अमाल्डू में जगदीश प्रसाद उनियाल की तिबारी में विशेष काष्ठ कला /अलंकरण
House Wood carving art/Ornamentation in Tibari of Jagdish Uniyal , Amaldu
अमाल्डू (डबरालस्यूं में भवन काष्ठ अलंकरण कला/अलंकरण -2
House Wood Carving art/ornamentation, Amaldu -2
डबरालस्यूं , गढ़वाल , हिमालय की तिबारियों/ निमदारियों / जंगलों पर काष्ठ अंकन कला - 5
House Wood Carving ornamentation art of Dabralsyun -5
गढ़वाल , हिमालय की तिबारियों/ निमदारियों / जंगलों पर काष्ठ अंकन कला -
Traditional House wood Carving Art of West Lansdowne Tahsil (Dhangu, Udaypur, Ajmer, Dabralsyun,Langur , Shila ), Garhwal, Uttarakhand , Himalaya -36
दक्षिण पश्चिम गढ़वाल (ढांगू , उदयपुर , डबराल स्यूं अजमेर , लंगूर , शीला पट्टियां ) तिबारियों , निमदारियों , डंड्यळियों में काष्ठ उत्कीर्णन कला /अलंकरण -36
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गढ़वाल, उत्तराखंड , हिमालय की भवन (तिबारी, निमदारी , जंगलादार ) काष्ठ अंकन लोक कला ( तिबारी अंकन ) - 62
Traditional House Wood Carving Art (Tibari) of Garhwal , Uttarakhand , Himalaya - 612
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संकलन - भीष्म कुकरेती
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उनियालों की बसाहत कारण अमाल्डू डबरालस्यूं का महत्वपूर्ण गांव है। अशोक उनियाल ने सूचना दी कि अमाल्डू में तिपुर/दो मंजिला मकानों का रिवाज रहा है और वह भी राजराजेश्वरी देवलगढ़ दरबार की तर्ज पर। सम्प्रति भी एक तिपुर के पहली मंजिल पर बिठी तिबारी की विवेचना ही है। अमाल्डू डबरालस्यूं में जगदीश प्रसाद उनियाल की यह तिबारी कई मायनों में विशेष तिबारी कहलायी जायेगी। सबसे पहलि विशषता है कि दक्षिण गढ़वाल में तिपुर (दो मंजिला ) मकान में बहुत कम तिबारी देखने को मिलती हैं , अब तक के सर्वेक्षण में तो नहीं मिली है। जगदीश प्रसाद उनियाल की तिबारी की अहम विशेषता तिबारी कटान व तोरण (मंडल , arch , मेहराब अर्ध गोल मुरिन्ड ) तिपत्ती रूप। स्तम्भ व मेहराब मिलन के थांत पर कहीं भी छिलपट्टी /ब्रैकेट नहीं है।
चार स्तम्भों वाली तिबारी भी आम तिबारियों जैसे ही तीन मोरी /द्वार , खोळी वाली तिबारी है। तिबारी पहली मंजिल के पाषाण छज्जे पर ही आधारित है। दक्षिण गढ़वाल या गढ़वाल की अन्य तिबारियों भांति इस तिबारी के स्तम्भ में आधार पर कुम्भी , फिर डीला /round wooden bracket , फिर उर्घ्वगामी पदम् दल , फिर शाफ़्ट की मोटाई कम होना व फिर डीला , उर्घ्वगामी कमल दल व फिर तोरण का अर्ध मंडल जो दूसरे स्तम्भ के अर्ध तोरण से मिल पूरा तोरण बनता है। दक्षिण गढ़वाल की अधिकतर तिबारियों में उर्घ्वगामी कमल दल के बाद जब शाफ़्ट कम मोटा जाता होता है तो स्तम्भ गोलाई लिए होता है किन्तु जगदीश प्रसाद उनियाल की तिबारी में स्तम्भ के शाफ़्ट गोलाई में न हो चौकोर हैं जो एक विशेषता है। शाफ़्ट के ऊपर डीले भी गोल नहीं अपितु चौकोर ही हैं। यद्यपि तोरण तिपत्ती आयकर का है किन्तु दीखनेमे कच अलग ही लगता है।
तोरण के बाम व दायं पट्टिकाओं में में अष्टदल पुष्प अंकित है व वानस्पतिक अलंकरण है। टॉर्न के ऊपर शीर्ष (मुरिन्ड ) आयताकार पट्टिका की है। ज्यामितीय व प्राकृतिक कला /अलंकरण का नयनाभिरामी नमूना है। मानवीय अलंकरण इस तिबारी में नहीं हुए हैं।
निष्कर्ष में कहा जा सकता है कि अमाल्डू म ेजगदीश प्रसाद उनियाल के तिपुर मकान की तिबारी कई दृष्टि से दक्षिण गढ़वाल की तिबारियों से भिन्न भी है व विशेष विशेष्ता लिए है।
सूचना व फोटो आभार : अशोक उनियाल , अमाल्डू
Copyright @ Bhishma Kukreti, 2020
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