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उत्तरकाशी: शाल और पंखी गायबJun 25, 02:41 am
उत्तरकाशी। कभी पर्यटकों की पहली पसंद उत्तरकाशी की शाल और पंखी अब यहां बनना ही बंद हो गई है। मात्र यहीं नहीं बल्कि कला केन्द्र, कालीन, हौजरी, शाल व सिलाई सेंटर भी बंद हो गए हैं।
वर्ष 1985 से 95 तक उत्तरकाशी के उद्योग केन्द्र ने स्वर्णिम काल देखा है। इस दौरान हर्षिल, डुण्डा, बगोरी, झाला समेत अन्य इलाकों से पशुपालक बड़ी मात्रा में ऊन कातने के लिए उत्तरकाशी लाते थे और तब कार्डिग प्लांट से ही उद्योग विभाग को हर साल 5 से 6 लाख के बीच आमदनी होती थी किन्तु वर्ष 2001 में बिजली का बिल जमा न करने पर कार्डिग प्लांट बंद कर दिया गया और अब जब उद्योग केन्द्र में बिजली आई तो कार्डिग प्लांट में तकनीकी कमियां आ चुकी हैं काश्तकार उत्तरकाशी ऊन लाते ही नहीं है और ऐसे में पंखी व शाल का महत्वपूर्ण कार्य बंद पड़ा हुआ है।
लौह कला केन्द्र के बक्से, आलमारी, दराज, लाकअप समेत अन्य वस्तुएं भी बाजार में अब नजर ही नहीं आती है। विभाग का लौह कला केन्द्र भी बंद हो चुका है। विभाग वर्तमान में सिर्फ पापड़ी उद्योग ही संचालित कर पा रहा है। इस उद्योग में लकड़ी वस्तुएं तैयार की जाती है। मंदिर व लकड़ी के खिलौने बनाए तो जा रहे हैं किन्तु इसकी बिक्री बहुत कम होने से फिलहाल विभाग सरकार पर एक बोझ से कम नहीं है। काष्ठ, लौह, शॉल और पंखी के विशेषज्ञ करीब 16 कर्मचारी सरप्लस घोषित है। इन कर्मचारियों को वर्तमान में बिना काम के वेतन मिल रहा है। जिला उद्योग केन्द्र के महाप्रबंधक एसबी बहुगुणा ने बताया कि उत्तर प्रदेश शासनकाल में मजमूदार कमेटी ने अधिकतर लघु उद्योग घाटे के चलते बंद करवा दिए थे। उन्होंने कहा कि पृथक राज्य बनने के बाद अब लघु उद्योगों को फिर से स्थापित करने का कार्य चल रहा है। इस दिशा में उत्तरकाशी में हिमाद्री शो रूम का निर्माण किया जा रहा है। करीब 1 करोड़ 13 लाख की लागत से निर्मित होने वाले इस इम्पोरियम में बंद पड़े लघु उद्योगों को फिर से स्थापित किया जाएगा।