Author Topic: Articles By Bhisma Kukreti - श्री भीष्म कुकरेती जी के लेख  (Read 1120434 times)

Bhishma Kukreti

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                            गढवाळ का नामी गिरामी लोक अर जाती(मलारि जुग बिटेन अब तलक ) फड़क -33

                                    गढ़वाल की विभूतियाँ व समाज (मलारी युग से वर्तमान तक ) भाग 33

                                     Great Garhwali Personalities and Societies of Garhwal Part -33


                                          भीष्म कुकरेती (Bhishm Kukreti )



                                          श्यामशाह  Shyamshah  ( रा.का. 1611 -1630 AD )  




श्यामशाह : श्याम्साह मेदनी शाह को नौनु छौ अर 1611 AD मा  गढवाल देश की राजगद्दी मा बैठ. इतियासकार रतूड़ी हिसाब से जिद्दी, घमंडी छौ 

पण डा डबराल को हिसाब से गुणी लोखुं आदर सत्कार करदो छौ . चित्त पर संयम रखदो थौ. गाँण  बजौणओ  भौत शौक़ीन छौ श्याम शाह .

रज्जा श्यामशाह बड़ो शाक्त भक्त छौ. सुबेर पूजा कौरीक राजसभ मा न्याय करदो छौ.

दुफरा मा खुले आम हाथी मा बैठिक एक मुसलमनी बांद, पातर तेलिन को ड़्यार जान्दो छौ  जख रज्जा कबाब खंडो छौ, शराब पीन्दो छौ

अर दगड मा तेलिन की संगीत म्ज्लिश मा गीतुं , नाचूं मजा लीन्दु छौ

 फिर दुफरा ढळकण पर महल औन्दो थौ उख नयेकी पूजा करदो थौ फिर स्याम दें राजसभा मा ऐका राजकाज कू काम करदो छौ

 साथ से बिंडी रा णि यूँ खसम छौ शेम शाह पण कथगा ही चेरियाँ (रखैल) भी छया . श्याम शाह की मुसलमानी चेरियाँ (रखैल) बि छे  .

   इन बुले जांद बल अलकनंदा  नौ (नाव) विहार करद वैकी मिरत्यु ह्व़े अर वैकी साथ जनानी वैकी चिता मा सती ह्वेन .

कुमाऊं रज़ा दगड सम्बन्ध: कुमौं रज्जा क दगड क्वी लड़ाई को ज़िकर इतिहासकार नि करदन . हाँ जब शकराम कार्की, विनायक भट्ट  अर पीरु गुसाईं

न कुमाऊं राज पर अधिकार करी त कुमौं क   एक राजकुमार त्रिमल चंद न श्याम शाह क राज मा शरण ल़े छे . त्रिमल चंद न अफिक अपणा बल पर फिर से 

कुमौं पर अधिकार करी .

तिब्बत को दगड लड़ाई: तिब्बत को दगड कबि ना कबि लड़ाई ह्वेई जांदी छे 

श्याम शाह मुग़ल दरबार मा : श्याम शाह 1621 ई.  मा आगरा मा जहाँगीर को दरबार मा गे छौ . तै टैम फर ज्योतिक राय (भरत बहुगुणा )  गढवाळ को राजदूत थौ.

इसाई पादरियूं गढवाळ मा औण : श्याम शाह क बगत इसाई पादरी गढवाळ अर तिब्बत आण बिसे गे छया . यूँ  पदार्युं तैं तिब्बत जाणो खुणि  माणा गाँव से जाण पड़दो  छौ

शेम शाह को व्यक्तिगत समंध पादरियूं दगड ठीक छया . अजेवेदो, मैन्युवल पादरियूं  नाम उल्लेखनीय च



Reference : Dr Shiv Prasad Dabral, Uttarakhand ka Itihas bhag-4,

 History of Garhwal, History of Kumaun )

बकै 34 वीं फड़की मा ...

To be continued in 34th     part

Bhishma Kukreti

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                              गढवाळ का नामी गिरामी लोक अर जाती(मलारि जुग बिटेन अब तलक ) फड़क -34
                                                 
                                      गढ़वाल की विभूतियाँ व समाज (मलारी युग से वर्तमान तक ) भाग 34
                                                   Great Garhwali Personalities and Societies of Garhwal Part -34


                                                           भीष्म कुकरेती (Bhishm Kukreti )

                                    बदरिकाश्रम  मंदिर , ज्योतिर्मठ मा पूजा व्यस्थाप्कुं सूची (820 ई. बिटेन 1946 ई.  तलक )

                                The Chief Priests of Badrikashram (Badrinath ) and JyotirmathTemple from 820 to 1946 AD
               

 820 AD--1222 AD तलक बद्रीनाथ मा तौळ लिख्यां  उनीस (19 ) आचार्य ह्वेन जौन बदीनाथ की पूजा अर ज्योतिर्मठ की व्यवस्था करी

तोटकाचार्य
 
विजयाचार्य

कृष्णाचार्य

कुमारोआचार्य

गरुड़ध्वजाचार्य

विन्ध्याचार्य

विशालाचार्य

वकुलाचार्य

वामनाचार्य

सुन्दरअरुणाचार्य

श्री निवाशाचार्य

सुखनंदाचार्य

विद्यानन्दाचार्य

शिवाचार्य

गिरिआचार्य

विद्याधराचार्य

गुणानन्दाचार्या

नारायणाचार्य

उमापतिआचार्य


                            बद्रिकाश्रम मंदिर का दंडी स्वामियों कू  बिरतांत ( 1497    -1776 AD ) 

 बद्रिकाश्रम मा सन 1497 का उपरान्त व्यवस्था डंडी स्वामियों हाथ मा आई

(तौळ सभी काल/समौ  सम्वत मा च )

१- बालकृष्ण (सम्वत १५०० -१५५७)

२- हरिब्रह्म (सम्वत १५५७-१५५८)

३- हरिस्मरण (१५५८-१५६६ )

४-वृन्दावन ९ १५६६-१५६८)

५-अनंत नारायण (१५६८-१५६९)

6-भवा नन्द (१५६९-१५८३)

७- कृष्णानन्द (१५८३-१५९३)

८-हरि नारायण (१५९३-१६०१)

९-ब्रह्मा नन्द (१६०१-१६२१)

१०- देवा नन्द (१६२१-१६३६)

११- रघुनाथ (१६३६-१६६१)

१२-पूर्ण देव (१६६१-१६८७)

१३-कृष्ण देव (१६८७-१६९६)

१४-शिवा नन्द (१६९६-१७०३)

१५- बाल कृष्ण (१७०३-१७१७)

१६-नारायण उपेन्द्र (१७१७-१७५०)

१७- हरिश्चंद्र (१७५०-१७६३)

१८-सदा नन्द (१७६३-१७७३)

१९-केशव (१७७३-१७८१)

२० नारायण (१७८१-१८२३)

२१ रामकृष्ण (१८२३-१८३३ ) 

                             बद्रिकाश्रम मंदिर मा रावलूं बिरतांत ( 1776 ई.बिटेन 1946 ई.  तलक )

 सन 1776 ई मा दंडीस्वामी रामकृष्ण की मिरतु ह्व़े त उख बद्रिकाश्रम मा क्वी दंडीस्वामी नि थौ त फिर गढ़ नरेश न

केरल कू नम्बुरी जातिक गोपाल तैं रावल के पदवी देकी  बद्रिकाश्रम मंदिर क व्याव्श्था बहार दिनी . तब बिटेन बद्रिकाश्रम मंदिर मा

केरल का नंबूरी, चोली या मुकाणी जातिक ब्रह्म्चार्युं तै रावल बणाणो रिवाज च :

(तौळ समौ संवत मा च )

१- गोपाल ( १८३३-१८४२)

२- रामचंद्र (१८४२-१८४३)

३- नीलदंत (१८४३-१८४८)

४-सीताराम (१८४८-१८५९)

५-नारायण (१८५९-१८७३)

६-नारायण -२ (१८७३-१८९८ )

७-कृष्ण (१८९८-१९०२)

८-नारायण तृतीय (१९०२-१९१६)

९-पुरुषोत्तम (१९१६-१९५७)

१०-वासुदेव (१९५७-१९५८)

११-राम (१९५८-१९६२)

१०- वासुदेव फिर से (१९६२-१९९५)

१२- गोविंदन (१९९५-२००३)

१३- कृष्णन (२००३-)


 

 References
 
1- Dr Shiv Prasad Dabral, Uttarakhand Ka Itihas Bhag 4

History of Garhwal, History of Kumaun)

2- Harikrishn Raturi Garhwal ka Itihas

 बका अगने खंड 35 मा बाँचो ...

To be continued part 35

 

 

Bhishma Kukreti

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                          गढवाळ का नामी गिरामी लोक अर जाती(मलारि जुग बिटेन अब तलक ) फड़क -35


                                         गढ़वाल की विभूतियाँ व समाज (मलारी युग से वर्तमान तक ) भाग 35
                                       Great Garhwali Personalities and Societies of Garhwal Part -35


                                           भीष्म कुकरेती (Bhishm Kukreti )
 
                                         केदारनाथ /केदारेश्वर मंदिर का रावलुं नाम (16 सदी  का उपरान्त )

                                        A Few Names of Rawals (Chief Priests) of Kedarnath Temple  (after 16th century)

  केदार नाथ मठ का मुख्य पुजारी तै बि रावल बुल्दन अर युंको नाम का अगने लिंग जरूर होंद. य़ी रावल तमिलनाड , कर्नाटक या केरल का जगम (वीर शैव्य)

साधु होंदन

सोलवीं सदी तलक 286 रावल ह्वेन . 286 वां रावल कू नाम रहस्य लिंग थौ . वैका उपरान्त को बिरतांत :

रहस्य लिंग

ज्ञानदीप लिंग

विशोक लिंग

जनार्दन लिंग

कृतग्य लिंग

धर्मराज लिंग

जटाधर लिंग

ख्यात लिंग

त्रिशूल लिंग

कल्प्राज लिंग

अभिराम लिंग

वरुण लिंग

अजर लिंग

देवदेव लिंग

कपिल लिंग

भालचंद्र लिंग

मुरारी लिंग

अम्ल लिंग

चित्र्काम लिंग

चाँद लिंग

बीरभद्र लिंग

शिव लिंग (१)

शिव लिंग द्वितीय

सितेवर लिंग

महा नीलकंठ लिंग

वासु लिंग

सितेवर लिंग द्वि.

वैद्य लिंग

केदार लिंग

गणेश लिंग

विश्व लिंग

नीलकंठ लिंग द्वि .

जय लिंग

विश्नाथ लिंग


 

 

 


 

 References
 
1- Dr Shiv Prasad Dabral, Uttarakhand Ka Itihas Bhag 4

History of Garhwal, History of Kumaun)

2- Harikrishn Raturi Garhwal ka Itihas

 

 बकै  अगने खंड 36 मा बाँचो ...

 To be continued part 36

 

Bhishma Kukreti

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                     गढवाळ का नामी गिरामी लोक अर जाती(मलारि जुग बिटेन अब तलक ) फड़क -36

                                            गढ़वाल की विभूतियाँ व समाज (मलारी युग से वर्तमान तक ) भाग 36

                                           

                                           Great Garhwali Personalities and Societies of Garhwal Part -36


                                         

                                           भीष्म कुकरेती (Bhishm Kukreti )

                               दुलो रामशाह (राज्यरोहण  1581 ई.)                         



            इन लगद दुलो रामशाह मनशाह को संरक्षक का  रूप मा  गड्डी मा बैठ अर वैको शासन काल भौत इ कम बताये जान्द

दुलो रामशाह  मनोरंजन को शौक़ीन थौ अर घुमण अर  अएड़ी खिलण (hunting ) मा वै तैं रौंस आँदी छे .

चकोर , तीतर , कव्वा, मुर्गा लड़ाण ; कुश्ती दिख्न मा ही वो दिन बितान्दो छौ

वैक टैम पर राजकाज मंत्री चलाया करदा था.


References;
1- Dr Shiv Prasad Dabral, Uttarakhand Ka Itihas Bhag 4

History of Garhwal, History of Kumaun)

2- Harikrishn Raturi Garhwal ka Itihas

3- Garhwal ka Aitihasik Birtaant in Garhwali and Memoir oof Garhwal as translation by Tara Datt Gairola



बकै अगने खंड 37 मा बाँचो ...

To be continued part 37

Bhishma Kukreti

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                                             गढवाळ का नामी गिरामी लोक अर जाती(मलारि जुग बिटेन अब तलक ) फड़क -37


                                 गढ़वाल की विभूतियाँ व समाज (मलारी युग से वर्तमान तक ) भाग 37



                                  Great Garhwali Personalities and Societies of Garhwal Part -37




                                              भीष्म कुकरेती (Bhishm Kukreti )

 

                                 गढवाळी रज्जा  महीपतिशाह    (राज्यकाल 1631 -1634  ई. या 1624 -1631 ई )       
 
            महीपति  शाह की राजगद्दी विषय मा इतियासकारूं मा कुछ घंघतोळ  च की कब वो राजगद्दी पर बैठी.

महीपति शाह बीर पूजक, भड़, छौ अर राज्य बढ़ाण , कठोर निर्णय ल्हींण  मा ओ अगने छौ.

महीपति शाह का टैम पर  तिब्बत आक्रमण, कुमाऊं आक्रमण आदि घटना प्रमुख छन.

वैका सेना नय्कुं मा माधो सिंह भंडारी , लोदी रिखोला, बनवारी दास तोमर, दोस्त बेग, बर्त्वाल बन्धु  प्रमुख छया

वैन तिब्बत सीमा पर कथगा इ चबूतरा बणवैन.

 महीपति शाह शक्ति पूजक छौ अर एक दें पूजा मा चित्तभ्रम से वो अजीब हरकत कर्ण लगी गे

वैन भरत मंदिर रिसिकेस मा देव प्रतिमा की आँख निकाळएन , नंगा गुसांयुं हत्या करी छे. महिपत शाह न कुमाऊं पर आक्रमण बि करी छौ 

महिपत शाह का ज़माना मा मुसलमानी पातर (वैश्या) को प्रादुर्भाव ह्व़े गे छौ.

धाम सिंह भंडारी : महिपत शाह को बजीर को नौ धाम सिंह भंडारी छौ जु जुवारा को छौ

असवाल : असवाल दवेत्री छौ

सजवाण: सजवाण बि दवेत्री छौ 

बर्त्वाल: बर्त्वाल एक दवेत्री छौ

श्रीकंठ : श्रीकंठ पुरोहित छौ

सेनापति बर्त्वाल अर भयात (बंधु)   : जब मुख्य सेनापति की भड़पन (वीरता) से महिपतिशाह न तिब्बत का दाबा (इख क रज्जा गढवाळी ही थौ)

अर बौध विहार पर अधिकार कर याल त राजा महीपति शाह मुख्य सेनापति लोड़ी रिखोला क दगड सेना सहित राजधानी श्रीनगर आई गे .

महिपत शाह न दाबा मा बर्त्वाळ भायत का सेनापतित्व मा उख कुछ गढवाली सेना राख . ह्यूंद औण पर गढवा ळी सेना तैं परेशानी

शुरू ह्व़े गे . कत्ति सैनिक मोरी गेन अर कत्ति रोगी ह्व़े गेन . इनमा दाबा क गढ़वाळी नरेश  न ल्हासा क रज्जा (लामा) से मौ मदद माँगी.

ल्हासा से एक लामा सेनापति अर तिब्बत को मददगार  जनरल शीतल सिंग की सेना न गढवाली सेना पर धावा बोली दिने.

उख लाबा मा घमासान जुद्ध जुड़े . कमजोरी होण पर बि श्रीनगरऐ  गढवाळी सेना बड़ी वीरता से लड़ी. पण सब्बी सेना जुद्ध मा मारे गे

बर्त्वाल भयात बि बड़ी वीरता से लड़दा लड़दा मारे गेन. . दुयूँकी तलवार अबी बि दाबा का बौध विहार मा धर्याँ  छन अर बुद्ध मुरती का दगड ही

बर्त्वाल भयात (बंधु) की तलवारूं  पूजा अज्युं बि होंद

लोदी रिखोला -एक महान बीर भड़ अर सेनापति : लोदी रिखोला महीपति शाह को प्रमुख सेनापति थौ. लोदी रिखोला क जनम बयेळी गाँव, बदलपुर पट्टी मा ह्व़े छौ

बाळपन  से ई वैकी भड़ पन की कथा मशहूर ह्व़े गे था. बयेळी गाँव मा एक बड़ो ढुंग (शिला) अर शहतीर अबी बि गवाह छन की लोदी रिखोला कथगा बड़ो भड़ छौ.

युवापन मा ढुंग अर शहतीर तैं इखुल्या इखुली लोदी रिखोला उठै क गाँ मा लै छौ.

लोदी रिखोला एक बड़ो जुद्ध ब्युंतदार  (रणनीति कार), सेना संचालक  बि छौ अर वैका सेनापतित्व मा महिपतिशः न  दबा जुद्ध, सिरमौर जुद्ध (जखमा कलसी गढ़ अर

बैराट गढ़ पर कब्जा करी), दक्षिण मा भाभर को जुद्ध  जन जुद्ध जितेन  ,

             लोदी रिखोला की बीरता से महीपति शाह का कथगा सलाहकार, सभापति जळण बिसे गेन . ऊन एक खड़यंत्र मा लोदी रिखोला क

सरल पर कथगा इ घौ करे दिने अर फिर कुछ दिनों मा लोदी रिखोला मोरे गे.

लोदी रिखोला की बीरता क बारा मा कथगा ही लोक गाथा गढवाळ मा गीतुं अर कथों रूप मा प्रचलित छन

माधो सिंह भंडारी : माधो सिंग को नाम गढवाळ मा बड़ो उच्चो स्थान, मधोसिंग बीर भड़ अर महान सेनापति ही नी छौ बल्कण मा  एक सामजिक परवाण (सामाजिक नेता ) बि छौ

माधो सिंह भंडारी न पख्यड़ खुदैक मेल्था की कूल गाडी छे. जब कूल पर पाणी नि आई त माधो सिंह न अपण इकलौता नौनु गजे सिंह की बळी देवी तैं चढे,

पैथर कूल मा पाणी बि आये अर गजे सिंह बि  बची गे

 माधो सिंग का परवाण गिरी (नेतृत्व ) मा महिपत शाह न लोदी रिखोला क दगड कथगा इ लड़ाई जीतेन.

लोदी रिखोला बाद महीपति शाह को प्रमुख सेनापति बणन  उपरान्त माधो सिंह न कथगा लड़ाई लडींन  .

अर इन बुले जांद बल लड़ाई मा घाइल ह्वेकि वैकी  मिरत्यु ह्व़े. पण हैकि बोल (कथन/श्रुति) च बल माधो सिंह महिपत शाह का बाद बि गढ़ नरेश श्रीनगर  को सेनापति राई

बनवारी दास तुंवर :  बनवारी दस तुंवर जहांगीर या शाहजहाँ को बगत पर दिल्ली बिटेन श्रीनगर नौकरी की खोज मा ऐ छौ अर वो महीपति शाह को एक सेनापति छौ

कुमाऊं पर आक्रमण का बगत बनवारी दास तुंवर सेनापति थौ

दोस्त बेग मुग़ल : दोस्त बेग मुग़ल महीपति  शाह की सेना मा एक सेनापति थौ . बर्त्वाल, लोदी रिखोला माधो सिंह भंडारी कू  मोरण पर दोस्त बेग को प्रभाव रज्जा पर भौत ह्वेई.

                              सर्युलोँ /सरोल़ा की संख्या मा बढत

   रज्जा अजेय पाल का समौ पर बारा जातिका बामण रज़ा क वास्ता खाणक बणान्दा छया जौं तैं सर्यूळ /सरोल़ा बुले जांद थौ .

अर यो रिवाज गढवा ळ मा बि फैली अर जीमण मा १२ जात्युं का सर्युळ बामण ही भात दाळ बणादा था. एक दें महीपति शाह तिब्बत की

लड़ाई मा गे अर वख सब्बी सर्युळ जड्ड न मोरी गेन फिर परवाणु  परामर्श पर महिपत शाह न छै बामणु  ज़ात तैं सरयूळ मा शामिल करी

बारह सर्युलुं ज़ात को विवरण या च अर सबी चमोली या टिहरी का तर्फां  का छन :

गावं                    सर्युळ  जाती

१- नौटी                 नौटियाळ

२-मैटवाणा             मैटयाळ

३- खंडड़ा               खंडूड़ी 

४- थापळी              थपलियाळ

५- चमोला             चमोली

६-सेम                   सेमवाळ

७- लखेड़ा              लखेडा

८- सेम्ल्टा             सेम्ल्टी

९-  सिरगुरो           सिलोडा   

१०- कोटि              कोटियाळ

११- डिम्मर           डिमरी

१२- रतड़ा             रतूड़ी

शुची रोटी को रिवाज: दाबा क लड़ाई से पैलि बामण जजमान धोती या लंगोट पैरीक रस्वै बणादा छया. तिब्बत का दबा जगा इथगा ठंडी छे कि

 इन मा खाणक बणोण कठण ही छौ  . इन मा मह्पति शाह ण रिवाज बणाई कि रस्वै स्यूं झुल्ला का बणये  सक्यांद च. तब बिटेन यू रिवाज कायम च

महिपत शाह को नेतृत्व मा रोटी तैं शुची माने जाओ को रिवाज चौल. याने कि रुट्टी तैं रूस्वड़ से भैर भी खाए जै सक्यांद अर जजमान रुट्टी बणाओ त बामण बि खै सकदन

द्वि रिवाज अबी तलक चलणा छन

 अग्वाडिक  फड़क मा नक्कट्टी राणी बिरतांत बाँचो..

References;
1- Dr Shiv Prasad Dabral, Uttarakhand Ka Itihas Bhag 4

History of Garhwal, History of Kumaun)

2- Harikrishn Raturi Garhwal ka Itihas

3- Garhwal ka Aitihasik Birtaant in Garhwali and Memoir of Garhwal as translation by Tara Datt Gairola



बकै अगने खंड 38 मा बाँचो ...

 To be continued part 38   

Bhishma Kukreti

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                             गढवाळ का नामी गिरामी लोक अर जाती(मलारि जुग बिटेन अब तलक ) फड़क -38

                                                            गढ़वाल की विभूतियाँ व समाज (मलारी युग से वर्तमान तक ) भाग 38

                                                         Great Garhwali Personalities and Societies of Garhwal Part -38



                                                                    भीष्म कुकरेती (Bhishm Kukreti )

 

                                               राणी कर्णावती या नक्कट्टी राणी ((1634 -1640 या 1631 -1640 ई.)

 

 राणी कर्णावती मुस्लिम गाथाकारूं (इतियास कारुं ) बीच नक्कट्टी राणी नाम से प्रसिद्ध च.

जो मनिख राणी की आज्ञा नि माणदो छौ वा वैकी नाक कटवै दीन्दी छै . इलै वींक नाम नक्कट्टी राणी पोड़.

वा बड़ी पर्क्रामी, अर होसियार राणी छे जै  तै अपण राज कि भौत चिंता रौंदी छे

महीपति शाह को इंतकाल को समौ राजकुमार पृथ्वी पति शाह छ्वटु थौ त राज काज कर्णावती राणी तैं संभाळण पोड़.

वींको समौ पर मुग़ल बादशाह शाहजहां कि बि इच्छा होई बल गढवाल राज्य पर अधिकार ह्व़े जाओ

पुरोहित: श्री कंठ राणी कर्णावती को पुरोहित छौ

सेना नायक : माधो सिंह भंडारी अर दोस्त बेग मुग़ल सेना नायक छया . इन लगद माधो सिंह भंडारी को तब तलक इंतकाल ह्व़े गे रै होलू

दून प्रदेश पर मुग़ल अधिकार अर फिर गढवाळ को अधिकार : सिरमौर क रज्जा की मौ मदद से मुगुल राज्य को अधिकार दून प्रदेश पर ह्व़े बि च.

  पण  फिर राणी कर्णावती न सेनानायक  दोस्त बेग को कारण दून प्रदेश वापस जीति

हंसनाथ : देवल गढ़ सत्यनाथ पीढी का नाथ पंथी महात्मा  हंस नाथ की  वै बगत प्रसिधी छे

प्रभात नाथ : प्रभात नाथ बि देवलगढ़ का महत्मा छ्या अर प्रभात नाथ न मंदिर को जीर्णोद्धार करी अर bhandara  करी

 

 

References;
1- Dr Shiv Prasad Dabral, Uttarakhand Ka Itihas Bhag 4

History of Garhwal, History of Kumaun)

2- Harikrishn Raturi Garhwal ka Itihas

3- Garhwal ka Aitihasik Birtaant in Garhwali and Memoir oof Garhwal as translation by Tara Datt Gairola



बकै अगने खंड 39 मा बाँचो ...

To be continued part 39   

Bhishma Kukreti

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                            गढवाळ का नामी गिरामी लोक अर जाती(मलारि जुग बिटेन अब तलक ) फड़क -39
                           
                             गढ़वाल की विभूतियाँ व समाज (मलारी युग से वर्तमान तक ) भाग 39



                            Great Garhwali Personalities and Societies of Garhwal Part -39



                                    भीष्म कुकरेती (Bhishm Kukreti )


                                महाराज पृथ्वीपति  शाह (रा.का. 1634 -1664 या 1631 -1664 ई.  )


    पृथ्वी पति शाह महान पराक्रमी, भड़, साहसी , विपदा मा भौत धीरू ,  बैर्युं बिणासी छयो .

 पृथ्वी पति शाह को जादा तर समौ जुद्ध अर बैरी बिणास मा ही व्यतीत ह्व़े.

पृथ्वी पति शाह का समौ की  कुछ  बड़ी घटनाउन बान  याद करे जान्दन :

 १-पच्छिम का तरफ राज्य बढ़ोतरी : पृथ्वी पति क  टैम पर गढवाळ राज्य सतलज तक पौंची गे थौ.

फिर हिमाचल का राजा एक्ब्न्द ह्वेना अर हाट कोटी तक राज राई

२- शाहजहाँ से राज्य रक्षा ; पृथ्वी पति तैं शाहजंहा से कथगा दें गढवाल राज्य की रक्छा करण पोड़ .

 पैथर पृथ्वी पति के डरा शिकोह दगड दोस्ती होई गे

३- पृथ्वी पति को नौनु मेदनी शाह को  दिल्ली दरबार मा जाण 

४- जब औरंगजेब न अपण भायुं तैं गिरफ्तार करीक दिल्ली को राज हथियाई त दारा शिकोह को नौनु सुलेमान सिकोह

तैं पृथ्वी पति न श्रीनगर मा  शरण दे छे

५- सुलेमान शिकोह तैं पृथ्वी पति को नौनु मेदनी शाह न औरंगजेब तैं सौंप

६- मेदनी शाह न औरंगजेब को तरां अपण बुबा को राज्य हथियाई

पृथ्वी पति शाह का दरबारी:

पुरोहित : श्री कंठ

राजगुरु : सारंगधर नौटियाल अर वृहस्पति

बजीर: माधो सिंह भंडारी

सेना नायक : माधो सिंह भंडारी को ब्यटा   गजे सिंह

देवत्री : डोभाल

दीवान ; बंदे सिंह भंडारी

राणी : पृथ्वी पति शाह की भौत सी राणी छे .
 
मथुरा बौराणी : मथुरा बौराणी को एक रजत पत्र देव प्रयाग मंदिर मा च (1664 AD ). Mathura baurani Gaje singh kee kajyaan chhe
गजे सिंह भंडारी: गजे सिंह भंडारी बि अपण बुबा ज्यू माधो सिंह भंडारी जन  बड़ो भड़ (बलशाली, वीर )  थौ.

गजे सिंह त्यागी छौ. गढवाल राज्य रक्छा बान वैन कथगा इ लड़ऐयूँ मा भाग ल़े

गजे सिंह का कत्ति पावदा /जागर/लोक गीत गढवाळ मा अबी तलक चलदन

 
 References;


1- Dr Shiv Prasad Dabral, Uttarakhand Ka Itihas Bhag 4

History of Garhwal, History of Kumaun)

2- Harikrishn Raturi Garhwal ka Itihas

3- Garhwal ka Aitihasik Birtaant in Garhwali and Memoir oof Garhwal as translation by Tara Datt Gairola



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Bhishma Kukreti

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                 गढवाळ का नामी गिरामी लोक अर जाती(मलारि जुग बिटेन अब तलक ) फड़क -40

              गढ़वाल की विभूतियाँ व समाज (मलारी युग से वर्तमान तक ) भाग  40


                 Great Garhwali Personalities and Societies of Garhwal Part -40



                    भीष्म कुकरेती (Bhishm Kukreti )

                  मेदनी शाह (रा.का.1664 -1684 ई. )
               
                मेदनी शाह एक अवसरवादी  मनिख छयो. वैन 1661 ई. मा अपण बुबा ज्यू क राजगद्दी छीनी पण

लोखुंन वै तैं तबी राजा मान जब वैका बुबा ज्यू गुजरी गेन

सुलेमान सिकोह son of Dara Sikoh तैं मेदनी शाह न औरंगजेब तैं सौंप

बुटोळगढ़ पर अधिकार : मेदनी शाह की सेना मा सेनानायक तुंवर न बुटोऊळ गढ़ जीति

अर तुंवर सेनानायक तैं मेदनी शाह न बुटोला नेगी कि उपाधि दे थै.

पृथ्वीपुर कस्बा बसाण  : औरंगजेब से मेदनी शाह तैं दून को पट्टा मील अर मेदनी शाह न अपण बुबा ज्यू का नाम पर उख

एक कस्बा बसै.

बाज बहादुर को आक्रमण : ये समौ पर पूरबी सीमा क रज्जा बाज बहदुर न गढवाळ पर आक्रमण करी थौ.

पुरिया नैथाणी :  पुरिया नैथाणी एक होशियार राजनायक छौ . जब कै स्य्यिद न भाभर पर कब्जा करी त

मेदनी शाह न पुरिया नैथाणी तैं औरंगजेब का दरबार मा भेजी अर सईद बिटेन भाभर वापस ल़े .

पुरिया नैथाणी न औरंगजेब से कथगा ही कर ख़तम कर्रें. पुरिया नैथाणी क होशियारी का कथगा इ किस्सा

लोक कथाओं मा  प्रसिद्ध छन अल्पवयस्क राजा प्रदीप शाह के रक्छा बि पुरिया नैथाणी न करी छे

मेरी गंगा  ह्वेली तो मीमा आली: हरिद्वार मा जब हौरी राजाओं न गढवाली राजा से पैलि नयाणो

खड़यंत्र रच गंगा न अपनों रस्ता बदली अर गढ़वाळी राजा मेदनी शाह क शिविर का पास बगण बिसे गे

 Shri गुरु राम राय तैं जगा : मेदनी शाह न निरंकारी गुरु गुरु राम राय तैं देहरादून मा धामावाला गाँव डेरा बसाणे दे

मेदनी शाह क टैम पर कुमौं नरेश न उत्तरी गढवाळ पर आक्रमण बि करी

मेदनी शाह न डोटी नरेश से संधि करी छे

मेदनी शाह का टैम पर रानीतिक उठा पटक ही राई
मनसबदार भीमसिंह /भीमसिंह बर्त्वाल:: १६५८-१६७८ ई. तलक मुग़ल दरबार मा गढवाल का द्वी प्रतिनिधि (मनसबदार ) छया.
एक को नाम भीम सिंह या भीम सिंह बर्त्वाल थौ. भीमसिंह तैं १००० जात अर ६०० सवार को मनसब मिल्युं थौ . सैत च
भीम सिंह राणी बर्त्वाळी को भै बंद राय होलू
मनसबदार प्रेम सिंह : प्रेम सिंह तैं बि १००० जात अर ५०० सवार को मनसब मिल्युं थौ.



 References;

1- Dr Shiv Prasad Dabral, Uttarakhand Ka Itihas Bhag 4

History of Garhwal, History of Kumaun)

2- Harikrishn Raturi Garhwal ka Itihas

3- Garhwal ka Aitihasik Birtaant in Garhwali and Memoir oof Garhwal as translation by Tara Datt Gairola



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Bhishma Kukreti

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                                 गढ़वाल की विभूतियाँ व समाज (मलारी युग से वर्तमान तक ) भाग 41



                                      Great Garhwali Personalities and Societies of Garhwal Part -41



                                          भीष्म कुकरेती (Bhishm Kukreti )

                              महाराज फतेपति शाह (फतेशाह )  (रा.का. १६६४-१७१६ ई. )

     फतेपति शाह को राज्य काल क बारा मा इतियास कारुं मा घंघतोळ इ च .

  फतेशाह वीर, पराक्रमी , भड़, सांसदार (साहसी) थौ जैक राज मा , पड़ोसी राजाओं दगड कथगा जुद्ध ह्वेन .

  महाराज  फते शाह न जिंदगी का भौत सा हिस्सा जुद्ध भूमि मा बितायेन . प्रजा क दगड वैको संपर्क बरोबर रौंदो थौ.

गढवाल का सीमान्त अडगै (क्षेत्र) मा आक्रमणकारियूँ से प्रजा की रक्षा करें मा अगने छौ .

महाराज फते शाह कवियों, विद्वानुं , चित्र्कारून  बड़ो मान करदो छौ  .

 

गुरु व पुरोहित : फते शाह का राज मा वृहस्पति ओझा, धीरेन्द्र जी, बागेश्वर ज्यू, गुणा नाथ जोशी

, मणि कंठ दुयाल, पूर्ण नन्द कंडवाल पुरोहित अर गुरु छाया

बजीर: चन्द्र मणि डंगवाल अर गजे सिंह भंडारी

राज ज्योतिषी : जटा धर मिश्र

बक्षी : केसर सिंह सुकेत्या , भोजवाण , भादल का बणिया

दीवान : चारो खत्री , गुलाब सिंह

भंडारी ; नित्या नन्द डोभाल

लेखवार : धीरज मणि पैन्युली

                  फौन्ज्दार ;

 घाल का - बीरा नेगी

रवांई का : अर्जुन सिंग रायजादा, बलराम सकन्यानी

सल़ाण का : औतार सिंह भंडारी

भांग  का : रौथाण , मेघा बुगाणि , गुणा, नत्थू , मिसर, सिद्ध साह

टकसाली : केसोपुरी, निर्मल पुरी

उमराव : असवाल, झिन्क्वाण , बर्त्वाल , सजवाण 

मंत्री   : धमादों  दीना नाथ पल्याल

नागपुर खान को कारिन्दा : गरीबदास

नागपुर का कमीण : मदु रावत

दालिपोथा का खिदमत गार : दीना बुगाणों

बद्रीनाथ का रावल : नारायण, सीताराम

केदारनाथ का रावल : महालिंग

देहरा का महंत : माता पंजाब कौर

२४ राणियाँ ; महाराज फते शाह के चौबीस राणियां छे

१- सुकेत जी - २

२- कुमैणी  जी -२

३- पश्चिम की  -२

४-कहलूर की - २

५-बघाट कि  -२

६ - मडी की - १

७- बिसर की -२

८- बर्त्वाली - २

९- झिन्क्वाणी -२

१०-बड़े पुरिया की- २

११-जस रोटा  की -२

१२- जम्मू की -१

गुरु राम राय तैं गाँव  दान : फतेशाह न गुरु राम राय तैं सात हौरी गाँव दान मा दिनी . अर फिर ड्यारा दू ण (देहरादून )

सहर बसणे शुरुवात ह्व़े 

श्रीनगर मा गुरु राम राय मंदिर :फते शाह न एक गुरु राम को मंदिर श्रीनगर मा बि बणे छयो जु बिरही गंगा औगळ-बौगळ (बढ़ )  मा बौगी गे

सिरमौर से युद्ध : फतेशाह की सिरमौर से जुद्ध ह्व़े छौ .सिरमौर का हिसा पर कब्जा बि करी, पण औरंगजेब का दबाब में वापिस करी.

गुरु गोविन्द सिंग का दगड झडप : फते शाह की ख्द्प गुरु गोविन्द सिंह से अपण समद्युळ का वजे से ह्वीं

दाबा गढपति  को दगड लड़ाई: दाबा रज्जा न जब कर दींण बंद करी त  फते शाह न वै पर आक्रमण करी एर वै तैं हराई

श्रीनगर पर कुमौं क रज्जा को अधिकार : १७०९ ई मा कुमाऊं का रज्जा को अधिकार श्रीनगर पर होई फिर १९१० मा

फते शाह न श्रीनगर अर बाकि जगाओं पर दुबार अपण अधिकार करी.

पुरिया नैथाणी का दौत्य कार्य: पुरिया नैथाणी के  राज्नैयीक चतुरता का वजे से दिल्ली का बादशाह न गढवाल पर आक्रमण नि

करी.

कवि भूषण को गढवाल औण : फते शाह कवियुं आदर करदो छौ. इन बुले जांद कवि भूषण १६८५ का करीब गढवाळ ऐ थौ.

कवि मतिराम को गढवाळ औण : कवि मतिराम गढवाळ ऐ छौ अर गढवा ळ मा ' व्रितकौमादी' की रचना करी छे

कवि रतन (क्षेमराज) को गढवाळ औण : क्षेम राज कवि भौत सा साल श्रीनगर राज दरबार मा राई अर क्षेम राज न

कथगा इ संस्कृत ग्रन्थ रचेन जु अबी बि सेंत पीट्स बर्ग पुस्तकालय मा छन

राज सभा का नवरत्न : श्रीनगर दरबार मा नौ रत्न छया जौंक नाम इन छन  :

सुरेशा नन्द बडथ्वाल

 रेवत राम धष्माना

 रुद्री दत्त किमोठी

 हरि दत्त नौटियाल

 वासबा नन्द बहुगुणा,

किर्ती राम  कैंथोला

 शशि धर डंगवाल

 सहदेव चंदोला

  हरि दत्त थपलियाल

ज्योतिषी जटाधर मिश्र : जाता धर मिश्र न ज्योतिष पर कति ग्रन्थ लेखिन .

नीलकंठ : नीलकंठ संस्कृत  को प्रकांड विद्वान् थौ

सुखदेव मिश्र : सुखदेव मिश्र संस्कृत को बड़ो विद्वान् छौ

राम चन्द्र कंडियाल  : सभा कवि राम चन्द्र कंडियाल न संस्कृत मा ' फतेहशाहयशोवर्णन ' की रचना करी थौ.

चित्रकार श्याम दास ; चित्रकार श्याम दास दरबारी तसवीरदार छयो जो मेदनी शाह का टैम पर सुलेमान सिकोह का दगड श्रीनगर ऐ गे छयो

चित्रकार केहिर दास  : केहिर दास श्याम दस को नौनु छौ अर दरबार क तस्वीर दार छौ

चित्रकार  मंगत राम : श्याम दास को नाती मंगत राम बि दरबारी तस्वीर दार छयो.

 References;


1- Dr Shiv Prasad Dabral, Uttarakhand Ka Itihas Bhag 4

 History of Garhwal, History of Kumaun)

2- Harikrishn Raturi Garhwal ka Itihas

3- Garhwal ka Aitihasik Birtaant in Garhwali and Memoir of Garhwal as translation by Tara Datt Gairola



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To be continued part 42 को नौनु छौ अर दरबार क तस्वीर दार छौ

चित्रकार  मंगत राम : श्याम दास को नाती मंगत राम बि दरबारी तस्वीर दार छयो.

 References;


1- Dr Shiv Prasad Dabral, Uttarakhand Ka Itihas Bhag 4

 History of Garhwal, History of Kumaun)

2- Harikrishn Raturi Garhwal ka Itihas

3- Garhwal ka Aitihasik Birtaant in Garhwali and Memoir of Garhwal as translation by Tara Datt Gairola



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To be continued part 42

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                                          Great Garhwali Personalities and Societies of Garhwal Part -42



                                                                     भीष्म कुकरेती (Bhishm Kukreti
         

                                       महाराज  उप्पेंद्र शाह (रा .का. 1716 -1717 ई. )

            इन बुले जांद बल   फते शाह को गुजर जाणो परांत वैको ज्यठो नौनु दिलीप शाह गद्दी मा बैठ पर वैको

अचाणचक   इंतकाल समौ पर क्वी  टीका (   उत्तराधिकारी राजकुमार ) नि छौ.  दिलीप के राणी दुबस्ता (गर्भवती) छे .

इन मा दिलीप को कणसो  भुला उपेन्द्र शाह तैं गद्दी मा बिठऐये गे . उपेन्द्र शाह बि जादा दिन तलक ज्यूँद  नि राई  .

उपेन्द्र शाह धार्मिक मनिख छौ, कवियुं ,  गुणियों को ख्याल करदो थौ   

उपेन्द्र शाह को राज मा व्यवस्था इन थौ :

बजीर: रघुनाथ सिंह रौतेला

दफ्तरी : रत्तु बुगाणा , जेठू बिजल्वाण

बक्शी : भाष्कर डोभाल

दीवान : ज्यूण

भंडारी  : विद्याधर डोभाल

लेखवार : श्रीपति पैन्युली

राणी : कटरायण  ज्यू (कटूड़ को रज्जा की बेटी )

                           

References;


1- Dr Shiv Prasad Dabral, Uttarakhand Ka Itihas Bhag 4

History of Garhwal, History of Kumaun)

2- Harikrishn Raturi Garhwal ka Itihas

3- Garhwal ka Aitihasik Birtaant in Garhwali and Memoir of Garhwal as translation by Tara Datt Gairola

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