Author Topic: House Wood carving Art /Ornamentation Uttarakhand ; उत्तराखंड में भवन काष्ठ कल  (Read 38614 times)

Bhishma Kukreti

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सटोली (रानीखेत, अल्मोड़ा ) के एक भवन के छाजों में  कुमाऊं की    'काठ   कुर्याणौ   ब्यूंत'  की काष्ठ कला  अंकन , अलंकरण, उत्कीर्णन

Traditional House Wood Carving art of, Satoli, Almora, Kumaon
 
कुमाऊँ ,गढ़वाल, के भवन  में ( बाखली ,तिबारी, निमदारी ,जंगलादार  मकान  खोली,  कोटि बनाल )   कुमाऊं की    'काठ   कुर्याणौ   ब्यूंत'  की काष्ठ कला  अंकन , अलंकरण उत्कीर्णन -  398
 (प्रयत्नहै कि इरानी , इराकी , अरबी शब्द वर्जन )
 संकलन - भीष्म कुकरेती
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 सटोली से गिरधर पंत की सहयता से एक भवन के छाज की सूचना मिली है।  प्रस्तुत छाज पहले तल पर स्थापित है।  छाज के तीन मुख्य सिंगाड़ ()स्तम्भ  ) दो दो उप स्तम्भों (सिंगाड़ों ) के युग्म से निर्मित हुए हैं।  सभी उप स्तम्भों में काष्ठ कला , अलंकरण उत्कीर्णन सामान हैं। 
 उप स्तम्भ के आधार में चौखट है जिसके ऊपर अधोगामी पद्म पुष्प दल फिर ड्यूल है के ऊपर कलम दल से घुंडी निर्मित हुए हैं फिर उर्घ्वगामी पद्म पुष्प (जिसके दल ऊपर तक दिखाई दे रहे हैं ) उत्कीर्णन हुए हैं।  यहां से उप स्तम्भ  flitter -fluet कला  युक्त  ऊपर चलते हैं और ऊपर कमल दलों का दुहराव होता है।  कमल दलों के ऊपर भी रिखड़ा आकृति अंकन हुआ है। 
 छाज/ छेद  के निम्न  चौकोर तख्ते में हृदय , लता , पुष्प तरंग का उत्कीर्णन हुआ है।  छाजों  के ऊपर शीर्ष में  तोरणम  स्थापित हैं जिनमें लता , पुष्प आदि उत्कीर्णन हुआ है। 
सूचना मिली है कि प्रस्तुत छाज लेखनी शैली की है जिसके रचनाकार स्व गंगाराम हैं। 
सूचना व फोटो आभार :  इंदिरा चौधरी
प्रेरणा - गिरधर पंत
यह लेख  भवन  कला संबंधित  है न कि मिल्कियत  संबंधी।  . मालिकाना   जानकारी  श्रुति से मिलती है अत: नाम /नामों में अंतर हो सकता है जिसके लिए  सूचना  दाता व  संकलन कर्ता  उत्तरदायी  नही हैं .
Copyright @ Bhishma Kukreti, 2020
Traditional House Wood Carving art of Satoli  , Kumaon ;गढ़वाल,  कुमाऊँ , उत्तराखंड , हिमालय की भवन  (तिबारी, निमदारी , जंगलादार  मकान , बाखली, कोटि  बनाल  ) काष्ठ  कला अंकन, लकड़ी पर नक्काशी   
अल्मोड़ा में  बाखली  काष्ठ कला ; भिकयासैनण , अल्मोड़ा में  बाखली  काष्ठ कला ;  रानीखेत   अल्मोड़ा में  बाखली  काष्ठ कला ; भनोली   अल्मोड़ा में  बाखली  काष्ठ कला ; सोमेश्वर  अल्मोड़ा में  बाखली  काष्ठ कला ; द्वारहाट  अल्मोड़ा में  बाखली  काष्ठ कला ; चखुटिया  अल्मोड़ा में  बाखली  काष्ठ कला ;  जैंती  अल्मोड़ा में  बाखली  काष्ठ कला ; सल्ट  अल्मोड़ा में  बाखली  काष्ठ कला ;


Bhishma Kukreti

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सुरकोट ( बाराकोट , चम्पावत ) में एक भव्य भवन में कुमाऊँ  शैली'   की  'काठ  कुर्याणौ  ब्यूंत 'की  काष्ठ कला अंकन ,  अलंकरण, उत्कीर्णन

Traditional House Wood carving Art of  Surkot , Barakot  , Champawat, Kumaun 
कुमाऊँ ,गढ़वाल,   के भवन ( बाखली,  तिबारी, निमदारी, जंगलादार  मकान , खोली ,कोटि बनाल )  में ' कुमाऊँ  शैली'   की  'काठ  कुर्याणौ  ब्यूंत 'की  काष्ठ कला अंकन ,  अलंकरण, उत्कीर्णन  -399
( लेख में इरानी , इराकी अरबी शब्दों की वर्जना प्रयास हुआ है )
 संकलन - भीष्म कुकरेती 
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 चम्पावत पारम्परिक भवनों हेतु भाग्यशाली जनपद है।  आज सुरकोट ( बाराकोट , चम्पावत ) में एक भव्य भवन में कुमाऊँ  शैली'   की  'काठ  कुर्याणौ  ब्यूंत 'की  काष्ठ कला अंकन ,  अलंकरण, उत्कीर्णन पर चर्चा होगी।  भवन काष्ठ उत्कीर्णन (carving ) हेतु महत्वपूर्ण नहीं होगा किंतु  ज्यामितीय कटान व निर्माण शैली में भव्यता हेतु महत्वपूर्ण है। 
भवन में दो स्थलों पर काष्ठ कला ध्यान देने योग्य है।  पहले तल में द्वार पर सर्पिल या xxx कटान के ज्यामितीय कटान से कला दिखती है। 
 ( बाराकोट , चम्पावत ) में एक भव्य भवन में  पहले तल पर बरामदे पर काष्ठ जंगला स्थापित हुआ है जो भव्य है।  पहले तल पर काष्ठ छज्जा बंधा है जिस पर १६ से अधिक ज्यामितीय कटान से कटे सपाट स्तम्भ हैं।   कुछ ख्वाळों (स्तम्भ के बीच खोह/रिक्त स्थान  ) में   हैं जिनके अंदर सपाट उप स्तम्भ हैं। 
भवन भव्य है किन्तु उत्कीर्णन दृष्टि से केवल ज्यामितीय कटान ही दृष्टिगोचर होता है।
भवन का महत्व  काष्ठ कला , उत्कीर्णन से भले ही हीन  हो किन्तु निर्माण शैली  हेतु भवन बहुत महत्वपूर्ण है।  हिमांशु जोशी का  बहुकोणीय छायाचित्र भी प्रशंसनीय है। 
सूचना व फोटो आभार : हिमांशु जोशी
यह लेख  भवन  कला संबंधित  है न कि मिल्कियत  संबंधी।  . मालिकाना   जानकारी  श्रुति से मिलती है अत: नाम /नामों में अंतर हो सकता है जिसके लिए  सूचना  दाता व  संकलन कर्ता  उत्तरदायी  नही हैं .
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Bakhali House wood Carving Art in  Champawat Tehsil,  Champawat, Uttarakhand;  Bakhali    House wood Carving Art in  Lohaghat Tehsil,  Champawat, Uttarakhand;  Bakhali, House wood Carving Art in  Poornagiri Tehsil,  Champawat, Uttarakhand;  Bakhali , House wood Carving Art in Pati Tehsil ,  Champawat, Uttarakhand;  चम्पावत , उत्तराखंड में भवन काष्ठ कला,  चम्पावत    तहसील , चम्पावत , उत्तराखंड में भवन काष्ठ कला,  ; लोहाघाट तहसील   चम्पावत , उत्तराखंड में भवन काष्ठ कला अंकन ,  पूर्णगिरी तहसील ,  चम्पावत , उत्तराखंड में भवन काष्ठ कला अंकन   ;पटी तहसील    चम्पावत , उत्तराखंड में भवन काष्ठ कला,, अंकन   


Bhishma Kukreti

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बेरीनाग (पिथौरागढ़ ) के एक  बाखली में कुमाऊं शैली की  'काठ  कुर्याणौ  ब्यूंत' की  काष्ठ कला अलंकरण, उत्कीर्णन अंकन

   Traditional House Wood Carving Art  of  Berinag , Pithoragarh
गढ़वाल,कुमाऊँ, के भवनों ( बाखली,तिबारी , निमदारी,जंगलेदार  मकान,खोली,कोटि बना ) में कुमाऊं शैली की  'काठ  कुर्याणौ  ब्यूंत' की  काष्ठ कला अलंकरण, उत्कीर्णन अंकन -  400
 (प्रयत्न है कि ईरानी , इराकी व अरबी  शब्दों  की वर्जना हो )
संकलन - भीष्म कुकरेती
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 स्वर्गीय महानर दसौनी ने स्वर्गवासी होने से पहले अपने गृह गाँव गनौरा से अपने भवन व अपने ससुराल से भी भवनों /बाखलियों की  फोटो सहित सूचना  भेजी थी।  आज  स्वर्गीय महानर दसौनी के ससुराल (बेरीनाग ) की बाखली की कुमाऊं शैली की  'काठ  कुर्याणौ  ब्यूंत' की  काष्ठ कला अलंकरण, उत्कीर्णन अंकन पर चर्चा होगी। 
स्वर्गीय महानर दसौनी के ससुराली बाखली दुपुर-दुखंड  है।  भ्यूं तल (ग्राउंड फ्लोर ) में  कुमाऊं परम्परा अनुसार भंडार गरीग व गौशाला हैं।  अतः इनके द्वारों में कोई कला अलंकरण अंकन दृष्टिगोचर नहीं हो रहा है।  कुमाऊं परम्परा अनुसार ही बेरीनाग की इस बाखली में खोली भ्यूं तल से पहले तल तक गयी है।  खोली भव्य है।  खोली के द्वार के मुख्य सिंगाड़ /स्तम्भ  कम से कम दो उप स्तम्भों के योग से मिर्मित हुए हैं।  उप स्तम्भों के आधार में उलटे कमल दल ,  ऊपर  ड्यूल व कमल  दल  और कमल   दल से कुम्भी।/घुंडी निर्मित हुयी है।   यहां से सिंगाड़ों में प्राकृतिक कला अंकन होता है व उप स्तम्भ ऊपर जाकर खोली के आंतरिक निम्न मुरिन्ड/मथिण्ड /शीर्ष का स्तर बन जाते हैं।  खोली के मुरिन्ड में आंतरिक भाग में तोरणम/arch  है जिसके  स्कंध में प्राकृतिक अलंकरण अंकन हुआ है।  द्वार के मुरिन्ड  का  ऊपरी भाग  चौखट है जिसमें चार चतुर्भुज देव आकृतियां (संभवतया गणेश ) स्थापित हैं। 
  पहले तल पर छाज /झरोखे   भ्यूं तल के ऊपर बौळी /शहतीर के ऊपर ष्ठापित हैं।  काष्ठ बौळी पर संभवतया प्राकृतिक कला अलंकरण उत्कीर्णन हुआ है जो अब धूमिल पद गया है।  छाजों के मुख्य सिंगाड़ /स्तम्भ दो दो उप स्तम्भों के योग से निर्मित हैं। कला उत्कीर्णन दृष्टि से  छाजों के उप स्तम्भ व खोली के उप स्तम्भ प्रतिमूर्ति /सामान हैं।  छाजों के बाह्य या ऊपरी मुरिन्ड /शीर्ष में भी कला अलंकरण खोली के मुरिन्ड जैसे ही है।  छाजों के अंदर छेद (अंडाकार ) के ऊपर तोरणम आकर है और तोरणम में प्राकृतिक अलंकरण कला अंकन हुआ है।  छाजों  के ढुड्यारों  के नीचे खोह में  चौखट पटिले तख्ते हैं।  इन पटिलों में कला अंकन धूमिल पद गया है।
पहले तल की दोनों खिड़कियों /मोरियों के द्वारों के पतीलों में किसी  देव आकृति अंकन के चिन्ह दृष्टिगोचर हो रहे हैं।  शेष मोरियों के द्वार/सिंगाड़ कम ज्यामितीय कटान से निर्मित हुए हैं। 
निष्कर्ष निकलता है कि  बेरीनाग के इस बाखली में ज्यामितीय , प्राकृतिक व मानवीय अलंकरण कला उत्कीर्णन मिलता है।  बाखली भव्य व कला उत्कीर्णन उत्कृष्ट प्रकार के हैं। 
सूचना व फोटो आभार: स्व. महानर दसौनी
यह लेख  भवन  कला संबंधित  है न कि मिल्कियत  संबंधी।  . भौगोलिक मालिकाना   जानकारी  श्रुति से मिलती है अत: नाम /नामों में अंतर हो सकता है जिसके लिए  सूचना  दाता व  संकलन कर्ता  उत्तरदायी  नही हैं .
Copyright @ Bhishma Kukreti, 2021 
 कैलाश यात्रा मार्ग   पिथोरागढ़  के मकानों में लकड़ी पर   कला युक्त  अंकन -उत्कीर्णन , बाखली कला   ;  धारचूला  पिथोरागढ़  के बाखली वाले  मकानों में लकड़ी पर   कला युक्त  अंकन उत्कीर्णन   ;  डीडीहाट   पिथोरागढ़  के मकानों में लकड़ी पर   कला युक्त   अंकन -उत्कीर्णन ;   गोंगोलीहाट  पिथोरागढ़  के मकानों में लकड़ी पर   कला युक्त  उत्कीर्णन   ;  बेरीनाग  पिथोरागढ़  के बाखली वाले मकानों में लकड़ी पर   कला युक्त   अंकन  ;  House wood Carving  of Bakhali art in Pithoragarh  to be continued


Bhishma Kukreti

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बमोली (रिंगवाड़स्यूं , एकेश्वर , पौड़ी गढ़वाल ) में भगवती प्रसाद चतुर्वेदी के भवन में गढवाली  शैली की    'काठ   कुर्याणौ   ब्यूंत '  की  काष्ठ कला अलंकरण,  उत्कीर्णन , अंकन -

    Tibari House Wood Art in House of  Bamoli , Ekeshwar  , Pauri Garhwal       
गढ़वाल, कुमाऊँ,की भवन (तिबारी,निमदारी,जंगलादार मकान,,बाखली,खोली , मोरी, कोटि बनाल ) में   गढवाली  शैली की    'काठ   कुर्याणौ   ब्यूंत '  की  काष्ठ कला अलंकरण,  उत्कीर्णन , अंकन -401
  ( ईरानी , इराकी , अरबी शब्दों की वर्जना प्रयास )
 संकलन - भीष्म कुकरेती    
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उमेश असवाल ने एकेश्वर क्षेत्र से अच्छी संख्या में काष्ट कला युक्त भवनों की सूचना  भेजी हैं ।  आज बमोली के भगवती प्रसाद  चतुर्वेदी के भवन में   गढवाली  शैली की    'काठ   कुर्याणौ   ब्यूंत '  की  काष्ठ कला अलंकरण,  उत्कीर्णन , अंकन पर चर्चा होगी।  बमोली (रिंग्वाड़ स्यूं )  के भगवती प्रसाद चतुर्वेदी का  आकर्षक भवन दुपुर , दुखंड  (तिभित्या ) है।  भवन के भ्यूं तल के कक्षों के द्वारों में ज्यामितीय कटान का सपाट  का कार्य हुआ है।  भवन के पहले तल में
छह सिंगाड़ों /स्तम्भो (आपणच ख्वाळों )  की तिबारी स्थापित है।  किनारे के सिंगाड़ को दिवार से मिलाने  वाले काष्ठ स्तम्भ में प्राकृतिक कला अलंकरण उत्कीर्णन हुआ है।  स्तम्भ /सिंगाड़ पाषाण छज्जे पर आधारित हैं।  सिंगाड़ के आधार में अधोगामी पद्म पुष्प दल से आकर्षक कुम्भी /घुंडी निर्मित हुयी है जिसके ऊपर  सर्पीली कला अंकन हुआ है। निम्न घुंडी के ऊपर ड्यूल है।   इसके ऊपर उर्घ्वगामी पद्म पुष्प दल से घुंडी निर्मित हुयी है।  यहां से स्तम्भ लौकी आकार ले ऊपर बढ़ता है जहाँ पर सबसे कम मोटाई है वहां अधोगामी पद्म पुष्प उभर कर आया है इसके ऊपर ड्यूल है व ड्यूल के ऊपर उर्घ्वगामी पद्म पुष्प से कुम्भी निर्मित हुयी है , इस कुम्भी के ऊपर सर्पिल कला अंकन हुआ है।  इस घुंडी के  ऊपर से थांत आकृति निर्मित हुयी है।  यहीं से तोरणम का अर्ध चाप भी शुरू होता हो सामने के स्तम्भ के अर्ध चाप से मिल ओणम निर्माण करता है।  तोरणम के स्कन्धों में सूरजमुखी या  पूजा चौकल के गणेश आकृति अंकित हुयी है।  तिबारी के मुरिन्ड /मथिण्ड /header के कड़ियाँ स्पॉट व प्राकृकिती कला अन्न लिए हुए हैं।  छत आधार से कई तरह के शंकु नुमा आकृतियां लटकी हुयी हैं। 
निष्कर्ष निकलता है बमोली (एकेश्वर , पौड़ी गढ़वाल  ) में भगवती प्रसाद  चतुर्वेदी के आकर्षक भवन में ज्यामितीय , प्राकृतिक कला उत्कीर्णन  कला मिलती है। 
सूचना व फोटो आभार: उमेश असवाल
यह लेख  भवन  कला संबंधित  है . भौगोलिक स्थिति व  मालिकाना   जानकारी  श्रुति से मिलती है अत: यथास्थिति में अंतर हो सकता है जिसके लिए  सूचना  दाता व  संकलन कर्ता  उत्तरदायी  नही हैं .
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गढ़वाल,  कुमाऊँ , उत्तराखंड , हिमालय की भवन  (तिबारी, निमदारी , जंगलादार  मकान ,बाखली ,  बाखई, कोटि बनाल  ) काष्ठ  कला अंकन नक्काशी श्रृंखला  जारी रहेगी   - 
 
Tibari House Wood Art in Kot , Pauri Garhwal ; Tibari House Wood Art in Pauri block Pauri Garhwal    Tibari House Wood Art in Pabo, Pauri Garhwal ;  Tibari House Wood Art in Kaljikhal Pauri Garhwal ;  Tibari House Wood Art in Thalisain , Pauri Garhwal ;   द्वारीखाल पौड़ी  गढवा;ल में तिबारी,  खोली , भवन काष्ठ  कला, लकड़ी नक्काशी  ;बीरों खाल ,  पौड़ी  गढवाल में तिबारी,  खोली , भवन काष्ठ  कला नक्काशी ; नैनीडांडा  पौड़ी  गढवाल में तिबारी,  खोली , भवन काष्ठ  कला नक्काशी ; लकड़ी नक्काशी पोखरा   पौड़ी  गढवाल पौड़ी  गढवाल में तिबारी,  खोली , भवन काष्ठ  कला नक्काशी ;  में तिबारी,  खोली , भवन काष्ठ  कला नक्काशी ; रिखणीखाळ  पौड़ी  गढवाल में तिबारी,  खोली , भवन काष्ठ  कला नक्काशी ;   पौड़ी  गढवाल में तिबारी,  खोली , भवन काष्ठ  कला नक्काशी ; जहरीखाल  पौड़ी  गढवाल में तिबारी,  खोली , भवन काष्ठ  कला नक्काशी ;  दुग्गड्डा   पौड़ी  गढवाल में तिबारी,  खोली , भवन काष्ठ  कला , लकड़ी  अंकन  ; यमकेश्वर  पौड़ी  गढवाल में तिबारी,  खोली , भवन काष्ठ  कला नक्काशी ;   खम्भों  में  अंकन

Bhishma Kukreti

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दोगड्डे में  स्व . डाक्टर  शिव प्रसाद डबराल के पुस्तकालय में काष्ठ कला अलंकरण अंकन, उत्कीर्णन

 Traditional  House Wood Art in  Dogadda , Pauri Garhwal   
 गढ़वाल,  कुमाऊँ , हिमालय की भवन  (तिबारी, निमदारी , जंगलादार  मकान , बाखली  , खोली  , मोरी ,  कोटि बनाल   ) काष्ठ कला अलंकरण अंकन, उत्कीर्णन  -  402
 संकलन - भीष्म कुकरेती
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हम सब धन्य हुए कि जग प्रसिद्ध अन्वेषक व  इतिहासकार   स्वर्गीय डाक्टर  शिव प्रसाद  डबराल के पुस्तकालय के काष्ठ कला की सूचना मिली।  इस पुस्तकालय में पाण्डुलिप्यां, पुस्तकालय व काष्ठ  चित्रावली कक्ष की सूचनाएं मिली हैं।  भवन के बरामदे में चार सिंगाड़ों /स्तम्भों  की भव्य तिबारी स्थापित हुयी है।  तिबारी के सिंगाड़ों  व मुरिन्ड  में भव्य ,  चित्ताकर्षक  महीन कला उत्कीर्णन हुआ है। 
 चार सिंगाड़  तीन ख्वाळ  निर्माण किये हुए हैं।  सिंगाड़ों /स्तम्भों में  आधार पर  अधोगामी पद्म  पुष्प दल अंकित है  जो घुंडी /कुम्भी बनता है जिसके ऊपर ड्यूल है व ड्यूल के ऊपर भाग में उर्घ्वगामी पद्म पुष्प दल का उत्कीर्णन हुआ है जो कुम्भी निर्माण करता है।  आधार की कुम्भी व सीधे कमल दल के ऊपर आकर्षक व महीन  प्राकृतिक प्रतीकों का अंकन हुआ है।   यह प्राकृतिक प्रतीकों का  अंकन  चित्ताकर्षक  है।  ऊपरी घुंडी /कुम्भी से स्तम्भ  गड्ढे -उभार कला की लौकी आकार ग्रहण कर ऊपर चढ़ता है।  जहां सबसे कम मोटाई है वहां  अधोगामी पद्म पुष्प अंकन हुआ है जिसके ऊपर ड्यूल है व ड्यूल के ऊपर उर्घ्वगामी पद्म  पुष्प का अंकन हुआ है।  इस भाग से स्तम्भ थांत आकार ग्रहण करता है व ऊपर शीर्ष /मुरिन्ड /मथिण्ड।/header से मिलता है।  यहीं से दो स्तम्भों के मध्य  (ख्वाळ ऊपरी भाग )  में    तोरणम स्थापित हुआ है।   तोरणम के अंतश्चाप में व बाह्य चाप में आकर्षक अंकन हुआ है।  तोरणम के स्कंध में दो दो सूर्यमुखी पुष्प का अंकन हुआ है।
 मुरिन्ड /मथिण्ड /header से थांत  में दीवालगीर स्थापित हुए हैं।  दीवालगीर मयूर का अगर भाग व पुष्प का रूप में स्थापित हुए हैं।  दीवालगीर  एक भाग में चंद्र का अकन हुआ है। 
तिबारी के मुरिन्ड /मथिण्ड /header  कई स्तरों की कड़ियों से निर्मित हुयी है।  प्रत्येक स्तर पर कई प्रकार की प्राकृतिक  प्रतीकों का अंकन हुआ है जो आकर्षक हैं।  अंकन में अंडे /पात का अंकन भी सम्मलित हैं।  एक स्तर के कड़ी में घिराली भी अंकित हुआ हैं।  और उसी कड़ी में चार सरसों के पुष्प दल का भी अंकन हुआ है।  छत आधार से काष्ठ के  कई शंकु भी  लटके  हैं। 
निष्कर्ष निकलता है कि   दोगड्डे में  स्व . डाक्टर  शिव प्रसाद डबराल के पुस्तकालय में   प्राकृतिक , ज्यामितीय व मानवीय कला अलंकरण अंकन हुआ है।  स्तम्भ , मुरिन्ड , मथिण्ड  भव्य  हैं व उन पर  चित्रांकन , उत्कीर्णन  आकषक हुए हैं। 

सूचना व फोटो आभार : संगीता डबराल ध्यानी  (धुमाकोट )

यह लेख  भवन  कला संबंधित  है न कि मिल्कियत हेतु . मालिकाना   जानकारी  श्रुति से मिलती है अत: अंतर हो सकता है जिसके लिए  सूचना  दाता व  संकलन कर्ता  उत्तरदायी  नही हैं .
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गढ़वाल,  कुमाऊँ , उत्तराखंड , हिमालय की भवन  (तिबारी, निमदारी , जंगलादार  मकान ,बाखली ,  बाखई, कोटि बनाल  ) काष्ठ  कला अंकन नक्कासी   - 

Tibari House Wood Art in Kot , Pauri Garhwal; Tibari House Wood Art in Pauri block Pauri Garhwal;   Tibari House Wood Art in Pabo, Pauri Garhwal ;  Tibari House Wood Art in Kaljikhal Pauri Garhwal ;  Tibari House Wood Art in Thalisain , Pauri Garhwal ;   द्वारीखाल पौड़ी  गढवाल में तिबारी,  खोली , भवन काष्ठ  कला, नक्कासी  ;बीरों खाल ,  पौड़ी  गढवाल में तिबारी,  खोली , भवन काष्ठ  कला नक्कासी ; नैनी डांडा  पौड़ी  गढवाल में तिबारी,  खोली , भवन काष्ठ  कला नक्कासी ; नक्कासी पोखरा   पौड़ी  गढवाल पौड़ी  गढवाल में तिबारी,  खोली , भवन काष्ठ  कला नक्कासी ;  में तिबारी,  खोली , भवन काष्ठ  कला नक्कासी ; रिखणी खाळ  पौड़ी  गढवाल में तिबारी,  खोली , भवन काष्ठ  कला नक्कासी ;   पौड़ी  गढवाल में तिबारी,  खोली , भवन काष्ठ  कला नक्कासी ; जहरी खाल  पौड़ी  गढवाल में तिबारी,  खोली , भवन काष्ठ  कला नक्कासी ;  दुग्गड्डा   पौड़ी  गढवाल में तिबारी,  खोली , भवन काष्ठ  कला , नक्कासी ; यमकेश्वर  पौड़ी  गढवाल में तिबारी,  खोली , भवन काष्ठ  कला नक्कासी ; नक्कासी, भवन नक्कासी  नक्कासी

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सौड़ (टिहरी )  के  एक भवन में गढवाली शैली की काष्ठ  कला , अलकंरण , उत्कीर्णन , अंकन


Traditional House Wood Carving Art of  Saur , Tehri   
  गढ़वाल, कुमाऊँ के  भवनों   (तिबारी, जंगलेदार निमदारी , बाखली, खोली, मोरी, कोटिबनाल  ) में गढवाली शैली की काष्ठ  कला , अलकंरण , उत्कीर्णन , अंकन- 403   
( लेख में ईरानी , इराकी , अरबी की वर्जना हुयी है। )

संकलन - भीष्म कुकरेती
 टिहरी गढ़वाल से काष्ठ कला उत्कीर्णन युक्त भवनों की अच्छी संख्या में सूचना मिलती जा रही है।  आज सौड़ के एक भवन मे काष्ठ  कला पर चर्चा होगी जिस भवन पर बाहर से रंगों से चित्रकला अंकन हुआ है।  भवन दुपुर व दुखंड (दुघर ) है।  भवन में भ्यूं तल में काष्ठ कला हेतु कुछ विशेष नहीं है।  भवन के पहले तल पर सात सिंगाड़ों /स्तम्भों की आकर्षक तिबारी है।  सभी स्तम्भ एक सामान हैं।
सिंगाड़ के आधार में कुम्भी बनी है।  यहां से स्तम्भ सीधे ऊपर मुरिन्ड /मथिण्ड /header से मिल जाते हैं।  घुंडी /कुम्भी के पश्चात सिंगाड़ों /स्तम्भों में जंजीर नुमा कला अंकन हुआ है।   मुरिन्ड की कड़ियों में  भी कड़ियों के लड़ी नुमा (जंजीर ) का  आकर्षक कला अंकन हुआ है। 
भवन के  भ्यूं तल की दीवार में आयत व प्राकृतिक प्रतीकों का रंग चित्रण हुआ है।  पहले तल की दिवार में  बैल  व पुरुष के  चित्र बने हैं। 
सूचना से स्पष्ट है कि भवन होम स्टे में परिवर्तित हुआ है।  भवन में काष्ठ कला में प्राकृतिक व ज्यामितीय अलंकरण हुआ है।  जबकि दीवारों पर रंग चित्रकला में मानवीय , ज्यामितीय व प्राकृतिक अलंकरण हुआ है। 
  सूचना व फोटो आभार:  अर्पिता चौधरी
 सूचना प्रेरणा - देवेंद्र रतूड़ी
रंग चित्रकला   -वीरेंद्र सिंह आर्य 
यह आलेख कला संबंधित है , मिलकियत संबंधी नही है I   भौगोलिक स्तिथि और व भागीदारों  के नामों में त्रुटि   संभव है I 
Copyright @ Bhishma Kukreti, 2020
गढ़वाल, कुमाऊं , देहरादून , हरिद्वार ,  उत्तराखंड  , हिमालय की भवन  (तिबारी, जंगलेदार निमदारी  , बाखली , खोली , मोरी कोटि बनाल     ) काष्ठ  कला  , अलकंरण , अंकन लोक कला  घनसाली तहसील  टिहरी गढवाल  में  भवन काष्ठ कला  ;  टिहरी तहसील  टिहरी गढवाल  में  भवन काष्ठ कला , ;   धनौल्टी,   टिहरी गढवाल  में  भवन काष्ठ कला, लकड़ी नक्काशी ;   जाखणी  तहसील  टिहरी गढवाल  में  भवन काष्ठ कला  ;   प्रताप  नगर तहसील  टिहरी गढवाल  में  भवन काष्ठ कला, नक्काशी ;   देव प्रयाग    तहसील  टिहरी गढवाल  में  भवन काष्ठ कला, ; House Wood carving Art from   Tehri; 


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मलारी  (चमोली ) के भवनों में गढवाली  शैली की   'काठ  कुर्याणौ ब्यूंत' की काष्ठ कला अलंकरण, उत्कीर्णन  अंकन

   House Wood Carving Art  from  Malari   , Chamoli   
 गढ़वाल, कुमाऊं की भवन (तिबारी, निमदारी,जंगलादार मकान, बाखली, खोली) में गढवाली  शैली की   'काठ  कुर्याणौ ब्यूंत' की काष्ठ कला अलंकरण, उत्कीर्णन  अंकन, - 404
(अलंकरण व कला पर केंद्रित) 
 
 संकलन - भीष्म कुकरेती     
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नीति  क्षेत्र से भी परोक्ष व अपरोक्ष रूप से काष्ठ कला युत भवनों की सूचना मिल रही हैं।  आज हेमंत डिमरी की सूचना आधार पर मलारी के दो भवनों की काष्ठ कला अलंकरण, उत्कीर्णन  अंकन पर चर्चा होगी।  दोनों भवनों का महत्व उत्कीर्र्ण हेतु नहीं होगा किन्तु  काष्ठ कला ,काष्ठ  कटान व  काष्ठ कटान शैली  महत्वपूर्ण व गढ़वाल में आदिकाल से अब तक भवनों में काष्ठ कला अलंकरण समझने हेतु ये दोनों भवन महत्वपूर्ण हैं।
एक भवन नया  है जौ कांच उपयोग से बिलकुल विशेष लग रहा है। दूसरा गढ़वाल में भवनों में आदि शैली का शत प्रतिशत प्रतिनिधित्व करता है।  यही आदि शैली उत्तर उत्तरकाशी , पश्चिम उत्तरकाशी व पश्चिम देहरादून में स्पष्ट दृष्टिगोचर होता है।  पिथौरागढ़ के उत्तर भाग व डोटी  नेपाल , पूर्वी उत्तर हिमाचल में भी  भवनों में यही आदि काल काष्ठ मिल जाती हैं।
प्रस्तुत आदिकालीन काष्ठ  शैली  युक्त भवन  दुपुर अथवा ढाई पुर  है व दुखंड है।  इस भवन में भवन चिनाई कोटि बनाल (पत्थर व कष्ट कड़ियों से दीवारें निर्माण )  शैली अपनायी गयी है दिखीती है। 
 भवन के भ्यूंतल व पहले तल में द्वारों या खोहों /छेदों  को काष्ठ पट्टिकाओं/तख्तों  ने भरा है।  कड़ियाँ वा द्वार , तख्ते सभी ज्यामितीय कटान से कटे सपाट हैं।  अर्थात इनमें उत्कीर्णन /carcing नहीं हुआ है।
पहले  आधुनिक भवन में भी काष्ठ उपयोग हेतु ज्यामितीय कटान (सपाट ) शैली ही उपयोग हुयी है। इस भवन में कानवः की खिड़कियां हैं। 
  निष्कर्ष  निकलता है कि  हेमंत डिमरी सूचित मलारी (चमोली ) के  दोनों पुराने व नवीन भवनों में  ज्यामितीय कटान से सपाट काष्ठ कला दृष्टिगोचर होती है। 
 
सूचना व फोटो आभार: हेमत डिमरी   
यह लेख  भवन  कला संबंधित  है न कि मिल्कियत  संबंधी  . मालिकाना   जानकारी  श्रुति से मिलती है अत:  वस्तु स्थिति में  अंतर   हो सकता है जिसके लिए  सूचना  दाता व  संकलन कर्ता  उत्तरदायी  नही हैं .
Copyright @ Bhishma Kukreti, 2020
गढ़वाल,  कुमाऊँ , उत्तराखंड , हिमालय की भवन  (तिबारी, निमदारी , जंगलादार  मकान , बाखली , मोरी , खोली,  कोटि बनाल  ) काष्ठ  कला अंकन ,   श्रंखला जारी   
   House Wood Carving Ornamentation from  Chamoli, Chamoli garhwal , Uttarakhand ;   House Wood Carving Ornamentation/ Art  from  Joshimath ,Chamoli garhwal , Uttarakhand ;  House Wood Carving Ornamentation from  Gairsain Chamoli garhwal , Uttarakhand ;     House Wood Carving Ornamentation from  Karnaprayag Chamoli garhwal , Uttarakhand ;   House Wood Carving Ornamentation from  Pokhari  Chamoli garhwal , Uttarakhand ;   कर्णप्रयाग में  भवन काष्ठ कला,   ;  गपेश्वर में  भवन काष्ठ कला,  ;  नीति,   घाटी में भवन काष्ठ  कला,    ; जोशीमठ में भवन काष्ठ कला,   , पोखरी -गैरसैण  में भवन काष्ठ कला,   श्रृंखला जारी  रहेगी


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रांसी (रुद्रप्रयाग ) के एक भव्य जंगलेदार  भवन संख्या 3 में गढवाली शैली की  'काठ कुर्याणौ ब्यूंत' की काष्ठ कला अलंकरण उत्कीर्णन  अंकन

Traditional House wood Carving Art of  Ransi,  Rudraprayag         : 
  गढ़वाल, कुमाऊँ,उत्तराखंड की भवन (तिबारी, निमदारी, बाखली , जंगलादार  मकान ) में गढवाली शैली की  'काठ कुर्याणौ ब्यूंत' की काष्ठ कला अलंकरण उत्कीर्णन  अंकन,- 405 
 
 संकलन - भीष्म कुकरेती
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 रांसी ट्रैक में  कई भव्य काष्ठ कला अलंकरण युक्त भवनों की सूचना मिली है।  आज  रांसी के जंगलेदार  भवन संख्या  3   की  काष्ठ कला ,  अलंकरण , उत्कीर्णन पर चर्चा होगी।
 रांसी (रुद्रप्रयाग ) का प्रस्तुत भवन संख्या ३  दुपुर है व दुखंड है।  भवन के भ्यूंतल (ground floor )  में ज्यामितीय कटान की काष्ठ कला विद्यमान है।   रांसी (रुद्रप्रयाग ) का प्रस्तुत भवन संख्या ३  में प्रथम तल पर छज्जा काष्ठ  से निर्मित है व छज्जे पर जंगला /raiing स्थापित है।  जंगला तीन भागों में विभक्त है।  जंगले में  दस से अधिक मुख्य  काष्ठ स्तम्भ स्थापित हैं।  ये स्तम्भ कलयुक्त हैं जिन पर कमल दल उत्कीर्णन से घुंडी /कुम्भी निर्मित हुयी हैं।  इन मुख्य स्तम्भों /खामों के आधार में दो ढाई फ़ीट की ऊंचाई में उप रेलिंग है व दो रेलिंग के मध्य  आयताकार चौकोर उप स्तम्भ हैं जो ज्यामितीय कटान के उदाहरण हैं।
  निष्कर्ष निकलता है कि  रांसी (रुद्रप्रयाग ) का प्रस्तुत भवन संख्या ३ में ज्यामितीय व प्राकृतिक अलंकरण कला उत्कीर्णन हुआ है।  जंगल भव्य प्रकार का है। 
सूचना व फोटो आभार:  सदा नंद  कामत
  * यह आलेख भवन कला संबंधी है न कि मिल्कियत संबंधी, भौगोलिक स्तिथि संबंधी।  भौगोलिक व मिलकियत की सूचना श्रुति से मिली है अत: अंतर  के लिए सूचना दाता व  संकलन  कर्ता उत्तरदायी नही हैं . 
  Copyright @ Bhishma Kukreti, 2021   
  रुद्रप्रयाग , गढवाल   तिबारियों , निमदारियों , डंड्यळियों, बाखलीयों   ,खोली, कोटि बनाल )   में काष्ठ उत्कीर्णन कला /अलंकरण ,
Traditional House Wood Carving Art (Tibari) of Garhwal , Uttarakhand , Himalaya ; Traditional House wood Carving Art of  Rudraprayag  Tehsil, Rudraprayag    Garhwal   Traditional House wood Carving Art of  Ukhimath Rudraprayag.   Garhwal;  Traditional House wood Carving Art of  Jakholi, Rudraprayag  , Garhwal, नक्काशी , जखोली , रुद्रप्रयाग में भवन काष्ठ कला,   ; उखीमठ , रुद्रप्रयाग  में भवन काष्ठ कला अंकन,  उत्कीर्णन  , खिड़कियों में नक्काशी , रुद्रप्रयाग में दरवाज़ों में उत्कीर्णन  , रुद्रप्रयाग में द्वारों में  उत्कीर्णन  श्रृंखला आगे निरंतर चलती रहेंगी


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  वाघोरी  (हर्षिल , उत्तरकाशी ) के  चार भवनों  ( संख्या २ ) में  गढवाली शैली के  काठ कुर्याणौ ब्यूंत'  काष्ठ  कला,  अलकंरण- अंकन

  Traditional House wood Carving Art in , Vaghori ,  Harshil,  Uttarkashi   
गढ़वाल,  कुमाऊँ , उत्तराखंड ,  की  परम्परागत भवन  (तिबारी, निमदारी , जंगलादार मकान , बाखली  , खोली  , कोटि बनाल )  में गढवाली शैली के  काठ कुर्याणौ ब्यूंत'  काष्ठ  कला,  अलकंरण- अंकन,- 406
प्रयत्न - ईरानी , इराकी , अरबी शब्दों का निषेध
 संकलन - भीष्म कुकरेती    
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 वाघोरी के भवनों  का महत्वता काष्ठ कुर्याण /उत्कीर्णन / अंकन हेतु नहीं अपितु  इन भवनों में ज्यामितीय कटान /चिरान  महत्वपूर्ण है अर्थात  भवन में काष्ठ चिरान /कटान व निर्माण शैली हेतु महत्वपूर्ण है।  अधिसंख्य भवन  आदि युग की कला वाले हैं व उत्तराखंड के अन्य जनपदों के उत्तरी भागों में भी ऐसे ही आधारिक भवन शैली के मिलते हैं। 
प्रस्तुत दो मकानों में दीवारें काष्ठ  तक्खते नुमा ही हैं।  एक भवन में  पहले तल में बरामदे  में स्तम्भ में कमल दल के कटान /कुर्याण  से कुम्भी /घुंडी निर्मित हुयी हैं।  भवन की दीवारें तख्तों के हैं। 
 दूसरे  भवन के पहले तल में बरामदे के बाहर  जंगला स्थापित हुआ है. जंगले  के स्तम्भ तख्ते नुमा सपाट हैं।  स्तम्भों के आधार में दो ढाई फ़ीट ऊँचे में रेलिंग  हैं व उन दो रेलिंग के मध्य XX  नुमा उप स्तम्भ या जाल निर्मित हुए हैं। 
छायाचित्र में अन्य दो भवनों में भी काष्ठ  पट्टियों /पटलों  जैसे सपाट कटान के ही दृष्टिगोचर हो रहे हैं। 
 निष्कर्ष निकलता है  कि  वाघोरी  (हर्षिल , उत्तरकाशी ) के प्रस्तुत चार  भवनों में एक भवन में प्राकृतिक अलंकरण (कमल दल से घुंडी निर्माण ) है व शेष भवनों में ज्यामितीय चिरान/कटान  से  सपाट पट्टिकाएं/तख्ते   ही हैं। 
सूचना व फोटो आभार :  माधवी दावदा
यह लेख  भवन  कला संबंधित  है न कि मिल्कियत हेतु . भौगोलिक ,  मालिकाना   जानकारी  श्रुति से मिलती है अत: अंतर हो सकता है जिसके लिए  सूचना  दाता व  संकलन कर्ता  उत्तरदायी  नही हैं .
Copyright @ Bhishma Kukreti, 2020     
 Traditional House Wood Carving Art (Tibari, Nimdari, Bakkhali,  Mori) of   Bhatwari, Uttarkashi Garhwal,  Uttarakhand ;   Traditional House Wood Carving Art (Tibari, Nimdari, Bakhali,  Mori) of  Rajgarhi, Uttarkashi,  Garhwal,  Uttarakhand;   Traditional House Wood Carving Art (Tibari, Nimdari, Bakkhali,  Mori) of  Dunda, Uttarkashi,  Garhwal,  Uttarakhand ;   Traditional House Wood Carving Art (Tibari, Nimdari, Bakhali,  Mori) of  Chiniysaur, Uttarkashi ,  Garhwal ,  Uttarakhand ;   उत्तरकाशी मकान काष्ठ  कला,  अलकंरण- अंकन  , भटवाडी मकान   ,  रायगढी    उत्तरकाशी मकान  काष्ठ  कला,  अलकंरण- अंकन, चिनियासौड़  उत्तरकाशी मकान  काष्ठ  कला,  अलकंरण- अंकन  श्रृंखला जारी   


Bhishma Kukreti

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नौगांव (देहरादून ) के एक  भव्य  तिबारी युक्त भवन में गढ़वाली शैली में   काष्ठ कला  अलंकरण, उत्कीर्णन

  Traditional House wood Carving Art of  Naugaun  , Dehradun   
 गढ़वाल,कुमाऊँ,  भवन  (तिबारी,निमदारी, जंगलादार  मकान,बाखली,खोली,छाज  कोटि बनाल )  काठ कुर्याण  की  गढ़वाली शैली में   काष्ठ कला अंकन - अलंकरण- 407

 संकलन - भीष्म कुकरेती
 जौनसार  क्षेत्र व निकटवर्ती क्षेत्रों से   काष्ठ युक्त भवनों  की सूचना अच्छी संख्या में मिल रही हैं।  आज नौगांव ( , चकराता निकटवर्ती क्षेर्त्र देहरादून ) के एक भव्य , विशेष भवन की   अलंकृत काष्ठ कला , उत्कीर्णन  पर चर्चा होगी। 
प्रस्तुत भवन कच कारणों से विशेष इसलिए है कि भवन जौनसार क्षेत्र से कुछ भिन्न है व तिबारी में १३ स्तम्भ (सिंगाड़ ) हैं। 
  नौगांव ( , चकराता निकटवर्ती क्षेर्त्र देहरादून ) का प्रस्तुत  भव्य भवन  दुपुर , दुघर है।    नौगांव ( , चकराता निकटवर्ती क्षेर्त्र देहरादून )  के प्रस्तुत भवन के भ्यूंतल (Ground Floor )  में कक्ष या तो गौशाला हेतु  निर्धारित हैं या भंडारीकरण  हेतु।  इन कक्षों में द्वार व सिंगाड़ों  में ज्यामितीय कटान से अलंकृत उत्कीर्णन हुआ है।   अंकित  काष्ठ कला कोई विशेष नहीं है।  इसलिए कहा जा सकता है कुरयाण  दृष्टि से भ्यूंतल में कोई विशेष उल्लेखनीय नहीं है।
  पहले तल में १३ स्तम्भों /सिंगाड़ों  के तिबारी स्थापित है।  सभी स्तम्भ कला व आकर दृष्टि से एक सामान हैं।  स्तम्भों के आधार में  अधोगामी पद्म पुष्प अंकित हुआ है जो विशेष कुम्भी निर्मित करता है , इसके ऊपर ड्यूल है जिसके ऊपर उर्घ्वगामी पुष्प दल अंकित है व यहां से स्तम्भ लौकी आकार ले ऊपर चलता है।  जहां स्तम्भ की मोटाई सबसे हीन है वहां उल्टा कमल अंकन हुआ है इसके ऊपर ड्यूल है उसके ऊपर उर्घ्वगामी पुष्प दल अंकित है जहाँ से स्तम्भ थांत आकर धरण करता है जो थांत ऊपर शीर्ष /मुरिन्ड /header कड़ी से मिल जाता है. जहां से स्तम्भ से थांत शुरू होता है वहीं से अर्ध चाप शुरू होता है जो दूसरे  स्तम्भ के अर्ध चाप से मिलकर एक चाप /तोरणम /arch निर्माण बनता है।  तोरणम के स्कन्धों में  रिखड़ा  कला उत्कीर्ण हुआ है।   ऊपर छत के नीचे मुरिन्ड /मथिण्ड/ शीर्ष  /header  की कड़ी चित्र में सपाट दृष्टिगोचर हो रही है व शेष भाग में ज्यामितीय कटान  की कला दिखती है। 
इतने बड़े भवन में मानवीय अलंकरण दृष्टिगोचर नहीं हो रहा है यह एक आश्चर्य है। 
निष्कर्ष निकलता है कि  नौगांव ( , चकराता निकटवर्ती क्षेर्त्र देहरादून )के प्रस्तुत  भव्य भवन में ज्यामितीय व प्राकृतिक कला अंकन हुआ है। 
सूचना व फोटो आभार: राकेश पुंडीर
  * यह आलेख भवन कला अंकन संबंधी है न कि मिल्कियत संबंधी, भौगोलिक स्तिथि संबंधी।  भौगोलिक व मिलकियत की सूचना श्रुति से मिली है अत: अंतर  के लिए सूचना दाता व  संकलन  कर्ता उत्तरदायी नही हैं . 
  Copyright @ Bhishma Kukreti, 2020   
  Traditional House wood Carving Art of  Dehradun, Garhwal  Uttarakhand, Himalaya   to be continued 
ऋषिकेश, देहरादून के मकानों में  काष्ठ कला अंकन ;  देहरादून तहसील देहरादून के मकानों में  काष्ठ कला अंकन ;   विकासनगर  देहरादून के मकानों में  काष्ठ कला अंकन ;   डोईवाला    देहरादून के मकानों में  काष्ठ कला अंकन  ;  जौनसार ,  देहरादून के मकानों में  काष्ठ कला अंकन 


 

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