Author Topic: Articles By Mera Pahad Members - मेरापहाड़ के सदस्यों के द्वारा लिखे लेख  (Read 15378 times)

एम.एस. मेहता /M S Mehta 9910532720

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                               ARTICLES BY MERAPAHAD MEMBERS    
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मेरापहाड़ के सदस्यों के लिए भी एक मौका कि वे उत्तराखंड कि विकास, सांस्कृतिक, भौगोलिक और अन्य मुद्दों पर यहाँ पर अपना लेख लिख सकते है !

लेख उक्त के अलावा उत्तराखंड से सम्भंदित किस मुद्दे पर हो सकता है और लेखक को ज्यादा से ज्यादा शब्दों में मुद्दे को विस्तार से लिखे ! लेख मे विशेष सुजाव होने चाहिए जो कि रचनात्मक हो !

हिन्दी एव अंग्रेजी दोनों भाषाओ में लेख लिखे जा सकते है !

We are sure you will write any articles in detail here !

एम् एस मेहता
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एम.एस. मेहता /M S Mehta 9910532720

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चलो मे थोड़ा सा कोशिश करता हूँ

 उत्तराखंड के ८ आठ साल
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दोस्तों,

जैसे कि आपको ज्ञात है बहुत से बलिदानों के बाद हमने उत्तराखंड राज्य को पाया ! इसके पीछे का मुख्या उद्देश्य के उत्तराखंड राज्य के विकास और उन्नती ही है ! आज उत्तराखंड को बने आठ साल से ज्यादे का समय हो गया है उत्तराखंड कितना बदला है इसका उत्तर जनता के पास है!

जनता कि उम्मीदे

१..  जनता ने सोचा चारो और नौकरी ही नौकरी होगी ! रोजगार के बहुत सारे अवसर होंगे लोगो को नौकरी के लिए मुंबई, दिल्ली और अन्य महानगरो मई नही जाना पड़ेगा !

२)  जनता ने सोचा कि - उनको पहाडो के लम्बी लम्बी पैदल यात्रा नही करनी होगी

३)  जनता ने सोचा कि - उनके घर तक सड़क होगी चारो और विकास ही विकास होगा

४)  जनता ने सोचा कि -  उपचार के लिए उनके घर से नज्दीग से नज्दीग अस्पताल होंगे !

५)  जनता ने सोचा कि -  उनके इलाकों मे पर्यटन को बडवा मिलेगा

६)  जनता ने सोचा कि -   हर गाव में विकास के कई संसाधन होंगे !

७) जनता ने सोचा कि -   शिक्षा ने कई नए -२ संस्थाए होंगे जिससे कि पड़े लिखे लोगो को नौकरी मिल सके

८)  जनता ने सोच कि -    सारा पहाड़ में सडको का जाल होगा

९)  जनता ने सोचा    -    लघु उधियोगो का विकास होगा

१०)  जनता ने सोचा   -    उत्तराखंड खुशहाल होगा चारो और विकास ही विकास होगा

११) क्या हुवा उत्तराखंड के फ़िल्म उधियोग का
 

आख़िर क्या बदला -
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  १)   पहला धोखा -     राजधानी का ( गैरसैण के लिए लोगो ने अपनी जाने दी) लेकिन राजधानी अभी तक नही बन पायी !

 २)    क्या हुवा मुज़फर नगर ने आरोपियों का

 3)   क्या बदला -  उत्तराखंड के बेरोजगारी का

 ४)  क्या बदला -  उत्तराखंड के पर्यटन का
 
 ५)  क्या बदला -  उत्तराखंड के पलायन की दर में

 ६)   क्या बदला - कई जन समस्याओ का -

आखिर क्या बदला -               दो सरकार  -        समय -    ८ साल
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जनता के सपने सपने ही सपने
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आठ साल का समय किसी भी राज्य के निर्माण के लिए हम नही होता ! लेकिन वही बेरोजगारी, वह्ही पलायन, वही समस्याए !

उत्तराखंड सरकार को चाहिए कि
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अ) लोगो उधियोगो को बढावा दे
२)  पहाडो में विकास के लिए सड़क accessibility होना अवश्य है ! इसके लिए उत्तराखंड के पहाडी भागो को सड़क मार्ग से जोड़ना चाहिए

३)  पर्यटन उत्तराखंड के लिए बहुत बड़ी सोर्स ऑफ़ income हो सकता है जिसको बढावा देना चाहिए !

४)  प्रतिष्ठित पहाडियों को सरकार पहाड़ से जोड़े और उन्हें समय -२ पर समानित करे

भ्रस्ताचार का उन्मूलन के लिए कठोर कदम उठाये जाय !

अरुण/Sajwan

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Thanx Mehta Ji ... Ye topic start karne ke liye
Sir I wants to share my thoughts to you. Please apni rai jarur den.

(1)Aaj uttarakhand rajy ko bane 7 sal se jyada ho gaye hain. Lekin mujhe bahut dukh hota hai ki aaj ki nayi generation aur yahna tak ki meri age tak ke bhi kai log uttarakhand ke bare me na ke barabar jante hain. Aaj bhi jyadatar logon ko Uttarakhand ke itihas , Sanskriti, Sahitya aadi ke bare me uchit jankari nhi hai Aur  main samajhta hun ki jab tak log uttarakhand ko samajhenge nahi to uske vikas ke bare me soch kaise sakte hain.
   
   Isliye main sochta hun ki Uttarakhand ke shaikshik pathykram me Uttarakhand sambandhi koi Subject hona chahiye. Jisme Uttarakhand ke Itihas, Aandolan, Sahitya, Sanskriti etc. ke bare me bachon ko pahle se hi jankari di jani chahiye. Taki har koi bachpan se hi Uttarakhand ko samajh sake.Aur uttarakhand ke vikas ke bare me soch saken.

                                                                                 (Continue)

अरुण/Sajwan

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(2) Aaj computer aur Internet ki upyogita kisi se chhupi nahi hai.lekin main dekhta hun ki aaj bhi mere pahad me ye suvidhayen pahuch nahi payi hain. I think ki yadi pahad ke log Internet jaisi suvidhaon se jud jayen to unhe pahad ke vikas ke sambandh me naye naye vichar mil payenge.
        Ye bat ham sabhi jante hain ki Uttarakhand me Pratibhaon ki kami nahi hai, Kintu Jankari ke abhav me pahad ke yuva ya to galat rah par chale jate hain ya phir maidano me. Internet jaisi suvidhaon se judne par yuvaon ko vibhinn kshetron ke bare me jankari milegi aur vo aage aa payenge.

हेम पन्त

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अरुण भाई, अपने विचार हमारे साथ बांटने के लिये धन्यवाद. आपके विचारों से मैं भी सहमत हूं. इन्टरनेट का प्रयोग अभी पहाङी शहरों के Cyber cafe तक ही सीमित है.

एम.एस. मेहता /M S Mehta 9910532720

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दोस्तों,

जैसा की आप जानते है, पूरे उत्तराखंड ने अभी तक उम्मीद के मुताबिक विकास नही किया है! उत्तराखंड के हर कौने के लोगो के विकास न होने के कई खबरे दिन-प्रतिदिन अखबारों में आती है!

मै व्यक्तिगत रूप से उत्तराखंड के विभिन्न जिलो में घूम चुका हूँ लेकिन अन्य जिलो को तुलना में बागेश्वर उत्तराखंड के सबसे पिछड़ा जिला के रूप गिना जा सकता है !  हलाकि में इसी जिले का रहने वाला हूँ उत्तराखंड बनने से पहले और उत्तराखंड बनने के बाद के विकास यदि मुझे को तुलना करने के लिए बोले और १०० में विकास अंक देने के लिए कहे तो मै ...... सिर्फ़ ...... और सिर्फ़     ...... ५ % ही अंक विकास को दूंगा !

अब समस्याए
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    a )

बागेश्वर उत्तराखंड के धार्मिक जगहों में से एक है यहाँ पर सूरयो और गोमती नदियों का संगम है और भगवां शिव का पौराणिक मन्दिर भी ! लेकिन शहर में ट्रैफिक का बड़ा बुरा हाल है गत ६ बरसो से एक बाय पास का रुका ही रुका है !

२)    अस्पताल --  शहर मे एक सरकारी अस्पताल है इसमे भी मुस्किल से १० bed की सुविधा नही है ! इमर्जेंसी केसेस में लोगो को अल्मोडा एव रानीखेत जाना पड़ता है !

३)   रोड  :    अगर मे अपने गाव के रोड के सपने के बार में बताओ तो आप चकित रह जायंगे !   गत ६ सालो के हम अपने गाव को सड़क मार्ग से जोड़ने के लिए लड़ाई लड़ रहे है !  The situation is that we have run pillar to post but no gain !

अगर शहर की आम सडको की बात करे तो - ताकुला से हल्द्वानी वाली सड़क मार्ग का बेहाल है जगह  - २ गद्दे ! कौन आएगा यहाँ पर सैर सपाटे ले लिए ! --   मंत्री एव मुख्य मंत्री लोग आते है मेले और चुनावी मेले पर और वो भी हेलीकॉप्टर से ... हां ... हा.. हां. तो रोड ख़राब होने का पता कैसे लगेगा !

४)   शिक्षा --  भाई इसका हाल तो और भी बुरा है ! चुप रहने बहेतर

५)  पर्यटन -     बागेश्वर शहर के आलावा पर्यटन के लिए यहाँ पर कई जगह है जहाँ पर अब तक के सरकारों ने अनदेखी की है ! प्रसिद्ध पिंडारी ग्लेशियर जो की बागेश्वर से ९० की दूर पर होगा लेकिन वहां तक अभी तक सरकार ने रोड नही पंहुचा सकी है !   इसके आलवा रीमा क्षेत्र में भगवान् मूल नारायण जी का मन्दिर है जो की शिखर जैसे रमणीक स्थल पर और यहाँ पर भी यातायात के कोई साधन नही है !

६.) बेरोजगारी -  अगर नही होते कुमोँन एव गडवाल रेजिमेंट उत्तराखंड का हाल और भी बुरा होता !  इस जिले में रीमा, कांडा, असो आदि जगहों पर काफ़ी खडिया निकलती है लेकिन वह खडिया जाती है हल्द्वानी अगर इसका मिक्सिसिंग का काम बागेश्वर मे कही होता तो लोगो के रोजगार मिलता !

जन पर्तिनिधि
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बागेश्वर जिले का पिछडे होने का एक कारण यह भी रहा है कि यहाँ से कभी भी बड़े प्रतिनिधि नही आए ! हलाकि पूर्व मुख्य मंत्री भगत सिह कोशियारी जी ने कपकोट क्षेत्र से दो बार लगाकार चुनाव जीता इससे पहले वे पिथोरागढ़ से चुनाव लड़ते थे ! भगत दा ने कुछ प्रयास किए लेकिन तब तक उनका कार्य काल ख़त्म हो गया उसके बाद इस क्षेत्र से कोई दमदार जन प्रतिनिधि नही आया !

राज नेता देखते है बागेश्वर पर

या तो उत्तरायनी पर और या तो वोट मागंने के लिए !!  महानभाव विनीति --- कभी चुनावी वादे भी पूरा करे !!!

भारतवर्ष की रक्षा में यहाँ के जवानो के बहुत शहादते है लेकिन शहीदों ने जिले को ignore
किया है !

एम.एस. मेहता /M S Mehta 9910532720

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The Capital Issue of Uttarakhand
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It took Uttarakhand several decade to get the state. After getting the state, UK got first CM outsider then temporiry

Temporary capital. It has been more than 8 hrs after formation of State. It took more than 8 yrs to Dixit Commission to submit its report. We don’t know how much it will take to the Govt to declare the findings of the Dixist Commission on the Capital issue.

UTTARKAHAND IS THE FIRST HILLY STATE OF INDIA WHOSE CAPITAL IS NOT IN HILL AREA
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Uttarakhand is the first hilly state of India whose capital is at a corner and not in the hill area. Apart from the demand of this state, Gairsain has been the un-disputed place for the Capital, proposed by the State Agitators.

See the facts on the distance of Dehradoon from various District of Uttarakhand.


Distance of Gairsain & Dehradoon from various District of Uttarakhand.


Distt              Gaisain            Dehradoon

Uttarkashi             266 Km                     208 Km
Pauri                150 Km            182 Km
Nayi Tehri             202 Km            115 Km
Rudraprayag              46 Km             186 Km
Chamoli (Gopeshwar)         95 Km                       259 Km
Haridwar                      255 Km                    259 Km
Champawat            261 Km            503 Km
Pithoragarh            280 Km            578 Km
Bageshwar             156 Km            503 Km
Almora                      135 Km            409 Km
Nainital                      155 Km             357 Km
Udhyam Singh Nagar           213 Km            279 Km
Gairsain       -                                           272 Km   


The above details shows that distance of Dehradoon is far from all the places except for Uttarkashi and Haridwar.

Do Uttarakhand needs another agitation for Capital like the state ?

See the lines of songs composed by Famous Folk Singer Shree Narender Singh Negi on Capital issue.
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सभी धाणी देहरादून
होणी खाणी देहरादून
छोड़ा पहाड़ीयु घोर -गोऊ
मारा ताणी देहरादूण
सभी ............................

सेरा गोऊ म बंजेणा-२
सेरा गोऊ म बंजेणा
बिस्वा लाणी देहरादून
छोड़ा पहाड़ीयु घोर -गोऊ
मारा ताणी देहरादूण
सभी ............................

खाल - धार टरकणी -2
खाल - धार टरकणी
खाणी- पीणी देहरादून
छोड़ा पहाड़ीयु घोर -गोऊ
मारा ताणी देहरादूण
सभी ............................

प्रजा पिते धार - खाल -2
प्रजा पिते धार - खाल
राजा-राणी देहरादून
छोड़ा पहाड़ीयु घोर -गोऊ
मारा ताणी देहरादूण
सभी ............................

भै - बन्ध अपणे छीन -२
भै - बन्ध अपणे छीन
हुवे बिराणी देहरादून
सभी ...................
छोड़ा पहाड़ीयु घोर -गोऊ
मारा ताणी देहरादूण

छांछ छ्वाले पहाड़ मा-2
छांछ छ्वाले पहाड़ मा
घीयु की माणी देहरादून
सभी ..........................
छोड़ा पहाड़ीयु घोर -गोऊ
मारा ताणी देहरादूण

टेहरी चमोली पौडी नाघी -२
टेहरी चमोली पौडी नाघी
बैरी खाणी देहरादून
सभी ..........................
छोड़ा पहाड़ीयु घोर -गोऊ
मारा ताणी देहरादूण

सबुन बोली गैरी सैण -२
सबुन बोली गैरी सैण
ऊन सुणी देहरादून सभी ..........................
छोड़ा पहाड़ीयु घोर -गोऊ
मारा ताणी देहरादूण

जल्डा सुखण पहाड़ उ मा -2
जल्डा सुखण पहाड़ उ मा
टुकु टहनी देहरादून
सभी ..........................

छोड़ा पहाड़ीयु घोर -गोऊ -2
मारा ताणी देहरादूण

Presently, Lok Sabha election compaign is going there. But this issue is totally sidelined there. Though, the decision has to be taken by the State Govt. 

 

Devbhoomi,Uttarakhand

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देवभूमि के उन पहाडों मैं जीवन ब्यतीत करने वाले हम गरीब परवारों के उन सपनो को इन रिस्पत खोर अधिकारियों ने चकना चूर कर दिया है जो सपना हमने ९ साल पहले देखा था, हमारी देव भूमि मैं जो भी परिवार रहेगा वो सुखी और संपन्न जीवन ब्यतीत करेगा लेकिन हमें क्या मालुम था की ये सपना बिलकुल उल्टा हो जायेगा !
आजकल पटवारी जी भी अपने हतकड़ी भी नहीं निकालते, जबतक पटवारी जी को दारु की बोतल न सुन्गाई जाय और महात्मा गांधी जी की फोटो वाले लाल लाल नोट न दिखाए जाय, और आजकल तो गाँव के प्रधान जी भी कुछ ऐसे ही हत्कंडे अपना रहे हैं जैसे की जिलाधिकारी ही और पटवारी जी अपनाते हैं
मधवाल भाई जी ये बिलकुल सछ बात है यही होता है हमारे देवभूमि के गांवों मैं और गलियों मैं हर उस गरीब परिवार के उस जवान बेटे के साथ, जिस परिवार का सहारा वो उसका जवान बेटा है
आजतक जितने भी छूटे राज्य बने थे तो क्या हुवा कुछ भी तो नहीं सबने कहा की हम वो कर देंगें वो कर देंगें लेकिन किसी ने भी कुछ नहीं किया है हमरे उत्तराँचल को ही देख लीजिये, उत्तराँचल देश का एक ऐसा राज्य है जहां प्रकृति ने अपना पूरा खजाना लूटा रखा है,
 यहां प्राकृतिक संसाधनों की कमी नहीं, यहां के रमणीक स्थल स्विटजरलैंण्ड से कम नहीं, यहां के लोगों में देश के लिए मर मिटने का जज्बा है लेकिन फिर भी पहाड़ राज्य बनने के पहले जहां था बनने के आठ साल बाद भी वहीं खड़ा है. आखिर वह कौन सी वजह है जो यह प्रदेश इन आठ सालों में वह तरक्की नहीं कर पाया जो इसे करनी चाहिए थी.
नौ साल हो गए हैं और आम आदमी को बिजली, पीने का पानी और जीवन की गाड़ी ढोने के लिये अब भी सडक़ों का इन्तजार है। डाक्टर और शिक्षकों का रोना तो आम पहाड़ी लोग अब भी रो रहे हैं। लेकिन सबसे बड़ी समस्या अब भी रोजगार की है जिसकी तलाष में यहां के बेरोजगारों का पलायन रूकने का नाम ही नहीं ले रहा है।
पर्वतीय क्षेत्रों में विकास की किरण न पहुंच पाने के कारण पिछले 10 सालों में 12लाख से ज्यादा परिवारों ने प्रदेश के तराई वाले क्षेत्रों की ओर रूख किया है। जिससे पर्वतीय क्षेत्र की जनसंख्या कम हुई है।उत्तराखण्ड राज्य के गठन के समय 10 करोड़ के ओवरड्राफ्ट के साथ इस राज्य का सरकारी कामकाज शुरू हुआ था और आज इसका नान प्लान का बजट ही छह हजार करोड़ के बराबर है।
 इसी तरह राज्य की सालाना योजना उस समय हजार करोड़ से कम थी जोकि आज 4778 करोड़ तक पहुंच गयी है। यही नहीं राज्य ने कई क्षेत्रों में पुराने और स्थापित राज्यों को भी पीछे धकेलने में सफलता हासिल की है। लेकिन विश्लेषकों का मानना है कि इस नये राज्य की जिस तरह से बुनियाद रखी गयी थी उस हिसाब से यह चल नहीं रहा है। पिछले दो सालोंं में तो विकास में ठहराव सा आ गया।

Devbhoomi,Uttarakhand

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ये समस्याएं उत्तराँचल मैं पहले भी थी और आज भी हैं और सायद हमेसा रहेंगी, गांवों मैं हैण्ड पम्प हैं लेकिन उनमें पानी नहीं आता है क्यों , इसलिए की उन पुम्पों को सहिजगाह नहीं लगाया गया है और ठेकेदारों ने अपनी जेब करनी थी तो वो कर ली लेकिन अब बूँद बूँद के लिए तरस रही बेचारी जनता और बच्चे, बच्चों को तो स्कूल जाना होता है लेकिन बेछारे हैण्ड पम्प जाते हैं और देखते हैं की पानी के नाम पर तो हैण्ड पम्प शूखा पड़ा हुवा है

यही हाल आजकल मनियार के कोट, डंडासली, मुड्या गांव, कोटीगाड, जुगड़ गांव में पिछले कई दिनों से पेयजल संकट बना हुआ है। डंडासली, कोट गांव के लिए गत वर्ष शासन द्वारा पेयजल लाइन स्वीकृत की गई थी, लेकिन डेढ़ वर्ष बीतने पर भी इस पर कार्य शुरू नहीं हुआ और पाइप जंग खा रहे है।
पेयजल आपूर्ति के लिए कोट में लगा एकमात्र हैडपंप भी सूख चुका है। ग्रामीणों गदेरे से पानी ढोना पड़ रहा है। प्रधान युद्धवीर सिंह ने बताया कि संबंधित विभाग को पूर्व में कई बार अवगत कराया गया,
लेकिन विभाग इस ओर ध्यान नहीं दे रहा है। जुगड़ गांव में सर्वाधिक पेयजल संकट बना हुआ है। गांव के लिए बनी एकमात्र पेयजल लाइन में पानी कम होने से गांव तक पानी नहीं पहुंच पा रहा है। जल संग्रहण के लिए श्रीकोट में बनाए गए टैकों से पर्याप्त जलापूर्ति नहीं हो पा रही है,
 जिससे ग्रामीण किरगणी गाड का प्रदूषित पानी पीने को विवश है। प्रधान हरिप्रसाद सकलानी ने कहा कि विभाग दो गांवों का आपसी झगड़ा बताया जिम्मेदारी से पीछे हट रहा है, जिससे वर्षो पुरानी पेयजल समस्या का समाधान नहीं हो पा रहा है।

Devbhoomi,Uttarakhand

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आज भी वो आँखें वही सपना देख रही हैं जो की नौ साल पहले देखा था आज भी कही गाँव ऐसे हैं जो की अभी सपने देख रहें की उनके गाँव और घर मैं भी कभी किसी रात को एक ६० वाट का वल्ब जलेगा कभी कभी तो सपने मैं भी लोग, घर के आगे जो दो खम्बो पर एक लम्बा सा तार एक छोर इ दुसरे छोर तक बाँधा होता है!
 कपडे सुखाने के लिए, तो सपने दयुरानी जेठानी आपस मैं एक दुसरे को कहती हैं कि दीदी उस तार को मत छूना उसमें करंट होगा लेकिन उनको क्या मालुम कि वे अभी भी सपना देख रही हैं, क्योंकि ये सपना हम लोगों ने नौ साल पहले भी देखा था और आज भी वही सपने देख रहे हैं और ना जाने कब तक देखते रहेंगे!


 

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