Author Topic: House Wood carving Art /Ornamentation Uttarakhand ; उत्तराखंड में भवन काष्ठ कल  (Read 41199 times)

Bhishma Kukreti

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डोबा  (लैंसडाउन) में स्व तुलसीराम ध्यानी के जंगलेदार मकान  में ' काठ लछ्याणौ ,  कुर्याणौ पाड़ी  ब्यूंत ' की काष्ठ कला अलंकरण अंकन; लकड़ी  नक्काशी[/size][/color]

गढ़वाल,  कुमाऊँ , उत्तराखंड,  की भवन (तिबारी, निमदारी , जंगलादार  मकान , बाखली  , खोली  , मोरी ,  कोटि बनाल  ) काष्ठ कला अलंकरण अंकन; लकड़ी  नक्काशी- 254 
  Tibari House Wood Art in Doba , Lansdowne   , Pauri Garhwal     
 संकलन - भीष्म कुकरेती   
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 लैंसडाउन तहसील से कई  नक्काशीदार भवनों की सूचना मिली है।  इसी क्रम में आज पौड़ी गढ़वाल के जहरीखाल ब्लॉक के     डोबा गांव  में स्व तुलसीराम ध्यानीमें  के जंगलेदार मकान में काठ लछ्याणौ ,  कुर्याणौ पाड़ी  ब्यूंत '  द्वारा रचित काष्ठ कला अलंकरण अंकन पर चर्चा  की जाएगी ।  स्व तुलसीराम ध्यानी की गिनती  प्रथम विश्व युद्ध के बीर सेनानियों में की जाती है।  प्रस्तुत  'काठ लछ्याणौ ,  कुर्याणौ पाड़ी  ब्यूंत' से निर्मित  यह जंगलेदार मकान  कभी डोबा ही नहीं जहरीखाल की शान व पहचान थी।  डोबा के कई समाजिक कार्यों हेतु स्व तुलश्रीएम ध्यानी का यह  मकान उपयोग होता था।  डोबा गांव के रिश्तेदारों  की  कई यादें संजोये यह मकान अब वीरान पड़ा है।
  'काठ लछ्याणौ ,  कुर्याणौ पाड़ी  ब्यूंत' से निर्मित  स्व तुलसीराम ध्यानी का यह जंगलेदार  मकान दसखम्या  व नौख्वळ्या  (दस स्तम्भ व नौ ख्वाळ ) है व आज भी।  भव्य है।  डोबा के स्व तुलसीराम का जंगलेदार मकान दुपुर , दुघर्या (तिभित्या या दुखंड ) है।  मकान का जंगला पहली मंजिल में बंधा है।  काष्ठ स्तम्भ लकड़ी के छज्जे के ऊपर स्थापित हैं।  प्रत्येक स्तम्भ /खाम एक सामान हैं।  स्तम्भों को   ' काठ लछ्याणौ ,  कुर्याणौ पाड़ी  ब्यूंत ' से ज्यामितीय काटा गया है व सभी स्तम्भ आधार की कड़ी से लेकर मुरिन्ड /मथिण्ड /शीर्ष की कड़ी तक सपाट  हैं। स्तम्भ जैसे ही मुरिन्ड की कड़ी से मिलने होते हैं कि शीर्ष में  कड़ी से एक फिट नीचे दो स्तम्भों से एक मेहराब (तोरणम ) निर्मित हुआ है। तोरणम में कला अंकन अवश्य हुआ है किंतु फोटो  में पूरा स्पष्ट नहीं है।  इसमें दो राय नहीं बल नौ तोरणमों ने जंगल को अधिक आकर्षक बनाया है व जंगलेदार मकान अपने आप भव्य जंगले  की श्रेणी में ा जाता है।
 निष्कर्ष निकलता है कि डोबा (जहरीखाल ) में   ' काठ लछ्याणौ ,  कुर्याणौ पाड़ी  ब्यूंत ' से निर्मित स्व तुलसीराम ध्यानी का जंगलेदार मकान की मुख्य विशेषता मुरिन्ड कड़ी के नीचे नौ तोरणम हैं। 
सूचना व फोटो आभार : जनार्दन ध्यानी
यह लेख  भवन  कला संबंधित  है . भौगोलिक स्थिति व  मालिकाना   जानकारी  श्रुति से मिलती है अत: यथास्थिति में अंतर हो सकता है जिसके लिए  सूचना  दाता व  संकलन कर्ता  उत्तरदायी  नही हैं .
Copyright @ Bhishma Kukreti, 2020
गढ़वाल,  कुमाऊँ , उत्तराखंड , हिमालय की भवन  (तिबारी, निमदारी , जंगलादार  मकान ,बाखली ,  बाखई, कोटि बनाल  ) काष्ठ  कला अंकन नक्काशी श्रृंखला  जारी रहेगी   - 
 
Tibari House Wood Art in Kot , Pauri Garhwal ; Tibari House Wood Art in Pauri block Pauri Garhwal ;   Tibari House Wood Art in Pabo, Pauri Garhwal ;  Tibari House Wood Art in Kaljikhal Pauri Garhwal ;  Tibari House Wood Art in Thalisain , Pauri Garhwal ;   द्वारीखाल पौड़ी  गढवाल में तिबारी,  खोली , भवन काष्ठ  कला, लकड़ी नक्काशी  ;बीरों खाल ,  पौड़ी  गढवाल में तिबारी,  खोली , भवन काष्ठ  कला नक्काशी ; नैनीडांडा  पौड़ी  गढवाल में तिबारी,  खोली , भवन काष्ठ  कला नक्काशी ; लकड़ी नक्काशी पोखरा   पौड़ी  गढवाल पौड़ी  गढवाल में तिबारी,  खोली , भवन काष्ठ  कला नक्काशी ;  में तिबारी,  खोली , भवन काष्ठ  कला नक्काशी ; रिखणीखाळ  पौड़ी  गढवाल में तिबारी,  खोली , भवन काष्ठ  कला नक्काशी ;   पौड़ी  गढवाल में तिबारी,  खोली , भवन काष्ठ  कला नक्काशी ; जहरीखाल  पौड़ी  गढवाल में तिबारी,  खोली , भवन काष्ठ  कला नक्काशी ;  दुग्गड्डा   पौड़ी  गढवाल में तिबारी,  खोली , भवन काष्ठ  कला , लकड़ी नक्काशी ; यमकेश्वर  पौड़ी  गढवाल में तिबारी,  खोली , भवन काष्ठ  कला नक्काशी ;   खम्भों  में  नक्काशी  , भवन नक्काशी  नक्काशी,  मकान की लकड़ी  में नक्श


Bhishma Kukreti

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झैड़ ( ढांगू, पौड़ी गढ़वाल  ) में  विजेंद्र मैठाणी के  भव्य जंगलेदार  मकान में 'काठ लछ्याणौ ,  कुर्याणौ पाड़ी  ब्यूंत ' की काष्ठ कला अलंकरण अंकन; लकड़ी  नक्काशी
गढ़वाल,  कुमाऊँ , उत्तराखंड , हिमालय की भवन  (तिबारी, निमदारी , जंगलादार  मकान , बाखली , खोली  , कोटि बनाल  ) काष्ठ कला अलंकरण अंकन,  नक्काशी - 255 
 
Traditional House wood Carving Art of  Jhair , Yamkeshwar Pauri  Garhwal
 संकलन - भीष्म कुकरेती
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  झैड़ (बिछला ढांगू। पौड़ी गढ़वाल  )   की  दो तिबारियों की सूचना पहले ही दी जा चुकी है।  इसी क्रम में झैड़ से विजेंद्र मैठाणी  के भव्य जंगलेदार मकान की भी सूचना मिली है।  मकान  दुपुर -दुघर व लकड़ी का  भव्य छज्जेदार मकान है। छज्जा  पत्थर मिट्टी के स्तम्भों में स्थापित है।  जंगला पहली मंजिल में स्थापित है।  जंगले में  दस से अधिक  आकर्षक  खाम /स्तम्भ खड़े हैं।  स्तम्भ छज्जे की एक मजबूत कड़ी पर स्थापित हैं।  इस कड़ी पर एक लम्बी काष्ठ  पट्टिका  है जिसके नीचे   काठ लछ्याणौ ,  कुर्याणौ पाड़ी  ब्यूंत ' से रिखड़ा  कुर्याणै कौंळ  से  ज्यामितीय अंकन हुआ है।  पट्टिका के नीचे का पक्ष कुछ कुछ लम्बी पक्षी पंख किनारा जैसा  है।
रिखड़ा  कौंळ से  (ज्यामितीय कटान ) निर्मित सपाट  स्तम्भ आधार कड़ी से  सीधे ऊपर मुरिन्ड से  मिलते हैं।  स्तम्भ आधार व ऊपर हिस्से में थांत (cricket bat blade जैसे )  शक्ल लिए हैं।  आधार पर प्रत्येक स्तम्भ के दोनों और जंगल की पत्तियां लगी हैं जिससे स्तम्भ मोटा दिखता  है।  मुरिन्ड /शीर्ष से थोड़ा नीचे प्रत्येक   ख्वाळ (दो स्तम्भ के मध्य की खाली जगह ) में  भव्य तोरणम स्थापित है।  तोरणम  तिपत्ति  नुमा है व तोरणम का निचला भाग ऐसा लगता है जैस ेगरुड़ पंख का किनारा हो। 
  बाकी पूरे मकान में ' रिखड़ा कौंळ  कटान' (ज्यामितीय कला से कटान )  का ही उपयोग हुआ है। 
निष्कर्ष निकलता है कि झैड़ ( ढांगू, पौड़ी गढ़वाल  ) में  विजेंद्र मैठाणी के  भव्य जंगलेदार  मकान में 'काठ लछ्याणौ ,  कुर्याणौ पाड़ी  ब्यूंत '  के  ' रिखड़ा कौंळ  कटान' (ज्यामितीय कला से कटान ) से ही ज्यामितीय अलंकरण हुआ है।   जंगला भव्य दीखता है व कलाकारों की प्रशंसा आवश्य्क है। 
फोटो आभार:  मयंक कुकरेती गटकोट
सूचना आभार  : विवेकानंद जखमोला  गटकोट
Copyright @ Bhishma  Kukreti
 Traditional House wood Carving Art of West South Garhwal l  (Dhangu, Udaipur, Ajmer, Dabralsyun,Langur , Shila ),  Uttarakhand , Himalaya   
  दक्षिण पश्चिम  गढ़वाल (ढांगू , उदयपुर ,  डबराल स्यूं  अजमेर ,  लंगूर , शीला पट्टियां )   तिबारियों , निमदारियों , डंड्यळियों, बाखलियों  ,खोली , कोटि बनाल  में काष्ठ उत्कीर्णन कला /अलंकरण,  नक्काशी  श्रृंखला  -
  गढ़वाल,  कुमाऊँ , उत्तराखंड , हिमालय की भवन  (तिबारी, निमदारी , जंगलादार  मकान ,  बाखली , खोली, कोटि बनाल   ) काष्ठ अंकन लोक कला , नक्स , नक्काशी )  - 
Traditional House Wood Carving Art (Tibari) of Garhwal , Uttarakhand , Himalaya -   
  Traditional House Wood Carving  (Tibari ) Art o Jhair f, Dhangu, Garhwal, Uttarakhand ,  Himalaya; Traditional House Wood Carving (Tibari) Art of  Udaipur , Garhwal , Uttarakhand ,  Himalaya; House Wood Carving (Tibari ) Art of  Ajmer , Garhwal  Himalaya; House Wood Carving Art of  Dabralsyun , Garhwal , Uttarakhand  , Himalaya; House Wood Carving Art of  Langur , Garhwal, Himalaya; House wood carving from Shila Garhwal  गढ़वाल (हिमालय ) की भवन काष्ठ कला , नक्काशी  , हिमालय की  भवन काष्ठ कला  नक्काशी , उत्तर भारत की भवन काष्ठ कला , लकड़ी पर नक्काशी , नक्श , नक्काशी 


Bhishma Kukreti

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भटवाड़ी (रुद्रप्रयाग )  में भंडारी -थोकदार परिवार के भव्य मकान में  'काठ लछ्याणौ ,  कुर्याणौ पाड़ी  ब्यूंत '  की  काष्ठ कला अंकन , लकड़ी नक्काशी 

 गढ़वाल,  कुमाऊँ , उत्तराखंड , हिमालय की भवन  (तिबारी, निमदारी , जंगलादार  मकान , बाखली   , खोली , छाज  कोटि बनाल  ) काष्ठ कला अंकन , लकड़ी नक्काशी-256   
 Traditional House wood Carving Art of  Rudraprayag 
 संकलन - भीष्म कुकरेती 
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 रुद्रप्रयाग व चमोली जनपद  तिबारी , निमदारी  व जंगलेदार मकानों के मामले में सौभाग्यशाली जनपद  हैं।  इन दोनों जनपदों से    बनि बनि  प्रकार के कूड़ों /मकानों , खोलियों की सूचना  प्रतिदिन  मिलती रहती है।   इसी क्रम में आज पंचगाई के एक गाँव भटवाड़ी में भंडारी -थोकदार परिवार भव्य मकान में  काठ लछ्याणौ ,  कुर्याणौ पाड़ी  ब्यूंत '  की  काष्ठ कला अंकन , लकड़ी नक्काशी   पर चर्चा की जायेगी। 
मकान के बारे में वीरेन रावत ने सूचना दी है बल मकान  100 वर्ष पुराना (लगभग 1920 में निर्मित ) है।  मकान में 24 कमरे हैं।  मकान की चिनाई ब्यूंत (निर्माण शैली ) सर्वथा भिन्न व विशेष है।   भव्य मकान में  काठ लछ्याणौ ,  कुर्याणौ पाड़ी  ब्यूंत' हेतु मकान में दो बिंदुओं को समझना होगा।  खोली व अन्य स्थल।
 मकान में खोली छोड़ बाकी स्थलों जैसे कमरों के दरवाज़े=म्वार  -मुरिन्ड , खिड़कियों।मोरियों में 'रिखड़ा कुर्यांण  ब्यूंत ' से ज्यामितीय कटान हुआ है याने ज्यामितीय अलंकरण दृष्टिगोचर होता है।  कमरों  ही नहीं पहली मंजिल के मोरियों /खिड़कियों  के म्वार - मुरिन्ड के ऊपर अतिरिक्त गुंबज़ /मेहराब /तोरणम शक्ल की कलाकारी हुयी है।  इन स्थलों में  काठ लछ्याणौ ,  कुर्याणौ पाड़ी  ब्यूंत '  की रिखड़ा कुर्यांण  कौंळ '  की प्रशंसा बगैर नहीं रहा जा सकता है । 
 संपूर्ण कला दृष्टि   मकान विशेष मकान है और खोली  )प्भीरवेशद्वार )  उसी रूप में विशेष खोली की पंगत में आती है।  सर्वेक्षण में इस तरह की खोली पहली बार सामने आयी है।  खोली व  खोली की छप्परिका  मकान का हिस्सा नहीं अपितु जोड़ी  लगती है।
   भटवाड़ी (रुद्रप्रयाग )  में भंडारी -थोकदार परिवार के भव्य मकान  की खोली में   काठ लछ्याणौ ,  कुर्याणौ पाड़ी  ब्यूंत '  की जितनी प्रशंसा हो उतनी कम ही पड़ेगी।  खोली वैदिक पद्धति की है व 18  फ़ीट ऊँची है।  खोली के दोनों किनारे मुख्य सिंगाड़ /स्तम्भ  षट या सप्त उप स्तम्भों /सिंगाड़ों के युग्म से बनी है।  सभी उप सिंगाड़ /स्तम्भ ऊपर जाकर खोली के म्वार -मुरिन्ड के स्तर /तह /layer  बन जाते हैं।   दो  उप सिंगाड़ों /स्तम्भों में लगुल -पात /पर्ण -लता की नक्काशी हुयी है व बाकी उप सिंगाड़ों /स्तम्भों में रिखड़ा कटान  से ज्यामितीय  अलंकरण अंकन हुआ  है। उसी तरह का अंकन ऊपर मुरिन्ड की स्तरों /तहों /layers  में भी अंकन हुआ है। 
मुरिन्ड के ऊपर छप्परिका आधार से नीचे  की ओर   दुधारी के निप्पल जैसे शंकु आकृति  व  कुछ कुछ बेलन नुमा  दस से अधिक  काष्ठ आकृति लटकी हैं। 
   खोली के   मुरिन्ड   के बगल में व छप्परिका के नीचे  दोनो ओर दो दो दीवालगीर (bracket ) हैं . दीवालगीर   में पक्षी  व फूल के मिश्रित कला कलाकार के कल्पनाशीलता का परिचायक है . . दीवालगीर में बाहर की ओर  मयूर  आकृति स्थापित है व मयूर आकृति के उपर  पात , लगुल व फूल (पर्ण , पुष्प , लता  ) आकृति अंकित हैं जो आकर्षक हैं .
 
 .  निष्कर्ष निकलता है बल भटवाड़ी (रुद्रप्रयाग )  में भंडारी -थोकदार परिवार के भव्य मकान में  'काठ लछ्याणौ ,  कुर्याणौ पाड़ी  ब्यूंत '  से आकर्षक ज्यामितीय , प्राकृतिक व मानवीय   अल्नक्र्ण कला अंकन बखूबी हुआ है . अल्नक्र्ण मकान  के  बिगरैलाट / बिगरैलपन (सुंदरता ) को बढ़ाने में सहायक है I
.  फोटो आभार:  देव राघवेंद्र  , सूचना आभार : वीरेन रावत 
  * यह आलेख भवन कला संबंधी है न कि मिल्कियत संबंधी, भौगोलिक स्तिथि संबंधी।  भौगोलिक व मिलकियत की सूचना श्रुति से मिली है अत: अंतर  के लिए सूचना दाता व  संकलन  कर्ता उत्तरदायी नही हैं . 
  Copyright @ Bhishma Kukreti, 2020   
 Traditional House wood Carving Art of  Rudraprayag    Garhwal  Uttarakhand , Himalaya   
  रुद्रप्रयाग , गढवाल   तिबारियों , निमदारियों , डंड्यळियों, बाखलीयों   ,खोली, कोटि बनाल )   में काष्ठ उत्कीर्णन कला /अलंकरण , नक्काशी  श्रृंखला 
  गढ़वाल,  कुमाऊँ , उत्तराखंड , हिमालय की भवन  (तिबारी, निमदारी , जंगलादार  मकान , बाखली   ) काष्ठ अंकन लोक कला ( तिबारी अंकन )  - 
Traditional House Wood Carving Art (Tibari) of Garhwal , Uttarakhand , Himalaya ; Traditional House wood Carving Art of  Rudraprayag  Tehsil, Rudraprayag    Garhwal   Traditional House wood Carving Art of  Ukhimath Rudraprayag.   Garhwal;  Traditional House wood Carving Art of  Jakholi, Rudraprayag  , Garhwal, नक्काशी , जखोली , रुद्रप्रयाग में भवन काष्ठ कला, नक्काशी  ; उखीमठ , रुद्रप्रयाग में भवन काष्ठ कला अंकन, नक्काशी  , खिड़कियों में नक्काशी , रुद्रपयाग में दरवाजों में नक्काशी , रुद्रप्रायग में द्वारों में नक्काशी ,  स्तम्भों  में नक्काशी


Bhishma Kukreti

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गमशाली (चमोली ) में  पंच नाग भक्त का  भवन) के  जंगला में काष्ठ कला , अलंकरण अंकन , लकड़ी पर नक्कासी व एक प्राचीन भवन में काष्ठ कला
गढ़वाल,  कुमाऊँ , उत्तराखंड , हिमालय की भवन  (तिबारी, जंगला , जंगलादार  मकान , बाखली  , खोली  , मोरी , कोटि बनाल   ) काष्ठ कला अलंकरण अंकन, नक्काशी-२५७ 
  House Wood Carving Art  from   Gamshali   , Chamoli 
(अलंकरण व कला पर केंद्रित ) 
 
 संकलन - भीष्म कुकरेती
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  गमशाली में  आधुनिक व परम्परा का परिपूर्ण पालन करने वाला फोनिया भवन मिला तो प्राचीन कला /शैली का भवन भी मिला (पढ़ें - गमशाली भवन संख्या 2की नक्कासी ) आज  आधुनिक किन्तु आम गढवाली शैली की जंगला की विवेचना होगी . गमशालीभ भवन संख्या 3, आधुनिक किस्म की है क्योंकि  गमशालीभ  भवन संख्या 4  याने  पंच नाग भक्त के मकान में  खिड़कियाँ  बड़ी हैं जो अति शीत यक्त क्षेत्र  ही नही दक्षिण  गढवाल में भी इतने बड़ी खिडकियों का रिवाज सन 1947 से पहले बहुत कम थI I आधुनिक होने का दूसरा कारण है सीढ़ियों में नयापन व कमरों के दरवाजों पर गैर परंपरागत ज्यामितीय कटान अलंकरण I वैसे नीति घाटी में भवनों  में निमदारियों का प्रचलन है जो पाठक आगे मलारी की दो अन्य निमदारियों की विवेचना में भी पढ़ेंगे I
 प्रस्तुत  पंच नाग भक्त का मकान दुपुर /दुखंड ( एक कमरा नादर व एक कमरा बहर ) शैली का हैI   पंच नाग भक्त मकान में छज्जा लकड़ी के है व उसी छज्जे पर जंगला स्थापित है I जंगला में दस स्तम्भ /खम्भे हैं व वे नौ ख्वळ/खोली बनाते हैं . स्तम्भ  आधार में ज्यामितीय कटान हुआ है व किर्नारे पर ज्यामितीय कटान  व प्राकृतिक अलंकरण हुआ दीखता है . आधार के बाद समभ सीधे व सपाट हैं  व सीधे मुरिंड की कड़ी (छत के  आधार के नीचे की कड़ी ) से मिल जाते हैं . दो स्तम्भों के मध्य आधार पर दो तरह के जंगले स्थापित है I निचले भाग के जंगले (रेलिंग ) में आयताकार व त्रिभुजाकार आकृतियाँ अंकित है I उपरी जंगले के स्तम्भ के एक एक ख्वाळ में  हुक्के की नई जैसे आकृति वाले 15 आकृतियाँ हैं याने  पंच नाग भक्त के भवन के ख्वाळ जंगलों  में कुल 100 से उपर हुक्के की नै आकृतियाँ उत्कीर्णित हुयी हैंI ये हुक्के की नै जैसे आकृतियाँ जंगला की सुंदरता वृद्धिकारक  सिद्ध हुए हैंI  हुक्के की नै आकृति  में आधार पर घुंडी है, घुंडी के उपर ड्यूल आकृति अंकित  है , ड्यूल के उपर लौकी फल की आकृति खुदी है (लम्बोतर तुमड़ी ), लौकी आकृति के उपर दो दो सुंदर ड्यूल हैं व उपर  नै के सजले के नीचे वाली आधारिक आकृति ही खुदी है I
 दीवार पर इंटों की आकृति   संभवतया , गमशाली में  पंच नाग भक्त की जंगला  सन 1980 के आस पास या बाद में ही निर्मित हुयी होगी I
 निष्कर्ष निकालना सरल है कि गमशाली में  पंच नाग भक्त की जंगला  सलीके से बनी है व बिन भडकाऊ कला भी सुंदर लगती हैI . गमशाली में  पंच नाग भक्त की जंगला   में ज्यामितीय कटान का अच्छा उपयोग हुआ है व  100 से अधिक ‘हुक्के की नै’  आकृतियों ने मकान की सुन्दरता बढाई  है I
    - गमशाली में प्राचीन शैली का मकान -
गमशाली में  पंच नाग भक्त की जंगला   के बिलकुल बगल में सामने कि ओर एक प्राचीन भवन का ढाईपुर के तीनों मंजिले दिख रही हैं जो गम्शाली में प्राचीन भवन शैली का अच्छा उदाहरण है .  तल मंजिल में दीवार मिटटी पत्थर की है पहली मंजिल  दूसरी  मंजिल  व ढाई वां मंजिल में दीवारे सभी पटले से बने हैं .   
सूचना - आलम सिंह नेगी     
यह लेख  भवन  कला संबंधित  है न कि मिल्कियत  संबंधी  . मालिकाना   जानकारी  श्रुति से मिलती है अत:  वस्तुस्थिति में  अंतर   हो सकता है जिसके लिए  सूचना  दाता व  संकलन कर्ता  उत्तरदायी  नही हैं .
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Bhishma Kukreti

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चौपाता (देवलथल पिथौरागढ़ ) में    गजेंद्र सिंह सामंत की बाखली में   'काठ लछ्याणौ ,  कुर्याणौ पाड़ी  ब्यूंत '  की काष्ठ कला अलंकरण, लकड़ी नक्काशी 

   House Wood Carving Art  in a Bakhli house of  Chaupata, Devalthal,     Pithoragarh
गढ़वाल,  कुमाऊँ , हरिद्वार उत्तराखंड , हिमालय की भवन  ( बाखली  ,   तिबारी , निमदारी , जंगलादार  मकान ,  खोली  ,  कोटि बनाल   )  में काष्ठ कला अलंकरण, लकड़ी नक्काशी-258
 संकलन - भीष्म कुकरेती 
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चौपाता, देवलथल , पिथौरागढ़ से  कुछेक बाखलियों /मकानों की सूचना मिली है।  आज इसी क्रम में चौपाता (देवलथल पिथौरागढ़ ) में    गजेंद्र सिंह सामंत की बाखली में  काष्ठ कला अलंकरण, लकड़ी नक्काशी   
 पर चर्चा होगी।
गजेंद्र सिंह सामंत का मकान तिपुर , दुखंड शैली का बना है। मकान का जीर्णोद्धार हुआ है किंतु पारम्परिक शैली को बरकरार रखा गया है।  मकान में तल मंजिल में गौशाला के चिन्ह अभी भी बाकी हैं।  चौपाता  में    गजेंद्र सिंह सामंत की बाखली में   'काठ लछ्याणौ ,  कुर्याणौ पाड़ी  ब्यूंत ' काष्ठ कला समझने  हेतु तीन मुख्य बिंदुओं पर टक्क लगानी होगी - १ - तल मंजिल में  खोली , २- पहली मंजिल में छाज या  झरोखा, व ३० अन्य स्थानों जैसे खिडकियों व कमरों के दरवाजों व सिंगाड़ों में।
तल मंजिल में कला दृष्टि से खोली ही विशेष है जिसकी चर्चा आवश्यक है। खोली (अंदरूनी प्रवेश द्वार जहां से सीढ़ीजाती हैं  )  तल मंजिल से पहली मंजिल तक है।खोळी  मे दोनो ओर उप स्तम्भों के युग्म से निर्मित मुख्य स्तम्भ युग्म /जोड़ से बने  हैं।  प्रत्येक मुख्य स्तम्भ में छह उप स्तम्भ हैं जिसमे तीन अलग किस्म के हैं व तीन उप स्तम्भ आग किस्म के हैं।  एक तरह के उप स्तम्भ के आधार में अधोगामी/ उलटे कम दल की घुंडी। कुम्भी है फिर ड्यूल हैं , ड्यूल के ऊपर सीधा कमल पुष्प है।  फिट एक और ड्यूल है जिसके ऊपर कमल दल है. यहां से उप स्तम्भ की कड़ी (शाफ्ट) में लता पर्ण की नक्काशी शुरू होजाती हैं।  दूसरे प्रकार के उप स्तम्भों के आधार से ऊपर मुरिन्ड तक प्राकृतिक ( बेल बूटों की नक्काशी हुयी है।  सभी उप स्तम्भ   ऊपर मुरिन्ड (शीर्ष ) के स्तर बन जाते हैं।  अंदरूनी उप स्तम्भ जब मुरिन्ड से मिलने होते हैं तो एक फिट नीचे से तोरणम की चाप बनी है। मुरिन्ड के ऊपर छप्परिका है जिस पर प्राकृतिक नक्काशी हुयी है। 
  पहली मंजिल पर छाज स्थापित हुआ है।  छाज में दो ढुड्यार (झरोखे ) जुड़े हुए हैं।   दोनों  ढुड्यार /झरोखों के किनारे उपस्तम्भ। दोनों  छाजो /झरोखों  में मिलाकर छह उप स्तम्भ हैं व सभी स्तम्भ आधार  में कुम्भी, ड्यूल , कमल  आदि अंकन में खोली के स्तम्भों के प्रतिरूप ही हैं।  छाज के ढुड्यार /झरोखे सपाट पटल्यों (तख्ते )  से ढके हैं।  दोनों  ढुड्यारों में अंदर की ओर ऊपर  तोरणम सजे हैं। 
खिड़कियों व अन्य लकड़ी के भागों में ज्यामितीय  कटान ही दृष्टिगोचर हो रहा है।  खिड़कियों मोरियों के ऊपर के शीर्ष में मेहराब/तोरणम  हैं। 
निष्कर्ष निकालना सरल है कि चौपाता (देवलथल पिथौरागढ़ ) में    गजेंद्र सिंह सामंत की बाखली में   'काठ लछ्याणौ ,  कुर्याणौ पाड़ी  ब्यूंत 'से  उच्च श्रेणी का ज्यामितीय व प्राकृतिक अलंकरण अंकन हुआ है  व मकान में लकड़ी
सबंधी कोई मानवीय चित्र  दृष्टिगोचर नहीं हो रहे हैं। 
सूचना व फोटो आभार:पंकज महर
यह लेख  भवन  कला संबंधित  है न कि मिल्कियत  संबंधी।  . भौगोलिक मालिकाना   जानकारी  श्रुति से मिलती है अत: नाम /नामों में अंतर हो सकता है जिसके लिए  सूचना  दाता व  संकलन कर्ता  उत्तरदायी  नही हैं .
Copyright @ Bhishma Kukreti, 2020
 कैलाश यात्रा मार्ग   पिथोरागढ़  के मकानों में लकड़ी पर   कला युक्त  नक्काशी  ;  धारचूला  पिथोरागढ़  के मकानों में लकड़ी पर   कला युक्त  नक्काशी  ;  डीडीहाट   पिथोरागढ़  के मकानों में लकड़ी पर   कला युक्त  नक्काशी  ;   गोंगोलीहाट  पिथोरागढ़  के मकानों में लकड़ी पर   कला युक्त  नक्काशी  ;  बेरीनाग  पिथोरागढ़  के मकानों में लकड़ी पर   कला युक्त  नक्काशी ;  House wood Carving Bakhali art in Pithoragarh  to be continued


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खेड़ा (यमकेश्वर, पौड़ी गढ़वाल  ) में बलबीर सिंह असवाल की निमदारी में  'काठ लछ्याणौ ,  कुर्याणौ पाड़ी  ब्यूंत '  की काष्ठ कला
अलंकरण अंकन , लकड़ी नक्काशी   
गढ़वाल,  कुमाऊँ , उत्तराखंड , हिमालय की भवन  (तिबारी, निमदारी , जंगलादार  मकान , बाखली  , बखाई ,  खोली  ,   कोटि बनाल   )  में 'काठ लछ्याणौ ,  कुर्याणौ पाड़ी  ब्यूंत '  की   काष्ठ कला अलंकरण, अंकन , लकड़ी नक्कासी-- 259
Traditional House Wood Carving Art in  Khera , Yamkeshwar , Pauri garhwal
 संकलन -भीष्म कुकरेती
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सुखद है कि यमकेश्वर     ब्लौक के  उदयपुर पट्टी से कई तिबारियों , निमदारियों, जंगलेदार मकानों की सूचना मिलीं हैं  .   आज इसी क्रम में खेड़ा के बलबीर सिंह असवाल की निमदारी में  'काठ लछ्याणौ ,  कुर्याणौ पाड़ी  ब्यूंत '  की काष्ठ कला अलंकरण अंकन पर चर्चा होगी .
ढांगू , उदयपुर , डबरालस्यूं , अजमेर में बरामदे के आगे खम्भे /स्तम्भ /सिंगाड़ युक्युत संरचना को तिबारी कहते हैं , स्तम्भ चाहे सपाट हों या कलायुक्त हों तब भी यह संरचना तिबारी ही  कही जाती है . खेड़ा के बलबीर  सिंह असवाल का  मकान दुपुर है दुघर है . निमदारी पहली मंजिल में स्थापित है . खेड़ा के बलबीर सिंह असवाल की निमदारी में छह सिंगाड़/स्तम्भ  है I सभी स्तम्भ देहरी पर आधारित हैं व सीधी ऊपर  मुरिंड की सपाट कड़ी से मिलते हैं . स्तम्भ सीधे व सपाट हैं .
खेड़ा के बलबीर  सिंह के मकान में खोली ) प्रवेशद्वार ) भी है किंतु अधूरी सूचना के कारण खोली पर कोई टिप्पणी नही की जा सकती .
संक्षेप में कहा जा सकता है कि खेड़ा (यमकेश्वर, पौड़ी गढ़वाल  ) में बलबीर सिंह असवाल की निमदारी में   सभी स्तम्भ व मुरिंड की कड़ी में 'काठ लछ्याणौ ,  कुर्याणौ पाड़ी  ब्यूंत ' से ज्यामितीय कटान ही हुआ है . मकान भव्य है .
सूचना व फोटो आभार: सुमित पयाल 
यह लेख  भवन  कला संबंधित  है न कि मिल्कियत हेतु . मालिकाना   भौगोलिक , जानकारी  श्रुति से मिलती है अत: अंतर हो सकता है जिसके लिए  सूचना  दाता व  संकलन कर्ता  उत्तरदायी  नही हैं .
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गढ़वाल,  कुमाऊँ , उत्तराखंड , हिमालय की भवन  (तिबारी, निमदारी , जंगलादार  मकान , बाखली  , कोटि बनाल   ) काष्ठ  कला अंकन, लकड़ी पर नक्कासी   श्रृंखला
  यमकेशर गढ़वाल में तिबारी , निम दारी , जंगलेदार  मकान , बाखली में काष्ठ कला , नक्कासी ;  ;लैंड्सडाउन  गढ़वाल में तिबारी , निम दारी , जंगलेदार  मकान , बाखली में काष्ठ कला , नक्कासी ;दुगड्डा  गढ़वाल में तिबारी , निम दारी , जंगलेदार  मकान , बाखली में काष्ठ कला , नक्कासी ; धुमाकोट गढ़वाल में तिबारी , निम दारी , जंगलेदार  मकान , बाखली में काष्ठ कला ,   नक्कासी ;  पौड़ी गढ़वाल में तिबारी , निम दारी , जंगलेदार  मकान , बाखली में काष्ठ कला , नक्कासी ;
  कोटद्वार , गढ़वाल में तिबारी , निम दारी , जंगलेदार  मकान , बाखली में काष्ठ कला , नक्कासी ; 


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भटि  (असवालस्यूं, पौड़ी गढ़वाल ) में स डंडरियाल परिवार की तिबारीयुक्त मकान में 'काठ लछ्याणौ ,  कुर्याणौ पाड़ी  ब्यूंत '  की   काष्ठ कला अलंकरण, अंकन , लकड़ी नक्कासी


गढ़वाल,  कुमाऊँ , उत्तराखंड,  की भवन (तिबारी, निमदारी , जंगलादार  मकान , बाखली  , खोली  , मोरी ,  कोटि बनाल  )  में 'काठ लछ्याणौ ,  कुर्याणौ पाड़ी  ब्यूंत '  की   काष्ठ कला अलंकरण, अंकन , लकड़ी नक्कासी--  260
  Tibari House Wood Art in House of  Bhatti village  , Pauri Garhwal     
 संकलन - भीष्म कुकरेती   
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 पौड़ी गढ़वाल में असवाल स्यूं एक समृद्ध पट्टी है तो  समृद्धि चिन्ह तिबारियों , निमदारियों , जंगलेदार मकानों का पाया जाना कोई आश्चर्य नहीं है।  इसी क्रम में आज  भटि (असवालस्यूं) में  डंडरियाल  परिवार की तिबारीयुक्त मकान में 'काठ लछ्याणौ ,  कुर्याणौ पाड़ी  ब्यूंत '  की   काष्ठ कला अलंकरण पर चर्चा होगी।  मकान दुपुर -दुघर है व अभी जीर्णोद्धार होने की अवस्था में है।  तिबारी पहली मंजिल में हैं।  ऐसा लगता है कि पुराने मकान की पहली वाली तिबारी के एक स्तम्भ कम कर पहली मंजिल में खोली के सिंगाड़  को उठकर पहली मंजिल में दूसरी तिबारी निर्मित की गयी है।  इसके अतिरिक्त पुरानी शैली के झरोखों / छाजों को बदलकर आधुनिक खिड़कियों में बदला जा रहा है।   
  भटि (असवालस्यूं, पौड़ी गढ़वाल ) में  डंडरियाल  परिवार की तिबारीयुक्त मकान में 'काठ लछ्याणौ ,  कुर्याणौ पाड़ी  ब्यूंत '  की   काष्ठ कला अलंकरण विश्लेषण हेतु तीन बिंदुओं  पर ध्यान देना होगा , दो प्रकार के तिबारियों के स्तम्भों व झरोखों के स्तम्भों में काष्ठ कला, व झरोखों के स्तम्भों में काष्ट कला। 
 पुरातन तिबारी के स्तम्भ अब तीन दिखाई दे रहे हैं किंतु पहले चार रहे होंगे।  चौथे स्तम्भ को खोली के स्तम्भों से नई बनी तिबारी में लगाया गया है।  प्राचीन तिबारी के स्तम्भों का आधार देहरी है व आधार की कुम्भी उलटे कमल दल से बनी है।  इसके ऊपर ड्यूल है जिसके ऊपर सीधा कमल फूल आकृति है।  यहां से स्तम्भ लौकी आकार धारण करता है।  जहां सबसे कम मोटाई है वहां उल्टा  कमल है।  उल्टा कमल के ऊपर ड्यूल है जिसके ऊपर सीधा कमल है।  यहां से स्तम्भ ऊपर की और थांत आकर धारण करता है व दूसरी ओर यहीं से मेहराब /तोरणम का अर्ध चाप भी शुरू होता है जो सामने वाले स्तम्भ के अर्ध चाप से मिलकर पूरा तोरणम बनाता है।  थांत  व तोरणम ऊपर मुरिन्ड से मिलते हैं।  मेहराब /तोरणम के स्कंध के त्रिभुज में फूल की नक्काशी हुयी है।  मुरिन्ड की कड़ी सपाट दिख रही है।
 दूसरी तिबारी में एक स्तम्भ तो उपरोक्त स्तम्भ जैसे हिहैं।  किन्तु दो स्तम्भ  खोली के उप स्तम्भों से मिलकर बने हैं।  ये उप स्तम्भ की कला अंकन आधार में तो उपरोक्त तिबारी के स्तम्भ जैसे ही हैं।  आधार के कमल के बाद स्तम्भ सीधे मुरिन्ड से मिल जाते हैं। 
खिड़कियों के स्तम्भों में नक्काशी हुयी है किन्तु फोटो में पूरी तरह दिखती नहीं है अत: इस बिंदु की कला के बारे में लिखना मुनासिब नहीं है। 
निष्कर्ष निकलता है कि  भटि (असवालस्यूं) में  डंडरियाल  परिवार की तिबारीयुक्त मकान में 'काठ लछ्याणौ ,  कुर्याणौ पाड़ी  ब्यूंत '  से निर्मित कला अलंकरण में ज्यामितीय व   प्राकृतिक अलंकरण ही मिलता है। 
सूचना व फोटो आभार:उमेश असवाल
यह लेख  भवन  कला संबंधित  है . भौगोलिक स्थिति व  मालिकाना   जानकारी  श्रुति से मिलती है अत: यथास्थिति में अंतर हो सकता है जिसके लिए  सूचना  दाता व  संकलन कर्ता  उत्तरदायी  नही हैं .
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गढ़वाल,  कुमाऊँ , उत्तराखंड , हिमालय की भवन  (तिबारी, निमदारी , जंगलादार  मकान ,बाखली ,  बाखई, कोटि बनाल  ) काष्ठ  कला अंकन नक्काशी श्रृंखला  जारी रहेगी   - 
 
Tibari House Wood Art in Kot , Pauri Garhwal ; Tibari House Wood Art in Pauri block Pauri Garhwal ;   Tibari House Wood Art in Pabo, Pauri Garhwal ;  Tibari House Wood Art in Kaljikhal Pauri Garhwal ;  Tibari House Wood Art in Thalisain , Pauri Garhwal ;   द्वारीखाल पौड़ी  गढवाल में तिबारी,  खोली , भवन काष्ठ  कला, लकड़ी नक्काशी  ;बीरों खाल ,  पौड़ी  गढवाल में तिबारी,  खोली , भवन काष्ठ  कला नक्काशी ; नैनीडांडा  पौड़ी  गढवाल में तिबारी,  खोली , भवन काष्ठ  कला नक्काशी ; लकड़ी नक्काशी पोखरा   पौड़ी  गढवाल पौड़ी  गढवाल में तिबारी,  खोली , भवन काष्ठ  कला नक्काशी ;  में तिबारी,  खोली , भवन काष्ठ  कला नक्काशी ; रिखणीखाळ  पौड़ी  गढवाल में तिबारी,  खोली , भवन काष्ठ  कला नक्काशी ;   पौड़ी  गढवाल में तिबारी,  खोली , भवन काष्ठ  कला नक्काशी ; जहरीखाल  पौड़ी  गढवाल में तिबारी,  खोली , भवन काष्ठ  कला नक्काशी ;  दुग्गड्डा   पौड़ी  गढवाल में तिबारी,  खोली , भवन काष्ठ  कला , लकड़ी नक्काशी ; यमकेश्वर  पौड़ी  गढवाल में तिबारी,  खोली , भवन काष्ठ  कला नक्काशी ;   खम्भों  में  नक्काशी  , भवन नक्काशी  नक्काशी,  मकान की लकड़ी  में नक्श
 


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 गमशाली (चमोली गढवाल ) के एक भवन  में  'काठ लछ्याणौ ,  कुर्याणौ पाड़ी  ब्यूंत' की   काष्ठ कला, अलंकरण , लकड़ी नक्कासी
गढ़वाल,  कुमाऊँ , उत्तराखंड , हिमालय की भवन  (तिबारी, निमदारी , जंगलादार  मकान , बाखली  , खोली  , मोरी , कोटि बनाल   ) काष्ठ कला अलंकरण अंकन, नक्काशी- 261
  Traditional House Wood Carving Art  from  Gamshali  , Chamoli 
(अलंकरण व कला पर केंद्रित ) 
 
 संकलन - भीष्म कुकरेती 
 
   गमशाली चमोली गढवाल का सीमवर्ती गाँव है व अपनी सभ्यता , व्यापर शैली व तिब्बत व्यापर पुल के लिएप्रसिद्ध गाँव रहा हैI गमशाली से पहले भी दो भवनों एक भवन (फोनिया भवन )  व एक तिबारी में काष्ठ कला विवेचना हो चुकी है . अन्य भवनों की विवेचना से लगता है कि यहाँ भी मलारी की भांति   पंचनाग लोक देवता की बड़ी मान्यता है I
   विवेचना हेतु  ही गम शाली के मकानों के नाम नही अपितु संख्या से पहचान करायी गयी है . आज गमशाली एक भवन में भवन काष्ठ कला पर चर्चा होगी .
  भवन निर्माण की शैली अति शीत वाले क्षेत्र व भोटिया जाति रहवासियों की प्राचीन भवन शैली जैसी शैली गमशाली में है वैसे ही गमशाली के निकट  मलारी (नीति घटी )  , उत्तरकाशी के निलंग , जाडंग , नाग घाटियों , व कुछ हद तक जौनसार क्षेत्र में भी पायी जाति है व माणा में भी प्राचीन भवन ऐसे ही शैली के थे . आंगन में या तो गौशाला होती है या भंडार I आंगन में न रहने के कई कारण होंगे . शायद एक बड़ा कारण बरफ पिघलने पर जल भराव व आंगन में कीचड़ हो जाना भी एक कारण होगा .
  प्रस्तुत गमशाली के एक भवन संभवत: दो भ्राताओं का भाईबांट का भवन है क्योंकि आंतरिक सीढ़ी के स्थान पर बाहर र से  सीढ़ी  निर्मित की गयी है I
गमशाली के एक भवन एक दुपुर व दुखंड (एक कमरा बहर व एक अंदर ) भवन है . मकान के तल मंजिल में बरामदा खुला है  पहली मंजिल के बरामदे स्तम्भ व बीच के  ख्वाळ निर्मित हैं II
  पहली मंजिल पर दोनों बरामदा तल मंजिल के खम्बों में टिके कड़ी व कड़ीयों में टिके हैं . प्रत्येक बरामदे में  चार स्तम्भ हैं जो आधारित कड़ी से शुरू हो मुरिंड (छत आधार कड़ी से मिल जाते हैं I प्रत्येक बरामदे के चार स्तम्भ तीन  ख्वाळ  निर्मित करते हैं I बरामदे स्तम्भ व बीच के  ख्वाळओं को .  आधार से  एक डेढ़ फुट ऊँचाई तक पटले लगा दिए गये हैं व उपर ख्वाळ मोरी जैसा बन गये हैं I
 पूरे भवन में केवल ज्यामितीय कटान कला के दर्शन होते हैं कहीं भी प्राकृतिक , मानवीय या धार्मिक अलंकरण नही देखने को मिला हैI मलारी के भवन संख्या 1 में और गम शाली के इस  भवन में शैली सामान है I और कला दृष्टि से मुख्य अंतर है कि मलारी में पहली मंजिल पर आधारिक पटलों में प्राकृतिक , मानवीय व धार्मिक अलंकरण अंकित हुआ है जब कि गमशाली के एक भवन में ऐसा कोई अंकन नही मिला है I
सूचना  आभार : धर्मपाल सिंह  बिष्ट
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गढ़वाल,  कुमाऊँ , उत्तराखंड , हिमालय की भवन  (तिबारी, निमदारी , जंगलादार  मकान , बाखली , मोरी , खोली,  कोटि बनाल  ) काष्ठ  कला अंकन , लकड़ी नक्काशी श्रंखला जारी   
   House Wood Carving Ornamentation from  Chamoli, Chamoli garhwal , Uttarakhand ;   House Wood Carving Ornamentation/ Art  from  Joshimath ,Chamoli garhwal , Uttarakhand ;  House Wood Carving Ornamentation from  Gairsain Chamoli garhwal , Uttarakhand ;     House Wood Carving Ornamentation from  Karnaprayag Chamoli garhwal , Uttarakhand ;   House Wood Carving Ornamentation from  Pokhari  Chamoli garhwal , Uttarakhand ;   कर्णप्रयाग में  भवन काष्ठ कला, नक्काशी ;  गपेश्वर में  भवन काष्ठ कला,नक्काशी ;  नीति,   घाटी में भवन काष्ठ  कला, नक्काशी  ; जोशीमठ में भवन काष्ठ कला, नक्काशी , पोखरी -गैरसैण  में भवन काष्ठ कला, नक्काशी श्रृंखला जारी  रहेगी


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किमोठा (चमोली ) में स्व केशवा नन्द किमोठी की तिबारी खोली युक्त मकान  में 'काठ लछ्याणौ ,  कुर्याणौ पाड़ी  ब्यूंत' की काष्ठ कला अलंकरण अंकन, नक्काशी

गढ़वाल,  कुमाऊँ , उत्तराखंड , हिमालय की भवन  (तिबारी, निमदारी , जंगलादार  मकान , बाखली  , खोली  , मोरी , कोटि बनाल   )में   'काठ लछ्याणौ ,  कुर्याणौ पाड़ी  ब्यूंत' की काष्ठ कला अलंकरण अंकन, नक्काशी-262 
  House Wood Carving Art  from Kimotha   , Chamoli 
(अलंकरण व कला पर केंद्रित ) 
 
 संकलन - भीष्म कुकरेती   
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चमोली व रुद्रप्रयाग गढवाल में तिबारियों , खोलियों  की अच्छी खासी सूचनाएं मिली हैं . इसी क्रम में आज  किमोठा  गाँव  के गढवाली कवि श्री  गोकुला नन्द किमोठी के  पिता   स्व केशवा  नन्द किमोठी द्वारा 92 वर्ष पहले निर्मित तिबारी युक्त मकान में काठ लछ्याणौ ,  कुर्याणौ पाड़ी  ब्यूंत' की काष्ठ कला पर चर्चा होगी .  किमोठा (चमोली ) में स्व केशवा नन्द किमोठी  का मकान दुपुर व दुघर (दुखंड /तिभित्या) है .   किमोठा (चमोली ) में स्व केशवा नन्द किमोठी के मकान में काष्ठ कला  समझने हेतु दो मुख्य बिंदुओं में टक्क लगानी आवश्यक है - तल मंजिल में खोली व पहली मंजिल में तिबारी . मकान की संरचना से पता लगना सरल है कि मकान का तल मंजिल भंडार व गौशाला रूप में उपयोग होती रही होगी . खिड़कियाँ बड़ी हैं व खिडकियों के उपर मेहराब बने हैं जो द्योतक हैं कि मकान निर्माण में ब्रिटिश भवन निर्माण शैली (colonial design )  का प्रभाव पडा है .
 तल मंजिल में खोली खुबसूर व कला परिपूर्ण है . खोली के दोनों ओर कलायुक्त सिंगाड़/स्तम्भ हैं मुख्य स्तम्भ चार उप स्तम्भों के युग्म /जोड़ से बने हैं . स्तम्भ सीधे हैं व कमल  निर्मित कुम्भी आकृतियाँ  किमोठा (चमोली ) में स्व केशवा नन्द किमोठी निर्केमित मकान की खोली में दृष्टिगोचर नही होता है जो सामान्यतया गढवाल -कुमाऊं की खोलियों में मिलता है . उप्स्त्मभों में पर्ण -लता (बेल बूटों ) का अंकन हुआ है . सभी उप स्तम्भ उपर जाकर मुरिंड के स्तर बन जाते हैं तथा मुरिंड के स्तरों में व्ही पर्ण लता अंकन है जो नीचे स्तम्भों में है . . मुरिंड चौखट आकार का है . मुरिंड के मध्य गणपति  स्तम्भ -मेहराब युक्त चौखट के अंदर विराजमान है . चौखट के स्तम्भि के अधर में कमल कुम्भी है फिर उपर ड्यूल है फिर कमल दल हा व बाद में स्तम्भ उपर चला जाते हैं व दोनों स्तम्भों के उपर मेहराब है .मेहराब के स्कन्ध में विचित्र फूलों की नक्काशी हुयी है . चौखट के अंदर  चतुर्भुज गणपति है . उपर के एक  हाथ में त्रिशूल अंकुश है व दूसरे हाथ में विचित्र गदा है , गणपति की मूर्ति महीन कलायुक्त छत्र भी है .
  किमोठा (चमोली ) में स्व केशवा नन्द किमोठी के मकान  में पहली मंजिल में तिबारी स्थापित है . तिबारी चार सिंगाडों /स्तम्भों व तीन ख्वालों से निर्मित है . प्रत्येक स्तम्भ देहरी पर खड़ा है व स्तम्भ के आधार में उल्टेकमल फूल से कुम्भी बनी है , कुम्भी के उपर ड्यूल है ड्यूल के उपर सीधा कमल फूल है व यहाँ से स्तम्भ लौकी शक्ल लेकर उपर चलता है . जहाँ स्तम्भ की मोटाई सबसे कम है वहां पर तीन ड्यूल हैं व उपर सीधा कमल फूल अंकन है . कमल फूल से स्तम्भ दो भागों में विभक्त होता है मुरिंड के ओर जाने  वाला भाग थांत रूप में मुरिंड (शीर्ष ) से मिलता है व कमल फूल से मेहराब का अर्ध चाप भी शुरू होता है . मेहराब बिन दांते है . मेहराब के स्कन्ध में नक्काशी हुयी है . मुरिंड की कड़ीयों प्राकृतिक से अधिक ज्यामितीय कला दर्शन होते हैं . स्तम्भ में आधार से लेकर उपर मुरिंड में उभार - गड्ढे (fluet -flitted ) अकन हुआ है .
खोली के मुरिंड के नीचे  स्दोतम्नोंभों के तरफ पत्थर की  दिवालगीर है जिस पर हाथी , पुष्प नाभि व  पक्षी  प्रतिमाएं स्थापित हैं .
बाकी क्षेत्रों में जैसे कमरों , ख्द्कियों के दरवाजों , स्तम्भों में ज्यामितीय कटान  ही  हुआ है .
निष्कर्ष निकलता है कि  किमोठा (चमोली ) में स्व केशवा नन्द किमोठी के मकान में लकड़ी पर ज्यामितीय, प्राकृतिक व मानवीय अलंकरण अंकन हुआ है . मकान भव्य किस्म का है .
सूचना व फोटो आभार: ब्रज मोहन किमोठी   
यह लेख  भवन  कला संबंधित  है न कि मिल्कियत  संबंधी  . मालिकाना   जानकारी  श्रुति से मिलती है अत:  वस्तुस्थिति में  अंतर   हो सकता है जिसके लिए  सूचना  दाता व  संकलन कर्ता  उत्तरदायी  नही हैं .
Copyright @ Bhishma Kukreti, 2020
गढ़वाल,  कुमाऊँ , उत्तराखंड , हिमालय की भवन  (तिबारी, निमदारी , जंगलादार  मकान , बाखली , मोरी , खोली,  कोटि बनाल  ) काष्ठ  कला अंकन , लकड़ी नक्काशी श्रंखला जारी   
   House Wood Carving Ornamentation from  Chamoli, Chamoli garhwal , Uttarakhand ;   House Wood Carving Ornamentation/ Art  from  Joshimath ,Chamoli garhwal , Uttarakhand ;  House Wood Carving Ornamentation from  Gairsain Chamoli garhwal , Uttarakhand ;     House Wood Carving Ornamentation from  Karnaprayag Chamoli garhwal , Uttarakhand ;   House Wood Carving Ornamentation from  Pokhari  Chamoli garhwal , Uttarakhand ;   कर्णप्रयाग में  भवन काष्ठ कला, नक्काशी ;  गपेश्वर में  भवन काष्ठ कला,नक्काशी ;  नीति,   घाटी में भवन काष्ठ  कला, नक्काशी  ; जोशीमठ में भवन काष्ठ कला, नक्काशी , पोखरी -गैरसैण  में भवन काष्ठ कला, नक्काशी श्रृंखला जारी  रहेगी


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  कुणजेठी (उखीमठ, रुद्रप्रयाग )  में स्व तारा सिंह कोटवाल निर्मित मकान की  खोली में 'काठ लछ्याणौ ,  कुर्याणौ पाड़ी  ब्यूंत' की काष्ठ कला  अलंकरण अंकन, नक्काशी



गढ़वाल,  कुमाऊँ , उत्तराखंड , हिमालय की भवन  (तिबारी, निमदारी , जंगलादार  मकान , बाखली   , खोली , छाज  कोटि बनाल  ) काष्ठ कला अंकन , लकड़ी नक्काशी-  263
 Traditional House wood Carving Art of  Kunjethi, Rudraprayag 
 संकलन - भीष्म कुकरेती
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  रुद्रप्रयाग से  नक्काशीदार  मकान की सूचना मिलती  ही  रहती है . इसी क्रम में  उखीमठ रुद्रप्रयाग के बंजेड़ क्षेत्र के कुणजेठी गाँव के  स्व तारा सिंह  कोटवाल   निर्मित   खोली पर चर्चा की जाएगी .  सौ वर्ष से    अधिक पुराना  मकान दुपुर व तिबारियुक्त था . किन्तु बीस वर्ष पहले जीर्णोद्धार में तिबारी निकाल दी गयी है . स्व तारा सिंह कोटवाल मिस्त्री परिवार के थे . स्व  तारा सिंह कोटवाल के मकान की खोली भव्य है व तल मंजिल से पहली मंजिल तक पंहुची है .  स्व तारा सिंह कोटवाल की खोली कुछ विशेष है . खोली के दोनों और मुख्य सिंगाड़ / स्तम्भ  हैं  जो उप स्तम्भों के युग्म से निर्मित हैं . उप स्तम्भ इ आधार में कमल  आकर से   से घुंडी , बने हैं व ड्यूल हैं . जहाँ  पर सीधा कमल दल समाप्त होता है वहां से स्तम्भ में प्राकृतिक कला अंकन होता है व सभी उप स्तम्भ उपर  मुरिंड /मथिंड के स्तर बन जाते हैं .  खोली का मुरिंड चौखट है . इस भाग में मुरिंड के बीच में कोई देव आकृति है . मुरिंड के उपर गोल कोने वाला   आयताकार आकृति है . आयताकार आकृति के मध्य भी देव आकृति  अंकित हुयी है व आयताकार आकृति के स्कन्धों में (त्रिभुज जैसे ) बहुदलीय पुष्प अंकित हैं . मुरिंड के अगल बगल में  दो दो दीवालगीर हैं .  प्रत्येक दीवालगीर  में आधार पर फूल नाभि (केशर नाभि ) व चिड़िया की  मिश्रित आकृति है जिसके उपर हाथी की आकृति अंकित है . छत आधार  से नीचे की ओर  शंकु आकर की आकृतियाँ अंकित हैं  जो अति आकर्षक हैं .
निष्कर्ष निकलता है कि कुणजेठी (उखीमठ, रुद्रप्रयाग )  में स्व तारा सिंह कोटवाल निर्मित मकान खोली में 'काठ लछ्याणौ ,  कुर्याणौ पाड़ी  ब्यूंत' की काष्ठ कला' में ज्यामितीय , प्राकृतिक व मानवीय अल्नक्र्ण का अंकन हुआ है . खोली भव्य किस्म की है व  गढवाल की  अन्य खोलियों से कुछ  विशेष है .
सूचना व फोटो आभार:  मूल कुंवर सिंह कोटवाल
   (सौजन्य : सचिदा नन्द सेमवाल )
  * यह आलेख भवन कला संबंधी है न कि मिल्कियत संबंधी, भौगोलिक स्तिथि संबंधी।  भौगोलिक व मिलकियत की सूचना श्रुति से मिली है अत: अंतर  के लिए सूचना दाता व  संकलन  कर्ता उत्तरदायी नही हैं . 
  Copyright @ Bhishma Kukreti, 2020   
 Traditional House wood Carving Art of  Rudraprayag    Garhwal  Uttarakhand , Himalaya   
  रुद्रप्रयाग , गढवाल   तिबारियों , निमदारियों , डंड्यळियों, बाखलीयों   ,खोली, कोटि बनाल )   में काष्ठ उत्कीर्णन कला /अलंकरण , नक्काशी  श्रृंखला 
  गढ़वाल,  कुमाऊँ , उत्तराखंड , हिमालय की भवन  (तिबारी, निमदारी , जंगलादार  मकान , बाखली   ) काष्ठ अंकन लोक कला ( तिबारी अंकन )  - 
Traditional House Wood Carving Art (Tibari) of Garhwal , Uttarakhand , Himalaya ; Traditional House wood Carving Art of  Rudraprayag  Tehsil, Rudraprayag    Garhwal   Traditional House wood Carving Art of  Ukhimath Rudraprayag.   Garhwal;  Traditional House wood Carving Art of  Jakholi, Rudraprayag  , Garhwal, नक्काशी , जखोली , रुद्रप्रयाग में भवन काष्ठ कला, नक्काशी  ; उखीमठ , रुद्रप्रयाग  में भवन काष्ठ कला अंकन, नक्काशी  , खिड़कियों में नक्काशी , रुद्रप्रयाग में दरवाज़ों में नक्काशी , रुद्रप्रयाग में द्वारों में नक्काशी ,  स्तम्भों  में नक्काशी


 

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