लाग् हरेला लाग् दसैं लाग् बगवाल जीरये जागिरये
धरती जस आगव आकाश जस चाकव है जये
सूर्ज जस तराण स्यावे जसि बुद्धि हो
दूब जस फलिये
सिल पिसि भात खाये, जांठि टेकि झाड़ जाये
(हरियाला तुझे मिले,जीते रहो, जागरूक रहो, पृथ्वी के समान धैर्यवान,आकाश के समान प्रशस्त (उदार) बनो, सूर्य
के समान त्राण, सियार के समान बुद्धि हो, दूर्वा के तृणों के समान पनपो,इतने दीर्घायु हो कि (दंतहीन) तुम्हें भात भी पीस कर खाना पड़े और शौच जाने के लिए भी लाठी का उपयोग करना पड़े )
१६ जुलाई हरेला की शुभकामनायें