Author Topic: Articles By Shri Pooran Chandra Kandpal :श्री पूरन चन्द कांडपाल जी के लेख  (Read 326490 times)

Pooran Chandra Kandpal

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                                                                   बिरखांत -४७ : भांग-बभूत नहीं, विकास चाहिए सर

        बात निकलती है तो दूर तक जाती है | सुनने में आ रहा है कि उत्तराखंड में भांग की खेती को प्रोत्साहन दिया जाने वाला है | उद्देश्य यह बताया जा रहा कि भांग के रेसे से उद्योग लगेंगे | रेसा - उद्योग के लिए भीमल और रामास के उत्पादन को बढ़ावा दिया जाना चाहिए | इन दोनों से समाज को लाभ ही लाभ है | भांग की खेती से लाभ कम हानि अधिक है  | कहते हैं ‘दूध का टोटा और गोबर का नफ़ा’ अर्थात दुधारू पशु का दूध न देना सिर्फ उसे गोबर के लिए पालना | भांग के पेड़ से रेसा तो बाद में निकलेगा, पहले अत्तर या चरस और भांग निकलेगी | पर्वतीय क्षेत्र में असोज (सितम्बर) के महीने में लगभग सभी गांवों में भांग के पेड़ों से अत्तर निकाली जाती है जो चरसियों को बेची जाती है या इनके माध्यम से बाबाओं के सुल्पों तक पहुँचती है | चरस निकालने के बाद पत्तों को भांग के रूप में प्रयोग किया जाता है | यदि भांग की खेती को बढ़ावा देंगे तो पहाड़ चरस प्रदेश भी बन जाएगा | शराब, नशा और धूम्रपान प्रदेश तो पहले से ही है | राज्य में जिन डंगरियों को पेंशन देने की बात हो रही है फिर उन्हें भंगड़ी में तम्बाकू की जगह भांग और चरस दी जायेगी | राज्य सरकार को ऐसे विनाशकारी कदम नहीं उठाने चाहिए | बिहार में एक अप्रैल २०१६ से शराबबंदी हो रही है | साहब जी नीतीश का अनुकरण करिए | राज्य के स्कूलों में शिक्षा की गुणवता घट रही है, स्कूलों से बच्चे कम हो रहे हैं | इस बात की चिंता न अध्यापकों को है और न सरकार को | प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों में स्टाफ और दवा दोनों की कमी है | लग रहा रहा जिन डंगरियों ने शराब को घर घर पहुंचाया वे अब स्वास्थ्य केंद्रों और स्कूलों में बभूत लगाने के लिए रखे जायेंगे |  बभूत से बच्चों की शिक्षा और रोगियों का स्वास्थ्य सुधर जाएगा | रेल, गैरसैण और भाषा पर सरकार चुप है | इन डंगरियों से बभूत का एक फुक्का आई एस पर और एक फुक्का सीमा पर खड़े दुश्मनों  पर भी मरवा दें ताकि वे भी परास्त हो जायें | मुसर्रफ आया था और ताजमहल के सामने अपनी बेगम के साथ बैठ फोटो खिचा कर चला गया | फिर उसने ‘कारगिल कांड’ किया | तांत्रिक-डंगरियों ने एक फुक्का उसकी बुद्धि ठीक करने के लिए क्यों नहीं मारा ? विरोधी तो आपका हर बात पर विरोध करेंगे परन्तु आम जनता ऐसा नहीं करती | इस जनता ने विगत लगभग चालीस वर्षों से आपको देखा है, आपकी वाकपटुता और मृदुवाणी को कुछ उम्मीद से सुना है | आपको हरदा, हरका, हरीशदा, यहां तक कि बेटा –ठुलबौज्यू भी कहा है | आपको ‘माड़े’ से नहीं ‘नाली’ भर-भर कर प्यार दिया है उत्तराखंडियों ने | ऐसा कहने पर आपके विरोधी मुझ पर कांग्रेसी होने का ठप्पा लगा सकते हैं जबकि मैं एक गैर-राजनैतिक भारतीय उत्तराखंडी हूं | अत: आपसे निवेदन है कि कृपया भांग, नशा और अंधविश्वास को राज्य में प्रोत्साहित नहीं करें | आज राज्य को ‘शिरोपासविस्वा’ की आवश्यकता है अर्थात – शिक्षा, रोजगार, पानी, सड़क, विद्युत् और स्वास्थ्य | इस ‘शष्टाक्षर’ से ही अगली बैतरणी पार होगी | अगली बिरखांत में कुछ और....

पूरन चन्द्र काण्डपाल, ९८७१३८८८१५
02.12.2015

Pooran Chandra Kandpal

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                                                               मेधावी सम्मान, क्विज कांटेस्ट एवं भाषण प्रतियोगिता

६ दिसंबर २०१५ को पूरन चन्द्र काण्डपाल साहित्य सृजनालय सेक्टर-१५ रोहिणी दिल्ली -८९ द्वारा कक्षा ५ से कक्षा १२ तक के विद्यार्थियों के लिए तीसरा कुमाउनी-गढ़वाली भाषण एवं सामान्य ज्ञान प्रतियोगिता तथा  मेधावी विद्यार्थियों को सम्मानित करने का कार्यक्रम आयोजित किया गया | इस अवसर पर १८ विद्यार्थियों को मेधावी सम्मान, ४ को भाषण प्रतियोगिता पुरस्कार और २४ सामान्य ज्ञान पुरस्कार प्रदान किये गए | विद्यार्थियों के अभिभावक भी इस आयोजन में उपस्थित थे | अपनी भाषा में विद्यार्थियों का भाषण एवं बोलचाल का उपस्थित समूह ने स्वागत किया और विद्यार्थियों ने निराशा की उस धुंध को हटाया जिसमें कहा जा रहा है कि अगली पीढ़ी हमारी भाषा से दूर होती जा रही है | इस अवसर पर समाज सेवा में अग्रणीय भूपाल सिंह बिष्ट (रोहिणी अवंतिका) सहित अनेक वक्ताओं ने विद्यार्थियों का मार्गदर्शन किया | समारोह में सामाजिक कार्यकर्ता दर्शन सिंह मेहरा, कुंदन सिंह बिष्ट, नारायण सिंह मेहरा, गिरीश सनवाल, किरन खुल्बे, सुनीता खुल्बे, विनोद सनवाल, पीताम्बर धारियाल तथा सुभाष काण्डपाल सहित कई गणमान्य व्यक्ति उपस्थित थे | आयोजन में वरिष्ठ समाजसेवी शेखारानंद भट्ट को भी सृजनालय द्वारा सम्मानित किया गया | कार्यक्रम के अंत में गायक शेखर शर्मा ने अपने देशभक्ति गीत से श्रोताओं को मातृभूमि की सेवा का सन्देश दिया | संयोजन एवं संचालन -पूरन चन्द्र काण्डपाल |

09.12.2015

Pooran Chandra Kandpal

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                                                               मेधावी सम्मान, क्विज कांटेस्ट एवं भाषण प्रतियोगिता  (कुमाउनी )

           ६ दिसंबर २०१५ हुणि पूरन चन्द्र काण्डपाल हिंदी-कुमाउनी साहित्य सृजनालय सेक्टर-१५ रोहिणी दिल्ली -८९ द्वारा कक्षा ५ बटि कक्षा १२ तका क विद्यार्थियों क लिजी तिसरि कुमाउनी-गढ़वाली भाषण एवं सामान्य ज्ञान प्रतियोगिता और मेधावी विद्यार्थियों कैं सम्मानित करण क कार्यक्रम आयोजित करी गो | य मौक पर १८ विद्यार्थियों कैं मेधावी सम्मान, ४ कैं भाषण प्रतियोगिता पुरस्कार और २४ नना कैं सामान्य ज्ञान पुरस्कार प्रदान करी गईं | विद्यार्थियों क अभिभावक लै य आयोजन में उपस्थित छी | आपणी भाषा में विद्यार्थियों क भाषण एवं बोलचाल क उपस्थित समूह ल स्वागत करौ और विद्यार्थियों ल निराशा कि उ धुंध कैं हटा जमें य कई जां रौछी कि हमरि अघिल औणी पीढ़ी हमरि भाषा है दूर हुनै जांरै | य मौक पर समाज सेवा में अग्रणीय भूपाल सिंह बिष्ट (रोहिणी अवंतिका) सहित अनेक वक्ताओं ल  विद्यार्थियों का मार्गदर्शन करौ | समारोह में सामाजिक कार्यकर्ता दर्शन सिंह मेहरा, कुंदन सिंह बिष्ट, नारायण सिंह मेहरा, गिरीश सनवाल, किरन खुल्बे, सुनीता खुल्बे, विनोद सनवाल, पीताम्बर धारियाल तथा सुभाष काण्डपाल सहित कएक कर्मठ कार्यकर्ता उपस्थित छी | आयोजन में वरिष्ठ समाजसेवी शेखारानंद भट्ट कैं लै सृजनालय द्वारा सम्मानित करी गो | कार्यक्रम क आखिर में गायक शेखर शर्मा ल आपण देशभक्ति गीत ल श्रोताओं कैं मातृभूमि कि सेवा क सन्देश दे | कुमाउनी पत्रिका ‘पहरू’, ‘कुर्मांचल अखबार’ और ‘कुमगढ़’ पत्रिका कि लै य मौक पर सबूं क सामणि चर्चा और प्रदर्शन करी गो | संयोजन एवं संचालन -पूरन चन्द्र काण्डपाल |

पूरन चन्द्र काण्डपाल रोहिणी दिल्ली
०९.१२.२०१५

Pooran Chandra Kandpal

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                                                                        बिरखांत -४८ : खूब गाली दो यारो !!

    कुछ मित्रों को बुरा लगेगा और लगना भी चाहिए | अगर बुरा लगा तो शायद अंतःकरण से महसूस भी करेंगे | सोशल मीडिया में अशिष्टता, गाली और भौंडापन को हमने ‘अशोभनीय’ बताया तो कई मित्र अनेकों उदाहरण के साथ इस अपसंस्कृति के समर्थक बन गए | तर्क दिया गया कि रंगमंच में, होली में तथा कई अन्य जगह पर ये सब चलता है | चलता है तो चलाओ भाई | हम किसी को कैसे रोक सकते हैं | केवल अपनी बात ही तो कह सकते हैं | दुनिया तो रंगमंच के कलाकारों, लेखकों, गीतकारों और गायकों को शिष्ट समझती है | उनसे सदैव ही संदेशात्मक शिष्ट कला की ही उम्मीद करती है, समाज सुधार की उम्मीद करती है | मेरे विचार से जो लोग इस तरह अशिष्टता का अपनी वाकपटुता या अनुचित तथ्यों से समर्थन करते हैं वे शायद शराब या किसी नशे में डूबी हुई हालात वालों की बात करते हैं अन्यथा गाली तो गाली है | सड़क पर एक शराबी या सिरफिरा यदि गलियां देते हुए चला जाता है तो उसे स्त्री-पुरुष-बच्चे सभी सुनते हैं | वहाँ उससे कौन क्या कहेगा ? फिर भी रोकने वाले उसे रोकने का प्रयास करते हैं परन्तु मंच या सोशल मीडिया में तो यह सर्वथा अनुचित, अश्लील और अशिष्ट ही कहा जाएगा | क्या हमारे कलाकार या वक्ता किसी मंच से दर्शकों के सामने या घर में मां-बहन की गाली देते हैं ? यदि नहीं तो सोशल मीडिया पर भी यह नहीं होना चाहिए | हास्य के नाम पर चुटकुलों में अक्सर अत्यधिक आपतिजनक या द्विअर्थी शब्दों का प्रयोग भी खूब हो रहा है, यह भी अशिष्ट है | अब जिस मित्र को भी हमारा तर्क ठीक नहीं लगता तो उनसे हम क्षमा ही मांगेंगे और कहेंगे कि आपको जो अच्छा लगे वही बोलो परन्तु अपने तर्क के बारे में अपने शुभेच्छुओं और परिजनों से भी पूछ लें | यदि सभी ने आपकी गाली का समर्थन किया है तो हमें जम कर, पानी पी पी कर गाली दें | हम आपकी गाली जरूर सुनेंगे क्योंकि जो अनुचित है उसे अनुचित कहने का गुनाह तो हमने किया ही है | आजकल अनुचित का खुलकर विरोध नहीं किया जाता | सब मसमसाते हुए निकल लेते हैं | हम गाली का जबाब भी गाली से देने में विश्वास नहीं करते | कहा है “गारी देई एक है, पलटी भई अनेक; जो पलटू पलटे नहीं, रही एक की एक |” साथ ही हम मसमसाने में भी विश्वास नहीं करते, “मसमसै बेर क्ये नि हुन बेझिझक गिच खोलणी चैनी, अटकि रौ बाट में जो दव हिम्मत ल उकें फोड़णी चैनी |” (मसमसाने से कुछ नहीं होता, निडर होकर मुंह खोलने वाले चाहिए, रास्ते में जो चट्टान अटकी है उसे हिम्मत से फोड़ने वाले चाहिए) | अगली बिरखांत में कुछ और...

पूरन चन्द्र काण्डपाल, ९८७१३८८८१५
१०.१२.२०१५

Pooran Chandra Kandpal

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                                                                    दिल्ली बै चिठ्ठी ऐ रै

                                                           आपण संविधान कैं समझो और जानो

    हमर देश १५ अगस्त १९४७ हुणि अंग्रेजों कि गुलामी बटि आजाद हौछ |  स्वतन्त्रता मिलते ही हमुकें एक संविधान कि जरवत छी और संविधान बनूण क लिजी हमूल संविधान सभा बनै | संविधान सभा क लिजी ३८९ सदस्य चुनी गईं जैक अध्यक्ष डा. राजेन्द्र प्रसाद कैं चुनी गो | संविधान सभा ल संविधान निर्माण समिति बनै जैक अध्यक्ष डा. बाबा साहेब भीम राव अम्बेदकर बनाई गईं | य समिति में एक अध्यक्ष और ५ सदस्य छी | य समिति ल हमार देश कि विविधता क ध्यान धरते हुए ९ दिसंबर १९४६ बटि २६ नवम्बर १९४९ तक संविधान लेखण में २ वर्ष, ११ महैण और १८ दिन लगाईं | हमार संविधान में एक आमुख, २२ अध्यायों में ३९५ अनुच्छेद और १२ अनुसूची एवं एक परिशिष्ट छीं | हमर संविधान २६ जनवरी १९५० हुणि लागु हौछ | २६ नवंबर २०१५ हुणि हमूल संविधान दिवस लै मना | संविधान क पैल पन्न (preamble या आमुख या उद्देशिका) पर एक नजर – “ हम, भारत क लोग, भारत कैं एक सम्पूर्ण प्रभुत्व-सम्पन्न समाजवादी धर्मनिरपेक्ष लोकतंत्रात्मक गणराज्य बनूण क लिजी, और वीक सब नागरिकों कैं : सामाजिक, आर्थिक और राजनैतिक न्याय, विचार, अभिव्यक्ति, विश्वास, धर्म और उपासना कि स्वतंत्रता, प्रतिष्ठा और अवसर कि बराबरी दिलूण क लिजी, और ऊँ सब में मनखिय कि गरिमा और राष्ट्र कि एकता और अखण्डता सुनिश्चित करण वाल भाईचार बढूण क लिजी दृढसंकल्प है बेर आपणि य संविधान सभा में आज तारीख २६ नवम्बर, १९४९ ई. हुणि एतद्द्वारा य संविधान कैं अंगीकृत, अधिनियमित और आत्मार्पित करनूं |” १९५० बै आज तक संविधान में १०० संशोधन है चुकि गईं |  जस कि वर्तमान राष्ट्रपति प्रणव मुखर्जी महोदय ल हालूं में याद द्यवा, हमूल आपण देश कि बहुलता, विविधता, बहुसंस्कृति और गंगाजमुनी तहजीब कैं हमेशा याद धरण कि जरवत छ  तबै हाम ‘सर्वे भवन्तु सुखिन सर्वे सन्तु निरामया’ और ‘वसुधैव कुटम्बकम’ क राष्ट्र-दर्शन पर सफल है सकनूं | हमूल अग्रजों दगै मिलि बेर स्वतंत्रता संग्राम लड़ौ और देश कैं गुलामी कि जंजीरों है छुटकार दिला | संविधान क मार्गदर्शन पर हमूल मिलि बेर राष्ट्र निर्माण में आपण योगदान करण छ | हमूल हमेशा आपण राष्ट्रीय कर्तव्य याद धरण चैंछ, य ई हमर राष्ट्र निर्माण में भौत ठुल योगदान समझी जाल |

पूरन चन्द्र काण्डपाल, रोहिणी दिल्ली
10.12.15

Pooran Chandra Kandpal

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                                                            बिरखांत – ४९  : इधर असहनीय प्रदूषण उधर भीषण बाड़

   हम तो कह ही रहे थे, अब दुनिया भी कहने लगी है कि हमारी दिल्ली में दुनिया में सबसे अधिक वायु प्रदूषण है जो मानक स्तर से कई गुना अधिक हो गया है |  दिल्ली के आनन्द विहार और पंजाबी बाग़ क्षेत्र की हालत बहुत ही खतरनाक बताई जा रही है | ‘जीना यहां मरना यहां इसके सिवा जाना कहां’ | सरकार-दरबार तो जो भी करेगी, एक जिम्मेदार नागरिक होने के नाते हम जो कर सकते हैं वह तो करें | हम पटाखे बंद कर सकते हैं, कूड़ा जलाने वालों को विनम्रता से रोक सकते हैं | अब तो ग्रीन ट्रिब्यूनल ने कूड़ा जलाने पर पांच हजार रुपए का जुर्माना भी तय कर दिया है | अपने वाहन के उत्सर्जन को नियंत्रित कर सकते हैं, वर्ष में एकाद दर्जन पेड़ लगाकर उनकी देखभाल कर सकते हैं | यदि सभी लोग ऐसा करें तो हमारे नन्हे बच्चों के फेफड़े जहर से बच सकते हैं | दीपावली में हम ने ही उन्हें पटाखे खरीद कर दिए थे | उधर चिन्नई में दिसंबर २०१५ के प्रथम सप्ताह में बाड़ रूपी भयंकर जलप्रलय देखा गया है जो अब तक पौने तीन सौ लोगों की जान ले चुका है | इस जलप्रलय की तुलना मानव जनित केदारनाथ में मंदाकिनी बाड़ (१६-१७ जून २०१३) से की जा सकती हैं जिसमें सरकारी आंकड़े के अनुसार ५८०० लोग जलप्रलय में समा गए थे | जिस प्रकार केदारनाथ में माफिया कम्पनी की मनमानी और सरकारी अनदेखी से नदी के घर में, तट में और बहाव क्षेत्र में अवैध निर्माण हुआ ठीक वैसा ही चिन्नई में घटित हुआ है | यहाँ कमू और अडियार नदी के घर में अतिक्रमण हुआ है | एक समाचार के अनुसार यहां  छोटे-बड़े हजारों तालाबों और सैकड़ों वर्ग कि.मी. दलदली भूमि को पाट कर उसमें कंकरीट के जंगल बना दिए गए और पानी की निकासी के सभी रास्ते पाट दिए गए | फ्लड बेसिन पर एयर पोर्ट बना दिया और पर्यावरण से खुल्लेआम खिलवाड़ हुई | प्रकृति की व्यवस्था में अंधाधुंध मानवीय दखल से विनाश ही होता है | चिन्नई में सुव्यवस्थित नगरीय नियोजन नहीं था | चिन्नई की भयंकर जानलेवा बाड़ त्रासदी को मानव जनित त्रासदी ही कहा जाएगा | नीतिनियंता, अभियंता, नियोजक, प्रशासक, राजनीतिज्ञ सबने आँख मूंद ली और महानगर एक ट्रैप (व्यूह) बन गया | वर्षा तो आती रहेगी भलेही कम आए या इसी तरह मूसलाधार परन्तु मनुष्य को ही स्वयं पर नियंत्रण रखना होगा कि वह जल, जंगल, जमीन और पर्यावरण से खिलवाड़ न करे | अब ‘ग्लोबल वार्मिंग’ की समस्या ने भी मनुष्य को घेर लिया है | औद्योगिक विकास पर यदि विकसित देश लगाम नहीं लगायेंगे तो वह दिन दूर नहीं जब दुनिया के करीब तीन दर्जन देश जलमग्न हो जायेंगे तब औद्योगिक विकास की इस चूहादौड़ का पश्चाताप करना भी व्यर्थ जाएगा | दुनिया के चौधरियों को भी तब जरूर रोना पड़ेगा | इसलिए विकसित देशों द्वारा ‘जीओ और जीने दो’ की राह पर न्यायसंगत होकर ही कदम बढ़ाना बेहतर होगा | अगली बिरखांत में कुछ और...

पूरन चन्द्र काण्डपाल, ९८७१३८८८१५ 

Pooran Chandra Kandpal

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       आवाज क बोध
 
आपणी भाषा क ज्यौन धरण छ हमूल |
 यों शब्दों पर लै ध्यान दियो –
 
द्योक घड़ाट
भैंस क अड़ाट
बीमार क नराट
द्वार क चुचाट
ननाक क किकाट
चड़ा क चिचाट
पोथिलां क टिटाट
नाच क धिराट
बछ क डुडाट
रेडुव क कुकाट
शंक क टुटाट
हव क सुसाट
नीन क घुराट
भनेर क धुधाट
बाग़ क गुगाट
गध्यर क सुसाट
पाणी क फुफाट
कुकुरौ क भुभाट
बाज गजां क पुपाट
बरयातों क चुचाट
बलानिणियां क कलाट *

पूरन चन्द्र काण्डपाल
15.12.2015
 
 

Pooran Chandra Kandpal

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     शब्द सम्पदा (‘मुक्स्यार’ किताब बटि )

सिदसाद नान छी उ दगड़ियां ल भड़कै दे /
बूबू कि उमर क ख्याल नि कर नना चार झड़कै दे /
मान भरम क्ये नि हय कुकुरै चार हड़कै दे /
खेल खेलूं में अझिना अझिन नई कुड़त धड़कै दे /
कजिय छुडूं हूं जै भैटू म्यर जै हात मड़कै दे /
बिराऊ गुसीं यस मर दै हन्यड़ कड़कै दे /
तनतनाने जोर लगा भिड़ जस दव रड़कै दे /
गिच जउणी चहा वील पाणी चार सड़कै दे /
बाड़ में हिटणक तमीज निहय डाव नउ जस टड़कै दे /
लकाड़ फोड़णियल ठेकि भरि छां एकै सोस चड़कै दे /
गदुवक वजन नि सै सक सुकी ठांगर पड़कै दे /
बीं हूं काकड़ धरी छी रात चोरूल तड़कै दे /
लौंड क कसूर क्ये निछी खालिमुलि नड़कै दे /
पतरौवे कैं खबर नि लागि बांजक डाव गड़कै दे /

पूरन चन्द्र काण्डपाल |
15.12.2015
 

Pooran Chandra Kandpal

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                                                                बिरखांत-५० : १६ दिसंबर ‘विजय दिवस’ की याद में

    बिरखांत (मन की व्यथा-वेदना ) का प्रथम क्रमांक ६ जुलाई २०१५ को लिखा था | तब से इन पांच महीनों में आज ५०वीं बिरखांत को शब्द रूप दे रहा हूं | हर बार एक नया मुद्दा उठाने का प्रयास किया मैंने | कएक मित्रों की प्रतिक्रिया भी मिली | सोशल मीडिया में सब मेरी बात पर सहमत हों यह ज़रूरी नहीं | मैं महसूस करता हूं कि कुछ लोगों के समय पर भी मैंने अतिक्रमण किया होगा जिसके लिए क्षमा चाहता हूं | कोई उपदेश या प्रवचन देने का मन नहीं है बल्कि अपने अनुभव के आधार पर अपने इन्टरनटिये मित्रों से बोलचाल का यह एक माध्यम चुना मैंने | हम में बहुत से मित्र ऐसे भी होंगे जो इन मुद्दों पर मुझ से अधिक जानकारी रखते हों, उनके संयम को सलूट करता हूं | आज (१६ दिसम्बर) वैसे भी भारतीय सैन्यबल को  सलूट करने का दिन है | आज ही के दिन १९७१ में हमारी सेना ने पाकिस्तान के ९३००० सैन्य-असैन्य कर्मियों से पूर्वी पाकिस्तान (अब बांग्लादेश) में आत्मसमर्पण करवाया था | इस युद्ध का मुख्य कारण था करीब एक करोड़ से अधिक पूर्वी पाकिस्तानी जनता द्वारा पाकिस्तान की फ़ौज के अत्याचार से अपनी जान बचा कर भारत में शरण लेना | तब देश की प्रधानमंत्री श्रीमती इंदिरा गांधी थी जिन्होंने दुनिया का ध्यान भी इस समस्या की ओर खीचा | पाकिस्तान को भारत द्वारा शरणार्थियों एवं मुक्तिवाहिनी ( पाकिस्तान के अत्यचारों से लड़ने वाला संगठन) की मदद करना अच्छा नहीं लगा और उसने ३ दिसंबर १९७१ को भारत की पूर्वी और पश्चिमी सीमा पर एक साथ युद्ध थोप दिया | १४ दिन के इस युद्ध में पाकिस्तान छटपटाने लगा और उसके सैन्य कमांडर लेफ्टीनेंट जनरल ए ए के नियाजी ने पूरे सैन्य साजो सामान के साथ भारतीय सैन्यबल के कमांडर लेफ्टीनेंट जनरल जे एस अरोड़ा के सामने ढाका में आत्मसमर्पण कर दिया | इस युद्ध की पूरी बागडोर देश के चीफ आफ आर्मी, जनरल एस एच एफ जे मानेकशा (शैम मानेकशा) के हाथ थी जिन्हें ३ जनवरी १९७३ को, भारतीय सेना के सर्वोच्च कमांडर देश के राष्ट्रपति ने आजीवन फील्ड मार्शल का रैंक प्रदान किया | बाद में उन्हें पद्मविभूषण से भी सम्मानित किया गया | १६ दिसंबर १९७१ को विश्व के नक्शे में एक नए देश ‘बंग्लादेश’ का जन्म हुआ जिसके राष्ट्रध्यक्ष शेख मुजीबुर्रहमान बने | इस महाविजय पर पूर्व प्रधानमंत्री (तब नेता विपक्ष ) अटल बिहारी वाजपेयी ने इंदिरा को ‘दुर्गा’ का अवतार बताया | आजादी से अब तक के युद्धों में हमारे लगभग साड़े बारह हजार सैनिक शहीद हो चुके हैं जिनमें साड़े तीन हजार से अधिक सैनिक १९७१ के युद्ध में शहीद हुए | इन शहीदों में २५५ उत्तराखंड के थे | प्रतिवर्ष हम १६ दिसंबर को अपने शहीदों का स्मरण करते हुए ‘विजय दिवस’ मनाते हैं | मीडिया में इस दिवस को सूक्ष्म स्थान मिलने का हमें दुःख है |(इस बिरखांत के  लेखक (तब उम्र २३ वर्ष) को उस १४ दिन के युद्ध में भाग लेने वाली भारतीय सेना का सदस्य होने का सौभाग्य प्राप्त है | ) शहीदों की चिताओं पर..., अगली बिरखांत में कुछ और...

पूरन चन्द्र काण्डपाल, ९८७१३८८८१५
१६.१२.२०१५   

एम.एस. मेहता /M S Mehta 9910532720

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bahut badiya mahraj.. Kandpal jiyu

 

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