धानाचुली (नैनीताल ) के एक मकान में 'काठ लछ्याण , चिरण , कुर्याणौ पाड़ी ब्यूंत' की काष्ठ कला अलंकरण, लकड़ी नक्काशी
कुमाऊँ , गढ़वाल, हरिद्वार उत्तराखंड , हिमालय की भवन ( बाखली , तिबारी , निमदारी , जंगलादार मकान , खोली , कोटि बनाल ) में 'काठ लछ्याण , चिरण , कुर्याणौ पाड़ी ब्यूंत' की काष्ठ कला अलंकरण, लकड़ी नक्काशी- 274
संकलन - भीष्म कुकरेती
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कुमाऊं से कई विशेष कलायुक्त भवनों की सूचना मिलती रही हैं। आज धानाचुली (कुमाऊँ ) के एक वीरान मकान में 'काठ लछ्याण , चिरण , कुर्याणौ पाड़ी ब्यूंत' की काष्ठ कला अलंकरण, लकड़ी नक्काशी पर चर्चा होगी।
धानाचुली (नैनीताल ) का यह वीरान मकान डेढ़पुर व तिघर मकान है। मकान आम कुमाउंनी घरों से कुछ अलग हा कि छाज /झरोखे तल मंजिल में हैं।धानाचुली के प्रस्तुत वीरान मकान में 'काठ लछ्याण , चिरण , कुर्याणौ पाड़ी ब्यूंत' की काष्ठ कला अलंकरण, लकड़ी नक्काशी समझने हेतु मकान के तल मंजिल में झरोखेनुमा दो कमरों के द्वारों , व बीच में एक कमरे के दरवाजों ; खिडकियों , तल मंजिल व पहली मंज़िल के मध्य गांज ( पहली मंज़िल हेतु कड़ियों / बौळियों से बना आधार) पर टक्क लगाने की आवश्यकता है।
धानाचूली के प्रस्तुत मकान की विशेषता है कि तल मंजिल में ही झरोखे आदि हैं जबकि कुमाऊं के अन्य भागों में छाज /झरोखे पहली मंजिल में होते हैं।
मकान के खिडकियों, दरवाजों , पोल होल के बाहर पत्थर के मेहराब से साफ़ जाहिर है कि मकान शैली पर ब्रिटिश शैली हावी हुयी है।
तल मंजिल में दो कुछ बड़ी खिड़कियाँ हैं जिनके सिंगाड़ों में आधार पर घुंडी नुमा अंकन हुआ है। खिडकियों में एक ही दरवाज़ा है जो वास्तव में झरोखे का कम करता है। दरवाज़े के पटिल्या (पैनल ) पर आधार पर कमल पुष्प दल है। फूल दल के उपर दो सूरजमुखी नुमा फूल अंकित हैं। फूलों से कुछ ऊपर चतुर्भुज गणपति की मूर्ति अंकित है। पटिले के सबसे उपरी भाग में तोरणम अंकन हुआ है। मुरिंड / मथिंड के उपर तोरणम स्कन्ध में कुछ लिखा है।
तल मंजिल में बेच में एक कमरे के दरवाजे के दोनों ओर मुख्य सिंगाड़ /स्तम्भ है। ये मुख्य स्तम्भ तीन तीन उप स्तम्भों के जोड़ से निर्मित हैं। एक स्तम्भ आधार से हीसीधा है जिस पर प्राकृतिक अलंकरण हुआ है। बाकी दो उप सभों के आधार में कमल निर्मित कुम्भी है , कुम्भी के ऊपर ड्यूल है व ड्यूल के ऊपर उर्घ्वागामी कमल पुष्प आकृति अंकित ही. यहाँ से तीनो उप स्तम्भ सीधे ऊपर जाकर मुरिंड के परत बन जाते हैं। मुरिंड की परतों में बेल बूटों का अंकन दृष्टिगोचर हो रहा है।
किनारे के कमरों के दरवाजों (झरोखों के दरवाज़े ) में सिंगाड़ों में कला अंकन है। किनारे के दरवाजों के सिंगाड़ों के मध्य में एक कलाकृत स्तम्भ है। हर झरोखे के दरवाजों के मुख्य स्तम्भ भी उप स्तम्भों के जोड़ से बने हैं। सभी उप स्तम्भों के आधार पर अधोगामी (उल्टे ) कमल फूल दल से कुम्भी निर्मित हुयी है , कमल फूल के ऊपर ड्यूल है जिसके उपर उर्घ्वागामी कमल दल घुंडी / भड्डू जैसे आकृति निर्माण करता है। यहाँ से उप स्तम्भ ओप्प्र की ओर बढ़ता है व ऊपर जाकर उल्टा कमल , ड्यूल व सीधे कमल दल की पुनरावृति होती है। यहाँ से अंदरूनी उप स्तम्भ छोड़ बाकी उप स्तम्भ सीधे ऊपर जाकर मुरिंड /मथिंड/शीर्ष के परतें /स्तर। लेयर बन जाते हैं। अंदरूनी उप स्तम्भ से यहाँ से अर्ध चाप निकलते हैं जो सामने के उप स्तम्भ के अर्ध चाप से मिलकर दरवाज़े के उपर अंदरूनी तोरणम बनाते हैं। तोरणम के दोनों त्रिभुजाकार स्कन्धों में के कोण से नेचे की ओर आते कलम पंखुड़ियों का अंकन हुआ है।
मुरिंड/मथिंड/शीर्ष की परतें कड़ियों जैस इस्पात हैं। दो झरोखों के दरवाजों के मध्य एक विशेष स्तम्भ है। आधार में कुम्भी , ड्यूल , भड्डू आकृति अंकन तो अन्य उप स्तम्भों जैसे हीहै किन्तु भड्डू आकृति के ऊपर दो पत्तियों के नाड़ी संरचना जैसी आकृतियों का अंकन हुआ है।
जहाँ तक दो मंजिलों के मध्य कड़ियों /बौळियों का प्रश्न है व छत के आधार की कड़ियों से साफ लगता है कि यहाँ पर जौनसार , रवायीं की कोटि बनाल तकनीक अपनाई गयी है। यही कारण है कि ट्रैवल विशेषज्ञ इन मकानों पर जौनसारी प्रभाव की चर्चा करते हैं।
निष्कर्ष निकलता है कि धानाचूली के प्रस्तुत मकान में 'काठ लछ्याण , चिरण , कुर्याणौ पाड़ी ब्यूंत' से विशेष में विशेष (exclusve ) काष्ठ अंकन हुआ है व मकान में 'काठ लछ्याण , चिरण , कुर्याणौ पाड़ी ब्यूंत' से ज्यामितीय , प्राकृतिक व मानवीय कला , अलंकरण अंकन हुआ है।
सूचना प्रेरणा - सत्य प्रसाद
फोटो आभार: मुक्ता नाइक
यह लेख भवन कला संबंधित है न कि मिल्कियत संबंधी। . मालिकाना जानकारी श्रुति से मिलती है अत: नाम /नामों में अंतर हो सकता है जिसके लिए सूचना दाता व संकलन कर्ता उत्तरदायी नही हैं .
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गढ़वाल, कुमाऊँ , उत्तराखंड , हिमालय की भवन (तिबारी, निमदारी , जंगलादार मकान , बाखली, कोटि बनाल ) काष्ठ कला अंकन, लकड़ी पर नक्काशी
अल्मोड़ा में बाखली काष्ठ कला , पिथोरागढ़ में बाखली काष्ठ कला ; चम्पावत में बाखली काष्ठ कला ; उधम सिंह नगर में बाखली नक्काशी ; काष्ठ कला ;; नैनीताल में बाखली नक्काशी ;
Traditional House Wood Carving Art (Tibari, Nimdari, Bakhali, Mori) of Garhwal , Kumaun , Uttarakhand , Himalaya House wood carving Art in Bakhali Mori, chhaj in Almora Kumaon , Uttarakhand ; House wood carving Art in Bakhali Mori, chhaj in Nainital Kumaon , Uttarakhand ; House wood carving Art in Bakhali Mori, chhaj in Pithoragarh Kumaon , Uttarakhand ; House wood carving Art in Bakhali Mori, chhaj in Udham Singh Nagar Kumaon , Uttarakhand ; कुमाऊं में बाखली में नक्काशी , , मोरी में नक्काशी , मकानों में नक्काशी ; कुमाऊं की बाखलियों में लकड़ी नक्काशी , कुमाऊं की बाखली में काष्ठ कला व अलंकरण , कुमाओं की मोरियों में नक्काशी श्रृंखला जारी रहेगी ...