Author Topic: Articles By Bhisma Kukreti - श्री भीष्म कुकरेती जी के लेख  (Read 1120434 times)

Bhishma Kukreti

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                   गढवाळ का नामी लोक अर ज़ात (मलारी जुग बिटेन अज्युं तलक ) - फड़की -53          
       
                         गढ़वाल के विभूतियाँ व समाज (मलारी युग से वर्तमान तक) - भग- 53 


                      Great Garhwali Personalities (Malari era to till date ) Part -53                     
 

                           Bhishm Kukreti                   

              गढ़वाळ को आख़री महाराजा -मानवेन्द्र शाह (रा.का.1946 -1949 ई  )

       गढ़ देश को आख़री रज्जा मानवेन्द्र शाह ह्व़े . मानवेन्द्र  इन रज्जा छौ जै तैं

जुंड बुबा का राज पथ मील . मानवेन्द्र की पढे लिखै इन्दोर अर मयो कोलेज अजमेर मा होई

   रंडयूँ  तैं स्कोल मा ठैराण : जै दिन मानवेन्द्र शाह को राजगद्दी टीका छौ , बड़ा बड़ा लोखुं तैं बुलाये

गे छौ अर दगड मा रंडईयुं तैं बि भैर बिटेन नाचणो बुलाये गे छौ   रंडियूँ तैं   स्कोल मा ठहराई

त स्थानीय जनता रूसे गे छौ                 

तेज आन्दोलन : मवेंद्र को राजगद्दी संबाळण से स्वतंत्रता आन्दोलन कम नि ह्व़े उल्टान तेज ही ह्व़े

आन्दोलान्कार्युं तैं बि जोर से डंडयाणो इंतजाम ह्व़े

परि पूर्ण नन्द पैन्यूली तैं डेढ़ बरसों जेल ह्व़े

अवतार सिंग तैं सवा वर्स को कारावस

महताब सिंह तैं तिन  साल को जेल ह्व़े त नागेन्द्र दत्त सकलानी पकड़ मा नि आये

परिपूर्णा नन्द पैन्यूली को जेल बिटेन भाजण : प्रजामंडल को साहसी नेता परि पूर्ण नन्द पैन्यूली

दस दिसम्बर १९४६ को जेल से भग गे

नागेन्द्र सकलानी (सकलाना ) भौत बड़ो कृषक आन्दोलनकारी छौ वै तैं सरकार पकड़ी नि सकी

और सकलानी ब्रिटिश गढवाल मा चन्द्र सिंग गढ़वाली को चुनाव मा चुनाव प्रचार करी

दादा दौलत राम तैं बि कृषक आन्दोलन कारे क रूप मा जेल ह्व़े

पैथर नागेन्द्र दत्त सकलानी तैं पकड़े गे

टिहरी मा पन्द्र अगस्त मनाये गे

सकलाना , बडीयार गौं , कीर्ति नगर मा आज़ाद पंचायत की स्थापना ह्व़े . जै तैं टिहरी

सरकार न अमान्य घोषित करी.

१९४८ मा पुलिस न एक आन्दोलन मा किसान नेट नागेन्द्र सकलानी अर मौलू सिंग की हत्या करी दे  ,

टिहरी मा क्रांति करियुं शवयात्रा गौं गौं बिटेन लोक ऐन १९४८ मा टिहरी रियासत को भारत मा

विलीन करण ह्व़े ग्याई अर १९४९ मा मानवेन्द्र शाह गढवाल राज्य की राजगद्दी से उतर .




बकै फड़की - 54  मा बांचो ...

 To be continued on part 54



References:
Courtsy to books of Dr Shiv Prasad Dabral, Pundit Hari Krishn Raturi, Minyaan Prem Singh

Bhakt Darshan's garhwal kee divangat vibhutiyan

(Uttarakhand ka Itihas, History of Garhwal, History of Tihri Garhwal)



Copyright @ Bhishm Kukreti, Mumbai

Bhishma Kukreti

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                 गढवाळ का नामी लोक अर ज़ात (मलारी जुग बिटेन अज्युं तलक ) - फड़की -53
       
                  गढ़वाल के विभूतियाँ व समाज (मलारी युग से वर्तमान तक) - भग- 53
                       
                    Great Garhwali Personalities (Malari era to till date ) Part -53
                         
                    Bhishm Kukreti   
       
                सन १९२१ का आन्दोलनकारी जौं तैं सजा ह्व़ेइ  या डंडयाई छन

              नाम                                 गौं                                   सजा /डंड

१- इश्वरी दत्त ध्यानी                खन्द्वारी   पौ.ग.                     एक मैना जेल अर सौ रूप्या
२- खेम दत्त बहुगुणा                पौ.ग                                    छै मैना अर सौ रूप्या
३-जीवानन्द बडोला                 कोलिखाल, पौ ग                    नौ  मैना अर सौ  रूप्या
४-गोबर्धन बडोला                     कोलिखाल, पौ ग.                  तीन मैना पचास रूप्या
५- केशर सिंग रावत                  गजेरा , रिंगवाडस्यूं                द्वी साल, मालगुजारी जफ्त
६-मंगत राम खंत वाल             बन्दर गढ़ी , बदलपुर                  द्वी साल, पचास रूप्या
७-  योगेषर बहुखंडी                 कोटद्वार                                      तीन मैना पचास रूप्या
८- बालादास                        पौ.ग                                          छै मैना जेल
९- सकला नन्द डोभाल              डोभा, पौ.ग.                            छै  मैना जेल   
१०-हरि दत्त बौड़ाई                   बंगार,  सावली   पौ ग                        तीन मैना , पचास रूप्या
११- बादुर सिंग                      सितौनस्यूं    , पौ ग                          छै मैना
१२- बाल मुकुंद                      पौ ग.                                    छै मैना   

बकै फडकी - 54   मा 
असानमंद छौं : श्री शिव सिंह चौहाण : गढ़वाल का राजनैतिक इतिहास
(Political History of Garhwal by Shiv Singh Chauhan in Hindi )

Bhishma Kukreti

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       Describing  Garhwali Creative through Verses   
         
               Bhishm Kukreti
 
(  Garhwali Literature , Garhwali Songs, Garhwali Poems, Garhwali Poetries )
 
                There have been many experiments in Garhwali literature as happened
in other languages literature.
 When Chitthi a Garhwali language magazine (?) was of the size
of ( March 1990) inland letter, Devendra Joshi wrote a humorous poem there
describing the characteristics of Garhwali creative. No doubt , Devendra Joshi
wrote poem for Holi festival wherein majk, Maskari, teasing is a common factor
 the poem has its significance today too. The poem is still relevant and will
be relevant in future course of time.
 The poem is as follows :

            बुरो नि मन्याँ भैरों होरी  मां     

           ( देवेन्द्र जोशी की चबोड्या कविता )

अबोध बंधु बहुगुणा :            बोध बंधु .........
भजन सिंह 'सिंह'    :  छंदबद्ध कवितौं वकील
जीवा नन्द श्रीयाल : हैळ लगायम /
                           कविता करायम .
गुणा नन्द पथिक : क्वी नि सुणदो मेरी
भगवती चरण निर्मोही : ढिम-ढिम नि सुणेणी 
कन्हैया लाल डंडरीयाल ह्यराँ द कीडू बुबा .....
जीत सिंह नेगी : तू होली बीरा /
                       बोतल बीच
मोहन लाल नेगी : टेहरी डुबणो ....
                        अर कहानी ?
प्रेम लाल भट्ट :  कैन बोली मि/
                      डाइरेक्टर नि छौं ?
शिव प्रसाद पोखरियाल : फ्योंळड़ी त्वे देखिक औंदा यो मन मा
                                 पक्की नि पियेंदी मेंगे  का ज़माना मा
हर्ष पर्वतीय :  कविता मा नी च मन
                   कारो ट्रेड यूनियन
बीर सिंह ठाकुर : कबि चौका /कबि छक्का
अर्जुन सिंह गुसाईं : चुनौ मा उत्तणदंड  /
                           जै हो उत्तराखंड
दुर्गा प्रसाद घिल्डियाल : हम गढवाळी मा   किलै लिखणा ?
पूरण पन्त 'पथिक' : मेरो ब्वाडा ब्वाद -
                           खवयाँ -पिवयाँ राला
                           त कब्बी काम आला
लोकेश नवानी : मेरा मैणा   बींगा धौं
                     क्या होलू हैंकी संस्थौ  नौ
ललित केशवान : गौड़ी नी च .....
                       सांड च
जगदीश बडोला :  पीन्दो छौं त /
                        पिलौंदु बि छौं
चन्द्र सिंह राही : गैळी सुखी गे .....कामरेड
नरेंद्र सिंग नेगी ; सैणि को मर्युं छौं .....
रघुबीर सिंह अयाळ : बणे द्याओ मंच वार बटे
                             प्वार/  ये गुठयार
महिमा नन्द सुंदरियाल : गीत नमान लछेंगी
 मदन मोहन बहुखंडी : 'धाद' पतंग की थमीं डोर
 तोताराम ढौंडियाल : डिस्को कवि
 नेत्र सिंह असवाळ  : क्या सचमुच मा तैंतीस मा ढागु बणिगे  ?
विनोद उनियाल : मंडाण ....
                       कुजाण कुजाण
महेश तिवाड़ी : गिच बटे गीतुं बात
                    पण कीसौंद नि जान्दो हात
जब्बर   सिंग कैंतुरा : ह्यल्दी बौडी वीक पोयम
मदन  मोहन डूकलान : मंच चैणु- कविता छपेण  चैंदी
                               अर फिलम भी ........
भीष्म कुकरेती ; ठेट गढवाळी मा किलै ना? 
राम प्रकाश : मि चुटकला ई ना गीत बि लिख्दु
सुरेन्द्र पाल : लिखणा का  बि सल्ली
प्रेम गोदियाल : अभिनेता , नेता, कविवर , थियेटर ,
                    यूनियन अर अब जागर
बी मोहन नेगी : रिखडों से कविता प्रयास
निरंजन सुयाल : ग्याडू ददा धाई लगान्दु
                      व्यंग्य ल्याखो दौडिकी 
कू.वीना देवशाली : नै कविता कथगा भाग्यशाली
देवेन्द्र जोशी : फ़ौज मा रयुं पण नि लैडी क्वी जंग/
                  अफ़ी   पर अफ्वी नि डलेन्दु रंग
Copyright @ Devendra Joshi , Dehradun

Bhishma Kukreti

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           गढवाळी मा जड्डू/ठंड/ पतझड़ पर कविता

        Depiction of Snowfal, Winter  and Autum in Garhwali Poetry
 
               भीष्म कुकरेती

जड्डू , ठंड, पतझड़ , ह्यूं एक सत्य च . इन मा

गढवाळी मा ह्यूं आदि पर कविता हूंण जरोरी छ . लोक गीतुं मा

ह्यूं , जड्डू पर गीत छन

नंदा जात लोक गीत मा नंदा अपण ससुरासौ गुम मा ह्यूं को वर्णन करदी अर

अपण ब्व़े बाबुं तैं गाळी दीन्दी .

होलो जसी मेरी होलो ह्यूं को डिसाण

होलो जसी मेरो होलो ह्यूं को ढिकाण

.............

बुबा जी का देस देखा क्या घाम लग्युं च

ससुरा जी का देस बोई कुयड़ी लौन्खी च .

ह्यूं ठंड / पतझड़ तकरीबन सबि उन भाषाओं क कविताओं मा मिल्द

जख ह्यूं पोड़दू

जन कि अंगरेजी मा शेक्सपियर (१६०० अर १६०९) को स्वांग/नाटक 'एज यू लाइक इट' की ' ब्लो ब्लो डौ विंटर विंड '

या सोंनेट की ९७ वीं कविता ; थौमस कम्पीयन की ' हौ लाइक अ विंटर ..' (१६०९); जौन्स कीट्स की 'इन ड्रीय्रर नाईटेड दिसम्बर ' (१९२९)

रौबर्ट फ्रोस्ट की भौत सी कविताएँ ( १९२० ); जोयस वेकफील्ड, अल्डो ताम्बिल्लिनी (१९९०), डेनिज लेवरतोव लेवेर्तोव

आदि कवियुं की जड्डू, हुय्म पतझड़ पर कविता प्रसिद्ध ह्वेन

ऋतु वर्णित लोक गीतुं मा बि ह्यूं/जड्डू /ठंड/पतझड़ को बिरतांत खूब मिल्दो

नरेंद्र सिंह नेगी या वीरेन्द्र पंवार की ऋतु सम्बन्धी गीतुं मा ठंड/ह्यूं को वर्णन मिल्दो
रूसी भाषा मा कति कवियुं न जड्डू/ह्यूं/पतझड़ पर कविता रचीन जन कि जोसेफ ब्रोदस्की

न कथगा इ कविता जद्दू ऋतु पर लेखिन .अलेक्जेंडर ब्लौक की 'ट्वेल्व' कवता मा

ह्यूंदेळी रात को बखान भौत इ रोमांचक च .अन्ना अखमातोवा की ह्यूं सम्बन्धी

कविता ' वोरोनेझ ' न भौत नाम कमाई

फ्रांससी भाषा मा बि कथगा इ ह्यूंद से सम्बन्धित कविता रचे गेन .

पन्द्रवीं सदी को फ्रेंकोइस विल्लन कवि न बि ह्यूं, जद्दो पर भौत बढिया

कविता लिखीं .

एन्ड्रयु डेबिक्की न अपण किताब 'स्पेनिश पोयट्री औफ़ ट्वेल्थ संचरी :मोदेर्निटी एंड बियोंड '

मा स्पेनिश कवितों मा जड्डू /ह्यूं/पतझड़ आदि विषय पर पूरो विवरण दियुं च . इनी जौन

आर्मस्ट्रोंग की किताब मा ऐन ऐन्थोलौजी ओउफ स्पेनिश पोएट्री ' मा बि बर्फ. जड्डू /ह्यूं, पतझड़ की कवितों बारा

मा वर्णन च

नामी गिरामी जापनी कवि जाकुरेन ( ११३९-१२०२ ई) की एक लम्बी कविता

त जड्डू /ह्यूं/पतझड़ पर दुनिया की भौत बढिया कविताओं मा एक कविता च

चीन मा आज ही ना पुराणों जमानो से ह्यूं/ जड्डू , हेमंत, शशिर पर कविता लिख्याणी रैन -

जन कि चांगन के कविता (७५०-७५५ ई), कुईझोंउ (७६६-७६८), दू फु की कविता या माओ झेदोंग ,

आजौ लुइ जिया चैंग का गीत ह्वेन , ह्यूं/जड्डू/पतझड़ चीनी कविताओं मा पाए जांद

जख तलक आधुनिक गढ़वाळी कविताओं सवाल च ये विषय पर निखालिश

 ह्यूं/हेमंत/शिशिर संबंधी कविता कम छन पण जु बि छन अपण आप मा विशेष छन

जन कि कळीकळी भौण/ कळकल़ो रौंस/ करूण रस का गढवाळी कवि जग्गू नौटियाल की तौळऐ

कविता एक सच्ची घटना आधारित अर अनुभव गत कविता च . जब १९६० ई. मा गढवाल मा माघ का

मैना सात दिन तलक ह्यूं पड़दो रेई त गढवाळ दुनया से बिगळ यूँ राई . वूं बगत का

वर्णन कवि जग्गू नौडियाल इन करदन . कविता मा क्वी कोम्प्लेक्सिटी नी च

सरल शब्दों मा वर्णन च, कविता बांचद दें इन लगद बल हम १९६० का गढवाळ मा पौंची गे होवां धौं!

अर कविता ऐतियासिक बि च :

 

                बकी बातों ह्यूं



              कवि : जग्गू नौडियाल




कवितौ रचना समौ :खैडा, गाँव २४ जनवरी १९६०

ये दिन याद राला ,

ह्यूं पड़ी अबा साला .

सात गती मौ का मैना ,

ह्यूं का पाड़ बंदे गेना ,

भवरेगैनी छाला . ह्यूं पड़ी अबा साला

आंदा जांदा लोक बन्द ,

म्वरणो कू आया छंद

गोरु क्या जी खाला . ह्यूं पड़ी अबा साला

ह्यूं को पाणी तातु कैक

 गौड़ी भैंसी वे पिलैक

लगै द्यावा ताल़ा . ह्यूं पड़ी अबा साला

गाजी मोरि हम बि मोरा

क्वी नि आन्दु धोरा

अब ऐगे काल़ा , ह्यूं पड़ी अबा साला

पाणी अब कन लाण

बेटी ब्वारी बांदा ताण

हाथ खुटा लाल , ह्यूं पड़ी अबा साला

बूड बुड्यों ठड ह्व़ेगी

ओजू धारु लगण लेगी

कन यूँ बचौला , ह्यूं पड़ी अबा साला

मोटर सी आणि जाणि

बन्द ह्वेन सब्बी धाणी

येई गढवाळ .ह्यूं पड़ी अबा साला

छुट्टी ल्हेकी क्वी बि आलू

बाठा बटी बौडि जालू

सब्बी सास राला . ह्यूं पड़ी अबा साला

देसु वाला भैजी ऐना

कोटद्वार खौंल़े गेना

कानू कैकी राला , ह्यूं पड़ी अबा साला

उनकू को छ वख क्वी भी

छुट्टी आला जु भी

बैठी बैठी र्वाला (रवाला ) .ह्यूं पड़ी अबा साला

दगडा ल्हाला चाणs गुड़

आंसू आला तड़ बुड

 सौडि जाला माला . ह्यूं पड़ी अबा साला

आध बाठा भैजी छया

ऊन चिट्ठी लिखी द्याया

नौं कनअ ह्वाला . ह्यूं पड़ी अबा साला

इस्कूल बन्द रैनि

मास्टर क्वी बि नि गैनी

 ह्व़े गे ढंग चाळ .ह्यूं पड़ी अबा साला

डाळी बूटी टूटी गैन

छ्वटि बड़ी सुकी गेन

फौंका टुट डाला , ह्यूं पड़ी अबा साला

ब्योका हाल सुणा अब

इनु दुःख आया तब

पिसीं रेगी दाला , ह्यूं पड़ी अबा साला

रस्ता पौणु भूलि गेन

ह्यूं की रात मौ क मैना

तै मंडा का छाला . ह्यूं पड़ी अबा साला

कैकु घुण्ड कैकु मुंड

रस्ता खुज्याओ तख फुंड

क्वी पडू याँ भ्याला .ह्यूं पड़ी अबा साला

पौंछणे कि कख पूछ

कैक ठनडे गेन मूछ

कैकु आया ल्वाला .ह्यूं पड़ी अबा साला

दूसरा तिसरा दिन पौणा

ऐड़ी ह्वेगी कैकी धौणा

पक्या रै गेनी स्वाला .ह्यूं पड़ी अबा साला

बार बजी रात क्वी

डांड मग हाय ब्वेई

कख मन्न फाळ .ह्यूं पड़ी अबा साला

ब्योली का ब्व़े बाब बल,

पेट मची खळ बळ

कख जौल़ू भ्वाला . ह्यूं पड़ी अबा साला

जौंकू ब्यौ होण छायो

बयोउ ऊन कायो कायो

ह्यूं का गीत गाला . ह्यूं पड़ी अबा साला

कैकी भग गे गाया फंड

क्वी बुड्डी ह्वेन रांड

येई बुड्या धवाळआ , ह्यूं पड़ी अबा साला

बाजा बाजा ज्वान ज्वान

ह्वेगी ऊँ थैं अभिमान

सड़म रौडी वै छाला . ह्यूं पड़ी अबा साला

बाजा बुड्या धंस तौळ

ह्यूं मा प्वड़याँ उडी खौळ

उठाणा कि हाला .ह्यूं पड़ी अबा साला

कैका ड़्यार लखड़ नीन

कख जाण ब्वेई तीन

फंक्या झंगरयाल .ह्यूं पड़ी अबा साला

कैकु साग नी च भात

हेरी बटोळी ल्यखद बात

जग्गू नौडियाला .ह्यूं पड़ी अबा साला



कविता ह्यूं पोड़ ण से जु बि परेशानी , त्रास , दुःख, ह्वेन बताण

मा सक्षम ह्व़े च

Bhishma Kukreti

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            Thali Nrity-Geet: An Adventurous Garhwali Folk Saucer Dance and Song        
       
               (Garhwali Folk Dance-Song, Uttarakhandi Traditional Dance-Song, Himalayan, Indian Folk Dance-Song)
     
                                  Bhishm Kukreti
           
             The human ancestors were adventurous in finding new territories but were adventurous in innovating adventurous dances too. The saucer dance is an adventurous dance-song sequence. Many ethnic groups all over world dance and sing on saucers.
   In Garhwal, Thali dance is very interesting among all dance-songs . The dance-song is performed many times on the occasions of Republic day in Delhi
  In Minangkabau community, the saucer dance is very popular and is called ‘Tari Piring’ by the community. The ‘Tari Piring’ is invented by agrarian influences.
 In Sumazau dance of Sabah nation of Malaysia, people hold a small saucer with candles on it and dance enthusiastically.
  The Rakhien people of West Burma dance with earthen oil lamp and somehow similar to Thali nrity of Garhwali and both are devotional dance-song.
  Ghamzegi or Quandegi dance of Afghanistan is also similar to Garhwali Thali dances except that in Afghani dance, the performer (woman) hold cup and saucer filled with water on palms and dance backward till she touches the ground. This is very thrilling experience for the audience.
   In Nalbeki dance of Azerbaijan, the women dance with saucer and Nalbeki dance is performed by women only 
                      Garhwali Thali or Saucer Folk Dance-Song

                   Dr Shiva Nand Nautiyal states that the Thali dance came into existence at the time of emerging Deepak Dance-song in Garhwali culture. If we watch the worshipping sequences by Rawals in Badrinath and Kedarnath, the Rawals waves lamps (Jot) as if Rawal s dancing and lamps are also dancing. In Gnagotri and Jamnotree Pooja , pilgrimages keep earthen lamps on their waving hands and then worship for hours . In KinkleshwarMahadev Pooja in November at Shrinagar, the devotees keep earthen lamps on their hands for hours.
  There is no restriction on the numbers of dancers for Thali Nrity-Geet and there is no such restriction of genders. However, usually, the Thali dance-Song is performed by female dancers.
             The dancers start the dance by body dance before taking saucers on hands. Then after, the dancers take the bronze saucer on their palms and dance in circle or other sequences. In second, stage, the dancer/dancers dance with saucer on the opposite side of palm. In last stage, the dancer takes saucer on the middle finger and dance with various sequences. The dancer waves the saucer on finger while dancing.
  In some case, the dancer takes another stage of dancing on the edges of deep saucer.  In most of case, the dance is similar to Bharta Natyam. 
  There is no fixed rule for the songs to be sung for the Thali nrity or Saucer dance. Usually, love, romantic or songs of agile or enthusiasm in nature are sung along with dance by the singers sitting nearby dancing sequences by dancers.
 The song is very figurative and many interesting images emerged from the phrases of the following folk songs for saucer dance of Garhwal. In this song the creator narrates and appreciates all the actions of his beloved ones
                   थाळी नाच-गाण (थाली लोक नृत्य गीत )


           हुंगरा लागौन्दी भग्यानी , नाकै की नथुली


हुंगरा लागौन्दी भग्यानी , नाकै की नथुली
जूनी सी मुख तेरो
चमकद इनी जनी
दूध सी धुईं रात
छै जांद जन पूनो
मोती स दांत तेरा
हिलांदी नाथुली
हुंगरा लागौन्दी भग्यानी , नाकै की नथुली

ओ मोटा होंठ तेरा
हिसुरी गोंद जन
ओ बिंदी इन लगदी
जन बदली बीच जून
जब तू खित्त हौसंदी
जब तू मुल्ल हैंसदी
चमकद दांतूड़ी
हुंगरा लागौन्दी भग्यानी , नाकै की नथुली

तेरो सौंल़ू रंग
तेरो छड़बड़ो गात
जै दिन बटे देखी भग्यानी
ह्व़े गे बक्की बात
जब तू ठुम्म हिटदी
जब तू मट्ठू हिटदी
हिलांदी फांकूड़ी
हुंगरा लागौन्दी भग्यानी , नाकै की नथुली

चूड़ी बजदीं छम
जब तू जांदी धाणी
बौणु गुंजणी रैंद
तेरी सुरीली बाणी
गाती रोपीं रैंद
कमर रोपीं रैंद
छुणक्याळी दाथड़ी
हुंगरा लागौन्दी भग्यानी , नाकै की नथुली


References: Dr Shiva Nand Nautiyal Garhwal ke Lok Nrity Geet
Copyright @ for narration -@ Bhishm Kukreti

             

Bhishma Kukreti

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            गढवाळी मा जड्डू/ठंड/ पतझड़ पर कविता फड़कि - २
   
             ( Winter, Autum in Garhwali Poetry )


               भीष्म कुकरेती

जख जग्गू नौडियाळ न  ह्यूं से हुईं परेशानी क बारा म कविता रच

उख प्रकृति कि कवित्री बीना देशवाल बेंजवाल न ह्यूं तैं उनि ल़े जन भेमाता

(भगवान्) दींदु. बीना बेंजवाल न अपणी यीं कविता मा ह्यूंद तैं क्वी बुरु नाम नि दे .

बल्कण मा बीना न ह्यूं अर हौरी प्राकृतिक चीजुं तैं मनिख रूप सी दे अर

कविता तैं नयो मिजाज दे द्याई .



                     ह्यूंद

           बीना बेंजवाल


-१-
ऊँची हिंवाळयूँ बिटि

उड़ीक यूं घाम को पंछी

ह्यूं का टोप्या बुग्यालुं सणि

मलासद अजब पणा पंख्युड़ो न

ह्यूं की ट्व्पल़ी सरकी

खित्त हैन्सी जांद तब

कुखड़ी क्वी फूल

-२-

स्वां स्वां करदा बौण मां

 आन्द जब औडळ

झिट घड़ी तैं लुकैक

डालोँ कि हैरी चदरी

बांज-बुरांस का डालोँ सणि

पैरे दींद

बुरांस का कूटमुणोऊ वळी

सुकली चदरी
-३--
फसल कटीं सायों मा

हिसर -किल्मोड़ का बोटों पर

बच्यीं रै जान्दीन जब

घासी क्वी का डाळी

गाड गदन्यों का छ्वाड़ों

ब्ज्दन तब

दाथुड़ी छुणक्यळी



सौजन्य : बीना बेंजवाल, कमेड़ाs  (बीना  कू काव्य संग्रह)  आखर , १९९४



हम द्वीइ कवियुं मानसिकता मा सरासर भेद/अंतर पांदवां

जख जग्गू नौडियाल तैं ह्यूंद मा परेशानी ही दिख्यायी (हालांकि ह्व़े बि च )

वख बीना बेंजवाल तैं ह्यूं मा प्रकृति को श्रृंगार रस ही दिख्यायी

बीना बेंजवाल कि ह्यूंद कविता मा इनी भाव मिल्दन जन कि कनाडा

का ब्लिस कारमेन की कविताओं मा मिल्द . वैका प्रतीक

बि अनोखा होंदन त बीना न आम प्रतीकुं से कुछ nayaa  बिम्ब खुज्याणे

 कोशिश यीं कविता मा कार . प्राकृतिक दृश्य दिखाणो मामला मा बीना अमेरिकन कवियत्री

एलीजाबेथ बिशोप से कम नी च . बीना की यीं कविता से बोले जै सक्यांद बिम्ब

पैदा करणो मामला मा बीना कखी णा कखी कनाडा का कवि गुसताफसन रोल्फ़

का बरोबर छ

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Mangament Guru -1

     प्रबंध शास्त्री  -१

                        बृहस्पति : महान मैनजमेंट गुरु
       
 बृहस्पति ko  जनम महात्मा बुद्ध से भौत पैल भारत मा  ह्व़े छौ.

 महाभारत मा इन लिख्युं च बल बृहस्पति न प्रबंध शास्त्र  पर एक लाख से बिंडी

श्लोक लेखी था. पण य़ी श्लोक कुजाण कख हरची गेन धौ. याने कि बृहस्पति का श्लोकुं

तै रटि क च्यालों नि सम्बाळ .बृहस्पति सैत च चार्वक गुरु था.

  इन बुले जान्द बल बृहस्पति न शासन तंत्र पर अपणा नियम बणे छा अर बृहस्पति का नियम

तर्क शास्त्र सम्मत छया .अर बृहस्पति का शास्त्र को  नाम नीति शास्त्र या दंड शास्त्र च


Mangament Guru -2
प्रबंध शास्त्री -2


                    शुक्र : दुनया का महानतम शासन शास्त्र गुरु

 
 शुक्र का नाम भार्गव ऋषि बि च . ऋषि भार्गव या शुक्र का रच्यां श्लोकुं

तैं शुक्र नीति बुले जान्द

         शुक्रनीति मा राजा , राजकुमार का कर्तव्य अर राजा क वास्ता मानक छन जो

    आज का हिसाब से कै बि चीफ एक्जीक्यूटिव ऑफिसर (सी.ई.ओ., C .E .O ) का वास्ता

भौत इ काम की बात छन. क्वी बि चीफ एक्जीक्यूटिव शुक्र नीति तैं पौड़ी लयाल

त वै तैं कुछ हौर पढ़णे जरोरात नी च

शुक्र नीति मा यूँ विषय  पर नियम छन :

१-राजा या त दिवता जन ह्व़े सकद य राक्छ्ज जन

२-राजा तैं प्रजापालक ह्हों चएंद याने कि आज को हिसाब से सी .ई.ओ. तैं

कस्टमर अर एम्लोयीज ओरियेंटेड हूण  चएंद 

३-प्रबंधक का वास्ता उत्तराधिकारी की खोज अर वैकी शिक्षा पर ध्यान  दीण जरुरी च

४- राजा या मुख्य प्रबंधक तैं अधिकार्युं क रैण -सैण (रहण सहन ) को पूरो इंतजाम कर्ण जरोरी च

५- कै बि राज/प्रबंध/ मैनेजमेंट  मा 

राजा/सी.ई.ओ. ,

राजा/सी.ई.ओ. का दगडया,

कोष (रिसोर्स ),

सल्ला  दीण वल़ा(सलाहकार ),

राष्ट्र /संगठन /कौर्पोरेसन, 

राष्ट्र /संगठन /कौर्पोरेसन तैं बचाणो ब्युंत (रणनीति )

सेना ( कामकाजी )  आदि महत्व पूर्ण छन अर आँख, कंदुड़,मुख, मां, हाथ अर खुट्ट

जन होंदन

६-मंत्रपरिषद या सलाकार समीति मा सुपात्र हूण च्यान्दन अर समीति मा  मनोविज्ञान, ऑटो सजेसन , 

रण नीति कार, विचारक, जणगरु , कार्य निर्भाहक (एक्जीक्यूसन ), दूत या डिप्लोमसी का ज्ञांता

होवन

७- मंत्री परिषद्/ टॉप लेवल  मैनेजमेंट मा गुण संपन, चरित्रवान, जणगरु/विद्वान्, बीर , हितैसी

वल़ा लोक चएंदन 

८-सी.ई.ओ.या राजा का दायित्व च- योग्यता क हिसाब से अधिकार्युं तैं नियुक्त करे जौ अर

वू तैं पूरो निर्देश दिए जाओ जन से वो अफिक काम कना रावन . सी.ई.ओ.या राजा तैं

कर्म्चारियुं भरण पोसन को पूरो इंतजाम करण चएंद

९- कोष मा ब्रिधी अर खर्च को पूरो इंतजाम हूण चएंद (रिसोर्स मैनेजमेंट ) ar suchnaa aun jaan ko prabandh

१०- सी.ई.ओ. या राजा तैं  रण नीति को जणगरु हूण चएंद

११- राजा या सी.ई.ओ. तैं अपण अर प्रतियोग्युं क बल का बारा मा हर समौ

पूरी जानकारी हूण चएंद

१२- कार्यालय सम्बन्धी जानकारी बि सी.ई.ओ./राजा तैं हूण जरोरी च

 भीष्म की सल्ला च जब भी क्वी बड़ो पद पर जान्दो वै तैं शुक्र नीति जरोर पढ़ण 

चएंद . मीन सी.ई.ओ का वास्ता लिखीं भौत सी किताब बांचिन पण

सी. ई.ओ का वास्ता शुक्र नीति से बढ़िया किताब अबी तलक रचे ही नि गे

  अगर कैन सी.ई.ओ का बान लिखी त जेनेरल मैनेजमेंट पर ल्याख अर

रण नीति पर कुछ नि ल्याख अर रण नीति पर लेखी त जनरल मैनेजमेंट पर नि ल्याख

पण शुक्र नीति मा सौब बथों पर लिख्युं च


बकै अग्वाड़ी फड़की -३ मा

सर्वाधिकार @ भीष्म कुकरेती , मुंबई , दिस २०११

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Mangament Guru -3
प्रबंध शास्त्री -३

                          महाभारत : मैनेजमेंट इनसाईक्लोपीडिया   
                                       
                         Mahabharat : Mangement Encyclopedia

       (Notes on Management Theories from Old age till date, Notes on Managemnt Thinkers )



                                       Bhishm kukreti



  महाभारत मा प्रबंध शास्त्र अर जुद्ध नीति का हरेक सूत्र छन . महाभारत की

हरेक कथा मा प्रबंध विज्ञान की सीख च

            विदुर नीति, पाराशर नीति , श्रीमद भगवद  गीता , या विष्णु शहस्त्र नामा सी.ई.ओ  का वास्ता

मैनेजमेंट का सूत्रों की व्याख्या करदन

 विष्णु सह्श्त्र नामा मा विष्णु का जो हजार नाम छन वो सी.ई. ओ. का गुण छन

 चूंकि महाभारत भौत ही बड़ो च सी.ई.ओ का वास्ता पढ्न मा दिक्कत को काम च

पण मैनेजरूं  अर सी .ई ओ सणि विदुर नीति , भगवद गीता अर विष्णु शहस्त्र नामा बंचन ही चयेंद

 

 

Mangament Guru -4
प्रबंध शास्त्री -4

                                   श्रीमद भगवद गीता अर अष्टावक्र की महागीता : ऑटो सजेसन को महामंत्र

                Shrimad Bhagvad Geetaa : The best books on Auto Sugession

         (Notes on Management Theories from Old age till date, Notes on Managemnt Thinkers )

                                              Bhishm Kukreti



                हिंदुऊँ न छै भरत का दर्शन शास्त्र , भगवद गीता , अष्टावक्र की महागीता तैं हिंदुऊं धर्म या सनातन पंथ

 क शास्त्र बथैक दुनिया का भौत बड़ो नुकसान करी दे.

      छै दर्शन शास्त्र,  भगवद गीता या महागीता कै बि रूप मा धार्मिक या पंथ शास्त्र नी छन

सबी मनोविज्ञान का बाबत लिख्याँ शास्त्र छन ना कि हिंदु मुतालिक शास्त्र .
 
  श्रीमद भगवद गीता या अष्टवक्र की महागीता निपत्त मनोविज्ञान की किताब छन

यूँ किताबों मा भगवान् या पंथ की क्वी इन बात नी च जो सनातन धर्म से समबन्धित ह्वावन

   ऑटो सजेसन समझणो बान द्वी किताब भली छन .
 
           ऑटो सजेसन मैनेजमेंट मा एक भौत ही जरुरी कौंळ च. मैनेजर अपणा  अधिकार्युं तैं ऑटो सजेसन का

बल पर काम तैं पुरो करान्दन अर गीता या महागीता ऑटो सजेसन तैं बिन्गान्दन


       भीष्म कुकरेती की सलाह च जब बि मैनेजर गीता या अष्टावक्र की महागीता बांचन त धर्म का

हिसाब से कत्तई नि बांचन बलकण मा ऑटो सजेसन का प्वाइंट से बांचन


 

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Mangament Guru -5

प्रबंध शास्त्री -5

                               सून तझु ; महान रण नीतिकार अर जुद्ध ब्यूंत-कौंळ को जणगरु
 
                Sun Tzu : The Great Strategician and Art of War Expert

 ( Notes on Management Theories from Old age till date, Notes on Managemnt Thinkers

and Management Practices )                                                             


               
                               Bhishm Kukreti
     
इन माने जांद  बल सून तझु को जनम २५०० साल पैल एक सैनिक घरानों मा ह्व़े

सून तझु क्न्फ्युसिस को समु मा पैदा ह्व़े छौ

   सून तझु न कथगा ही लड़ाई लडींन  अर फिर 'आर्ट ऑफ़ वार ' किताब लेखी.           
        सून तझु चीन को बड़ो दार्शनिक अर जुद्ध  ब्युंत को सबसे बड़ो जणगरु माने जांद.

जापान, चीन, कोरिया, कम्बोडिया, सिंगापोर, मलेशिया, थाईलैंड , फिलिपिन्स , इंडोनेसिया आदि देस आज बि

सून तझु का प्रबंध सिधान्तों पर अपण व्यापरौ सिद्धांत बणान्दन .
 
     फू च्यक्क त्रेक्क अर पीटर हफ ग्रीन्येर   न अपणी किताब ' सून तझु ऑन मनिज्मेंट '

मा बताये कन कम्बोडिया, सिंगापोर, मलेशिया, थाईलैंड , फिलिपिन्स , इंडोनेसिया व्यापारिक

संगठन सून तझु का सिधान्तुं तैं व्यापार मा अपनौणा छन. ब्यापारौ मालक सून तझु का

सिधान्तुं सणि  दवाई की पुडिया समजदन (Principles as Presciption) 

सून तझु का मुख्य सिद्धांत इन छन  :

१- रण नीति को अंक्याण जरोरी च  (Strategic Assesment is a must)

२- जुद्ध करण (Execution)

३- आक्रमण की रण नीति

४- बुणोट : जुद्ध जितणो क बान बुणोट  (Formation) जरोरी च

५- बल/तागत निड्याण  : बल एकत्रित करण 

६- खाली जगा अर खाली जगा भरण

७- हथियारु संघर्ष

८- अनुकूलन   

९- सैनिको चाल

१०- जगा /पोजीसन की अहमियत

११- पोजिसनिंग का नौ नियम

१२- आक्रमण मा आक्रमकता

१३- जासूसों महत्व

मीन सून तझु का सिधांत टक्क लगैक बंच्याँ   छन अर मजेदार बात या च महाभारत मा य़ी सब बात छन

पण महाभारत इथगा बड़ो च कि यूँ बातुन तैं  खुज्या ण मुस्किल  जांद . सून तझु न एकी बात पर ध्यान दे

त सिधान्तुं तैं बांचण सरल ह्व़े जांद 

       सून तझु की किताब मा रणनीति , खबरूं  औण-जौण ( सूचना को आदान प्रदान) क ब्युंत/कौंळ

रणनीति तैं किर्यावनीत करण (एक्जीकुसन ), प्रतियोगिता अर प्रतियोगीयुं  पच्छ्याणक करण , परवाण/

नेता का गुणों पर पुरो निर्देश छन

 सून तझु का सिद्धांत को ज्ञान कै बि संगठन या ब्यौपारौ प्रबंध/इंतजाम का बान काम का छन

 

बकै फड़की 6 मा बाँचो.....

To be continued on part 6.....

 

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Mangament Guru -6

प्रबंध शास्त्री -6

   

                             जौन अडायर ; कार्य केन्द्रित नेतृत्व कू  पुरोधा      

             
                John Adair : Famous for Action Centred Leadership       

   ( Notes on Management Theories from Old age till date, Notes on Managemnt Thinkers


and Management Practices )

           

                               Bhishm Kukreti           

 

                जौन अडायर कू जनम १९३४ ब्रिटेन मा मा ह्व़े . वैन अपण शुरुवाती नय्करी मा भौत प्रकार का काम करीन

यन से ही जौन अडायर तैं पर्वाण गिरी (नेतृत्व ) क बारा मा भौत सा अनुभव ह्वेन. जब जौन अडायर

स्कोट गार्ड मा छौ त जौन अरब लीजन मा बेड़ोऊइन  रेजिमेंट मा राई . विश्व विद्यालय मा भर्ती

हों से पैल जौन अडायर ट्राव्लर मा काम कौर अर एक अस्पताल मा अर्दली बि राई

            कैम्ब्रिज विश्व  विद्यालय  मा डिग्री ल़ीणो बाद जौन रौयल मिलट्री अकादमी , सैंडहर्स्ट

मा लेक्चरर बौण . जब जौन अडायर इण्डस्ट्रियल सोसिएटी मा अस्सिस्टेंट दैरेक्त्र थौ

त जौन न Action Centred Leadership  सिद्धांत गढ़ी अर कार्य केन्द्रित सिद्धांत  लोगूँ समणी धार .
 
   १९७८ मा जौन अडायर दुनिया मा  पर्वाण गिरी ( नेतृत्व) अध्ययन   (Leadership Studies) को  पैलो प्रोफेस्सर बौण.

 जौन अडायर को कारण ही आज प्रबंध विज्ञानं मा  पर्वाण गिरी (नेतृत्व) पढाये जांद .

  जौन अडायर का कार्य केन्द्रित नेतृत्व का तीन मुख भाग छन :
 
 १- कार्य तैं पूरो कारो अर कार्य को निर्धारण  साफ़ हूण चएंद . 

२- काम पुरो करणों बान टीम बणाओ अर टीम तैं पूरी तरां संभाल़ो: एक व्यक्ति से क्वी बि काम नि ह्व़े सकुद

कार्य  पूर्ति का वास्ता टीम की जरुरत पड़दी . टीम मा टीम भावना हों जरूरी च. हरेक टीम मेम्बर तै जाणण

चएंद बल टीम मा एक्का (एकता) से हम जितला अर टीम मा ना-एक्का  (मतैक्य) हूण से  हमन फेल हूण .

३- व्यक्ति विकास पर संसाधन लगाओ : टीम व्यक्त्युं से बणद .कूड एक एक पथर से चिणे जांद.
 
इलै हरेक व्यक्ति को विकास जरूरी च. हरेक व्यक्ति तैं भौतिक सुख (ठीक तनख्वा) , मानसिक सुख जन कि

व्यक्ति की विशेष पच्छ्याणक (रेकोग्निसन ), उद्देस्यात्मक जिन्दगी , जिंदगी मा कुछ पाणे  इच्छा,

पद प्राप्ति, दान दीणे इच्छा पूर्ति अर कुछ ल़ीणे इच्छा संगठन से प्राप्त हूण चएंद

                पर्वाणु/नेतृत्व क  ख़ास काज/काम/कार्य 
 

 हरेक संगठन मा परवाणु बान  मुख्य काज/काम इन होंदन:

१- काम को साफ़ साफ़ निर्धारण : टीम अर हरेक व्यक्ति क बान काज /कार्य बिलकुल साफ़ हूण चयान्दन

याने कि काम निर्दिष्ट या उल्लेखित, नापण लैक, पुरु होंण  लैक,   यथार्थ, एंड समौ मा बंध्यू (टाइम बौंड टास्क) होंण चयांद .

२- योजना ; हर काज योजनाबद्ध होण चएंद

३-  काम की जानकारी ; काम काज की जानकारी सबि टीम सदस्यों तैं ठीक से दिए जाण चएंद

४-नियंत्रण अर निरीक्षण  : हरेक काम तबी पुरु होंद जब काम पर ठीक से नियंत्रण ह्वाऊ , नियंत्रण को नियम च

कम से कम संसाधन मा ठीक  काम . यि तबी होंद जब समन्वय पुर्बक नियंत्रण सिस्टम ह्वाऊ

५-  परीक्षा : हरेक काम समौ समौ पर परीक्षा होण  चएंद अर निरीक्षण मा य़ी तत्व होण जरुरी छन

६- प्रेरक शक्ती : हरेक काम मा प्रेरक शक्ति हों जरुरी च .  सन्गठन मा प्रेरक शक्ति ल़ाणो/आणो वास्ता -

नेता तैं अफिक प्रेरित होंण  चएंद, उन तैं संगठन मा ल्याओ जो प्रेरित छन, हरेक व्यक्ति तैं व्यक्ति मानो याने

हरेक व्यक्ति महत्वपूर्ण च, काम हूण लैक अर कुछ ललकार लैक काम हूण चएंद, काम काज्यूँ  तैं सफलता/ विकास की जानकारी

दीणो इंतजाम होण  चएंद , सफलता/विकास प्रेरणास्पद होंद, काम काज्यूँ इनाम आदि मिलण चएंद अर काम काज्युं तैं

पच्छ्याणक मिलण  चएंद.

७- संगठन शक्ति : पर्वाण/नेता/नेतृत्व  मा संगठन बणोण अर संगठन चलाणे सक्यात /शक्ति होंण  चएंद

८- पर्वाण उदाहरण जरोर प्रस्तुत करदो

                  पर्वाण /नेता तैं समौ  पर काज पूरो करणे नीयत   

   जौन अडयार न पर्वाण  का बान कुछ नियम काज समौ पर पुरा करणो बान बणेन :

१- समौ पर काज पुरो करणो बान तत्पर रौ

२- लम्बा समौ क बान गोल/साफ़ उद्देश्य  बणाण

३- मध्य क्रम का गोल बि बणाण जरोरी च

४- दिन की योजना बणये जौ अर वां पर पूरी तरां से काम करण चएंद

५- जब बढिया समौ होऊ त भौत काम कारो म

६- काम तैं संगठित ह्वेक कारो

७- बैठक /मीटिंग को ठीक से प्रबंधन जरुरी च

८- काम दुसरो तैं दीण जरोरी च अर इन काम प्रभावी ढंग से हूण चएंद

९- टाइम पर काम पूरो करणे आदत अर चाहत हूण जरोरी च

१०- स्वास्थ्य पैलो बकै काम पैथर 

           जौन अडायर क लिखीं किताब

 जौन अडायर की किताबु ब्यौरा इन च :

1- Action Centered Leadership 1984

2- The Skills of Leadership, 1984

3- Effective Motivation , 1987

4- Understanding Motivation , 1990

hand book of Management and Leadership, 1998

 

 बकै फड़की 6 मा बाँचो.....

To be continued on part 6.....
 


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