Author Topic: Articles By Bhisma Kukreti - श्री भीष्म कुकरेती जी के लेख  (Read 1120435 times)

Bhishma Kukreti

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                        गढवाळ का नामी गिरामी लोक अर जाती(मलारि जुग बिटेन अब तलक ) फड़क -23


                                  गढ़वाल की विभूतियाँ व समाज (मलारी युग से वर्तमान तक ) भाग 23



                                      Great Garhwali Personalities and Societies of Garhwal Part -23



                                       भीष्म कुकरेती (Bhishm Kukreti )
                   
                       चाहमान  गढ़पतियुं क गाथा (  13 वीं  ईस्वी सदी मा )

 

              जै बगत मोहम्मद घोरी को आक्रमण अर अर दिल्ली मा पृथ्वी राज चौहान अर दिल्ली मा तोमर साम्न्तुं राज छयो वै बगत सैत च गढवाल का भौत सा गढून पर चौह्मान या चौहाण

१- अजमेर का चौहाण गढ़ पति  : सलाण अजमेर (अजयमेरु) मा चौहाण गढ़पत्युं राज रायो

२- पयाळ गढ़पति : इन बुले जांद बल पैठारा अजमेर पर  पयाळ जाती वालुं राज ह्व़े छौ

३- क्राचाल्ल को बाद भौत सा चौहाण सामंत /मांडलिक न अपणो  अपणो  गढ़ों  पर अधिकार करी छौ

 चौहाण की  बारा तेरा (12- 13 ) शाखाओं क ब्योरा मिल्द ( रतूड़ी : गढ़वाल का इतिहास) : य़ी चौहाण ज़ात छन

१- झिन्क्वाण

२-तुलसारा

३-मकरोला रावत

४-  परसारा रावत

५- धम्मादा बिष्ट 

६- अस्वाळ ( या जात घवा डों की सवारी मा प्रवीन छे अर घ्वादों चित्र बि बणादा छ्या इलै अश्वारोही से अस्वाळ ह्व़े )

७- लोभन नेगी / लोहवान नेगी : य़ी साखि मा दिलवर सिंह अर प्रमोद सिंह नामी गढ़पति   छ्या . यीं ज़ात की  बड़ें गढ़ राजवंश मा भौत च

८- रमोला

९-अजमेर का चाहमान

१०-खैलपुर का चाहमान

११- चांदपुर का चाहमान

१२- उप्पुगढ़ का चाहमान

१३- कंडारा गढ़ का दुमग चौहान 

                            दक्षिण गढ़वाळ का चौहाण
 १- अजमेर का चौहान

२- रतनगढ़ का धम्मादा चौहाण : कुंजणि मा ब्रह्मपुरी का मथिन रतनगढ़ छौ अर वख एक दें धम्मादा बिष्टउन को राज थौ

३--मायापुर हाट : मा पुंडीरूं   राज थौ

४- ज्वालापुर हाट या खैलपुर का चाहमान : इख का  छै साख्युं /पीढी का  राजाओं नाम इन छया

अ- उर्मी नाग

ब- कुर्मी नाग

स- राय मंगल

ड़- अफती

ई. धामदेव अर वैका  छै भाई  . इन बोले जांद बल पुंडीरूंन धाम देव अर वैका छै भैयुं तै मारिक कब्जा करी छौ

धामदेव का ७ नौन्यालुं मा से तीन नाम (ओकले अर गैरोला )

१- जीत सिंह

२- भूप सिंह

३-केदार सिंह

४- उत्तम सिंह

 उप्पू गढ़ का कफ्फू चौहान : क्फ्फु चौहाण बड़ो भड़ छौ पण पंवार नरेश अजयपाल ण क्फ्फु चौहाण तै हरैकी उप्पू गढ़ पर अधिकार करी थौ

                                      चांदपुर गढ़ का चौहाण

      चांदपुर गढ़ युद्ध व्यूह रचना   को हिसाब से महत्व पूर्ण गढ़ छयो.

भानु प्रताप : चांदपुर गढ़ी मा सबसे प्रसिद्ध गढ़ पति   भानु प्रताप ह्व़े

मंगल सिंह : मंगल सिंग भानुप्रताप को राजकुमार छौ जैन अपण    राज भौत फैलाई   

हालांकि रतूड़ी को मत कुछ अलग ही छौ

                               भिलंग गढ़ का चौहान                 

सोनपाल : सोनपाल भिलंग गढ़ को राजा छौ अर वैक  एकी नौनी औलाद छे . नौनी कू ब्यौ पंवार बंश को पैलो रज्जा कंक्पल क दगड कौरिक

पंवार बंश को श्रीगणेश करी थौ

                                  पैन खंडा का बयालीस गढ़ पति

जुमल़ा चौहाण :     टिहरी हस्तलेखऔ मुताबिक पैन्ख्नाडा मा हरेक गाँव एक गढ़ (राज) छौ . ए हिस्सा मा ४२ जुमला चौहान गढ़पत्युं राज छौ ( 1270 - 1321 AD) 


 
Reference: Dr Shiv Prasad Dabral, Uttarakhand ka Itihas -3 ( History of Uttarakhand - 3
 
History of Garhwal, History of Kumaun )

 


बकै खंड 24  मा बाँचो

To be continued in 24th Part

Bhishma Kukreti

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                               गढवाळ का नामी गिरामी लोक अर जाती(मलारि जुग बिटेन अब तलक ) फड़क -24


                                              गढ़वाल की विभूतियाँ व समाज (मलारी युग से वर्तमान तक ) भाग 24


                                              Great Garhwali Personalities and Societies of Garhwal Part -24


                                                     भीष्म कुकरेती (Bhishm Kukreti )
 
                                                देवपाल राजा अर उत्तराधिकारी (1250  -1280 ई.)

देव पाल अर वैका उत्तराधिकारी (१२५० - १२८० ई) : देवपाल अर वैका उत्तराधिकार्युं न पच्छमी गढ़ देश पर बलवन का करीब राज करी. राज बलबन न देव पाल को राज्य प्र१२५७ ई मा आक्रमण करी छौ .

 

                        एकचक्रा को बाहुबाण (चाहुबाण)  राजबंश  (तकरीबन 1280 -1390  AD

        जण श्रुति, अर अल्लाठनाथ की द्वी  संस्कृत पोथी   ' निर्णय सूत्र' अर 'सकलपुराण सम्मुचय' को हिसाब से डा. शिव प्रसाद डबराल न बतायी बल पच्छमी गढवाल अर जमुना का पूर्ब (चकराता जिना)

चौहाण (बाहु बाण )  जाती क 1230 -   1420 ई.   राज राई अर राजधानी क नाम एकचक्री थौ .

सरूप बाहुबाण (चौहाण ): सरूप एक बीर भड़ थौ अर वैन बाहुबाण राज्य की स्थापना 1230 AD  का करीब करी.

कर्ण देव :  कर्ण देव  राजा सरूप को नौनु थौ अर त्यागी, दानी, भड़ व शिव भक्त छौ

उद्धरण : कर्ण देव  कू लौड़  एक बड़ो भड़, गंभीर, धीरू अर सुमति वल़ू राजा थौ, वैकी लड़ाई सीमा पर दिल्ली क रज्जा/सामंत का दगड बि ह्व़े

चन्द्र सेन : उद्धरण कू नौनु बि बड़ो दानि अर शैव्य थौ

सूर्यसेन : चन्द्र सेन कू बड़ो नौनु का नाम सूर्यसेन छौ अर वै ही राजा न अल्लाट  नाथ तै 'निर्णय सूत्र ' लिखणो  प्रेरणा दे  थै .
 
अल्लाट नाथ सूरी  : अल्लाट नाथ सूर्यसेन को राज दरबार मा संकृत को पंडित छौ. अल्लाट नाथ सुरी न 'निर्णय सूत्र' अर सकल पुराण सम्मुचय ' पुस्तक लेखिन.

'निर्णय सूत्र ' एक धर्म शाश्त्र पर नामी किताब छे अर पैथराँ   निर्णय सिन्धु, तीर्थ निर्णय , कालनिर्णय , निर्णय दीपक जन किताबुं मा 'निर्णय सूत्र' का उदाहरण दिए गेन

निर्णय सूत्र का पैली  भाग मा अल्लाट नाथ सुरी न सूर्यसेन की चार साख्युं (पीढी ) का वर्णन करी


प्रताप सेन : सूर्य सेन कू भुला कुंवर प्रताप सेन अपण बड़ा भैजी क बान लक्ष्मण को जन आज्ञाकारी थौ

देव सेन : देव सेन बि अपण ददा बुबा क तरां बीर अर शिव भक्त थौ

                                रतन सेन अर उत्तराधिकारी (1390-1420)

   रतनसेन अर उत्तराधिकारी : रतन सेन अर वैका उत्तराधिकार्युं समौ १३९०-१४२० का माने जांद अर यूँ राजाओं क राज पच्छमी  गढवाल ही थौ .तैमुर लंग न यूँ को राज पर चढ़ाई करी थै .

देवसेन : देवसेन रतनसेन को वंशज  थौ

तुगलक  उत्तराधिकारी  तैं शरण : तुगलकों पर जब मुगलों न आक्रमण करी त देव सेन या रतन सेन न फिरोज तुगलक का बेटा मुम्मद खां तैं शरण दे छे   

 

 


Reference: Dr Shiv Prasad Dabral, Uttarakhand ka Itihas -3 ( History of Uttarakhand - 3

History of Garhwal, History of Kumaun )

 


बकै खंड 25  मा बाँचो

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                            गढवाळ का नामी गिरामी लोक अर जाती(मलारि जुग बिटेन अब तलक ) फड़क -25


                              गढ़वाल की विभूतियाँ व समाज (मलारी युग से वर्तमान तक ) भाग 25

                                  Great Garhwali Personalities and Societies of Garhwal Part -25


                                      भीष्म कुकरेती (Bhishm Kukreti )

                                   

                                     तुगलक का समौ  का पूरबी गढवाळ का रज्जा

                तुगलक समौ पर पूरबी गढवाळ मा तौळ लिख्यां रज्जा छाया :

वत्सराज (बहरूज़ ) , श्रीधर : यूँ का राज 1390 -1440 ई.  बताये जांद 

जगतपाल रजवार : जगतपाल रजवार को राज समौ तकरीबन 1440 - 1460 ई.  माने जांद

जितपाल, आनंद पाल : जितपाल, आनंद पाल को राज कू समौ 1460 -1500 ई. माने जांद

श्रजयपाल :  श्रजयपाल को राज को टैम 1500 -1548 ई. माने गे

सत्यनाथ सम्प्रदाय : ये समौ  पर गढवाल मा गुरु गोरखनाथ का सत्यनाथ शाखा को प्रभाव ह्व़े गे छौ



Reference: Dr Shiv Prasad Dabral, Uttarakhand ka Itihas -3 ( History of Uttarakhand - 3

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बकै खंड 26  मा बाँचो

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Bhishma Kukreti

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                                  गढवाळ का नामी गिरामी लोक अर जाती(मलारि जुग बिटेन अब तलक ) फड़क -26

                                                गढ़वाल की विभूतियाँ व समाज (मलारी युग से वर्तमान तक ) भाग 26


                                            Great Garhwali Personalities and Societies of Garhwal Part -26


                                                    भीष्म कुकरेती (Bhishm Kukreti )
                                   

                                                      पंवार बंश को मूल पुरुष अर राज्य स्थापना वर्ष मा घंघतोळ (भरम)

                  गढवाळ मा पंवार बंशी राज  की स्थापना कब अर कैन कार याँ पर क्वी बि इतिहासकार एकरायी नी च.

इतिहासकारुं  मा  तौळ क कुछ आधार छन :

भोग दत्त की जनश्रुति ; या जनश्रुति लिखीं च अर सबसे पुराणी जनश्रुति माने जान्द. य़ी जनश्रुति क हिसाब से अहमदाबाद कू बासिन्दा व्यवसाय की खोज मा

भोगदत्त अपण  भुला सेज्दत्त क दगड श्रीनगर आये अर चांदपुर रज्जा क इख नौकरी करी फिर वैन चांदपुर राजा की गद्दी छीनी अर राजा बौणि  गे .

पैथर  वैन हौरी बि गढी जीतें. 900 साल उपरान्त  भाग दत्त  का 15 वां  उत्तराधिकारी अजेयपाल ह्व़े अर तिहातरवीं पीढ़ी मा प्रद्युम्न शाह ह्व़े


भौन पाल  की जनश्रुति : भौन पाल की जनश्रुति क हिसाब से भौनपाल धरा नगरी को छौ अर हरिद्वार ऐका खेती करदो छौ. एक जोगी क प्रेरणा से वैन गढवाल का बावन

   गढीयों  जीतिक पंवार बंशी राज की स्थापना करी


कनक पाल की अनुश्रुति : कनक पाल की अनुश्रुति क हिसाब से गुजरात बिटेन कनकपाल गढ़देश  आई छौ , वैकी मृत्यु 699 ई मा ह्व़े सतरवां बंशज  अनंतपाल की

राजधानी मलुवाकोट, एकीसवाँ बंशज विक्रम शाह की राजधानी अम्बुवाकोट अर चौबीसवां बंशज सोनपाल की राजधानी भिलंग घाटी मा छे.

सोनपाल न अपणी बेटी क ब्यौ धारा नगरे क राजकुमार Klanakpa  को दगड करी अर वै तैं अपणो  उत्तराधिकारी बणाय़ी


अगने बाँचो पंवार रज्जों की नामावली

 



Reference: Dr Shiv Prasad Dabral, Uttarakhand ka Itihas -3 ( History of Uttarakhand - 3

History of Garhwal, History of Kumaun )

 


बकै खंड 27  मा बाँचो

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Bhishma Kukreti

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                           गढवाळ का नामी गिरामी लोक अर जाती(मलारि जुग बिटेन अब तलक ) फड़क -27


                                                गढ़वाल की विभूतियाँ व समाज (मलारी युग से वर्तमान तक ) भाग 27


                                     Great Garhwali Personalities and Societies of Garhwal Part -27


                                                           भीष्म कुकरेती (Bhishm Kukreti   

     
 
                                                         गढ़ राज्य राजाओं क नामावली

  गढ़ राज्य या गढ़वाल (पंवार बंशी ) का रज्जौं पांच नामावली मिलदी :

१- हार्डविक्क की अंकित गढ़ नरेशों की नामावली : उन त या नामावली सबसे पुराणी च पर भरवस कर्ण लैक नी च. इख्मा प्रद्युम्न शाह तलक 74 रज्जों नाम च 

२- मौलाराम की गढ़ नरेश नामावली : मौलाराम श्रीनगर रजा क इख दरबारी कवि अर चित्रकार थौ

३- अल्मोड़ा कू एक पंडित मांगन मिलीं गढ़ नरेश नामावली

४- वेकट की छ्पयीं गढ़ नरेश नामावली

५- विलियम्स की छाप्यीं गढ़ नरेश  नामावली   

                     सोमपाल का बूड-खूड  (पूर्वज )

मौलाराम की नामवाली  अल्मोड़ा की नामावली        बेकट की नामावली       विलियम्स नामावली 

 १- भौनपाल  (भौना )               १- भगवान् पाल                                                                                           

२- अभयपाल               २- अभयपाल   

                                  ३- विशेष पाल

३-कर्ण पाल                           ४-कर्ण पाल                     १- कनकपाल                 १- कनकपाल

४- विशेषण पाल                     ५- क्षेम पाल                    २- श्याम पाल                 २- विशेश्वर पाल   

५- सोमपाल                          ६- व्यक्त पाल                                                      ३- सुमति पाल

६-विगतपाल                         ७- सुरथपाल                    ३- पांडु पाल                     ४- पूरण पाल

७- सुरथ पाल                        ८- जयति पाल                  ४- अभिगत पाल               ५- अभिगत पाल

८- जैत  पाल                        ९- पूर्ण पाल                      ५- सीगाल पाल                 ६- भुक्ति पाल

९- पूर्ण पाल                         १०- अव्यक्त पाल               ६-रत्न पाल                     ७- रेतिपाल

१०-सत पाल                         ११- शालिवाहन                  ७- शालिवाहन                 ८- शालिवाहन

११- अविगत पाल                  १२- संगती पाल

                              १३- मंगति पाल

१२- शालिवाहन पाल               १४- रतन पाल

१३- संगीत पाल                   १५- मदनपाल                ८- विधिपाल                     ९- मदनपाल

१४-मंगीत पाल                   १६-विधिपाल                 ९- मदन पाल                    १०- विधि पाल

१५- रतनपाल                                                                              ११- भगदत्त पाल 

१६- मदन पाल

१७- विधि पाल

१८- भग दत्त पाल                 १७ भग दत्त पाल            १० भक्ति पाल                   १२- बिभोग पाल

१९- चन्द्र पाल                       १८- जय चन्द्र पाल          ११- जय चन्द्र पाल              १३- जय चन्द्र

२० कीर्ति पाल                       १९- कीर्ति पाल                १२- पृथ्वी पाल                   १४- हीरत पाल

२१- मदन सिंह पाल               २- मदनपाल                   १३- मदनपाल                     १५- मदन सहाय पाल

                                                                             १४- अगस्त  पाल                १६- अविगत पाल

                                                                              १५- सुरति पाल                  १७- सूरज पाल

                                                                             १६- जयत सिंह  पाल           १८- जयत पाल

                                                                             १७- अनंत पाल

२२- अणिबुद्ध पाल               २१- अनिरुद्ध पाल               १८- आनंद पाल                  १९- अनिरुद्ध पाल

२३- विभीगिरी पाल              २२- विभोगति पाल             १९- विभोग पाल                 २० - विभोग पाल

२४- विधान पाल                  २३- सुवधन पाल                २०- सुभाजन पाल               २१-गुमान पाल

२५-विक्रम पाल                    २४- विक्रम पाल                 २१- विक्रम पाल                 २२- विक्रम पाल

२६- बिर्ज पाल                      २५- विजय पाल                  २२ - विचित्र पाल                २३- विचित्र पाल

२७- सहज पाल                     २६- हंस पाल                     २३ - हंस पाल                     २४--हंस पाल

२८ सोनपाल                         २७- सोनपाल                     २४ सोनपाल                     २५ सोन (सुवर्ण)  पाल         



अग्वाडि का खंड मा कान्दिपाल (सोनपाल कू जवें ) का साख्युं (वंशजूं ) बारा मा बाँचो......



Reference: Dr Shiv Prasad Dabral, Uttarakhand ka Itihas -4 ( History of Uttarakhand - 4

History of Garhwal, History of Kumaun )

 


बकै खंड 28  मा बाँचो

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Bhishma Kukreti

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                                गढ़वाल की विभूतियाँ व समाज (मलारी युग से वर्तमान तक ) भाग 28


                               Great Garhwali Personalities and Societies of Garhwal Part -28


                                      भीष्म कुकरेती (Bhishm Kukreti

 
                   कांदिल पाल अर वैकी साखी (बंशज) याने जगतपाल से पैलाक रज्जा

सोनपाल का क्वी नौनु णि थै अर वैन अपण नौनी क ब्यौ कान्दिलपाल को दगड करी अर राज बि दे

मौलाराम की नामवाली    अल्मोड़ा की नामावली     बेकट की नामावली     विलियम्स नामावली 

१- कान्धपाल                 १- कान्ह्पाल                   १- कांदिलपाल          १- कांतीकृपाल

२- सहदेव पाल               २- संधि पाल                   २- काम देव पाल        २- कामदेव

३- सुलक्षणपाल              ३- सुलक्षण देव                ३- सुलक्षणपाल          ३-सुलक्षणपाल

४-लक्ष्मणपाल               ४- लक्ष्मणपाल                 ४ लखन देव              ४- महालक्ष्मणपाल

५- अलक्षणपाल              ५-अलक्षणपाल

६- अनन्तपालदेव           ६- अनंत पाल                  ५-अनंत पाल            ५- सतपाल

७- अपूर्वपालदेव             ७- अभिपाल                   ६- पूर्वदेव                ६- अपूर्वदेव

८- अभयपालदेव           ८- अभयपाल                   ७- अभयदेव

९-अजेयपाल देव          ९- अजयपाल                    ८- जयरामपाल

१० अजयपाल देव         १०- अजेयपाल

११- प्रतापपाल             ११-  असाप्रतापपाल          ९- असलदेव

१२- राजपालदेव           १२- जयदेवपाल                                           ७- जय


अगने कू  खंड मा जगतपाल की साख्युं (वंशज ) का बारा मा बांचो....

Reference: Dr Shiv Prasad Dabral, Uttarakhand ka Itihas -4 ( History of Uttarakhand - 4

History of Garhwal, History of Kumaun )

बकै खंड 29  मा बाँचो
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Bhishma Kukreti

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                        गढ़वाल की विभूतियाँ व समाज (मलारी युग से वर्तमान तक ) भाग 29


                              Great Garhwali Personalities and Societies of Garhwal Part -29


                                    भीष्म कुकरेती (Bhishm कुकरेती



                       जगतपाल की  साखी (वंशज ) अर  टिहरी राज का रज्जा           

 मौलाराम की नामावली    अल्मोड़ा की नामावली    बेकट की नामावली      विलियम्स नामावली 


१- देवपाल                     १- गणितपाल              १- जगत पाल              १-  जितर्ग पाल

२- जितारथपाल               २- जितारथपाल          २- जितपाल               

३-कल्याणपाल                ३- कल्याणपाल          ३- आनंदपाल               २- कल्याणपाल

४- अनंत पाल                 ४- अनपाल                ४- अजयपाल               ३- अजयपाल

५- दिपांतपाल                 ५- दिपाल

६- प्रियनिहार जैपाल         ६- प्रियनिहार            ५- कल्याण पाल           ४- अनन्तपाल

७-सुन्दर पाल                  ७- सुन्दर पाल           ६- सुन्दर पाल               ५- सुन्दर पाल

८- सहज पाल                 ८- सहज पाल            ७- हंसदेव पाल               ६- सहज पाल

९- विजय राजपाल           ९- विजयपाल          ८- विजयपाल                  ७- विजय पाल

                                                 ९- सहजपाल

१०- बलभद्रशाह             १०- बलभद्रशाह         १०- बलभद्रशाह             ८- बहादुर शाह

११- शीतलशाह             ११-शीतलशाह                                              ९-शीतलशाह

१२- मानशाह               १२-मानशाह               ११-मानशाह                 १० -  मानशाह

१३- श्यामशाह              १३- श्यामशाह            १२-श्यामशाह-              ११-श्यामशाह

१४- दुलारामशाह           १४- दुलारामशाह

१५- महीपतिशाह            १५-महीपतिशाह         १३-महीपतिशाह          12-महीपतिशाह

१६- प्रथिपतिशाह           १६- पृथ्वीशाह            १४-  पृथ्वीशाह             १३- प्रथिपतिशाह

१७- मेदनीशाह             १७- मेदनीशाह            १५-मेदनीशाह               १४ -मेदनीशाह

१८- फ़तेहशाह             १८- फ़तेहशाह             १६-फ़तेहशाह                १५-  फ़तेहशाह

१९- उपेन्द्रशाह           १९- उपेन्द्रशाह             १७-उपेन्द्रशाह               १६-  उपेन्द्रशाह

२०- प्रदीप शाह           २०- प्रदीप्तशाह            १८-प्रदीप्तशाह              १७-प्रदीप्तशाह

२१- ललितशाह           २१-ललितशाह            १९- ललितशाह               १८- ललितशाह

२२- प्रदयुम्नशाह         २२-प्रदयुम्नशाह          २०- जयकृत शाह            १९- प्रदयुम्नशाह

                                                                २१- प्रदयुम्नशाह


                            टिहरी गढ़वाळ का रज्जा

१- सुदर्शन शाह

२- भवानी शाह

३-प्रताप शाह

४- कीर्ति शाह

५- नरेंद्र शाह

५- मानवेन्द्र शाह


Reference: Dr Shiv Prasad Dabral, Uttarakhand ka Itihas -4 ( History of Uttarakhand - 4

History of Garhwal, History of Kumaun )


बकै खंड 30  मा बाँचो

To be continued in 30th Part

Bhishma Kukreti

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                    गढवाळ का नामी गिरामी लोक अर जाती(मलारि जुग बिटेन अब तलक ) फड़क -30

                                        गढ़वाल की विभूतियाँ व समाज (मलारी युग से वर्तमान तक ) भाग 30

                                        Great Garhwali Personalities and Societies of Garhwal Part -30


                                         भीष्म कुकरेती (Bhishm कुकरेती


                        अजेयपाल से  पैल़ो  इतिहास गुम च

  भौत सी वजों से अजेयपाल से पैलौ गढवालौ इतिहास ह्र्ची गे .

                      श्रीनगर कू अजेयपाल (राज्य 1500 -1548 AD

 डा शिव प्रसाद जन जणगरों  बुन च बल अजेयपाल न श्रीनगर मा राजधानी बसै  छे . अजेयपाल एक महानतम रज्जा थौ जैन गढवाल तै एक करी छौ

कीर्ति चंद  को आक्रमण : जौन दिनों जगत पाल अर विका वंशज पच्छमी गढवाल जिना अपणी शक्ति बढ़ाणा तेई

समौ पर बाबा नागनाथ की प्रेरणा से काली नदी घाटी का चंद नरेश कीर्ति चंद न गढवाल नरेश पर आक्रमण करी छौ

सत्यनाथ : बाबा सत्यनाथ को आश्रम देवल गढ़ मा छौ अर बाबा सत्यनाथ बाबा नाग नाथ को गुरु थौ. बाबा सत्यनाथ न कीर्ति चंद अर अजेय पाल का बीच सुलह कराये थौ

ठकुरायियों पर विजय: अजेय पाल न pain khandaa , दुमग गढ़पति , सलाण , पच्छमी अलकनंदा अर जान्हवी गढ़पत्युं  तैं जीतिक बड़ो गढवाल राज्य की स्थापना करी

दासी की नरबली : इन बुले जांद बल श्रीनगर मा महल चिणाणो उपरान्त अजेयपाल न एक दासी की नरबली दे थै

क्फ्फु चौहान की हत्या: अजेयपाल न ही क्फ्फु चौहान की हत्या kareek उप्पू गढ़ जीती छौ

बद्रीनाथ मंदिर अर ज्योतिर्मठ   मा रावलों द्वारा पूजा की पवाण(शुरुवात) बद्रीनाथ /ज्योतिर्मठ मा रावलूं द्वारा पूजा को चलन अजेयपाल को समौ पर ह्व़े

प्रथम दंडी स्वामी : बद्रीनाथ का पैलो रावल जगतपाल को समौ पर दंडी स्वामी बालकृष राई (1443 -1500 AD )

दूसरो दंडी स्वामी  हरि ब्रह्म  ( 1500   AD ) होई

श्री बल्लभा चार्य को बद्रीकाश्रम औंण  ( 1511 ई) पुष्टिमार्ग प्रवर्तक श्री बल्लभा चार्य  सं 1511 मा बद्रीकाश्रम ऐ छाया

वासुदेव तैलंग :  श्री बल्लभा चार्य  न देव प्रयाग मा वासुदेव तैलंग तैं अपनों पुरोहित (पंडा) नियुक्त करी छौ 

सर्यूळ  बामणु प्रादुर्भाव: अजेयपाल का महल मा जौन जौन जाती का (कुल 12 जाती ) बामण खाणक  बणोदा वूं तैं

 सर्यूल्या/सर्यूळ बामणु की संज्ञा दिए गे अर य़ी बामण ही जीमण मा भात पके सकदा छया . बाद मा 12 जाती हौर जोड़े गेन 


 

Reference : Dr Shiv Prasad Dabral, Uttarakhand ka Itihas bhag-4,

 History of Garhwal, History of Kumaun )

बकै  31 वीं  फड़की मा ...

To be continued in 31st  part

Bhishma Kukreti

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                          गढवाळ का नामी गिरामी लोक अर जाती(मलारि जुग बिटेन अब तलक ) फड़क -31

                                  गढ़वाल की विभूतियाँ व समाज (मलारी युग से वर्तमान तक ) भाग 31

                                        Great Garhwali Personalities and Societies of Garhwal Part -31


                                      भीष्म कुकरेती (Bhishm Kukreti )

                               

                                     सहजपाल  (रा.1548 -1581 )अर बलभद्रशाह (रा.1581 -1591 ई)

  सहजपाल : सहजपाल अजेयपाल को नौनु माने जान्द . सहजपाल चौर, कुशल, बीर रज्जा छौ

बलभद्र शाह ; इन बुले जांद बल सहजपाल कू नौनु मान शाह को संरक्षक बलभद्र शाह थौ .बलभद्र , बीर छौ,  राजनीति मा होश्यार रज्जा छौ

शिवराज  बुनियाल : रामानंद मठ  को मठाधीस शिवराज बुनियाल न  सहजपाल को राज्यकाल मा मंडप निर्माण करी थौ

रघुनाथ मंदिर देव प्रयाग को घंटा : सहजपाल न 1561 मा  रघुनाथ मंदिर देव प्रयाग मा  घंटा चढे थौ

अकबर दगड अच्छा सम्बन्ध : दुयूं का अकबर का दगड सम्बन्ध भला था

हुसैन्खान को आक्रमण : अकबर को एक सूबेदार हुसैन खान न अजमेर-बदलपुर पर आक्रमण/लूट  करी थौ पण वै तैं सफलता नि मिली .हुसैन तैं  हरण  पोड़

कत्युर  रज्जा सुखदेव को दगुड : बलभद्र शाह अर कत्युरी रज्जा सहदेव मा मेल  छौ

पुरुषोत्तम  पंत की हत्या : चंद नरेश रूद्र चंद सुखदेव को बैरी छौ . रूद्र चंद न पुरुषोत्तम पन्त तैं गढवाल पर लड़ाई को भेजी या सुखदेव तैं मरनो गढवाल भेजी

त एक गढवाळी पडयार सैनिक  न पुरुषोत्तम की हत्या करी दिने . बलभद्र शाह न वै पडयार तैं  कथगा ही गाँव जागीर मा दे देई.

सुख देव तैं विप्पति मा मौ मदद नी दीण  : रूद्र चंद न पुरुषोत्तम पंत की हत्या बदला ल़ीणो बान दुबारा सुखदेव पर आक्रमण करी अर सुखदेव की हत्या करी दिने.

ये बगत पर बलभद्र शाह न   कुज्याण किलै सहदेव की मदद नि करी धौं !



Reference : Dr Shiv Prasad Dabral, Uttarakhand ka Itihas bhag-4,
 
History of Garhwal, History of Kumaun )

बकै 32 वीं फड़की मा ...

To be continued in 32nd   part

Bhishma Kukreti

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                             गढवाळ का नामी गिरामी लोक अर जाती(मलारि जुग बिटेन अब तलक ) फड़क -32

                                गढ़वाल की विभूतियाँ व समाज (मलारी युग से वर्तमान तक ) भाग 32

                                    Great Garhwali Personalities and Societies of Garhwal Part -32


                                      भीष्म कुकरेती (Bhishm Kukreti )

                                         

                                       मेदनी शाह  Medani Shah (Manpal ) (रा.का. 1591 -1611 )



मेदनी शाह : र्मेदानी शाह समुद्र को समान गम्भीर, भीम जन भड़ (शौर्यशाली) तेजस्वी गढवाळी रज्जा थौ . वैकी सभा मा बनी बनिक विद्वान मंत्री अर भड़ सेनापति छ्या

श्रीनगर मा मानपुर राजधानी : मेदनी शाह न श्रीनगर मा ही मानपुर नाम से बिगळी  (अलग) राजधानी बणे छे

तिब्बती लुटेरों से प्रजा रक्छा : मेदनी शाह  समौ समौ  पर पैनखंडा, टकनौर  का बासिंदों की तिब्बती लुटेरों से रक्छा करदू राई

 कुमाऊं नरेश क दगड सात दें  लडै : इन बुले जांद बल मेदनी शाह न कुमाऊं रज्जा लक्ष्मी चंद तैं  सात दें लडै  मा हराई . जादा तर सीमान्त झडप छे .

खंतुड़वा  त्यौहार : एक दें लड़ाई मा गेंडा कुमाऊं की सेना न गढवाळी सेनापति  खंतुड सिंह तैं लड़ाई मा मारी दिने त तै दिन बिटेन कुमाऊं मा इगास क दिन

खंतड़वा त्यौहार मनाणो  रिवाज पोड़

नंदी सेनापति : नंदी मेदनी शाह को सेनापति  छौ   . नंदी की सहायता से मेदनी शाह न पैनो गढ़ लक्ष्मी चंद से जीति . इन बुले जांद बल नंदी सेनापति न

लक्ष्मी चंद की राजधानी चम्पावत पर अधिकार  (सैत -कुछ देरो खुणि ) बि कार

भृंगी सेनापति : मेदनी शाह के सेना में नन्दी क समौ पर हैंको बीर सेनापति को नाम भृंगी छौ  जु पैनो युद्ध  मा नंदी को दगड थौ

 सरजू  डंगवाळ : सरजू डंगवाळ एक गढवाळी सरदार छौ जैन मेदनी शाह को विरुद्ध ह्वेका कुमाऊं राज में शरण ल़े छे अर एक दें यां पर बि

कुमाऊं -गढवाली राजाओं बीच लड़ाई ह्व़े

महान कवि, ज्योतिषी ज्योतिकराय  (भरत) : संस्कृत महाकवि भारत (ज्योतिक राय ) को जन्म पोखरी (चलणस्यूं) का रामजी बहुगुणा  क इख ह्व़े छौ

भारत बहुगुणा अपणी शिक्षा अर बुधि का बल पर मेदनी शाह को मंत्री  बौण . मेदनी शाह न भरत बहुगुणा के बुद्धि देखिक  वै तैं गढवाली राजदूत बणेक जहाँगीर को दरबार मा

भेजी . उख भरत तै ज्योतिषी का रूप मा ज्योतिकराय की उपाधि मिली . जहाँगीर नामा क अनुसार भरत तैं जहाँगीर न पांच दें इनाम दे छौ

भरत बहुगुणा  न मानोदय महान काव्य की रचना भी करी  . छ्वटु हों पर बि मनोदय काव्य साहित्यिक दृष्टि से महत्व को च जै पर कालिदास की छाप च





Reference : Dr Shiv Prasad Dabral, Uttarakhand ka Itihas bhag-4,

 History of Garhwal, History of Kumaun )

बकै 33 वीं फड़की मा ...

To be continued in 33rd    part

 

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