyangya , Garhwali Hasya

                                       ओपिनियन पोल से हौर बि कनफ्युजाण  सरणि च

                                               कनफ्यूजन  मा : भीष्म कुकरेती

राजनैतिक पार्टी रणनीतिकार - देख उप रणनीतिकार ! आज श्याम छै हरेक टीवी चैनेल  मा दिल्ली चुनावुं पर ओपनियन पोल की झड़ी लगण   वाळ च उन तो हम तैं ओपिनियन पोलुँ सर्वे से अपण रणनीति बणाणम  मदत नि मिलदी ।  तो चलो जरा ओपिनियन पोल देखिक हँसे ही जावो।  तो चलो दिखे जाव कि ओपिनियन पोल क्या पोल खुल्दन धौं।
राजनैतिक पार्टी उप रणनीतिकार- हाँ अच्काल बड़ी परेशानी च। अपण भावी मुख्यमंत्री कण्डिडेटों क्या अपण ब्लॉक प्रमुखों  जमीनी पड़ताल पर विश्वास करण इनि च जन मूसु अपण ख़ास दुसमन सांप- गुरा पर विश्वास करण मिसे जाव।
राजनैतिक पार्टी रणनीतिकार-पार्टी ब्लॉक प्रमुख जमीनी हकीकत तब बतालो जब वैक खुट  जमीन मा ह्वावन।  यी त प्रदेश राजधानी या दिल्ली मा इ पड्यां रौंदन तो यूंक अवलोकन पर क्या विश्वास करण ?                       
पार्टी उप रणनीतिकार- हाँ अच्काल दुसर पार्टयुं कार्यकर्ता का ओपिनियन पर भरोसा करण सही च बजाय अपण कार्यकर्ता पर भरवस करण !
पार्टी रणनीतिकार-अच्छा ! ले सि शुरू ह्वे गे एब्वे तू बि पी कु ओपिनियन पोल।
एब्वे तू बि पी टीवी चैनेल - अब द्याखो सबसे सही ओपिनयन पोल।  हमर सर्वे मुताबिक़ दिल्ली मा  आम आदमी पार्टी तैं 46  प्रतिशत , भाजपा तैं 45. 89 प्रतिशत अर बाकी वोट फंडधुळी पार्टी अर अन्यों तैं मीलल।  हम उन त गारंटी दींदा कि हमर ओपिनियन पोल सटीक च किन्तु दस प्रतिशत प्लस माइनस की पूरी गुंजाइस च। 
पार्टी उप रणनीतिकार-एक मिनट सर !  सांख्यकी कु सिद्धांत से तो तीन प्रतिशत  स्विंग से दस बीस सीटूँ का वारा -न्यारा ह्वे जाल तो दस प्रतिशत इना उना हूण से तो फंडधुळी पार्टी बि जीत सकदी। एब्वे तू बि पी टीवी चैनेलौ सर्वे पर विश्वास कनै करे जै सक्यांद ?
पार्टी रणनीतिकार-चल रण दे।  अब परसि -नितरसिक खबर आज टीवी चैनलों सर्वे दिखला।
परसि -नितरसिक खबर आज - अब द्याखो हमर दिल्ली चुनावी सर्वे।  यु सर्वे सबसे प्रमाणिक सर्वे च।  हमर हिसाब से भाजपा तैं 39 प्रतिशत , आम आदमी पार्टी तैं 35 प्रतिशत , फंडधुळी पार्टी तैं 19 प्रतिशत , पिटीं पार्टी तैं 3 प्रतिशत अर बकै अन्य का खाता माँ वोट जाल।
पार्टी उप रणनीतिकार- पर ! पिटीं पार्टी कु विलय तो लोकसभा चुनाव मा हमर पार्टी मा ह्वे गे छौ तो फिर पिटीं पार्टी का नाम सर्वे मा कखन आयि ?
पार्टी रणनीतिकार-अरे ! मि तैं लगणु च कि ये चैनलन पांच साल पैल जु सर्वे कौर छौ वै सर्वे तैं उलटु करिक दिखाई।
पार्टी उप रणनीतिकार-मतबल फंडधुळी पार्टी जगा आम आदमी पार्टी बदल अर   बकै उनि रण दे।
पार्टी रणनीतिकार-हाँ।
पार्टी उप रणनीतिकार-अब बताओ मीडिया तो झूट बुलण मा हम राजनीतिज्ञों से बि अग्नै बढ़ गे।
पार्टी रणनीतिकार-अच्छा चल।  वैन तैन क्या ब्वाल टीवी चैनेलो सर्वे बि आण वाळ च।  टीवी चैनेल बदल।
 वैन तैन क्या ब्वाल- हमर सर्वे ही विश्वासी सर्वे च।  हमर सर्वे पर हरेक राजनीतिक पार्टी बि विश्वास करदी। हमर सर्वे का हिसाब से भाजपा तैं 32 प्रतिशत , आम आदमी पार्टी तैं 32 प्रतिशत , फंडधुळी पार्टी तैं 30 प्रतिशत अर सियीं पार्टी तैं 2 प्रतिशत। 
पार्टी रणनीतिकार-वैन तैन क्या ब्वाल चैनेल तैं हमन अपण फेवर मा सर्वे दिखाणो कथगा रुपया दे छौ ?
पार्टी उप रणनीतिकार-आजि मि द्वी करोड़ रुप्या देक औं।
पार्टी रणनीतिकार-मतबल सबि पार्टयूंन ये चैनेल तैं दु दु करोड़ रुप्या पौंछे ऐन तो एन सब्युं तैं बरोबर वोट दिलै देन।  सूण सबि चैनेल वाळु तैं अब पैसा तबि दीण जब यी सर्वे बतै द्यावन।
पार्टी उप रणनीतिकार-सर ! यी माणदा इ नि छन।  जब तक पैसा पैल नि पौंछ जांद यी हमर वोट प्रतिशत अधिक नि
पार्टी रणनीतिकार- अरे पर हम तैं लोगुं ओपिनियन तो पता लगाण इ पोड़ल कि ना ?
पार्टी उप रणनीतिकार- अब अपण पार्टी कार्यकर्ताओं पर विश्वास हूंद नी च , अखबार अर टीवी चैनेल तो पेड सर्वे दिखाँदन तो रणनीति बणाणो बान सीधा वोटरूं से सम्पर्क करूद।
पार्टी उप रणनीतिकार (फोन पर ) - हेलो वोटर जी ! जरा इन त बताओ कि तुम कै तैं वोट दीणा छंवां ?
वोटर - अरे ! मि त टीवी अर अखबारुं सर्वे पर निर्भर छौ कि मि ओपिनियन पोल देखिक वोट देलु।  पर  ....
पार्टी उप रणनीतिकार- पर क्या ?
वोटर - पर टीवी अर अखबारुं ओपिनियन पोल से तो मि और बि कनफ्यूज ह्वे ग्यों।  मेरी समजम इ नि आणु च कि यदि ओपिनियन पोल वैज्ञानिक पद्धति से हून्दन त हरेक टीवी चैनेल का ओपिनियनुं मा जमीन असमानौ अंतर किलै ? मि त कनफ़्यूजे ग्यों।


20/1/15 ,  Bhishma Kukreti , Mumbai India

   *लेख की   घटनाएँ ,  स्थान व नाम काल्पनिक हैं । लेख में  कथाएँ , चरित्र , स्थान केवल व्यंग्य रचने  हेतु उपयोग किये गए हैं।

Best of Garhwali Humor in Garhwali Language ; Best of Himalayan Satire in Garhwali Language ; Best of  Uttarakhandi Wit in Garhwali Language ; Best of  North Indian Spoof in Garhwali Language ; Best of  Regional Language Lampoon in Garhwali Language ; Best of  Ridicule in Garhwali Language  ; Best of  Mockery in Garhwali Language  ; Best of  Send-up in Garhwali Language  ; Best of  Disdain in Garhwali Language ; Best of  Hilarity in Garhwali Language  ; Best of  Cheerfulness in Garhwali Language  ;  Best of Garhwali Humor in Garhwali Language from Pauri Garhwal  ; Best of Himalayan Satire in Garhwali Language from Rudraprayag Garhwal  ; Best of Uttarakhandi Wit in Garhwali Language from Chamoli Garhwal  ; Best of North Indian Spoof in Garhwali Language from Tehri Garhwal  ; Best of Regional Language Lampoon in Garhwali Language from Uttarkashi Garhwal  ; Best of Ridicule in Garhwali Language from Bhabhar Garhwal  ; Best of Mockery  in Garhwali Language from Lansdowne Garhwal  ; Best of Hilarity in Garhwali Language from Kotdwara Garhwal  ; Best of Cheerfulness in Garhwali Language from Haridwar  ;
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                Chaubisi Campaign in Gorkha King Ran Bahadur Period
History of Gorkha /Nepal Rule over Kumaun, Garhwal and Himachal (1790-1815) -19
   
   History of Uttarakhand (Garhwal, Kumaon and Haridwar) -538
 
                        By: Bhishma Kukreti (A History Research Student)

                 It was important for both Rajya Lakshmi and Bahadur Shah that they continued the Gorkha Kingdom expansion as initiated by Prithvi Narayan Shah.  It was also essential that to minimize conspiracies and tussles among court elites that the Kingdom kept busy in wars and battles.  Encouraged by tussles between Rajya Lakshmi and Bahadur Shah, Chaubisi Region Kings started attacking on Gorkha Kingdom.  When Bahadur Shah got Care Taker (Nayab) position, he sent an army to suppress Chaubisi Region Kingdoms. When Gorkha army reached to Tanhun in Jnuary 1778, the Tanhun King ran away and took asylum I Palpa.  Later on the combined forces of Tanhun, Palpa and Parvatraj captured back the hill regions of Tanhun and Chitaun from Gorkha Army. Now, the Chaubisi combined force reached to Urdang Gadhi. Bahadur Shah sent another army to tackle the situation. The new force defeated Chaubisi combine force. In 1779, Tahun King had to flee towards plains.
 In the mean time, Rajya Lakshmi got again the position of Nayab and Bahadur Shah had to flee to Patna. Tanhun army again got back the Tanhun hill territory from Gorkha. In December January 1781, Caubisi combined force attacked on Gorkha region.
** Read more about Gorkha King Ran Bahadur in next chapter….
Copyright@ Bhishma Kukreti Mumbai, India, bckukreti@gmail.com 20/1/2015
History of Garhwal – Kumaon-Haridwar (Uttarakhand, India) to be continued… Part -539
(The History of Garhwal, Kumaon, Haridwar write up is aimed for general readers)
XX

                    Reference
Hamilton F.B. 1819, An Account of Kingdom of Nepal and the territories
Colnol Kirkpatrik 1811, An Account of Kingdom of Nepal
Dr S.P Dabral, Uttarakhand ka Itihas part 5, Veer Gatha Press, Dogadda
Bandana Rai, 2009 Gorkhas,: The Warrior Race
Krishna Rai Aryal, 1975, Monarchy in Making Nepal, Shanti Sadan, Giridhara, Nepal
I.R.Aryan and T.P. Dhungyal, 1975, A New History of Nepal , Voice of Nepal
L.K Pradhan, Thapa Politics:
Gorkhavansavali, Kashi, Bikram Samvat 2021 
Derek J. Waller, The Pundits: British Exploration of Tibet and Central Asia page 172-173
XX
History of Gorkha Rule in Uttarakhand, Himachal Pradesh; History of Gorkha Rule in Pauri Garhwal, Udham Singh Nagar Kumaon, Uttarakhand, Himachal Pradesh; History of Gorkha Rule in Chamoli Garhwal, Nainital Kumaon, Uttarakhand, Himachal Pradesh; History of Gorkha Rule in Rudraprayag Garhwal, Almora Kumaon, Uttarakhand, Himachal Pradesh; History of Gorkha Rule in Tehri Garhwal, Champawat Kumaon, Uttarakhand, Himachal Pradesh; History of Gorkha Rule in Uttarkashi Garhwal, Bageshwar Kumaon, Uttarakhand, Himachal Pradesh; History of Gorkha Rule in Dehradun Garhwal, Pithoragarh Kumaon, Uttarakhand, Himachal Pradesh;
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                          Das Bhumi in Rigveidic Period in contaxt Haridwar, Bijnor and Saharanpur History

                                        ऋग्वेदीय समय में दास भूमि विस्तार

                                                        History of Haridwar Part  --48 

                                                         हरिद्वार का आदिकाल से सन 1947 तक इतिहास -भाग -48   
                                                                                                             
                                                   इतिहास विद्यार्थी ::: भीष्म कुकरेती 
 
   ऋग्वेद अनुसार वैदिक राजाओं ने कई युद्ध किये और चालीस वर्षों तक अनार्य /दास नरेशों से युद्ध करते रहे।  इसका अर्थ है कि दास भूमि पंजाब के नजदीक , कांगड़ा तक ही सीमित नही रही होगी।  दास भूमि का विस्तार अवश्य ही उत्तराखंड , हिमाचल , सहारनपुर , हरिद्वार , बिजनौर तक फैला था।
  दिवोदास ने दास नरेश शंबर के सौ शिला दुर्गों तथा पुरकुत्स ने सात दुर्ग ध्वस्त किये।  देवदास ने साठ हजार सैनिकों की हत्या की।  वशिष्ठ ने तीन हजार दासों को आहत किया।  तो वामदेव ने पचास हजार कृष्ण रंगी दासों  मारा।
       दास हत्त्या युद्ध में एक लाख वीरों के मरने का उल्लेख मिलता है।  ऋग्वेद में अपार दासों को मरने का उल्लेख है।
इन आंकड़ों से विदित होता है कि दास भूमि सप्तसिंधु से काफी दूर   तक पंहुची थी और शायद सहारनपुर , उत्तराखंड , बिजनौर तक दास भूमि का विस्तार था।

**संदर्भ - ---
वैदिक इंडेक्स
डा शिव प्रसाद डबराल , उत्तराखंड  इतिहास - भाग -२
राहुल -ऋग्वेदिक आर्य
मजूमदार , पुसलकर , वैदिक एज
Copyright@ Bhishma Kukreti  Mumbai, India 20 /1/2015
Contact--- bckukreti@gmail.com
History of Haridwar to be continued in  हरिद्वार का आदिकाल से सन 1947 तक इतिहास; बिजनौर इतिहास, सहारनपुर इतिहास  -भाग 49


History of Kankhal, Haridwar, Uttarakhand ; History of Har ki Paidi Haridwar, Uttarakhand ; History of Jwalapur Haridwar, Uttarakhand ; History of Telpura Haridwar, Uttarakhand ; History of Sakrauda Haridwar, Uttarakhand ; History of Bhagwanpur Haridwar, Uttarakhand ; History of Roorkee, Haridwar, Uttarakhand ; History of Jhabarera Haridwar, Uttarakhand ; History of Manglaur Haridwar, Uttarakhand ; History of Laksar; Haridwar, Uttarakhand ; History of Sultanpur,  Haridwar, Uttarakhand ; History of Pathri Haridwar, Uttarakhand ; History of Landhaur Haridwar, Uttarakhand ; History of Bahdarabad, Uttarakhand ; Haridwar; History of Narsan Haridwar, Uttarakhand ;History of Bijnor; History of Nazibabad Bijnor ; History of Saharanpur
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