बौडीक ऐ जा, बौडिक ऐ हे रे ज़माना ,
February 1, 2014 at 8:59pm
बौडीक ऐ जा, बौडिक ऐ हे रे ज़माना ,
खुदेणु छो , हे तेरा बाना
गौरु का लैंजा वो , बाखरियों की डार
सुबेर लखाया बोण जो, ब्याखुनी पैटाया घार
कख हर्चेनी, किले हर्चेनी यन बतावा ,
बौडीक ऐ जा, बौडिक ऐ हे रे ज़माना ,
खुदेणु छो , हे तेरा बाना
डांडा की उकाळी वो कुरछाली चमा चम् ,
उद्यारी का बाठ वो धम्पाली दमा दम ,
पूस का सिंसेर हो के सौण की झड़ी ,
छोटी छे उम्र पर हिकमत छे बड़ी ,
कख हर्चे, किले हर्चे, इन बतावा ...
बौडीक ऐ जा, बौडिक ऐ हे रे ज़माना ,
खुदेणु छो, हे तेरा बाना
पकदा होला हिंसर, किन्गोड दगडयों
तिम्लो की भी लगदी छाटी होली ,
खाण वाला कख हर्चेनी , किले हर्चेनी बतावा
बौडीक ऐ जा, बौडिक ऐ हे रे ज़माना ,
खुदेणु छो, हे तेरा बाना
इस्कुल का दगडयो मेरो , फिर धे लगावा
जोड़ा मंडाण तुम , कौतिग उरयावा,
कख हर्चे व होंसिया उमर जरा बतावा
बौडीक ऐ जा, बौडिक ऐ हे रे ज़माना ,
खुदेणु छो , हे तेरा बाना