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House Wood carving Art /Ornamentation Uttarakhand ; उत्तराखंड में भवन काष्ठ कल

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Bhishma Kukreti:
 

चौथान कुमाऊं  के एक भवन में काष्ठ कला

    Tibari, Traditional  House Wood Art in House of  Chauthan , Kumaun     

गढ़वाल, के  भवनों  (तिबारी,निमदारी,जंगलेदार मकान,,,खोली ,मोरी,कोटिबनाल ) में  बाखली शैली    की  काष्ठ कला अलंकरण,  उत्कीर्णन , अंकन -576

 

 संकलन - भीष्म कुकरेती   

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 अजय निहलानी ने अपने ससुराल  से एक भवन की सूचना दी थी जिसमें  उन्होंने पाठों चौथान थलीसैण , पौड़ी गढ़वाल लिखा था।  किन्तु चौथान व भवन की फोटो साफ़ साफ़ दर्शाती है कि भवन गढ़वाल का नहीं कुमाऊं का है जो एक बाखली है।

भवन दुपुर व दुखंड है, दो खोली व चार युग्म छाज दिख रहे हैं  व निम्न तल के कमरों के द्वारों आदि में स्तम्भ ऐसे ही कलायुक्त हैं जैसे खोलियों के व  पहले मंजिल में छाजों के व खड़कियों के स्तम्भों में हैं। 

स्तम्भों में आधार व ऊपर अधोगामी पदम् पुष्प दल , ड्यूल व उर्घ्वगामी पदम् पुष्प से कुम्भियाँ निर्मित हुयी हैं।  ऊपरी कुम्भियों के ऊपर बेल बूटे (प्राकृतिक ) कला अन्न हुआ है। 

खोली व छाजों के तोरणम (मेहराब , arch ) में प्राकृतिक बेल बूटों का अंकन दृष्टिगोचर होता है। 

खोली के शीर्ष /मुरिन्ड /मथिण्ड /header के तहें ( layers ) की कला व स्तम्भों के ऊपरी भाग  की कला (बूटे ) एक ही  है।  खोली के निम्न शीर्ष में देव आकृति स्थापित हुयी है।   खोली में शीर्ष के ऊपर एक अन्य याने मध्य शीर्ष में पांच चौखट हैं जिनमे चक्रात्मक रूप से आध्यात्मिक अंकन हुआ है। 

खोली के छपरिका से शंकु नुमा आकृतियां लटक रही हैं।  छपरिका वा खोली के शीर्ष के किनारे दोनों ओर दीवालगीर स्थापित हुए हैं।  दीवालगीर में निम्न ओर कलायुक्त आकृतियां है तो ऊपर  कुम्भीनुमा चिड़िया  उत्कीर्णित हुयी हैं। 

भवन के छत के नीचे कुम्भी नुमा आकृति के काष्ठ लटक रहे हैं। 

भवन के कमरों व छाजों के दरवाजों के ढक्क्न ज्यामितीय कटान से तख्ते निर्मीय हैं।

 चौथान  भवन की कला उत्कृष्ट प्रकार की है व  प्राकृतिक , ज्यामिति , मानवीय , भक्तिमाय अलंकरण कला उत्कीर्णन युक्त है। 

सूचना व फोटो आभार: अजय निहलानी

यह लेख  भवन  कला संबंधित  है . भौगोलिक स्थिति व  मालिकाना   जानकारी  श्रुति से मिलती है अत: यथास्थिति में अंतर हो सकता है जिसके लिए  सूचना  दाता व  संकलन कर्ता  उत्तरदायी  नही हैं .

Copyright @ Bhishma Kukreti, 2021

गढ़वाल,  कुमाऊँ , उत्तराखंड , हिमालय की भवन  (तिबारी, निमदारी , जंगलादार  मकान ,बाखली ,  बाखई, कोटि बनाल  ) काष्ठ  कला अंकन नक्काशी श्रृंखला  जारी रहेगी   -

Bhishma Kukreti:
डोबा (लैंसडाउन , पौड़ी गढ़वाल ) में ध्यानी परिवार भवन में गढवाली  शैली   की  काष्ठ कला अलंकरण,  उत्कीर्णन , अंकन

    Tibari, Traditional  House Wood Art in House of Doba , Lainsdown    , Pauri Garhwal       

गढ़वाल, के  भवनों  (तिबारी,निमदारी,जंगलेदार मकान,,,खोली ,मोरी,कोटिबनाल ) में  गढवाली  शैली   की  काष्ठ कला अलंकरण,  उत्कीर्णन , अंकन -577

 

 संकलन - भीष्म कुकरेती   

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डोबा में ध्यानी परिवार का प्रस्तुत द्वितीय भवन निमदारी है अर्थात बालकोनी है तो तिबारी नुमा ही किन्तु स्तम्भ सपाट होते हैं।

पहली मंजिल में तिबारी स्टाइल में निमदारी स्थापित है।  निमदारी पांच स्तम्भों वाली निमदारी है. सभी स्तम्भ सपाट व चौखट नुमा हैं। 

निष्कर्ष निकलता है कि  डोबा में ध्यानी परिवार (२सरा ) भवन में केवल ज्यामितीय कटान की कला उपलब्ध है। 

सूचना व फोटो आभार:  जनार्दन ध्यानी

यह लेख  भवन  कला संबंधित  है . भौगोलिक स्थिति व  मालिकाना   जानकारी  श्रुति से मिलती है अत: यथास्थिति में अंतर हो सकता है जिसके लिए  सूचना  दाता व  संकलन कर्ता  उत्तरदायी  नही हैं .

Copyright @ Bhishma Kukreti, 2021

गढ़वाल,  कुमाऊँ , उत्तराखंड , हिमालय की भवन  (तिबारी, निमदारी , जंगलादार  मकान ,बाखली ,  बाखई, कोटि बनाल  ) काष्ठ  कला अंकन नक्काशी श्रृंखला  जारी रहेगी   -

Bhishma Kukreti:
राणाकोट (कोट, पौड़ी गढ़वाल )  में ध्यानी परिवार के भवन की  काष्ठ कला अलंकरण,  उत्कीर्णन , अंकन

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    Tibari, Traditional  House Wood Art in House of Ranakot , Kot Block  , Pauri Garhwal       
गढ़वाल, के  भवनों  (तिबारी,निमदारी,जंगलेदार मकान,,,खोली ,मोरी,कोटिबनाल ) में  गढवाली  शैली   की  काष्ठ कला अलंकरण,  उत्कीर्णन , अंकन -579

 संकलन - भीष्म कुकरेती   
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राणाकोट (कोट, पौड़ी गढ़वाल )  में ध्यानी परिवार  का प्रस्तुत भवन तिमंजिला है।  तल व दूसरी  मंजिल में ज्यामितीय कटान की काष्ठ कला ही दृष्टिगोचर हो रही।  पहले मंजिल में बालकोनी (तिबारी ) है।  तिबारी सात सिंगाड़ों (स्तम्भों ) से निर्मित है।  स्तम्भों के आधार व शीर्ष में अधोगामी पद्म पुष्प , ड्यूल व उर्घ्वगामी पद्म पुष्प से कुम्भियां  निर्मित हुयी हैं।  शीर्ष /मथिण्ड में दो सिंगाड़ों मध्य तोरणम (मेहराब , arch ) सधे हैं।  तोरणम के स्कन्धों में सूर्यमुखी पुष्प (धार्मिक ) व बेलबूटों का उत्कीर्णन हुआ है।
 भवन उत्कृष्ट प्रकार का है व तोरणम भी उत्कृष्ट श्रेणी का है जिसमे ज्यामितीय , प्राकृतिक अलंकरण कला देखि गयी।  भवन में मानवीय काष्ठ अलंकरण नहीं मिलता है।   
सूचना व फोटो आभार: योगेश ध्यानी व देवेंद्र उनियाल
यह लेख  भवन  कला संबंधित  है . भौगोलिक स्थिति व  मालिकाना   जानकारी  श्रुति से मिलती है अत: यथास्थिति में अंतर हो सकता है जिसके लिए  सूचना  दाता व  संकलन कर्ता  उत्तरदायी  नही हैं .
Copyright @ Bhishma Kukreti, 2021

Bhishma Kukreti:
 
मलारी  (चमोली ) के भवन संख्या १५ में भवन काष्ठ कला

Traditional House Wood Carving Art from Malari     , Chamoli   

 गढ़वाल,कुमाऊंकी भवन (तिबारी, निमदारी,जंगलादार मकान, बाखली,खोली) में पारम्परिक गढ़वाली शैली की  काष्ठ कला अलंकरण, उत्कीर्णन  अंकन, - 581

(अलंकरण व कला पर केंद्रित) 

 

 संकलन - भीष्म कुकरेती     

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मलारी का प्रस्तुत भवन आदि स्वरूप का भवन है व पहली मंजिल की दीवार व बालकोनी सब कुछ लकड़ी की निर्मित हैं।  बालकोनी के बाहर लकड़ी की दीवारें सभी सपाट कटान की हैं। 

निष्कर्ष निकलता है कि मलारी (चमोली ) के भवन संख्या १५ में    ज्यामितीय  अलंकरण  युक्त काष्ठ कला ही दृष्टिगोचर हो रहा है। 

सूचना व फोटो आभार: हेमंत डिमरी (यु उत्तरांचल )

यह लेख  भवन  कला संबंधित  है न कि मिल्कियत  संबंधी  . मालिकाना   जानकारी  श्रुति से मिलती है अत:  वस्तु स्थिति में  अंतर   हो सकता है जिसके लिए  सूचना  दाता व  संकलन कर्ता  उत्तरदायी  नही हैं .

Copyright @ Bhishma Kukreti, 2021

गढ़वाल,  कुमाऊँ , उत्तराखंड , हिमालय की भवन  (तिबारी, निमदारी , जंगलादार  मकान , बाखली , मोरी , खोली,  कोटि बनाल  ) काष्ठ  कला अंकन ,   श्रंखला जारी   

    कर्णप्रयाग में  भवन काष्ठ कला,   ;  गपेश्वर में  भवन काष्ठ कला,  ;  नीति,   घाटी में भवन काष्ठ  कला,    ; जोशीमठ में भवन काष्ठ कला,   , पोखरी -गैरसैण  में भवन काष्ठ कला,   श्रृंखला जारी  रहेगी

Bhishma Kukreti:
द्यूसाल (रुद्रप्रयाग ) के देसवाल परिवार के भवन में काष्ठ कला
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Traditional House wood Carving Art of Dyusal , Rudraprayag   
गढ़वाल, कुमाऊँ के भवन (तिबारी, निमदारी, बाखली,जंगलेदार  मकान, खोलियों ) में पारम्परिक शैली की काष्ठ कला अलंकरण उत्कीर्णन, अंकन,-582   

 
 संकलन - भीष्म कुकरेती
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द्यूसाल (रुद्रप्रयाग ) में प्रस्तुत भवन  प्रसिद्ध साहित्यकार बीना बेंजवाल का मायके परिवार का पुस्तैनी भवन है।  प्रस्तुत भवन दुपुर व दुखंड के अतिरिक्त अपने हिसाब से अद्भुत कहा जायेगा जिमसे दो तोइबारियाँ व खोली आकर्षक शैली की हैं। 
तल मंजिल में संभवतया पहले गौशाला व भंडार गृह रहे होंगे। इनके कमरों में काष्ठ कला ज्यामितीय कटान की सपाट कला है। 
भवन की खोली आकर्षक है व तल मंजिल से आधा पहले मंजिल तक पंहुची है।  खोली , दोनों तिबारियों के चार चारों स्तम्भ युगीन उप स्तम्भों से निर्मित हुए हैं।   उप स्तम्भ के आधार में कुम्भी (जो अधिकतर कमल दल से बनते हैं )  , ड्यूल व कुम्भी हैं।  ऊपरी कुम्भी से स्तम्भ सपाट हुए हैं। 
खोली के शीर्ष /मुरिन्ड /मथिण्ड /header में देव मूर्ति के लक्षण मिल रहे हैं।  शीर्ष के अगल बगल में दीवालगीर हैं जो चिड़ियाओं व केले के फल जैसी आकृति से निर्मित हुए हैं।  खोली व तिबारियों के शीर्ष में कड़ी /कड़ियाँ सपाट हैं। 
 भवन के सभी स्थलों में उत्कीर्णन महीनता व आकर्षक हुए हैं। 
 निष्कर्ष निकलता है कि प्रस्तुत द्यूसाल (रुद्रप्रायग ) के बिना बेंजवाल के मायके का पारम्परिक भवन में ज्यामितीय , प्राकृतिक व मानवीय अलंकरणों की काष्ठ कला दृष्टिगोचर होती है व उत्कीर्णन उत्कृष्ट प्रकार है।  परस्त भवन अपने समय का  गाँव हेतु laind mark  भवन था। 
सूचना व फोटो आभार:  वीणा बेंजवाल
  * यह आलेख भवन कला संबंधी है न कि मिल्कियत संबंधी, भौगोलिक स्तिथि संबंधी।  भौगोलिक व मिलकियत की सूचना श्रुति से मिली है अत: अंतर  के लिए सूचना दाता व  संकलन  कर्ता उत्तरदायी नही हैं . 
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