Author Topic: House Wood carving Art /Ornamentation Uttarakhand ; उत्तराखंड में भवन काष्ठ कल  (Read 181010 times)

Bhishma Kukreti

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दियारी (नैनीताल )  के एक जीर्ण शीर्ण मकान में काष्ठ कला अलंकरण, लकड़ी नक्काशी

कुमाऊँ , गढ़वाल, हरिद्वार उत्तराखंड , हिमालय की भवन  ( बाखली  ,   तिबारी , निमदारी , जंगलादार  मकान ,  खोली  ,  कोटि बनाल   )  में  'काठ  लछ्याण , चिरण ,  कुर्याणौ पाड़ी  ब्यूंत' की   काष्ठ कला अलंकरण, लकड़ी नक्काशी-  295
संकलन - भीष्म कुकरेती
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ग्रामीण नैनीताल  में  काष्ठ   अंकन युक्त मकानों की सूचना मिलती रहती है।   आज इसी क्रम में  कोस्या कुटौली  के दियारा  गाँव के एक मकान की सूचना उपलब्ध हुयी हैं। 
मकान दुपुर -दुघर है।  मकान ईंटों से निर्मित हुआ है किन्तु लकड़ी की नक्काशी पारम्परिक है।   प्रस्तुत मकान में लकड़ी की नक्काशी (जिसे लिखाई कला नाम दिया गया है ) समझने हेतु मकान की खोली , पहली मंजिल में शहतीर , शहतीर के ऊपर झरोखो/छाजों  व  छत आधार की लंबी कड़ी में काष्ठ अंकन का अध्ययन आवश्यक है। 
मकान की खोली  (आंतरिक  सीढ़ियों का प्रवेश द्वार ) तल मंजिल से  उठकर ऊपर पहली मंजिल तक गयी है।  खोली  देहरी के ऊपर स्थित है।  खोली के  दोनों ओर के मुख्य स्तम्भ  तीन तीन उप स्तम्भों के युग्म /जोड़ से बने हैं।  दो उपस्त्म्भों  के मध्य एक  कड़ी है जिसपर सर्पीली  लता अंकन हुआ है।  कड़ी ऊपर जाकर मुरिन्ड /मथिण्ड /शीर्ष का स्तर बन जाता है।   दोनों किनारे के दोनों उप स्तम्भों के आधार में अधोगामी पद्म दल अंकित हो कुम्भी बनता है ,  कुम्भी के ऊपर  ड्यूल (घड़े का मुँहनुमा )  है जिसके ऊपर उर्घ्वगामी कमल दल अंकन हुआ है ; फिर ड्यूल है।  दल के ऊपर बड़ा उर्घ्वगामी कमल  फूल है जिसकी पंखुड़ियों  पीछे की  ओर  मुड़ी हैं।  यहां से  दोनों उप स्तम्भ कड़ी रूप धारण करते हैं , कड़ियाँ ऊपर जाकर मुरिन्ड /मथिण्ड   का   स्तर  बनते हैं।  ध्यान देने वाली बात है कि बाह्य  उप स्तम्भ की कड़ियों में  पत्तियां अंकित हैं   जब की आंतरिक उप स्तम्भ की कड़ियों में  नाना प्रकार के सर्पीले लताओं का अंकन हुआ है।    कड़ियाँ हैं जो ऊपर जाकर मुरिन्ड के स्तर बनते हैं व मुरिन्ड में कला उतपन्नकरते हैं।  मुरिन्ड  में स्तरों में वही अंकन हुआ है जो सीधे कमल के बाद उप स्तम्भों की कड़ियों में हुआ है। 
मुरिन्ड के नीचे अंदर की ओर  आकर्षक तोरणम (मेहराब )  बना है।   मेहराब के ऊपर के स्कंध  के त्रिभुजों में एक एक  त्रिदलीय पत्ती  का अंकन हुआ है। 
   खोली के मुरिन्ड के ऊपर  एक चौखट कड़ी   (शहतीर ) है जिस पर  अंकन हुआ है  या नहीं स्पष्ट नहीं है।  इस शहतीर /कड़ी के ऊपर एक अन्य चौड़ी  कड़ी है जिसपर नाड़ी समेत  पत्तियों का अंकन हुआ है।  पत्तियों की नाड़ी से साफ पता चलता है अंकन में बारीकी है।
 तल मंजिल में खोली के समानांतर एक बड़ा  कमरा या भंडार है जिसके दरवाजे नहीं दिख रहे हैं।  पहली मंजिल में इस कमरे  का  मुरिन्ड  ही शहतीर है। इस शहतीर / चौखट चौड़ी कड़ी  के कई परते हैं।  तल किनारे व ऊपर तल किनारों की परतों में ज्यामितीय अंकन हुआ है जब की मध्य की  चौड़ी पार्ट में सीधे फूल पत्तियों व उलटे फूल पत्तियों का आकर्षक अंकन हुआ है।  इस शहतीर के ऊपर  दो कड़ियाँ जो वास्तव में छाजों /झरोखों  के आधार कड़ियाँ है ।  झरोखे के आधार वाली कड़ी में  छ्यूँती  (चीड़ का फल )  की पंखुड़ियों जैसा अंकन हुआ है।  इस कड़ी के ऊपर सपाट कड़ी है जिस पर  तीन छाज /झरोखे स्थापित हैं।  प्रत्येक छाज /झरोखे   के मुख्य स्तम्भ दो दो उप स्तम्भों के मेल से बने हैं व   इस तरह किनारे में दो ही उप स्तम्भ हैं किन्तु मध्य में दो जगह चार चार उप स्तम्भ हैं।  कला  दृष्टि से छाजों   के  उप स्तम्भों में लगभग खोली  क ेउप स्तम्भ जैसे ही कला अंकन हुआ है।  छाजों  के निम्न भाग में दुं ळ /छेद  /ढुड्यार/ झरोखे     तत्ख्तों से ढके हैं।  ऊपरी भाग के दुंळ  /ढुड्यारों  में छेद  खाली हैं व इन  झरोखों के ऊपरी भाग में  तोरणम है व  कला दृष्टि से लगभग खोली के तोरणम  ही लगते हैं. झरोखों /छाजों  में मुरिन्ड में उतने ही स्तर हैं जितने उप स्तम्भ व मुरिन्ड में  वही कला अंकन  है जो  उप स्तम्भों में हुआ है। 
 मुरिन्ड के ऊपर छत आधार की कड़ी है।  छत आधार की इस कड़ी पर भी  नाड़ी युक्त पत्तियों   हुआ है।
  मकान जीर्ण शीर्ण है किंतु  कला  तक बचा।  है।   इस भाग में काष्ठ पर ज्यामितीय व प्राकृतिक    कला अलंकरण  अंकन हुआ है।  मानवीय अलंकरण प्रस्तुत भवन में नहीं मिला। 
सूचना व फोटो आभार: अलाप , FB
यह लेख  भवन  कला संबंधित  है न कि मिल्कियत  संबंधी।  . मालिकाना   जानकारी  श्रुति से मिलती है अत: नाम /नामों में अंतर हो सकता है जिसके लिए  सूचना  दाता व  संकलन कर्ता  उत्तरदायी  नही हैं .
Copyright @ Bhishma Kukreti, 2020
  Traditional House Wood Carving Art in Nainital;  Traditional House Wood Carving Art in Haldwani ,  Nainital;   Traditional House Wood Carving Art in  Ramnagar , Nainital;  Traditional House Wood Carving Art in  Lalkuan , Nainital; 
नैनीताल में मकान , लकड़ी नक्काशी ; हल्द्वानी ,  नैनीताल में मकान , लकड़ी नक्काशी ; रामनगर  नैनीताल में मकान , लकड़ी नक्काशी ; लालकुंआ नैनीताल में मकान , लकड़ी नक्काशी ;


Bhishma Kukreti

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नायी   ( पिंगला पाखा , पौड़ी गढ़वाल )  में स्व जसवंत सिंह की तिबारी व निमदारी युक्त मकान में  काष्ठ कला अलंकरण, अंकन , लकड़ी नक्कासी

  Tibari House Wood Art in House of  Nayi , Pingla Pakha  , Pauri Garhwal     
गढ़वाल,  कुमाऊँ , उत्तराखंड,  की भवन (तिबारी, निमदारी , जंगलादार  मकान , बाखली  , खोली  , मोरी ,  कोटि बनाल  ) में 'काठ लछ्याणौ ,  कुर्याणौ पाड़ी  ब्यूंत '  की   काष्ठ कला अलंकरण, अंकन , लकड़ी नक्कासी-298
 संकलन - भीष्म कुकरेती   
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  पोखड़ा (पौड़ी ) से काष्ठ कला युक्त भवनों की  सूचनाएं लगातरा मिलती जा रही हैं।  आज इसी क्रम में नायी   ( पिंगला पाखा , पौड़ी गढ़वाल )  में स्व जसवंत सिंह की तिबारी व निमदारी युक्त मकान में  काष्ठ कला अलंकरण, अंकन , लकड़ी नक्कासी  पर चर्चा होगी।   नाई ( पिंगला पाखा ) के स्व जसवंत  सिंह  के मकान में  काष्ठ  कला समझने हेतु मकान के तल मंजिल में कुठार /भंडार गृहों  के मुरिन्ड  में तोरणम /मेहराब , पहली मंजिल में  एक  ओर  निमदारी के स्तम्भों व  तिबारी के स्तम्भों पर टक्क लगाना आवश्यक है। 
 नायी  गाँव के स्व जसवंत सिंह के मकान में दोनों ओर निमदारी के नीचे तल मंजिल मर बड़े बड़े कमरे हैं व उनके दरवाजे भी बड़े बड़े हैं।  दरवाजों के मुरिन्ड (मथिण्ड , शीर्ष ) में  ज्यामितीय तोरणम /मेहराब स्थापित हैं।   मकान के  एक  ओर पहली मंजिल में निमदारी है जसमें दस स्तम्भ हैं।  स्तम्भ व ऊपरी कड़ी सभी सपाट  हैं।  इन स्तम्भों व कड़ी में केवल ज्यामितीय कटान  विद्यमान हैं। 
 नायी  गाँव के स्व जसवंत सिंह    के पहली मंजिल में  मकान में  एक ओर  तिबारी है।  तिबारी   पांच स्तम्भ  व चार ख्वाळों की तिबारी है।   सभी सिंगाड़ / स्तम्भ देहरी के ऊपर स्थपित हैं।  सभी स्तम्भ  एक जैसे हैं।  स्तम्भ  पत्थर के आधार पर टिके  हैं।  स्तम्भ का  आधार  उल्टे कमल आकृति से निर्मित कुम्भी हैं।  कुम्भी के ऊपर ड्यूल  है जिसके ऊपर उर्घ्वगामी पद्म  पुष्प दल आकृति है व यहां से  सिंगाड़ /स्तम्भ  लौकी आकृति धारण कर ऊपर बढ़ता है।  जहां पर  स्तम्भ की सबसे कम मोटाई है वहां से स्तम्भ थांत  (Cricket Bat  Blade ) रूप धारण कर ऊपर मुरिन्ड /मथिण्ड  की कड़ी से मिल जाता है।   यहीं से स्तम्भ से तोरणम का अर्ध चाप भी शुरू होता है जो सामने के स्तम्भ के अर्ध चाप से मिल पूर्ण तोरणम बनता है।  मेहराब के स्कंध तके दो त्रिभुज हैं।  त्रिभुजों के अंदर सूरजमुखी नुमा पुष्प सुसज्जित हैं।  त्रिभुज में लता नुमा  आकृतियां अंकित हैं।  तिबारी की मुरिन्ड /मथिण्ड  में कई स्तर की कड़ियाँ हैं व एक कटान युक्त कला अंकन हुआ है। 
निष्कर्ष निकलता है कि  नायी  गाँव के स्व जसवंत सिंह  का  मकान  भव्य क्वाठा  ({ ] ) नुमा हैं।  व इस मकान में ज्यामितीय व प्राकृतिक कला अलकंरण हुआ है। 
सूचना व फोटो आभार: डा जयंती प्रसाद नवानी
यह लेख  भवन  कला संबंधित  है . भौगोलिक स्थिति व  मालिकाना   जानकारी  श्रुति से मिलती है अत: यथास्थिति में अंतर हो सकता है जिसके लिए  सूचना  दाता व  संकलन कर्ता  उत्तरदायी  नही हैं .
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गढ़वाल,  कुमाऊँ , उत्तराखंड , हिमालय की भवन  (तिबारी, निमदारी , जंगलादार  मकान ,बाखली ,  बाखई, कोटि बनाल  ) काष्ठ  कला अंकन नक्काशी श्रृंखला  जारी रहेगी   - 
 
Tibari House Wood Art in Kot , Pauri Garhwal ; Tibari House Wood Art in Pauri block Pauri Garhwal ;   Tibari House Wood Art in Pabo, Pauri Garhwal ;  Tibari House Wood Art in Kaljikhal Pauri Garhwal ;  Tibari House Wood Art in Thalisain , Pauri Garhwal ;   द्वारीखाल पौड़ी  गढवाल में तिबारी,  खोली , भवन काष्ठ  कला, लकड़ी नक्काशी  ;बीरों खाल ,  पौड़ी  गढवाल में तिबारी,  खोली , भवन काष्ठ  कला नक्काशी ; नैनीडांडा  पौड़ी  गढवाल में तिबारी,  खोली , भवन काष्ठ  कला नक्काशी ; लकड़ी नक्काशी पोखरा   पौड़ी  गढवाल पौड़ी  गढवाल में तिबारी,  खोली , भवन काष्ठ  कला नक्काशी ;  में तिबारी,  खोली , भवन काष्ठ  कला नक्काशी ; रिखणीखाळ  पौड़ी  गढवाल में तिबारी,  खोली , भवन काष्ठ  कला नक्काशी ;   पौड़ी  गढवाल में तिबारी,  खोली , भवन काष्ठ  कला नक्काशी ; जहरीखाल  पौड़ी  गढवाल में तिबारी,  खोली , भवन काष्ठ  कला नक्काशी ;  दुग्गड्डा   पौड़ी  गढवाल में तिबारी,  खोली , भवन काष्ठ  कला , लकड़ी नक्काशी ; यमकेश्वर  पौड़ी  गढवाल में तिबारी,  खोली , भवन काष्ठ  कला नक्काशी ;   खम्भों  में  नक्काशी  , भवन नक्काशी  नक्काशी,  मकान की लकड़ी  में नक्श

Bhishma Kukreti

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रतूड़ा ( कर्णप्रयाग , चमोली )) में कृष्णा नंद रतूड़ी  के मकान में तिबारी, खोली  में काष्ठ  कला  अलंकरण अंकन,  लकड़ी नक्काशी

House Wood Carving Art  from Ratura , Karnaprayag    , Chamoli   
 
गढ़वाल,  कुमाऊँ  की भवन  (तिबारी, निमदारी , जंगलादार  मकान , बाखली  , खोली  , मोरी , कोटि बनाल   ) में  'काठ लछ्याणौ ,  कुर्याणौ पाड़ी  ब्यूंत' की काष्ठ कला  अलंकरण अंकन, लकड़ी नक्काशी- 299 
 संकलन - भीष्म कुकरेती   
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 चमोली गढ़वाल में प्रत्येक क्षेत्र से तिबारियों , निमदारियों , जंगलेदार मकानों व अन्य विशेष मकानों की सूचना मिलती जा रही है।  इसी क्रम में आज रतूड़ा ( कर्णप्रयाग , चमोली )) में कृष्णा नंद रतूड़ी  के मकान में तिबारी, खोली  में काष्ठ  कला पर चर्चा होगी। मकान अपने समय का भव्य मकान है।
  रतूड़ा ( कर्णप्रयाग , चमोली )) में कृष्णा नंद रतूड़ी  का मकान  दुपुर -दुघर (तिभित्या ) है।  मकान में तिबारी पहली मंजिल में स्थापित है व खोली तल मंजिल में स्थापित है।
मकान के तल मंजिल में  सभी कमरों के द्वार में मुख्य स्तम्भ पर नीचे नक्काशी से घुंडियां/कुम्भियाँ  बने हैं व आगे जाकर ये स्तम्भ ऊपर जाकर मुरिन्ड /मथिण्ड  के स्तर  बन जाते हैं। एक कमरे के मुरिन्ड में  देव मूर्ती दृष्टिगोचर हो रही है।
 मकान की खोली (आंतरिक सीढ़ियों हेतु प्रवेशद्वार ) में दोनों ओर सिंगाड़ /मुख्य स्तम्भ हैं जो कम से कम तीन उप स्तम्भों के युग्म से बने हैं।  दो उप स्तम्भ सीधे हैं जिन पर आधार से कुछ ऊपर सर्पिल लतानुमा अंकन हुआ है. दो अन्य स्तम्भों के आधार पर उलटे कमल दल , ड्यूल व सीधे कमल दल से घुंडियां दृष्टिगोचर हो रही है व यहां से उप स्तम्भों में गुल्म लता अंकन हुआ दीखता है।  सभी उप स्तम्भ ऊपर जाकर मुरिन्ड /मथिण्ड /शीर्ष का स्तर बनते हैं।  मुरिन्ड में देव मूर्ति स्थापित है।
 मकान की तिबारी प्रथम मंजिल में है. तिबारी चौखम्या (चार स्तम्भ ) व तिख्वळया है।  स्तम्भ का आधार पत्र के आधार पर टिके  हैं।  स्तम्भ के आधार में उलटे कमल दल से कुम्भी बनी है , कुम्भी के ऊपर ड्यूल है व ड्यूल के ऊपर उर्घ्वगामी पद्म पुष्प दल अंकित है।  यहां से स्तम्भ लौकी शक्ल अख्तियार करता है।  जहां पर सबसे  कम  मोटाई है वहां पर उल्टा कमल दल अंकन हुआ है जिसके ऊपर ड्यूल है व ड्यूल के ऊपर कमल फूल खिला है।  कमल फूल के ऊपर से स्तम्भ ऊपर की ओर  थांत आकर लता है व मुरिन्ड /शीर्ष से मिल जाता है।  यहीं से मेहराब का आधा चाप भी निकलता है जो सामने के  अर्ध चाप से मिल तोरणम /मेहराब बनाते हैं।  मेहराब के स्कंध त्रिभुज में सूरजमुखी नुमा फूल अंकन हुआ है।  मुरिन्ड में अंकन अस्पष्ट है।
सूचना व फोटो आभार:  दिवाकर चमोली 
यह लेख  भवन  कला संबंधित  है न कि मिल्कियत  संबंधी  . मालिकाना   जानकारी  श्रुति से मिलती है अत:  वस्तुस्थिति में  अंतर   हो सकता है जिसके लिए  सूचना  दाता व  संकलन कर्ता  उत्तरदायी  नही हैं .
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गढ़वाल,  कुमाऊँ , उत्तराखंड , हिमालय की भवन  (तिबारी, निमदारी , जंगलादार  मकान , बाखली , मोरी , खोली,  कोटि बनाल  ) काष्ठ  कला अंकन , लकड़ी नक्काशी श्रंखला जारी   
   House Wood Carving Ornamentation from  Chamoli, Chamoli garhwal , Uttarakhand ;   House Wood Carving Ornamentation/ Art  from  Joshimath ,Chamoli garhwal , Uttarakhand ;  House Wood Carving Ornamentation from  Gairsain Chamoli garhwal , Uttarakhand ;     House Wood Carving Ornamentation from  Karnaprayag Chamoli garhwal , Uttarakhand ;   House Wood Carving Ornamentation from  Pokhari  Chamoli garhwal , Uttarakhand ;   कर्णप्रयाग में  भवन काष्ठ कला, नक्काशी ;  गपेश्वर में  भवन काष्ठ कला,नक्काशी ;  नीति,   घाटी में भवन काष्ठ  कला, नक्काशी  ; जोशीमठ में भवन काष्ठ कला, नक्काशी , पोखरी -गैरसैण  में भवन काष्ठ कला, नक्काशी श्रृंखला जारी  रहेगी


Bhishma Kukreti

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जगथाना ( कपकोट  , बागेश्वर ) में खिमसिंह के भवन में काष्ठ कला अलंकरण, लकड़ी नक्काशी

Tradiitional House Wood Carving Art in Jagthana, Kapkot  Bageshwar , Uttarakhand

कुमाऊँ , गढ़वाल, हरिद्वार उत्तराखंड , हिमालय की भवन  ( बाखली  ,   तिबारी , निमदारी , जंगलादार  मकान ,  खोली  ,  कोटि बनाल   )  में  'काठ  लछ्याण , चिरण ,  कुर्याणौ पाड़ी  ब्यूंत' की   काष्ठ कला अलंकरण, लकड़ी नक्काशी-   296
संकलन - भीष्म कुकरेती
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  मित्रों व हितैषियों से  विभिन्न तरहों से  ग्रामीण उत्तराखंड में परंपरागत भवनों की अच्छी सूचना मिल रही हैं।   बागेश्वर से भी भवनों की सूचना मिलने लगी हैं।  आज इसी क्रम में  जगथाना  (कपकोट , बागेश्वर ) में खिम सिंह  के भवन  में काष्ठ  कला , अंकन पर  चर्चा होगी।
  जगथाना  (कपकोट , बागेश्वर ) में खिम सिंह का भवन बाखली का हिज्जा है।   पस्तुत भवन दुपुर ०दुघर है।  भवन में तल मंजिल में  खोलियाँ व भंडार गृह हैं।  पहली मंजिल छाज /झरोखे हैं।  दोनों मंजिलों में खिड़कियां भी हैं। 
कला सृष्टि से भवन की खोली व छाजों  में टक्क  लगानी आवश्यक है क्योंकि बाकी भागों में ज्यामितीय कटान से कटान हुआ है। 
तल मंजिल में  दो खोलियों  (आंतरिक  सीढ़ी   मार्ग प्रवेश द्वार )  हैं व दोनों माप व कला दृशहती से एक सामान हैं।  खोली तल मंजिल से शुरू हो  पहली मंजिल की छत से कुछ कम ुंचयी तक गयी हैं।  खोली के दोनों ओर  मुख्य स्तम्भ  तीन उप स्तम्भों के जोड़ से बने हैं।   दो  उप स्तम्भों में घट नुमा अंकन हुआ है तो एक उप स्तम्भ सीधा जड़ से मुरिन्ड तक एक सा ही है और उस पर पर्ण -गुल्म का अंकन हुआ है।  बाको दोनों उप स्तम्भों के आधार में  उल्टे कमल दल से कुम्भी निर्मित है जिसके ऊपर ड्यूल है ाव जिसके ऊपर बड़े रूप में सीधा कमल दल अंकन हुआ है। इस जगह से ड्यूल व फिर कुम्भी है।  ऊपरी कुम्भी से उप स्तम्भ    पर्ण - गुल्म य नक्काशी युक्त  सीधे बन मुरिन्ड की एक सतह बन जाते हैं यान ेछ के छह उप स्तम्भ ऊपर जाकर मुरिन्ड /मथिण्ड /शीर्ष के स्तर  बनते हैं।  मुरिन्ड  में देव मूर्ती होनी चाहिए किन्तु छाया चित्र में दृष्टिगोचर नहीं हो रहा है।
 पहली मंजिल में  अकेले व युग्म में छाज /झरोखे हैं।   सभी छाज  तल मंजिल के भंडार या कमरे के ऊपर शहतीर के ऊपर स्थापित हैं।  छज्जों के स्तम्भ उप स्तम्भों के युग्म /जोड़ से बने हैं।   छाजों  /झरोखों के उप स्तम्भ में वही काष्ठ  कला अंकन हुआ है जैसे खोली के उप स्तम्भों में हुआ है।  केवल माप में अंतर् है।
 अनुमान लगाना सरल है कि जगथाना  (कपकोट , बागेश्वर _ के  खिमसिंह  के  मकान भव्य है व अपने युवाकाल में  अति भव्य श्रेणी का भवन था।   काष्ठ  कला , अलंकरण अंकन दृष्टि से  भवन में ज्यामितीय व प्राकृतिक  कला अलंकरण  अंकन हुआ है। 
सूचना व फोटो आभार: पद्म सिंह बिष्ट 
यह लेख  भवन  कला संबंधित  है न कि मिल्कियत  संबंधी।  . मालिकाना   जानकारी  श्रुति से मिलती है अत: नाम /नामों में अंतर हो सकता है जिसके लिए  सूचना  दाता व  संकलन कर्ता  उत्तरदायी  नही हैं .
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 कांडा तहसील , बागेश्वर में परंपरागत मकानों में लकड़ी नक्काशी (काष्ठकला अंकन ) ;   गरुड़, बागेश्वर में परंपरागत मकानों में लकड़ी नक्काशी (काष्ठकला अंकन ) ; कपकोट ,  बागेश्वर में परंपरागत मकानों में लकड़ी नक्काशी (काष्ठकला अंकन ) ;


Bhishma Kukreti

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[b]लाला बजार अल्मोड़ा  के एक पारंपरिक  मकान में   'काठ कुर्यांण'  तकनीक की  काष्ठ कला [/b]अलंकरण,लकड़ी पर  नक्काशी

Traditional House Wood Carving art of , Lala Bazar, Almora , Kumaon
कुमाऊँ , गढ़वाल, हरिद्वार उत्तराखंड , हिमालय की भवन  ( बाखली  ,   तिबारी , निमदारी , जंगलादार  मकान ,  खोली  ,  कोटि बनाल   )     में   'काठ  कुर्याणौ   ब्यूंत '  की काष्ठ कला अलंकरण,लकड़ी पर  नक्काशी- 297   
 संकलन - भीष्म कुकरेती
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  ग्रामीण अल्मोड़ा  ही नहीं शहरी अल्मोड़ा  में मकानों में 'काठ  कुर्यां ' तकनीक से निर्मित मकानों की कई सूचनाएं मिलती रही हैं।  आज इसी  क्रम में  लाला बजार के एक मकान में छाजों /झरोखों  में 'काठ  कुर्याण ' तकनीक  से निर्मित  काष्ठ कला अलंकरण,लकड़ी पर  नक्काशी पर चर्चा होगी।
लाला  बजार का प्रस्तुत  मकान  तिपुरा /तिमंजिला  है।  मकान के तल मंजिल में  लकड़ी दृष्टि से कोई विशेष संरचना उपलब्ध नहीं है।  मकान के पहली मंजिल व दूसरी मंजिल में छाजों /झरोखों में  'काठ कुर्याण '  तकनीक की आकर्षक   काष्ठ कला अलंकरण हुआ है।   दोनों  मंजिलों में कई झरोखे हैं।  प्रत्येक छाज /झरोखे  के उप स्तम्भों में लगभग एक सामान कला अंकन हुआ है।  छाजों के मुख्य स्तम्भ  दो दो उप स्तम्भों से निर्मित हैं।   लाल बजार के इस मकान के छज्जों के उप स्तम्भ  के आधार में अधोगामी पद्म दल से निर्मित कुम्भी निर्मित है , कुम्भी के ऊपर ड्यूल है , ड्यूल के ऊपर उर्घ्वगामी कमल दल है।  यहां से उप स्तम्भ की कड़ी ऊपर बढ़ती है किन्तु मुरिन्ड /मथिण्ड के कुछ नीचे उल्टा कमल दल अंकित हैं , उलटे कमल के ऊपर ड्यूल है जिसके ऊपर सीधा कमल दल है।  यहां से उप स्तम्भ की कड़ी सीधे ऊपर जाकर मुरिन्ड /मथिण्ड के स्तर बन जाते हैं।  छाज में ऊपर  दो मुख्य स्तम्भों के मध्य तोरणम /मेहराब भी स्थापित हैं।  झरोखों के दरवाज़ों को स कटान युक्त तख्तों से ढका गया है।    छाजों /झरोखों में अलंकृत अंकन आकर्षक हैं।
छत के आधार के नीचे भी ज्यामितीय कटान से  कला अंकन हुआ है।
सूचना व फोटो आभार :  बलवंत सिंह 
यह लेख  भवन  कला संबंधित  है न कि मिल्कियत  संबंधी।  . मालिकाना   जानकारी  श्रुति से मिलती है अत: नाम /नामों में अंतर हो सकता है जिसके लिए  सूचना  दाता व  संकलन कर्ता  उत्तरदायी  नही हैं .
Copyright @ Bhishma Kukreti, 2020
Traditional House Wood Carving art of , Kumaon ;गढ़वाल,  कुमाऊँ , उत्तराखंड , हिमालय की भवन  (तिबारी, निमदारी , जंगलादार  मकान , बाखली, कोटि  बनाल  ) काष्ठ  कला अंकन, लकड़ी पर नक्काशी   
अल्मोड़ा में  बाखली  काष्ठ कला ; भिकयासैनण , अल्मोड़ा में  बाखली  काष्ठ कला ;  रानीखेत   अल्मोड़ा में  बाखली  काष्ठ कला ; भनोली   अल्मोड़ा में  बाखली  काष्ठ कला ; सोमेश्वर  अल्मोड़ा में  बाखली  काष्ठ कला ; द्वारहाट  अल्मोड़ा में  बाखली  काष्ठ कला ; चखुटिया  अल्मोड़ा में  बाखली  काष्ठ कला ;  जैंती  अल्मोड़ा में  बाखली  काष्ठ कला ; सल्ट  अल्मोड़ा में  बाखली  काष्ठ कला ;

Bhishma Kukreti

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 घिमतोली (चमोली गढवाल ) में लक्ष्मण सिंह नेगी के भवन  के  तिबारी,  खोली में  'काठ लछ्याणौ ,  कुर्याणौ पाड़ी  ब्यूंत' की काष्ठ कला  अलंकरण अंकन,

गढ़वाल,  कुमाऊँ  की भवन  (तिबारी, निमदारी , जंगलादार  मकान , बाखली  , खोली  , मोरी , कोटि बनाल   ) में  'काठ लछ्याणौ ,  कुर्याणौ पाड़ी  ब्यूंत' की काष्ठ कला  अलंकरण अंकन, नक्काशी- 276
  House Wood Carving Art  from   , Chamoli 
(अलंकरण व कला पर केंद्रित ) 
 
 संकलन - भीष्म कुकरेती
चमोली गढवाल से   तिबारियों , खोलियों , निमदारियों  की  फोटो सहित  सूचना  निरंतर मिलती रहती हैं।  यह लेखक प्रतिदिन जनपद वार  विवेचना करता जाता हूँ जिससे बहुत से मित्र प्रेम से स्मरण दिलाते रहते हैं।   इसी क्रम  में आज  घिमतोली (चमोली गढवाल ) में लक्ष्मण सिंह नेगी के भवन  के  तिबारी,  खोली में  'काठ लछ्याणौ ,  कुर्याणौ पाड़ी  ब्यूंत' की काष्ठ कला  अलंकरण अंकन, पर चर्चा होगी। घिमतोली में लक्ष्मण  सिंह  नेगी  का दुपुर -दुघर  मकान भव्य है व विशेष अलंकरण से सुस्सजित है। 
  घिमतोली (चमोली गढवाल ) में लक्ष्मण सिंह नेगी के भवन   में लकड़ी  नक्काशी विश्लेषण हेतु तिबारी , दो खोलियों  व  ख्द्कियों में टक्क  लगानी आवश्यक है।   
  घिमतोली (चमोली गढवाल ) में लक्ष्मण सिंह नेगी के भवन   की खोली भव्य श्रेणी में ही आएगी।  घिमतोली (चमोली गढवाल ) में लक्ष्मण सिंह नेगी के भवन   की खोली  के मुख्य सिंगाड़ तीन तीन उप सिंगाड़ों /स्तम्भों  के जोड़ से बने हैं।  सभी स्तम्भ आधार से  उपर जाते हैं व मुरिंड की परतें बन जाते हैं।  दो बाह्य  स्तम्भों में आधार से लेकर  मुरिंड तक  बेलबूटों की नक्काशी हुयी है।  सबसे अंदर  के स्तम्भ का  आधार उल्टे कमल दल से बना है जिसके उपर ड्यूल है फिर सीधा कमल दल है व इसके उपर हाथी सूंड उपर वाले हाथी सूंड से लटका दीखता है याने दो हाथी सूंड अंकन हुआ है।   ऊपरी सूंड के बाद स्तम्भ में  प्राकृतिक अलंकरण हुआ है व यहाँ से स्तम्भ ऊपर जाकर  मुरिंड का हिसा बन जाता है।  ऐसा स्त्म्वह स्नभ्व्त्य पहला स्तम्भ होगा जिसके आधार में हाथी सूंड हैं। 
मुरिंड  स्तम्भों की परतों से बहुस्तरीय निर्मित हुआ है व चौखट नुमा है।  मुरिंड के केंद्र में  च्तुर्भुजीय गणपति मूर्ति सजी है।  गणपति चौकी पर विराजमान हैं।
मुरिंड के अगल बगल एक एक  आयताकार चौखट है जिसके अंदर   खड़ी  चतुर्भुज   लक्ष्मी  विराजमान है।
एक और खोली के मुरिंड/ मथिंड के अगल बगल दो दो दीवालगीर हैं।  प्रत्येक दीवालगीर  के आधार में  चिड़िया (बतख)  गर्दन , उसके उपर दो विशष तरह के म कमल पंखुड़ियां व  लकड़ी के  गट्टे हैं।  एक गट्टे में + जैसे   सरसों     का फूल होता है की आकृति अंकित है।  इस खोली के मुरिंड में किसी देव की मूर्ति अंकित है।  इस खोली के अंदरूनी स्तम्भ के आधार में कुम्भी , ड्यूल , सीधे कमल के उपर कुछ विशेष   प्राकृतिक कृति अंकित हुयी है।
  घिमतोली (चमोली गढवाल ) में लक्ष्मण सिंह नेगी के भवन   की तिबारी पहली मंजिल में स्थापित है।  तिबारी   में चार सिंगाड़/स्तम्भ    हैं याने तिख्वळया  है।  स्तम्भ  देहरी के  ऊपर तरासे पत्थर के ऊपर स्थापित हैं।  प्रत्येक स्तम्भ के आधार में उल्टे कमल दल से कुम्बी निर्मित है , जिसके ऊपर ड्यूल है व जिसके ऊपर उर्घ्वगामी कमल दल है।  यहाँ से स्तम्भ लौकी आकार ले लेता है।  जहाँ स्तम्भ  की मोटाई  न्यूनतम है  वहां  ड्यूल है व ड्यूल    के  ऊपर  भड्डू  आकार  में कमल फूल है  . यहाँ से स्तम्भ थांत आकर लेता है व मुरिंड से मिल जाता है ।  यहीं से महराब भी शुरू होते हैं।  मेहराब  त्रिस्तरीय है ( बाह्य , केन्द्रीय /मध्य व आंतरिक ) . मेहराब के  त्रिभुजाकार   स्कन्धों में अमूर्त अंकन हुआ है।  मुरिंड की तीनों कड़ियों में  प्राकृतिक  अलंकरण हुआ है।  छत के काष्ठ आधार से  थांत के ऊपर दीवालगीर स्थापित है।  दीवाल्गीर में चिंदिया गर्दन चोंच व , पुष्प व कल्पनातीत  ( Abstract) अंकन हुआ है।   
स्तम्भों में आधार से लेकर fluet -flitted  (उभार -गड्ढे )   अंकन  हुआ है .
सारंश में कह सकते हैं कि   घिमतोली (चमोली गढवाल ) में लक्ष्मण सिंह नेगी के  भव्य भवन  में  'काठ लछ्याणौ ,  कुर्याणौ पाड़ी  ब्यूंत'  से प्राकृतिक , ज्यामितीय व मानवीय अलंकरण अंकन हुआ है .   इसमें  शक की गुन्जाय्स hi नही बल अपने समय में  लक्मष्कामण सिंह नेगी का भवन  भव्य रहा होगा व घिमतोली की शान रहा होगा .
 सूचना व फोटो आभार: पृथ्वी सिंह केदारखंडी 
यह लेख  भवन  कला संबंधित  है न कि मिल्कियत  संबंधी  . मालिकाना   जानकारी  श्रुति से मिलती है अत:  वस्तुस्थिति में  अंतर   हो सकता है जिसके लिए  सूचना  दाता व  संकलन कर्ता  उत्तरदायी  नही हैं। 
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गढ़वाल,  कुमाऊँ , उत्तराखंड , हिमालय की भवन  (तिबारी, निमदारी , जंगलादार  मकान , बाखली , मोरी , खोली,  कोटि बनाल  ) काष्ठ  कला अंकन , लकड़ी नक्काशी श्रंखला जारी   
   House Wood Carving Ornamentation from  Chamoli, Chamoli garhwal , Uttarakhand ;   House Wood Carving Ornamentation/ Art  from  Joshimath ,Chamoli garhwal , Uttarakhand ;  House Wood Carving Ornamentation from  Gairsain Chamoli garhwal , Uttarakhand ;     House Wood Carving Ornamentation from  Karnaprayag Chamoli garhwal , Uttarakhand ;   House Wood Carving Ornamentation from  Pokhari  Chamoli garhwal , Uttarakhand ;   कर्णप्रयाग में  भवन काष्ठ कला, नक्काशी ;  गपेश्वर में  भवन काष्ठ कला,नक्काशी ;  नीति,   घाटी में भवन काष्ठ  कला, नक्काशी  ; जोशीमठ में भवन काष्ठ कला, नक्काशी , पोखरी -गैरसैण  में भवन काष्ठ कला, नक्काशी श्रृंखला जारी  रहेगी
 


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देवशाल (उखीमठ , रुद्रप्रयाग ) में देवशाली परिवार के मकान में खोली , तिबारियों में काष्ठ कला अलंकरण अंकन, लकड़ी नक्काशी

Traditional House wood Carving Art of  Devshal, Ukhimath ,  Rudraprayag         : 
  गढ़वाल,  कुमाऊँ , उत्तराखंड , हिमालय की भवन  (तिबारी, निमदारी , जंगलादार  मकान , बाखली   , खोली , छाज  कोटि बनाल  ) 'काठ लछ्याणौ ,  कुर्याणौ पाड़ी  ब्यूंत' की काष्ठ कला अलंकरण अंकन, लकड़ी नक्काशी-300
 संकलन - भीष्म कुकरेती
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 रुद्रप्रयाग से कई तिबारियों की  सूचना प्राप्त होती रहती हैं।  इसी क्रम में आज देवशाल (उखीमठ , रुद्रप्रयाग ) में देवशाली परिवार के मकान में खोली , तिबारियों में काष्ठ कला अलंकरण अंकन, लकड़ी नक्काशी पर चर्चा होगी।  देवशाल (उखीमठ , रुद्रप्रयाग ) में देवशाली परिवार का यह मकान  कुछ विशेष है जिसके तिबारियां गढ़वाल की तिबारियों   में स्तम्भ कला से कुछ  विशेष  हैं।  मकान दुपुर है दुघर है।   मकान में तल मंजिल पर बड़े भंडार के चिन्ह अभी भी दिख रहे हैं।  अनुमान लगता है कि भंडार के बड़े दरवाजे के मुरिन्ड /मथिण्ड  में तोरणम /मेहराब था।   
खोली  (आंतरिक सीढ़ियों का प्रवेश द्वार ) तल मंजिल से पहली मंजिल तक गयी है।  खोली भव्य है।  खोली के मुख्य  सिंगाड़ स्तम्भ  चार चार  उप सिंगाड़ों उप स्तम्भों   के युग्म /जोड़ से निर्मित हैं।  दो उप स्तम्भ आधार से सीधे ऊपर  मुरिन्ड /मथिण्ड  के स्तर बन जाते हैं।  इन  दो स्तम्भों में आधार से ही सर्पाकार /जंजीर लता आकृति अंकन हुआ है जो  मुरिन्ड /मथिण्ड  के स्तरों में भी दृष्टिगोचर हो रहे हैं।  बाकी दो दो स्तम्भों के आधार में उलटे कमल दल , दल व ऊपर सीधे कमल दल से घुंडियां बनी हैं।   उर्घ्वगामी पुष्प दल  के ऊपर से स्तम्भ सीधे ऊपर जाते हैं व मुरिन्ड /मथिण्ड  के स्तर बन जाते हैं।  यहां से इन स्तम्भों में लगुल /रस्सी जैसे आकृति अंकन हुआ है जो मुरिन्ड  के स्तरों में दिख रहा है।
 खोली के मुरिन्ड में  देव आकृति (संभवतया श्री गणेश ) अंकित हुयी है।  ऊपर छप्परिका  के  नीचे मुरिन्ड के अगल -बगल में  दो दो दीवालगीर  प्रकट होते हैं।  देवालगीर में तीन चार गट्टे के आधार हैं।  आधार में चिड़िया गर्दन व चोंच अंकन हुआ है।  दो दीवालगीर के मध्य  श्री लक्ष्मी आकृति अंकित हुयी है। 
  देवशाल (उखीमठ , रुद्रप्रयाग ) में देवशाली परिवार के मकान के पहली मंजिल में खोली के अगल बगल में चार चार  स्तम्भों /खामों से एक एक तिबारी निर्मित है।  चारों स्तम्भ चौखट नुमा हैं व ऊपर मुरिन्ड भी चौखट ही हैं।  इस तिबारी के एक विशेषता है कि मुख्त स्तम्भ उप स्तम्भों के जोड़ से निर्मित हैं।   मुख्य स्तम्भ के किनारे के उप स्तम्भों में आधार पर उल्टे कमल दल , ड्यूल व ऊपर सीधे कमल दल अंकन हुआ है और यहां से उप स्तम्भ ऊपर जाकर मुरिन्ड के स्तर बन जाते हैं।
निष्कर्ष निकलता है कि  देवशाल (उखीमठ , रुद्रप्रयाग ) में देवशाली परिवार के मकान में खोली , तिबारी के काष्ठ में प्राकृतिक, ज्यामितीय व मानवीय (देव आकृतियां ) अलंकरण अंकित हुए हैं।  तिबारी कुछ  मामलों में   गढ़वाल की तिबारियों से कुछ विशेष है विशेषतः स्तम्भ में अंकन ।   

सूचना व फोटो आभार:  बीना  देवशाली बेंजवाल

  * यह आलेख भवन कला संबंधी है न कि मिल्कियत संबंधी, भौगोलिक स्तिथि संबंधी।  भौगोलिक व मिलकियत की सूचना श्रुति से मिली है अत: अंतर  के लिए सूचना दाता व  संकलन  कर्ता उत्तरदायी नही हैं . 
  Copyright @ Bhishma Kukreti, 2020   
 Traditional House wood Carving Art of  Rudraprayag    Garhwal  Uttarakhand , Himalaya   
  रुद्रप्रयाग , गढवाल   तिबारियों , निमदारियों , डंड्यळियों, बाखलीयों   ,खोली, कोटि बनाल )   में काष्ठ उत्कीर्णन कला /अलंकरण , नक्काशी  श्रृंखला 
  गढ़वाल,  कुमाऊँ , उत्तराखंड , हिमालय की भवन  (तिबारी, निमदारी , जंगलादार  मकान , बाखली   ) काष्ठ अंकन लोक कला ( तिबारी अंकन )  - 
Traditional House Wood Carving Art (Tibari) of Garhwal , Uttarakhand , Himalaya ; Traditional House wood Carving Art of  Rudraprayag  Tehsil, Rudraprayag    Garhwal   Traditional House wood Carving Art of  Ukhimath Rudraprayag.   Garhwal;  Traditional House wood Carving Art of  Jakholi, Rudraprayag  , Garhwal, नक्काशी , जखोली , रुद्रप्रयाग में भवन काष्ठ कला, नक्काशी  ; उखीमठ , रुद्रप्रयाग  में भवन काष्ठ कला अंकन, नक्काशी  , खिड़कियों में नक्काशी , रुद्रप्रयाग में दरवाज़ों में नक्काशी , रुद्रप्रयाग में द्वारों में नक्काशी ,  स्तम्भों  में नक्काशी


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टिहरी में रमेश उनियाल के  पारंपरिक मकान के  तिबारी में  काष्ठ  कला , अलकंरण , अंकन, लकड़ी नक्काशी
Traditional House Wood Carving Art of  , Tehri   

  गढ़वाल, कुमाऊं , देहरादून , हरिद्वार ,  उत्तराखंड  भवन  (तिबारी, जंगलेदार निमदारी  , बाखली , खोली , मोरी , कोटि बनाल   ) में काठ  कुर्याणौ  ब्यूंत'  काष्ठ  कला , अलकंरण , अंकन, लकड़ी नक्काशी- 301     

संकलन - भीष्म कुकरेती 
 टिहरी से तिबारियों , खोलियों , निमदारियों व जंगलेदार मकानों की   अच्छी खासी संख्या में सूचना मिल रही हैं।  इसी क्रम में  टिहरी  में  रमेश  उनियाल के मकान में  काष्ठ  कला , अलकंरण , अंकन, लकड़ी नक्काशी पर चर्चा होगी।
टिहरी में रमेश उनियाल का मकान दुपुर है दुघर है। काष्ठ  कला  दृष्टि से रमेश उनियाल के मकान में  केवल तिबारी पर टक्क लगानी आवश्यक है। 
तिबारी तीन कमरों के बरामदे से निर्मित है।  तिबारी में चार मुख्य स्तम्भ हैं याने तिबारी तिख्वळ्या  है।  तिबारी के मुख्य स्तम्भ तीन या चार उप स्तम्भों के जोड़ से बनी हैं।  दो उप स्तम्भ के आधार में उल्टा कमल अंकित है जो उप स्तम्भ की कुम्भी निर्मित करता है।  कुम्भी के  ऊपर  ड्यूल है व ड्यूल के ऊपर उर्घ्वगामी पद्म पुष्प दल अंकन हुआ है। यहां से उप स्तम्भ  चौखट रूप में   सीधे ऊपर मुरिन्ड /मथिण्ड /शीर्ष का स्तर बन जाते हैं।  बाकी दो स्तम्भ आधार से ही सीधे सपाट हैं।  मुरिन्ड /म्थिन्ड/शीर्ष की कड़ी सपाट है व मेहराब नहीं है।
  टिहरी में  रमेश उनियाल के तिबारी में केवल ज्यामितीय व प्राकृतिक अलंकरण अंकन हुआ है।  तिबारी   आम गढ़वाली  की तिबारी से कुछ  विशेष है कि  तिबारी के मुख्य स्तम्भ उप स्तम्भों के युग्म से बने हैं। 
  सूचना व फोटो आभार:हेमा उनियाल 

यह आलेख कला संबंधित है , मिलकियत संबंधी नही है I   भौगोलिक स्तिथि और व भागीदारों  के नामों में त्रुटी  संभव है I 
Copyright @ Bhishma Kukreti, 2020
गढ़वाल, कुमाऊं , देहरादून , हरिद्वार ,  उत्तराखंड  , हिमालय की भवन  (तिबारी, जंगलेदार निमदारी  , बाखली , खोली , मोरी कोटि बनाल     ) काष्ठ  कला  , अलकंरण , अंकन लोक कला , लकड़ी नकाशी
Traditional House Wood Carving Art (in Tibari), Bakhai , Mori , Kholi  , Koti Banal )  Ornamentation of Garhwal , Kumaon , Dehradun , Haridwar Uttarakhand , Himalaya -
  Traditional House Wood Carving Art (Tibari) of  Tehri Garhwal , Uttarakhand , Himalaya   -   
घनसाली तहसील  टिहरी गढवाल  में  भवन काष्ठ कला , नक्काशी ;  टिहरी तहसील  टिहरी गढवाल  में  पारंपरिक भवन काष्ठ कला , नक्काशी ;   धनौल्टी,   टिहरी गढवाल  में  भवन काष्ठ कला, लकड़ी नक्काशी ;   जाखणी  तहसील  टिहरी गढवाल  में  भवन काष्ठ कला , नक्काशी ;   प्रताप  नगर तहसील  टिहरी गढवाल  में  भवन काष्ठ कला, नक्काशी ;   देव प्रयाग    तहसील  टिहरी गढवाल  में  भवन काष्ठ कला, नक्काशी ; House Wood carving Art from   Tehri; 


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बगोरी , नेलांग (उत्तरकाशी ) के एक उजड़े मकान (52 ) में  काष्ठ  कला , अलकंरण , अंकन, लकड़ी नक्काशी

     Traditional House wood Carving Art in  Nelong,  Uttarkashi   
गढ़वाल,  कुमाऊँ , उत्तराखंड , हिमालय की भवन  (तिबारी, निमदारी , जंगलादार  मकान , बाखली  , खोली  , कोटि बनाल )  में काठ,  कुर्याणौ  ब्यूंत'  की काष्ठ  कला , अलकंरण , अंकन, लकड़ी नक्काशी - 302
 संकलन - भीष्म कुकरेती     
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नेलॉन्ग -जाड  घाटी से फेसबुक मित्र नेलौंग  डॉट कॉम से कई चित्र मिले हैं।  इनमे से कई चित्र पुराने हैं  याने 1962  से पहले के हैं व कई उजड़े घरों के चित्र भी हैं।  याद रहे 1962  से  नेलॉन्ग -जाड  गसनव स्थानांतरित हो नीचे आ गए थे व 2015  के बाद ही खुले। 
इसी क्रम में आज नेलॉन्ग -जाड  (उत्तरकाशी ) क्षेत्र से  बगोरी में एक ध्वस्त मकान  की काष्ठ  कला पर चर्चा होगी।  सांस्कृतिक इतिहास हेतु यह मकान महत्वपूर्ण भी है।
मकान कुछ विशेष भी है  . मकान दुपुर -दुघर है।  काष्ठ  कला दृष्टि से  बागोरी -नेलंग के इस मकान के  पहली मंजिल  में ही टक्क  लगाई जायेगी .  पहली मंजिल में सामने की  ओर  गढ़वाली जंगलेदार  मकान की जैसे ही संरचना है।  पहली मंजिल में बरामदे के बाहर  आधार पर एक मजबूत कड़ी है जिस पर चार स्तम्भ  खड़े रहे होंगे अभी तीन ही स्तम्भ /खाम दिष्टिगोचर हो रहे हैं।    स्पष्ट दिख रहा है कि  स्तम्भों के आधार में घुंडियां /कुम्भियाँ है व  इत्तला देता है कि  स्तम्भों में आकर्षक अंकन हुआ था।  स्तम्भ ऊपर जाकर मुरिन्ड से मिलते हैं। ऊपर मुरिन्ड /म्थिन्ड के नीचे दो स्तम्भों के मध्य मेहराब /तोरणम /arch  निर्मित हैं।  यह संरचना गढ़वाल के अन्य भागों के जंगलेदार मकानों के जैसे ही हैं।
मकान की एक विशेषता है कि  सामने से बामदल: ( बायीं तरफ )  एक द्वार है जिसके स्तम्भ व मुरिन्ड  में आकर्षक अंकन के चिन्ह अभी तक बाकी हैं।  मुरिन्ड /म्थिन्ड /शीर्ष में तोरणम /मेहराब /arch  भी है व यह संरचना कुमाऊं  के किसी छाज /झरोखे की  बरबस याद दिला देती है।
निष्कर्ष निकलता है कि  बगोरी  नेलौंग के मकान के स्तम्भों व  झ्रोखेदार  दरवाज़ों    में  आकर्षक कला अंकन हुआ है।  मकान  सन  १९६२ के निर्मित हैं।  व देवदारु की लकड़ी का पत्थर इस्तेमाल के कारण आज भी बचा हुआ है। 
सूचना व फोटो आभार :  nelong .com  (FB मित्र )
यह लेख  भवन  कला संबंधित  है न कि मिल्कियत हेतु . भौगोलिक ,  मालिकाना   जानकारी  श्रुति से मिलती है अत: अंतर हो सकता है जिसके लिए  सूचना  दाता व  संकलन कर्ता  उत्तरदायी  नही हैं .
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 Traditional House Wood Carving Art (Tibari, Nimdari, Bakkhali,  Mori) of   Bhatwari , Uttarkashi Garhwal ,  Uttarakhand ;   Traditional House Wood Carving Art (Tibari, Nimdari, Bakhali,  Mori) of  Rajgarhi ,Uttarkashi ,  Garhwal ,  Uttarakhand ;   Traditional House Wood Carving Art (Tibari, Nimdari, Bakkhali,  Mori) of  Dunda, Uttarkashi ,  Garhwal ,  Uttarakhand ;   Traditional House Wood Carving Art (Tibari, Nimdari, Bakhali,  Mori) of  Chiniysaur, Uttarkashi ,  Garhwal ,  Uttarakhand ;   उत्तरकाशी मकान लकड़ी नक्कासी , भटवाडी मकान लकड़ी नक्कासी ,  रायगढी    उत्तरकाशी मकान लकड़ी नक्कासी , चिनियासौड़  उत्तरकाशी मकान लकड़ी नक्कासी   श्रृंखला जारी रहेगी


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देहरादून में डॉ जयंती नावानी के घर में  तिबारी  में काष्ठ अंकन लोक कला  अलंकरण, लकड़ी नक्कासी

Traditional House Wood Carving Art (Tibari) of  Dehradun   
गढ़वाल, उत्तराखंड , हिमालय की भवन  (तिबारी, निमदारी , जंगलादार , बाखली  , कोटि बनाल , खोली , मोरी    ) में    काठ कुर्याणो  ब्यूंत'  की    काष्ठ अंकन लोक कला  अलंकरण, लकड़ी नक्कासी- 303   
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 संकलन - भीष्म कुकरेती
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 देहरादून शहर में अब   गढ़वाल शैली के  पारंपरिक  मकान नहीं मिलते हैं।   डॉ जयंती नवानी  अपने घर में तिबारी  स्थापित हुयी   है।  तिबारी सर्वथा गढ़वाल शैली की है।  यद्यपि कुछ भाग छाया चित्र में नहीं  दर्शनीय हैं पर ऊपरी भाग से पूरा विवरण मिल जाता है।
देहरादून में डॉ जयंती नवानि की तिबारी  चतुःस्तंभी (चौखम्या ) है व तिख्वळया (त्रिद्वारे ) तिबारी है।   तिबारी के प्रत्येक स्तम्भ के आधार की कुम्भी अधोगामी पद्म दल से निर्मित है जिसके ऊपर ड्यूल है व ड्यूल के ऊपर उर्घ्वगामी पद्म  दल है।  पद्म पुष्प  के ऊपर से स्तम्भ लौकी आकार ले ऊपर बढ़ता है जहां  स्तम्भ की   सबसे कम गोलाई है वहां से स्तम्भ ऊपर की ओर थांत (क्रिकेट बैट ब्लेड )  आकार ग्रहण कर ऊपर शीर्ष /मुरिन्ड/मथिण्ड की कड़ी से मिल जाता है और यहां से अर्ध चाप भी शुरू होता है जो सामने वाले स्तम्भ के अर्ध चाप से मिल पूर्ण तोरणम निर्माण करता है।  तोरणम (arch ) का अंदरुनी किनारा trefoil तिपत्ति नुमा है।  तोरणम के स्तम्भ त्रिभुज में प्राकृतिक कला अंकन हुआ है।  किनारे के स्तम्भ के ऊपरी भाग में एक एक S  नुमा दीवालगीर (bracket ) हैं जो मयूर गला उदर के चित्र अंकन हैं। 
स्तम्भों के ऊपर fluet -flit  (उभार व गहराई )  शैली में अंकन हुआ है।
निष्कर्ष निकलता है कि  देहरादून में डॉ जयंती नवानी के घर की तिबारी भव्य है व ज्यामितीय वा प्राकृतिक अलंकरण अंकन का उत्तम उदाहरण है। 
सूचना व फोटो आभार : डॉ जयंती नवानी
यह लेख कला संबंधित है न कि  मिल्कियत संबंधी ,.  ये सूचनायें  श्रुति माध्यम से मिलती हैं अत:  भौगोलिक व  मिल्कियत  सूचना में व असलियत में अंतर हो सकता है जिसके लिए  संकलन कर्ता व  सूचनादाता  उत्तरदायी नही हैं .
Copyright @ Bhishma Kukreti, 2020
देहरादून , गढ़वाल में तिबारी , निमदारी , जंगलेदार, बाखली , कोटि बनाल  मकानों में काष्ठ कला , अलंकरण , नक्कासी  श्रृंखला जारी रहगी
 Traditional House Wood Carving of Dehradun Garhwal , Uttarakhand , Himalaya  will be continued -
  House Wood Carving Ornamentation from Vikasnagar Dehradun ;  House Wood Carving Ornamentation from Doiwala Dehradun ;  House Wood Carving Ornamentation from Rishikesh  Dehradun ;  House Wood Carving Ornamentation from  Chakrata Dehradun ;  House Wood Carving Ornamentation from  Kalsi Dehradun ;  चकराता , देहरादून में मकान में लकड़ी पर नक्कासी श्रृंखला जारी रहेगी ;  डोईवाला देहरादून में मकान में लकड़ी पर नक्कासी श्रृंखला जारी रहेगी ;  विकासनगर देहरादून में मकान में लकड़ी पर नक्कासी श्रृंखला जारी रहेगी ; कालसी देहरादून में मकान में लकड़ी पर नक्कासी श्रृंखला जारी रहेगी ;  ऋषीकेश देहरादून में मकान में लकड़ी पर नक्कासी श्रृंखला जारी रहेगी 


 

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