दाबड़ (बिछला ढांगू ) में कलम सिंह राणा की तिबारी में भवन काष्ठ कला
House Wood Carving Art in Tibari of Badri Singh Rana from Dabur (Bichhla Dhangu, Pauri Garhwal )
ढांगू गढ़वाल , हिमालय की तिबारियों पर काष्ठ अंकन कला -21
Traditional House wood Carving Art of West Lansdowne Tahsil (Dhangu, Udaypur, Ajmer, Dabralsyun,Langur , Shila ), Garhwal, Uttarakhand , Himalaya -21
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उत्तराखंड , हिमालय की भवन (तिबारी, निमदारी , जंगलादार ) काष्ठ अंकन लोक कला ( तिबारी अंकन ) - 34
Traditional House Wood Carving Art (Tibari) of Garhwal , Uttarakhand , Himalaya - 34
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संकलन - भीष्म कुकरेती
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दाबड़ गंगा तटीय गाँव व ढांगू में उर्बरक , कृषि में समृद्ध गांव माना जाता रहा है और कर्मठ कृषकों का गाँव था। आज दाबड़ पलायन की मार क झेल रहा है। अब तक दो शानदार तिबारियों की सूचना मिली है।
कलम सिंह राणा कीकाष्ठ तिबारी कलायुक्त , मेहराब युक्त है किन्तु इस काष्ठ तिबारी में ब्रैकेट नहीं हैं. दाबड़ में कलम सिंह राणा की तिबारी भी तिभित्या (तीन दीवार , एक कमरा आगे व एक कमरा पीछे ) मकान की पहली मंजिल पर दो कमरों केब्रांडे पर है। दाबड़ में कलम सिंह राणा की तिबारी में भी ढांगू की अन्य तिबारियों की भाँती चार स्तम्भ हैं जो तीन मोरी/ द्वार/ खोळी बनाते हैं। काष्ठ स्तम्भ पाषाण की देहरी /देळी में चौकोर पाषाण आधार पर ठीके हैं , किनारे के स्तम्भ दीवार से एक वानस्पतिक कड़ी से जुड़े हैं व जोड़ू कड़ी में लता युक्त कला उत्कीर्ण हुयी है। स्तम्भ का आधार अधोगामी कमल पुष्प दल से बना कुम्भी /तुमड़ी /पथोड़ी नुमा आकृति है। कमल दल ऊपर डीले (round wood plate, सर में भार धोने हेतु कपड़ा या अन्य से बना डीलू आकृति ) से निकलते हैं। डीले के ऊपर ऊर्घ्वगामी कमल पुष्प दल निकलता है जो फिर शाफ़्ट में बदल जाता है व शाफ़्ट गोलाई कम होती जाती है। फिर दो डीलों की आकृति के बाद वुड प्लेट या थांत का चौड़ा भाग शुरू होता जहाँ से मेहराब की चाप शुरू होती है। स्तम्भ के शाफ़्ट /कड़ी के दो डीलों के ऊपर के थांत (flat wood plate ) में भी बेल बूटे व पत्तियों की आकृतियां उत्कीर्ण हुयी है।
मेहराब तिपत्ति trefoil नुमा है व बीच की चाओ ogee arch जैसी है। चाप के बाह्य extra-dos plate में भी वानस्पतिक कला अंकित हुयी है व मेहराब चाप के बाहर की प्लेट में किनारे पर एक एक चक्राकार (mandana design ) फूल गुदे हैं , याने ऐसे कुल छ /6 पुष्प गुदे हैं। मेहराब व स्तम्भ के शीर्ष पट्टी जो छत से मिलती है उस आयताकार कड़ी या पट्टी (मुण्डीर ) में भी प्राक्रितिक कला उत्कीर्ण हुआ है। इस कड़ी में तीन नजर न लगे के प्रतीक आकृति लगी हैं याने कुल तीन आकृति।
क विश्लेषण से साफ़ पता चलता है कि काष्ठ तिबारी में प्राकृतिक (natural motif ) व ज्यामितीय (geometrical motif ) कला अलंकरण हुआ है और मानवीय (figurative ) कला अलंकरण नहीं हुआ है
दाबड़ की इस तिबारी 1947 से पहले की लगती है व 1930 के पश्चात की। तिबारी व मकान कलाकारों की कोई सूचना नहीं मिल पायी है। यह सत्य है बल अधिकतर गंगा तटीय बिछला ढांगू की तिबारी निर्माण कलाकार टिहरी गढ़वाल से आते थे।
दाबड़ में कलम सिंह राणा की तिबारी आज भी भव्य तिबारी लगती है व कलापूर्ण मेहराब युक्त तिबारी है।
सूचना व फोटो आभार : ममता राणा (दाबड़ ) व सत्य प्रसाद बड़थ्वाल (खंड )
Copyright @ Bhishma Kukreti , 2020
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