जल्ठ में स्व. नंदा दत्त डबराल की निमदारी ( जंगलादार मकान ) में काष्ठ कला , अलंकरण
गढ़वाल, कुमाऊं , उत्तराखंड , हिमालय की भवन (तिबारी, निमदारी , जंगलादार मकान , बखाई , मोरियों , खोलियों काठ बुलन, छाज ) काष्ठ अंकन - 117
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संकलन - भीष्म कुकरेती
पौड़ी जनपद के डबरालस्यूं पट्टी में जल्ठ गाँव विद्वता के लिए प्रसीद्ध रहा है और आज भी प्रसिद्ध है। पिछले अध्याय में एक खोली की विवेचना हुयी थी वह खोली वास्तव में स्व नंदा दत्त डबराल की थी। रिकॉर्ड के अनुसार स्व नंदा दत्त डबराल जल्ठ के प्रथम सरकारी अध्यापक हुए हैं। आज उनके दूसरे मकान याने निमदारी (जंगलादार मकान ) में काष्ठ , कला व अलंकरण के बारे में विवेचना होगी।
स्व नंदा दत्त डबराल का मकान/निमदारी ढैपुर है (तल मंजिल + 1 . 5 ) है व दुखंड /तिभित्या है । काष्ठ जंगला पहली मंजिल पर बंधा है।
निमदारी में पत्थर /पटाळ का बना छज्जा है जो लकड़ी के दासों /टोड़ी पर टिका है। निमदारी के छज्जे के सामने व बगल में 18 से अधिक स्तम्भ , खम्भे टिके हैं जो ऊपर छत आधार काष्ठ पट्टिका से मिलते हैं।
स्तम्भों में आधार कुछ मोटा है व सबसे ऊपर भी मोटाई लिए आकार है। दोनों स्थलों (आधार व ऊपर ) कटान से सुंदर आकृति उत्कीर्ण की गयी है।
ज्यामितीय अलंकरण के अतिरिक्त कोई प्राकृतिक व मानवीय अलंकरण नहीं हुआ है।
एक समय में स्व नंदा दत्त डबराल की यह निमदरी जल्ठ की पहचनों में से एक थी या ठसक वृद्धि करने का एक कारक थी। बारात ठहराने व कई रौबदार मेहमानों को ठहरने का भी यह निमदारी ठौर था।
सूचना व फोटो आभार : हरीश ममगाईं , व हरीश डबराल , जल्ठ
* यह आलेख भवन कला संबंधी है न कि मिल्कियत संबंधी . मिलकियत की सूचना श्रुति से मिली है अत: अंतर के लिए सूचना दाता व संकलन कर्ता उत्तरदायी नही हैं .
Copyright@ Bhishma Kukreti for detailing
डबरालस्यूं संदर्भ में गढ़वाल , हिमालय की तिबारियों/ निमदारियों / जंगलों बखाई , मोरियों , खोलियों , काठ बुलन, छाज ,, पर काष्ठ अंकन कला /लोक कला 115
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