कुमार्था (उदयपुर ) में चंदन सिंह बिष्ट के भव्य जंगलेदार मकान में काष्ठ कला दर्शन
कुमार्था गाँव में भवन (तिबारी , निमदारी ) काष्ठ कला -3
Traditional House wood Carving Art of Tibari, Nimdari of Kumartha Village -3
उदयपुर संदर्भ में गढ़वाल , हिमालय की तिबारियों/ निमदारियों पर काष्ठ अंकन कला - 6
Traditional House wood Carving Art of West Lansdowne Tahsil (Dhangu, Udaypur, Ajmer, Dabralsyun,Langur , Shila ), Garhwal, Uttarakhand , Himalaya -6
-
गढ़वाल , उत्तराखंड , हिमालय की भवन (तिबारी, निमदारी , जंगलादार ) काष्ठ अंकन लोक कला ( तिबारी अंकन ) - 39
Traditional House Wood Carving Art (Tibari) of Garhwal , Uttarakhand , Himalaya - 39
-
संकलन - भीष्म कुकरेती
-
हिंवल तटवर्ती कुमार्था गाँव , कुमाठी ग्राम पंचायत का हिस्सा है व गैंड , सिंधी , , जुकाळा , नेल के निकटवर्ती गाँव है।
स्वतंत्रता उपरान्त लैंसडाउन तहसील अथवा दक्षिण गढ़वाल में पहली मंजिल में काष्ठ जंगले बाँधने की संस्कृति का प्रचलन हुआ व तिबारी निर्माण में कमी आयी। जंगला बाँधने का क्रम सन 1970 तक बरकरार भी रहा। धीरे धीरे मैदानी शैली के सीमेंट मकानों का प्रचलन शुरू हुआ जो अब अपनी ऊंचाई पर है।
कुमार्था (यमकेश्वर तहसील ) में भी स्वतन्त्रता उपरान्त कुछ जंगलेदार मकानों का निर्माण हुआ जिनमे स्वतंत्रता सेनानी चंदन सिंह बिष्ट का पहली मंजिल पर जंगलेदार मकान कुमार्था की शान थी। आज यह मकान जीर्ण -शीर्ण अवस्था में है किन्तु कभी बिष्ट मुंडीत का यह जंगलेदार मकान कुमार्था क ही नहीं इस इलाके का ( तल्ला ढांगू व उदयपुर ) की शान था।
मकान के तल मंजिल पर पिलर हैं जो दस कमरे (उबर ) व बरामदा बनाते हैं व पहली मंजिल पर दस कमरे हैं व 15 -16 स्तम्भों से जंगल बना है। स्तम्भों को जोड़ने वाला नीचे कोई जंगला नहीं है जो आमतौर पर इस तरह की निंदारियों में मिलते हैं। जंगलेदार मकान की विशेष विशेषता (exclusivity ) है कि 15 -16 स्तम्भ में प्रत्येक दो स्तम्भ के ऊपरी भाग में तोरण बने हैं। जो मकान को एक अलग ही perception छवि देने में सक्षम हैं। जंगलेदार मकानों की अब तक जो भी सूचना मुझे मिली उनमे ऐसे मकानों में स्तम्भों के ऊपरी भाग में तोरण नुमा /arch type कोई आकृति नहीं दिखाई दी केवल कुमार्था के चंदन सिंह बिष्ट के इस जंगलेदार मकान में स्तम्भ के ऊपर काष्ठ तोरण लगाए गए हैं। तोरण में कुछ कुछ trefoil arch तिपत्ती वृत्त की झलक मिलती है।
स्तम्भ छज्जों के ऊपर ठीके हैं व प्रत्येक स्तम्भ आधार में ज्यामितीय व वास्पतिय कला उकेरी गयी है जो जंगलेदार मकान को भव्यता प्रदान करने में सक्षम हैं।
तल मंजिल के पिलर से अनुमान लगाया जा सकता है कि मकान सन 1960 के लगभग ही निर्मित हुआ होगा। मकान व काष्ठ कला के कलाकार कौन थे की जानकारी नहीं मिल पा रही है
कहा जा सकता है कुमार्था के स्वतन्त्रता सेनानी चंदन सिंह बिष्ट का यह जंगलेदार मकान उदयपुर ढांगू में विशेष मकान में अवश्य गिना जाता रहा होगा।
सूचना व फोटो आभार : वीरेंद्र असवाल (मूल डबराल स्यूं , वर्तमान देहरादून ) व कोमल बिष्ट , कुमार्था
Copyright @ Bhishma Kukreti , 2020
Traditional House Wood Carving (Tibari ) Art of, Dhangu, Garhwal, Uttarakhand , Himalaya; Traditional House काष्ठ Wood Carving (Tibari) Art of Udyapur , Garhwal , Uttarakhand , Himalaya; House Wood Carving (Tibari ) Art of Ajmer , Garhwal Himalaya; House Wood Carving Art of Dabralsyun , Garhwal , Uttarakhand , Himalaya; House Wood Carving Art of Langur , Garhwal, Himalaya; House wood carving from Shila Garhwal गढ़वाल (हिमालय ) की भवन काष्ठ कला , हिमालय की भवन काष्ठ कला , उत्तर भारत की भवन काष्ठ कला