Author Topic: Articles By Bhisma Kukreti - श्री भीष्म कुकरेती जी के लेख  (Read 1123400 times)

Bhishma Kukreti

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      मित्रग्राम (मल्ला ढांगू ) की लोक कलाएं व लोक कलाकार

  ढांगू संदर्भ में गढ़वाल की  लोक कलाएं व भूले बिसरे कलाकार श्रृंखला  -  7 
(चूँकि आलेख अन्य पुरुष में है तो श्रीमती , श्री व जी शब्द नहीं जोड़े गए है )
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मल्ला ढांगू में  उत्तरमुखी मित्रग्राम जखमोलाओं का गाँव है जहां पिछली शताब्दी में दो  ही शिल्पकार  परिवार थे।  मित्रग्राम बहुत पहले गटकोट का ही भाग था या गटकोट से ही जखमोला परिवार मित्रग्राम  में बसा।  इतिहासकार डबराल लिखते हैं कि 1815 बाद विद्वान् , अंग्रेज विरोधी पंडित बासबानंद बहुगुणा गढ़वाल पलायन करते वक्त जसपुर , ग्वील से होते हुए मित्रग्राम ठहरे थे। मित्रग्राम के पूर्व में बन्नी , खैंडुड़ी ,   पश्चिम गटकोट , उत्तर में बाड्यों  गाँव हैं।  हिंवल नदी भी मित्रग्राम  की सीमा में बहती है।
 गाँव में प्राचीन बट वृक्ष ने कई नए वृक्षों को जन्म दे दिया था।  इन वृक्षों के नीचे  सभी परिवारों के पत्थर के ओखलियाँ स्थापित थीं।
  अन्य गढ़वाल क्षेत्र की भाँति (बाबुलकर द्वारा विभाजित  )मित्रग्राम   में भी निम्न कलाएं व शिल्प बीसवीं सदी अंत तक विद्यमान थे. अब अंतर् आता दिख रहा है। 
   अ - संस्कृति संस्कारों से संबंधित कलाभ्यक्तियाँ
   ब -   शरीर अंकन व अलंकरण कलाएं व शिल्प   
 स -फुटकर। कला /शिल्प जैसे भोजन बनाना , अध्यापकी , खेल कलाएं , आखेट, गूढ़ भाषा वाचन  (अनका ये , कनका क, मनका म ललका ला =कमला ,  जैसे  ) या अय्यारी भाषा   आदि
   द  - जीवकोपार्जन की पेशेवर की  व्यवसायिक  कलाएं या शिल्प व  जीवनोपयोगी शिल्प व कलायें   

मित्रग्राम में आवास भवन व गौशालाएं अलग अलग स्थाओं में थे।  गांव मध्य पंचायत चौक है व उसके नीचे दिवार पर भूम्या मूर्ति थरपी गयी है। 

भवन चार प्रकार के हैं
1 - आधुनिक -जो पुराने मकान तोड़कर सीमेंट आदि से बनाये गए हैं ऊपरी छत चौरस हैं
2 - आम बीसवीं सदी के भवन उबर , मंज्यूळ , ऊपरी छत स्लेटी पत्थर छे छायी हुयी।  छज्जे पत्थर के।
3 - आम बीसवीं सदी के भवन किन्तु छज्जे या तो लकड़ी व चारों और या दो ओर लकड़ी के जंगले जैसे शेखरा नंद जखमोला ( चंद्रमोहन जखमोला )
4 -तिबारियां जहां लकड़ी की नक्कासी हुयी है - तिबारियां मित्रा  नंद जखमोला , सदा नंद जखमोला , परुशराम  जखमोला , भरोसा नंद जखमोला व नारायण दत्त जखमोला की थीं।  नारायण दत्त जखमोला की तिबारी बची है जिसकी फोटो इस लेखक को प्राप्त हुईं , जिसमे साधारण नक्कासी है याने वनस्पति व तरंगित नक्कासी है , इस नक्कासी में पशु व पक्षी दर्शन नहीं हुए।
 कर्मकांडी ब्राह्मण - सदा नंद जखमोला, मित्रा नंद जखमोला। वर्तमान में रोशन जखमोला प्रसिद्ध हैं
मित्रग्राम वालों के गुरु जसपुर के बहुगुणा हैं तो कर्मकांडी ब्राह्मण ठंठोली के कंडवाल। वैद्य भी ठंठोली के कंडवाल थे।
  अतः गाँव में सभी कर्मकांडी व संस्कारी चित्रकलाओं के दर्शन होते हैं जैसे चौकल में गणेश थरपण आदि।  हल्दीहाथ , होली में रंग उबटन लगाना लगवाना सामन्य थे ही।
   गांव में पितरवड़ भी है। तिलक कला , आदि भी उल्लेखनीय धार्मिक कला विद्यमान है।
ओड /भवन निर्माता - जसपुर व सौड़ पर निर्भर
कृषि बढ़ई कार्य जैसे हल जुआ , जोळ , निसुड़  , कील , मुंगुर स्वयं निर्माण करते थे
वृहद बढ़ई कार्य हेतु भी जसपुर व सौड़ पर निर्भर।  चीड़ हेतु दुसरे गाँवों पर निर्भरता
सुनार - जसपुर व पाली वाले
टमटागिरी - जसपुर पर निर्भर
लोहार - रख्वाराम परिवार जो छोटे मोटे  उपकरण निर्माण करते थे बड़े कार्य हेतु जसपुर
छज्जे , ओखली। सिल्ल बट्ट   हेतु ठंठोली पर निर्भर , छत के पत्थर कलसी कुठार (मल्ला ढांगू ) से व छज्जे पैडळ स्यूं से आते थे।
भ्यूंळ की टोकरियां खुद बनाते थे किन्तु बांस के दबल , टोकरी हेतु बाडयों पर निर्भर
गोठ  संस्कृति थी अतः टाट पल्ल  निर्माण की कला जीवित थी
भ्यूंळ , भांग  के स्योळ से परिवार रस्सी , न्यार , नाड़ बनाते थे ,(खटोला , चौकी स्वयं निर्माण करते थे) । 
रामलीला  कलाकार  - जयराम, स्वयंबर, रामचंद्र , हरि प्रसाद , नाथूराम , शिरोमणि जखमोला आदि प्रसिद्ध हुए हैं
झाड़खंडी कार्य हेतु ठंठोली , गडमोळा आदि गाँवों पर निर्भर
महिलाएं दूध दुहने , छांछ छोळने , कुटाई -पिसाई , घास -लकड़ी कटाई , मंडाई , गेंहू के नळो से टोकरियां बनाने विशेषज्ञ थीं
अध्यापक भी मित्रग्राम से हुए हैं।
अगम राम जखमोला भोजन पकाने के विशेषज्ञ थे।
चूल्हे निर्माण कार्य गांव में ही होते थे।

गढ़वाल के अन्य गाँवों की तरह मित्रग्राम में निम्न भण्डारीकरण पात्र /कंटेनर्स   उपयोग में आते थे -
गेंहू के नळो की बनी टोकरियां (रोटी रखने के काम )
तौलने के काष्ठ उपकरण में माणा , पाथ व धातु पाथ  उपकरण होते थे।
अनाज भण्डारीकरण दबल , में होत्ते थे , लकड़ी के कुठार भी थे।
 दूध , दही, घी  भण्डारीकरण  लकड़ी के परोठी , पर्या , पर्वठ , बरोळी , मिट्टी की बरोळी  आदि
कठबड़ भी होते थे।
सभी भांति की टोकरियां
नमक लकड़ी के पात्रों में जमा रहता था।
पहले मिटटी के पात्र हथनूड़  से आयात होते थे

(आभार - रामचंद्र जखमोला की सूचना )



Copyright @ Bhishma Kukreti , 2020
Folk Arts of Dhangu Garhwal ,Folk  Artisans of Dhangu Garhwal ;   ढांगू गढ़वाल की लोक कलायें , ढांगू गढ़वाल के लोक कालकर


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जल्ठ (डबरालस्यूं ) की लोक कलायें  व लोक कलाकार

डबरालस्यूं  संदर्भ में गढ़वाल की  लोक कलाएं व भूले बिसरे कलाकार श्रृंखला  -  1
(चूँकि आलेख अन्य पुरुष में है तो श्रीमती , श्री व जी शब्द नहीं जोड़े गए है )
मुख्य संकलन - नरेश उनियाल
सहयोगी - भीष्म कुकरेती

  जल्ठ गांव  ढांगू , उदयपुर , अजमेर , ढांगू  क्षेत्र में विद्वान् कर्मकांडी , ज्योतिष शास्त्रियों  , व्यास वृति के व्यासों व अध्यापको हेतु प्रसिद्ध था।  सिलोगी स्कूल स्थापना में  जल्ठ के बिष्ट व डबराल अध्यपकों का हाथ रहा था। 
बाबुलकर ने लोक कलाओं  का निम्न विभाजन किया है-
अन्य गढ़वाल क्षेत्र की भाँति (बाबुलकर द्वारा विभाजित  ) जल्ठ    में भी निम्न कलाएं व शिल्प बीसवीं सदी अंत तक विद्यमान थे. अब अंतर् आता दिख रहा है। 
   अ - संस्कृति संस्कारों से संबंधित कलाभ्यक्तियाँ
   ब -   शरीर अंकन व अलंकरण कलाएं व शिल्प   
 
   द  - जीवकोपार्जन की पेशेवर की  व्यवसायिक  कलाएं या शिल्प व  जीवनोपयोगी शिल्प व कलायें   
भीष्म कुकरेती ने एक भाग और जोड़ा है -
 स -फुटकर। कला /शिल्प जैसे पाक कला ,  कूटनीति अंताक्षरी , बनाना , अध्यापकी , खेल कलाएं , आखेट, गूढ़ भाषा वाचन  (अनका ये , कनका क, मनका म ललका ला =कमला ,  जैसे  ) या अय्यारी भाषा   आदि   

  जल्ठ  गाँव में उपरोक्त सभी कलाएं मिलते हैं व शिल्प व कला अनुसार निम्न कलाकार प्रसिद्ध हुए हैं या वर्तमान में हैं जिनका सभी ब्यौरा नरेश उनियाल ने दिया है  -
हारमोनियम  बादक - जनार्दन उनियाल , मदन उनियाल ,
ढोलक वादन -नरेश उनियाल
मांगल गीत - दीपा देवी
  जागरी - सुमन लाल   
सिणै /शहनाई वादन - लखनलाल
झारखंडी (भूत भगाने वाले ) - लखनलाल , ज्युणी देवी
बक्की /गणत - लखनलाल ,
कच्ची मदिरा निथारक - श्रीधर प्रसाद , डवोली 
ओड /भवन निर्माण - -लखनलाल , सुमन लाल
काष्ठ कलाकार - सतीश आर्य
लोहार -लखनलाल
रेशे बटने वाले कलाकार - शारदा
बुगठ्या काटने वाले - जीत सिंह बिष्ट
टाट पल्ल - जनार्दन प्रसाद उनियाल , आदित्यराम उनियाल , प्रेम सिंह बिष्ट , जीत  सिंह बिष्ट
प्रसव पीड़ा हर्ता /दायी -दीपा देवी
अरसा पाक कला विशेषज्ञ - जनार्दन , बसंती देवी दबररल , बसंती देवी ममगाईं , प्रेम सिंह , दीपा देवी
रामलीला कलाकार - आदित्यराम , महेश चंद्र, नरेश चन्द्र, राकेश , मदन , जनार्दन , सभी उनियाल ; बिष्टों में - बीरेंद्र , प्रमोद सिंह , मोहन सिंह;  डबरालों में - स्वयंबर दत्त , भगवती ; ममगाईं - सुमन , धीरज
विदूषक - धीरज ममगाईं , प्रकाश डबराल , देवी प्रसाद उनियाल 
प्रसिद्ध कर्मकांडी पंडित - नारायण दत्त उनियाल व हरिदत्त उनियाल
साहित्यकार - हेमा उनियाल , नरेश उनियाल
नरेश उनियाल ने बीस अध्यापकों व अध्यापिकाओँ  का ब्यौरा दिया है यह इस बात का द्योतक है कि जब ब्रिटिश काल में स्कूल स्थापित हुए तो  जल्ठ के कर्मकांडी ब्राह्मणों ने अध्यापकी शुरु  की होगी


आभार नरेश उनियाल द्वारा सम्पूर्ण सूचना 

Copyright @ Bhishma Kukreti , 2020
Folk Arts of Dabralsyun  Garhwal ,Folk  Artisans of Dabralsyun  Garhwal ;   डबरालस्यूं  गढ़वाल की लोक कलायें , डबरालस्यूं गढ़वाल के लोक कलाकार 



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भरच्यांद , भड्यांद  तून लगांद , पित्यांद  अंग्रेजी-शब्द  -गढ़वली में  परिभाषित करते व्यंग्य  शब्दकोश  B-56   
 
   (English -Garhwali  Dictionary of Satire , Sarcasm,  Aggravating , Galling , Roasting  Definitions   )
 (गढ़वाली ,  व्यंग्य,  हंसी , जोक्स ,  चिढ़ाते , धृष्टता करते ,ठट्टा लगाते  , ताना मारते , झिड़कते शब्द -परिभाषा शब्दकोश , व्यंग्यकोश  )
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 Lofty  ,भौत अच्छु = नेताऊं  कुण पीडब्ल्यूडी मंत्रालय
Lollipop ,लॉलीपॉप = चुनावी  घोषणा पत्र 
Lonely,इखुलि = राष्ट्रपति अर प्रधानमंत्री
Loudspeaker,लौंड़पीकर = नेताऊं कुण पत्रकार
Mad,बौळया - जन मंत्री पद का बान नेता हूंदन
Madam, मैडम - कॉंग्रेस्युं कुण सोनिया गांधी व प्रियंका बाड्रा
Magic, जादूगरी - अल्पमत की सरकार वास्ता बहुमत साबित करण
Maid,मेड /घरेलू काम करण वळि - रयांद बि नि , सयांद बि नी
Majority,मेजोरिटी/बहुमत - भेड़चाल
Malnutrition , कुपोषण = भारत जन देसौ कुण शरम


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Copyright@ Bhishma Kukreti
गढ़वाली हास्य , गढ़वाली व्यंग्य , ताना मारते , चिढ़ाते , जलाते , गढ़वाली,  व्यंग्य, मजाक उड़ाते गढ़वाली व्यंग्यकोश  , Sarcastic definitions in Garhwali


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बरसुड़ी (लंगूर ) की लोक कलाएं व कलाकार

लंगूर    संदर्भ में गढ़वाल की  लोक कलाएं व भूले बिसरे कलाकार श्रृंखला  -  1
(चूँकि आलेख अन्य पुरुष में है तो श्रीमती , श्री व जी शब्द नहीं जोड़े गए है )
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संकलन - भीष्म कुकरेती
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 बरसुड़ी लंगूर का एक महत्वपूर्ण गाँव है स्थान नामसे इंगित होता है कि यह स्थान खस -द्रविड़ काल से ही चिन्हांकित हो चुका  था।  लंगूर भैरों, द्वारीखाल  निकट ही हैं।  प्रदीप शाह युग  में अवश्य ही इस गाँव ने गोरखाओं को रोकने में महत्वपूर्ण भूमिका निभई होगी व कई त्रास भी भुगते होंगे। 
    बरसुड़ी के कुकरेती जसपुर ढांगू से माइग्रेट हुए थे व दो लोक कथाएं भी प्रसिद्ध हैं।  बरसुड़ी से कुकरेती द्यूसी मनियारस्यूं माइग्रेट हुए। रजकिल , कुटळी , पटळी सीमावर्ती गाँव हैं।   गढ़वाल के अन्य क्षेत्र समान ही यहाँ की लोक कलाएं बीसवीं सदी के अंतिम भाग तक विद्यमान थीं।  अब बदलाव ा गए हैं। 
बरसुड़ी (लंगूर ) में निम्न कलाएं व कलाकार प्रसिद्ध हुए हैं -
 लोहार , ओड - रद्दु , कुत्ता।  पंचमु , मूसा
बढ़ई - जयचंद कुकरेती
ढोल वादक,  मसुकबाज  व दर्जी - गुलाम , , असिलु दास , बुदासी
पठळ खान - गुदड़ी
निसुड़ निर्माण कौशल्य - सुखदेव कुकरेती , रगबहादुर सिंह  , फतेह  सिंह
मंदर - फते सिंह
बांस कला , सुनारगिरि , टम्टागिरि हेतु , - अन्य गांव पर निर्भर
झरखंडी - आदित्यराम
सर्यूळ /पाक कला - टेकराम कुकरेती , सुखदेव कुकरेती
पंडित - श्रीकृष्ण कुकरेती , सच्चिदा नंद कुकरेती , रवि दत्त कुकरेती , आदित्यराम कुकरेती
वैद्य - वीमखांद गाँव के गुर दयाल डोबरियाल
कुकरेतियों  के ब्राह्मण -  डुं डयख  के देवरानी - योगेश्वर प्रसाद
 तिबारी -बालादत्त , कलीराम कुकरेती की प्रसिद्ध थीं

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सूचना आभार - बरसुड़ी के उदयराम शर्मा कुकरेती ,

Copyright @ Bhishma Kukreti , 2020 
Folk Arts of Langur   Garhwal ,Folk  Artisans of Langur   Garhwal ;   लंगूर  गढ़वाल की लोक कलायें , लंगूर गढ़वाल के लोक कलाकार

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   भटकोटी (मनियार स्यूं ) की लोक कलाएं व कलाकार


   मनियार स्यूं   संदर्भ में गढ़वाल की  लोक कलाएं व भूले बिसरे कलाकार श्रृंखला  -  1
(चूँकि आलेख अन्य पुरुष में है तो श्रीमती , श्री व जी शब्द नहीं जोड़े गए है )
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संकलन - भीष्म कुकरेती
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  मनियार स्यूं में बसा  बेहड़ा खाळ , जखनोली , द्यूसी की सीमा पर लगा भटकोटि गाँव की अपना वैशिष्ठ्य है।  कला दृष्टि से  कला , शिल्प ,  व कलाकार की सूचना इस प्रकार है -
लोहार , ओड , पगार  चिनायी ,  बढ़ई व अन्य कई शिल्प - बंसी लाल , सिरमटु , गयळु व अब उनके उत्तराधिकारी
गारुड़ी /झड़खंडी /मंयत तंत्र  शास्त्री, जागरी - व बक्की - सत्य प्रकाश भट्ट , सुंदरू , राजू , भगतु
स्वर्णकार व कोळी (प्राचीन काल में मदिरा निथारण )  - शिब्बू कोळी सूबेदार कोळी ब्वाडा
ढोल वादन व वस्त्र निर्माण - द्यूसी के गुणा दास
मसुकबाज - गयळू
 घट्ट/घराट  - कोटनालाओं का घट्ट , व तीन गाँवों का सार्वजनिक घराट
मंदर निर्माण, कुल्हड़ (तेल पेरना ) ,  की सूचना प्रतिक्षीत है
 गेंहू आदि से वर्तन /भण्डारीकरण हेतु बर्तन  निर्माण लगभग सभी घरों में होता था
 रेशे (भ्यूंळ , भांग , रामबांस ) आदि से लगभग प्रत्येक परिवार न्यार बटते  थे व खटला , रस्सी, म्वाळ   आदि  बनाते थे
उर्ख्यळ , छज्जा , जंदरु , सिलबट्ट  आदि हेतु दूसरी पट्टी पर निर्भर (पैडळस्यूं ) .
भ्यूंळ की टोकरियां गाँव में ही बनतीं थी , बांस टोकरी कंटेनर्स हेतु दुसरे गांव पर निर्भर
 सामूहिक नाच गान , स्वांग - लगभग सभी महिलाएं व पुरुष (चैत महीने व अन्य धार्मिक अनुष्ठान समय ) , मंगळेर  में सरजू बोडी थपलियाल प्रसिद्ध।
कर्मकांड , ज्योतिष विशेषज्ञ - मायाराम थपलियाल , जनार्दन थपलियाल , विशेश्वर भट्ट (व्यास , भी थे ) .
सर्यूळ /पाक कला विशेषज्ञ - थपलियाल जाति से परम्परागत
भटकोटि के भट्टों के कर्मकांडी ब्राह्मण - बंगानी के थपलियाल
रामलीला कलाकार - जगदम्बा भट्ट , स्वयंबर भट्ट , जगदीश थपलियाल , ललित थपलियाल, चित्रमणि भट्ट
विदूषक व रामलीला में अन्य मनोरंजन में  - दैषण के महेश नंद नैथानी
मंदिर - बालकुंवारी , शिवाला व भैरव
अध्यापक - चंडी प्रसाद भट्ट
 साहित्यकार व भाषाविद - पार्थसारथी थपलियाल
बादी असवालस्यूं के थे

अयेड़ी , मच्छी मारक कला, मुर्गा मारक कलाएं  आदि थीं अब समाप्ति के कगार पर
 निकटम प्राचीन बाजार - बांघाट
निकटतम धार्मिक स्थल - व्यासचट्टी
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सूचना आभार : कांती  भट्ट बड़थ्वाल (तैड़ी )

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Folk Arts of Maniyarsyun ,   Garhwal ,Folk  Artisans of Maniyarsyun ,   Garhwal ;   मनियार स्यूं  गढ़वाल की लोक कलायें , मनियार स्यूं गढ़वाल के लोक कलाकार


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भरच्यांद , भड्यांद  तून लगांद , पित्यांद  अंग्रेजी-शब्द  -गढ़वली में  परिभाषित करते व्यंग्य  शब्दकोश  B-57   
 
   (English -Garhwali  Dictionary of Satire , Sarcasm,  Aggravating , Galling , Roasting  Definitions   )
 (गढ़वाली ,  व्यंग्य,  हंसी, जोक्स ,  चिढ़ाते , धृष्टता करते ,ठट्टा लगाते  , ताना मारते , झिड़कते शब्द -परिभाषा शब्दकोश , व्यंग्यकोश  )
 संकलन - भीष्म कुकरेती
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Manager,प्रबंधक = सरकारी अधिकार्यूं  का आदिर -खातिर का विशेषज्ञ
Man eater, मैंस्वाग = अच्काल नेताउं  कुण बुले जांद
Mango, आम फल = जै  तै आम मनिख नि खरीद सकदन
Manner,तमीज = भूतकाल  का एक बहु  प्रचलित शब्द
Manure खाद , मोळ = उत्तराखंड , कबि हूंद  थौ
Marriage, ब्यौ =  जैकि हो वी बि पछतांदु , जैकि  नि हो वी बि
Mask, मुखौटा , जु  हरेक लगांद
Massage, मालिस = जु  कार्यकर्ता  नेताउं  करदन
Mature,बैक , प्रौढ़ = राहुल गांधी देखिक ये शब्द पर कौन्ग्रेस्युं  बि भरवस उठी गे 
May,मई मैना = याने उत्तराखंडम  बणांक  का समय
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गढ़वाली हास्य , गढ़वाली व्यंग्य , ताना मारते , चिढ़ाते , जलाते , गढ़वाली,  व्यंग्य, मजाक उड़ाते गढ़वाली व्यंग्यकोश  , Sarcastic definitions in Garhwali

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भरच्यांद , भड्यांद  तून लगांद , पित्यांद  अंग्रेजी-शब्द  -गढ़वली में  परिभाषित करते व्यंग्य  शब्दकोश  B-58   
 
   (English -Garhwali  Dictionary of Satire , Sarcasm,  Aggravating , Galling , Roasting  Definitions   )
 (गढ़वाली ,  व्यंग्य,  हंसी, जोक्स ,  चिढ़ाते , धृष्टता करते ,ठट्टा लगाते  , ताना मारते , झिड़कते शब्द -परिभाषा शब्दकोश , व्यंग्यकोश  )
 संकलन - भीष्म कुकरेती
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Medal.तगमा = सेना छोड़ि बाकी जंक जोड़ से इ मिल्दन
Meddle, हस्तक्षेप = केंद्र अर प्रांत का बीचौ टंटा
Mess.=गड़बड़ =भाजपा द्वारा CAA बिल पास करायिक जु ह्वे
Migrant,प्रवासी = जु हरेक उत्तराखंडीवासी हूण चांद
Migration ,पलायन  = उत्तराखंड्युं  सबसे प्रिय शब्द अर साहित्यकारों कुण साहित्य रचणो बहाना
Milestone,मील पत्थर = हरेकमनिख की दिली इच्छा
Mind,दिमाग = जु मनिखों मध्य झगड़ा जड़ च
Mindful,सचेत = क्वी ना
Mine,म्यार = दुनिया म सब झगड़ों जड़
Minimize छुट करण = गठबंधन सरकार म म हरेक दल सहयोगी दल  तै करदो

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गढ़वाली हास्य , गढ़वाली व्यंग्य , ताना मारते , चिढ़ाते , जलाते , गढ़वाली,  व्यंग्य, मजाक उड़ाते गढ़वाली व्यंग्यकोश  , Sarcastic definitions in Garhwali

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कचाग...... व्यंग्य
Garhwali satire by By ... Harish Juyal
ब्वाडा कु पुरुष दर्शन
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चुनावी सीजन मा ब्वाडा सुबेर लेकि चौक मा पौंछ त ब्वाडा कु पेट सुखि ग्याइ। द्यखुदु क्याच कि कूड़ा कि पाळ्यों फर पचास प्रकार का प्रचारी पोस्टर धै लगाणा छ्न। जनकि - विकासपुरुष गौंछीराम, रोजगारपुरुष कुमरसिंह, बिजलीपुरुष बिलक्वाराम, जलपुरुष जलकमणि...आदि -आदि।
मि ब्वाडा का समणि गौंउ अर ब्वाडा तैं पूछ - ब्वाडा क्य द्यखणा छौ?
ब्वाडा ल पोस्टरौं कु पूच अळगै कि जबाब द्याइ - ब्यटाराम 'पुरुष दर्शन' कन्नू छौं।
खैर मेरि समझ मा नि आइ त मि चुप ह्वैग्यों Iब्वाडा समझि ग्याइ कि यु लाटु 'पुरुष दर्शन' कि मीनिंग ढंग से नि मीन सकणू छ। फलस्वरूप ब्वाडा ल 'पोस्टरों मा पुरुष दर्शन' पर जु वैचारिक वायरस छ्वड़िन वु कुछ ये प्रकार से छन --
वर्तमान युग चुनावों कु युग छ ।चुनाव मा जबरदस्त - जबरदस्ती प्रचार कन प्वड़द। प्रचार हेतु पोस्टर छपाण प्वड़दिन। पोस्टरों मा 'पुरुष' छपाण प्वड़द।
चुनावी तैक मा 'पुरुष' विशेषण भेषण की भूमिका निभांद। जन बगैर भेषण कि पक्वड़ि नि बणिदि वन्नि बगैर विशेषण कु प्रत्याशी नि बणुदु। इलैकि पोस्टरों मा पुरुष प्रत्याशी,प्रथम पुरुष से उत्तम पुरुष बणि जांद।
पुरुषहीन पोस्टर हमेशा रीतू अर पुरुषयुक्त पोस्टर हमेशा जीतू लगद। कथगै जीतू पुरुषों कु चुनाव मा गीदू बि निकळ जांद। जौंकु गीदू निकळ जांद वु फिर सीधु नि रैंदु , डुंडु ह्वै जांद। डुंडु क्य होंद वु फुंडु ह्वै जांद फलस्वरूप वैकु गुंडु ह्वै जांद।
'पुरुषजीव' हमेशा चुनाव की ढंड मा पैदा होंद।ढंड मा वैतै कैइ खण्ड ख्यलण प्वड़दिन।खण्ड ख्यलद दफे वु कबि-कबि गंड बि ह्वै जांद । गंड होण पर वु झंड ह्वै जांद।बाइ द वे अगर वु गंड की जगा मा संड ह्वै ग्या त वु फंड बि खै जांद ।
पुरुषजीव अलग - अलग क्रियाकलापों का अनुसार अलग - अलग नामों से नामित होंदन।ये सीजन मा जु पुरुष रुंदा छ्न वु 'रुंदा पुरुष' नाम से फेमस ह्वै जंदिन। यि बात अलग च कि रूंदा पुरुष जितणा का बाद रुवांदा पुरुष बणि जंदिन।
यनि कुछ पुरुष खुलेआम विपक्ष्यों का परचा फड़दिन। वु बि 'फाड़ूपुरुष' बणि जंदिन। रोजगारपुरुष अंदरूनी तौर से अपुडु़ रोजगार कु जुगाड़ मा संलग्न रंदिन। सड़कपुरुष घोषणों
मा जनता तै गड़क - गड़क सड़क दे दिंदन । परन्तु हकीकत कुछ हौरि होंद। सड़कपुरुष अगर हैरि ग्या त खड़क ह्वै जंदिन अर अगर जीति ग्या त भड़क खै दिंदन।
पाणीपुरुषों कि बि सेम पोजीशन छ। पाणीपुरुष ताणी दे - देकि पब्लिक तै पाणी - पाणी कैरि दिंदन । यांकु रिजल्ट यन निकळदु कि कबि पब्लिक पाणीपुरुष तै पाणी पिवै देंद त कबि पाणीपुरुष पब्लिक तैं पाणी पिवै दिंदन।
यन्नि ढंग से ये लोकतंत्र मा पुळपुरुष, नाळीपुरुष, पुस्तापुरुष, लैटपुरुष, लैपटौपपुरुष, दर्रीपुरुष, ढोलकपुरुष, चिमटापुरुष आदि आदि अपुड़ा पुरुषत्व का चिमटा बजाणा रंदन। पर जितणा का बाद जु पुरुष होंदन वूंका दर्शन कबि - कबि होंदन। पुरुषों का बदल अमूमन पुरुष प्रतिनिधि का दर्शन होंदन। कबि - कबि त पुरुष प्रतिनिधि का बजाय प्रतिनिधि कु प्रतिनिधि का दर्शन होंदन।
ब्वाडा पुरुषदर्शन पर रन्दा लगाण मा मिस्यूं छौ तबरि अचणचक्क एक डंडाधारी पुरुष अपुड़ा प्रचारी पोस्टर अर कच्छाधारी समर्थकों तै लेकि ब्वाडा कु कूड़ा कि पाळ्यों पर पोस्टर चिपकाण बैठिगे।
साक्षात पुरुषपार्टी समणि देखिकि ब्वाडा तै डैर लगिगे। फलस्वरूप ब्वाडा वखम बिटै रफट्ट भितरखण्ड भाजिगे अर 'पुरुष - पुरुष 'ब्वलदा - ब्वलदा ड्वाराउंद लुकिगे।
..........हरीश जुयाल 'कुटज'
Himalayan satirical Poem, Garhwali Satirical Poetry , North Indian satirical poem

Bhishma Kukreti

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  संसोधित कड़थी (मल्ला ढांगू ) की लोक कलाएं व कलाकार
 
   ढांगू संदर्भ में गढ़वाल की  लोक कलाएं व भूले बिसरे कलाकार श्रृंखला  -  8
(चूँकि आलेख अन्य पुरुष में है तो श्रीमती , श्री व जी शब्द नहीं जोड़े गए है )
संकलन - भीष्म कुकरेती
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 एक अनुमान अनुसार कड़थी मल्ला ढांगू में सबसे बड़ा क्षेत्रफल का गाँव है।  कड़थी  दालों विशेषतः राजमा हेतु प्रसिद्ध था और सिलोगी स्कूल के लिए भी प्रसिद्ध है।  कड़थी की सीमाओं में पूर्व में बागों , मळ - कलसी , नेल -रैंस  , दक्षिण में कड़थी गदन डबरालस्यूं की सीमा निश्चित करता है , कड़थी गदन बाद में गटकोट क्षेत्र में मंडुळ गदन बन जाता है याने पश्चिम में जल्ली , घनशाळ व गटकोट हैं।  उत्तरपश्चिम में बन्नी व उत्तर में बड़ेथ की सीमाएं हैं। संभवतया कुछ स्थान में उत्तर में ग्वील की सीमा भी लगती है।
 कड़थी का सिलसू देवता एक जागृत देवता है जिसकी पुजायी हेतु मल्ला ढांगू के आठ गाव वाले  प्रथम कटाई के धान /चावल व दूध देते थे।  कड़थी के सिल्सवाल सपने में भी मांश भक्षण नहीं करते हैं.
   कड़थी में भी अन्य क्षेत्रों की तरह आम गढ़वाल की लोक कलाये फलती फूलती रही हैं। यथा -
छत पत्थर खान - कलसी के निकट कड़थी गदन की ओर।  हृदयराम सिल्सवाल ,  राम कृष्ण सिल्सवाल , श्रीनन्द सिल्सवाल , , कतिकू सिंह व गोविंदराम भट्ट पत्थर खदान , कटान विशेषज्ञ थे
लौह उपकरण निर्माण व मरोम्मत -स्वांरु लाल , कुंदन लाल व बंशी लाल व कख्वन  के सल्ली
काष्ठ  कला - गोविंदराम भट्ट व  दूसरे  गांव कख्वन के कुशला नंद व बग्गू लाल
हन्त्या जागरी - स्वांरू  लाल , कुण्डल लाल वर्तमान -बंशी लाल
जागरी - भूतकाल में शिवदत्त सिल्सवाल , राजाराम भट्ट , रामनाथ भट्ट व वर्तमान में चंद्रमोहन भट्ट (पुत्र स्व रमजराम )  व उनका पुत्र
ओड , मिस्तरी - भाना , छुट्ट्या , (कड़थी के बखारी डांड से )
 स्वर्ण कला , स्वर्णकार कला -  भूतकाल में जसपुर  बाद में जसपुर व पाली वालइ स्वर्णकारों ने सिलोगी में दूकान खोल दी तो सिलोगी पर निर्भर
 ताम्बा , कांसा धातु कला व कलाकार - भूतकाल में जसपुर किन्तु लगभग 1935 से तैयार बर्तन खरीदी का फैशन चल गया था।
 महिलाएं गीत गायन व समय काल अनुसार नृत्य भी करतीं थीं , पुरुष भी उतस्वों पर नृत्य करते थे
लोक कथाएं , कहवतें कहने सुनाने की प्रथा विद्यामन थी। 
 औजी /ढोल वादन - कैन्डुळ के सत्ता दास परिवार ,
मसुकबाज  वाद्य  वादक  - कड़थी के कुंदन लाल व उनके पुत्र बंशी लाल थे
कृषि प्रधान गाँव होने से टाट पल्ल , कील ज्यूड़ , निसुड़ , हौळ -ज्यू  मुंगुर निर्माण लगभग प्रत्येक किसान करता ही था , भ्यूंळ  के कंटेनर व टोकरियां  गाँव में ही निर्मित होते थे।   इसी तरह न्यार /रस्से हेतु रेशे से लगुल बटना  सभी को आता था।  न्यार से खटला नागरिक अपने आप बनाते थे।
सैन्य  कला - लगभग हर परिवार से सेना या सेना प्रशासन विभाग में रहे हैं।  लगभग सभी विश्व युद्धों , व अन्य युद्धों में भागीदारी।  स्व दाताराम  भट्ट प्रसिद्ध थे।   
रामलीला भी होती थीं अब फिर से इस कला को पुनर्जीवित किया जा रहा है
अध्यापकी - सिलोगी स्कूल स्थापना (1923 ) में सब तरह से सहयोग गाँव वालों का था।  कई अध्यपक हुए हैं। डा प्रेम लाल भट्ट ने कई पुस्तकें प्रकाशित की हैं। 
साहित्यकार - डा प्रेम लाल भट्ट , विश्वेशर  सिल्सवाल 
 
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सूचना आभार- विश्वेशर  प्रसाद सिल्सवाल (कड़थी  )
 
 
Copyright @ Bhishma Kukreti , 2020
Folk Arts of Dhangu Garhwal ,Folk  Artisans of Dhangu Garhwal ;   ढांगू गढ़वाल की लोक कलायें , ढांगू गढ़वाल के लोक कलाकार 
 


Bhishma Kukreti

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भरच्यांद , भड्यांद  तून लगांद , पित्यांद  अंग्रेजी-शब्द  -गढ़वली में  परिभाषित करते व्यंग्य  शब्दकोश  B-59   
 
   (English -Garhwali  Dictionary of Satire , Sarcasm,  Aggravating , Galling , Roasting  Definitions   )
 (गढ़वाली ,  व्यंग्य,  हंसी, जोक्स ,  चिढ़ाते , धृष्टता करते ,ठट्टा लगाते  , ताना मारते , झिड़कते शब्द -परिभाषा शब्दकोश , व्यंग्यकोश  )
 संकलन - भीष्म कुकरेती
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 Misery, दुर्गति = जन नेताओं द्वारा भारत म प्रजातंत्र  की करीं च
Misfit , अनुपयुक्त = राजनीति म राहुल गांधी
Misgovern,कुशासन = भारत का हरेक राज्यम
mislead, भकलाण  = जन विरोधी CAA का बारा  मा  बुलणा छन
Missing,हर्ची गे, हर्च्युं  = उत्तराखंड म प्राचीन संस्कृति
Monkey,बांदर = पहाड्युं  सबसे बड़ो दुश्मन 
Moral,सदाचारी , सदाचार = जु अब  गायब ही च
Mumble,गगळाण - राहुल गाँधी का भाषण
Murder ,हत्त्या - जन नेताउं न भरतीय प्रजातंत्र का कार
Mythology मिथक,पौराणिक कथा  = कम्युनिस्टुं चिरड़
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गढ़वाली हास्य , गढ़वाली व्यंग्य , ताना मारते , चिढ़ाते , जलाते , गढ़वाली,  व्यंग्य, मजाक उड़ाते गढ़वाली व्यंग्यकोश  , Sarcastic definitions in Garhwali


 

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