दिल्ली बै चिठ्ठी ऐ रै
अन्धविश्वास क महिमामंडन
चनरदा एक उड़ति खबर ल्ही बेर ल्ही बेर बतूं रईं, “अंहो ! एक समाचार पत्र क अनुसार उत्तराखंड सरकार राज्य में अंधविश्वास कैं संस्कृति बतूण का प्रयास करैं रै बल | राज्य में व्याप्त अंधविश्वास कैं गणतुओं, पुछारियों, डंगरियों, जगरियों और तांत्रिकों ल व्यवसाय बनै है जनू कैं आब पिलसन (पैंशन) दीण कि बात चलि रै | शराब पी बेर एक आदिम में दयाप्त औंतरि जांछ जै पर क्वे आंउ नि उठै सकन कि शराब पी बेर य आदिम में क्वे दयाप्त औंतरि रौछ ? य ई डंगरिया क हुकम पर शराब और शिकार क दगाड मसाण (डरै बेर सैणीयां पर जबरजस्ती लगाई जाणी भैम ) कि पुज दिई जैंछ जैक लुत्फ़ मसाण पुजणी मंडलि रात कै क्वे गाड़ –गध्यर क किनार पर पिकनिक कि तौर पर मनूनी | आज लै यूं सबू कि मिलीभगत ल पनपि ‘मसाण उद्योग’ क य पाखंड -प्रपंच कैं राज्य में देखी जै सकूं | अशिक्षा कि उपज अंधविश्वास पोषित य पाखण्ड में समाज क शोषण करी जांछ, बकरा कि बइ दिई जैंछ, भैम पनपाई जांछ और आपसी मिलीभगत ल दयाप्त क नाम पर लूट करी जैंछ | जागर कैं सबै मर्जों कि औखत और सबै परेशानियों कि दवाइ बताई जांछ | लुटि-खसोटि बेर जब पीड़ित कैं फैद नि हयौ तो भाग्य- भगवान्- करमगति पर दोष लगाई जांछ और अक्सर दुबार पुज यौ कै बेर मांगी जैंछ कि ‘तुमुल पैलीकै कि पुज ख़ुशि है बेर नि दी |’ क्वे शिल्पी कैं, क्वे राज-मिस्त्री कैं, बाग़-बगीच लगूणी कैं, बढ़इ कैं, द्यो क भरौस पर भैटी किसान कैं पेंशन मिलनी तो भलि बात हुनि | अंधविश्वास कैं बढ़ावा दीणी क्वे लै बेजबाबदार तन्त्र या पाखण्ड कैं पोषित करण, समाज कैं विज्ञान है दूर धरण वालि बात हइ | आज य वैज्ञानिक युग में अंधविश्वास कैं पछ्याणण, यथार्थ और सत्य कैं समझण, भैम-अज्ञानता-अशिक्षा कैं दूर करण और श्रधा एवं अन्धश्रधा में फरक कैं समझण कि जरवत छ | मी ल डंगरियों क करार या पाखण्ड क कारण कएक पीड़ितों कि अकाल मृत्यु देखि रैछ जनर डाक्टरी इलाज ये वजैल रोकि दे कि उनुकें डंगरी ठीक करि द्यल | हमार इलाक में ग्राम सभा बटि संसद तक चुनाव लड़णी लगभग सबै प्रत्यासी गणतुओं क पास जानी जो म्वटि दक्षिण ल्ही बेर सबू कैं जीत क भरौस दिनीं | चुनाव में जो एक जीतूं उ गणतु कैं महिमामंडित करूं और हारणी सब कंडीडेट चुप रौनी | यूं गणतु –डंगरियां कि देखा- देखि कएक सैणीयां में कीर्तन या सांस्कृतिक आयोजनों में लै ‘देवि’ औंतरण फैगे जो डंगरी-गणतुओं क जस हावभाव करि बेर लोगों ध्यान आपण तरफ खैंचीं | अंधविश्वास हमरि संस्कृति न्हैति | य प्रपंच-पाखण्ड कैं समझण चैंछ और राज्य कैं गणतुओं, तांत्रिकों, झाड़-फूक, मसाण, पशु-बलि, महिला- उत्पीडन, अशिक्षा, नशा, धूम्रपान, शराब और पाखण्ड क मकड़जाव है भ्यार निकाउण चैंछ | उत्तराखंड देवभूमि छ, वीरभूमि छ और शहीदों कि भूमि छ | य विक्टोरिया क्रॉस, परमवीर चक्र और अशोक चक्र प्राप्त करणी सैनिकों कि भूमि छ | येकैं अशिक्षा, अज्ञान और अंधविश्वास है बचूण क लिजी कुछ मजबूत कदम उठूण कि जरवत छ | हमूल आपण क्वे लै स्वार्थ क लिजी य राज्य कैं इक्कीसवीं सदी बै दुबार सत्रहवीं सदी में नि ल्हिजाण चैन |”
पूरन चन्द्र काण्डपाल, रोहिणी दिल्ली
26.11.15