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House Wood carving Art /Ornamentation Uttarakhand ; उत्तराखंड में भवन काष्ठ कल
Bhishma Kukreti:
मसूरी में ला विला बेथानी भवन में पारम्परिक गढवाली शैली की काष्ठ कला, अलकंरण, उत्कीर्णन, अंकन
Traditional House Wood Carving Art of, La Villa Benthany House , Mussorie , Dehradun
गढ़वाल, देहरादून सह , भवनों (तिबारी, जंगलेदार निमदारी, बाखली, खोली, मोरी, कोटिबनाल ) में पारम्परिक गढवाली शैली की काष्ठ कला, अलकंरण, उत्कीर्णन, अंकन- 618
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संकलन - भीष्म कुकरेती
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मसूरी में धीरे धीरे गढ़वाली, ब्रिटिश- गढ़वाली , ब्रिटिश शैली के प्राचीन भवन ध्वस्त होते जा रहे हैं व नवीन शैली के भवन सामने आ रहे हैं। ला विला बेथानी का अगर भाग ओल्ड इंग्लिश कॉटेज नाम से भीप्रसिद्ध है जहाँ रस्किन बॉन्ड ने कई कहानियां लिखीं थीं।
प्रस्तुत ला विला बेथानी भवन जौनसार की आदि कालीन काष्ठ भवन व ब्रिटिश (छत टिन की ) शैली का संगम है।
प्रस्तुत ला विला बेथानी भवन की दीवारें सपाट काष्ठ पट्टियों (तख्तों ) से निर्मित हुयी हैं व ज्यामितीय कटान का उत्तम उदाहरण हैं।
भवन के मार्ग में लकड़ी की फट्टों से जंगलेदार आकृति से बाड़ /fence निर्मित हुईं हैं व फट्टे भी सपाट लघु स्तर के स्तम्भ हैं।
पूरा ला विला बेथानी भवन ज्यामितीय अलंकरण कटान का उत्तम उदाहरण है।
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सूचना व फोटो आभार: देवेंद्र मैठानी
यह आलेख कला संबंधित है , मिलकियत संबंधी नही है I भौगोलिक स्तिथि और व भागीदारों के नामों में त्रुटि संभव है I
Copyright @ Bhishma Kukreti, 2022
देहरादून में भवन काष्ठ कला , देहरौन परम्परागत भवनों में काष्ठ कला
Bhishma Kukreti:
माझेरा (नैनीताल ) में भवन ( संख्या १ ) काष्ठ कला अंकन,अलंकरण, उत्कीर्णन
Traditional House Wood Carving Art in Majhera , Nainital;
कुमाऊँ, गढ़वाल, केभवन ( बाखली,तिबारी,निमदारी, जंगलादार मकान, खोली, ) में कुमाऊं शैली की काष्ठ कला, अंकन,अलंकरण, उत्कीर्णन - 619
संकलन - भीष्म कुकरेती
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माझेरा से तीन भवनों की सूचना मिली है। प्रस्तुत भवन भहु कोणित आयातकार है , ढैपुर अथवा तिपुर व बहुखंडी भवन है। भवन कुमाऊं की पारम्परिक शैली व ब्रिटिश शैली का मिश्रण है।
भवन के आधारिक तल (ground floor ) में भंडार व गोठ (दान /daan ) के द्वार सपाट हैं। प्रथम तल (पहली मंजिल ) में बरामदे को बाहर से ढकने हेतु जंगला बंधा है। जंगले में सपाट आयताकार स्तम्भ स्थापित हैं। स्तम्भ सरल कला के हैं। बरामदे के अंदर बरामदे में जाने हेतु बड़े बड़े तख्तों से द्वार बने हैं कला सपाट हैं ।
इस भवन में सपाट ज्यामितीय कटान की कला दृष्टिगोचर होती है।
सूचना व फोटो आभार: रचना पांडे (द्वारा रत्ना मेहरा )
यह लेख भवन कला संबंधित है न कि मिल्कियत संबंधी। . मालिकाना जानकारी श्रुति से मिलती है अत: नाम /नामों में अंतर हो सकता है जिसके लिए सूचना दाता व संकलन कर्ता उत्तरदायी नही हैं .
Copyright @ Bhishma Kukreti, 2022
नैनीताल के भवनों में लकड़ी नक्कासी , नैनीताल के मकानों में पारम्परिक काष्ठ कला
Bhishma Kukreti:
अल्मोड़ा बजार के भवन (संख्या १६ , संदर्भ सं ३० ) के छाज की काष्ठ कला अंकन , अलंकरण, उत्कीर्णन
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Traditional House Wood Carving art of, Almora, Kumaon
कुमाऊँ ,गढ़वाल, के भवन में ( बाखली ,तिबारी, निमदारी ,जंगलादार मकान खोली, कोटि बनाल ) कुमाऊं की ' काष्ठ कला अंकन , अलंकरण, उत्कीर्णन -
प्रस्तुत अल्मोड़ा बजार के भवन संख्या १६ (संदर्भ ३० ) के छाज उत्तम व उत्कृष्ट प्रकार का छाज (झरोखा ) हैं ।
छज्जों में निम्न स्तर पर काष्ठ कला की चर्चा होगी
१ स्तम्भों में काश्त कला
२- छाजों के भिन्न भिन्न ढक्क्नों में काष्ठ कला.
३ भिन्न दो प्रलर के छाज तल स्तर के ढक्क्नों में काष्ठ कला
४ -जालीदार ढक्क्नों में काष्ठ कला
५- तोरणम
स्तम्भ दो प्रकार के हैं। एक सपाट कड़ियों से निर्मित स्तम्भ। और कुम्भी युक्त स्तम्भ। कुम्भियाँ अधोगामी पद्म पुष्प दल , ड्यूल व उर्घ्वगामी पद्म पुष्प से निर्मित हुए हैं।
छाजों के ढक्क्न सपाट भी हैं। कुछ ढक्क्न जालीदार छेदयुक्त हैं। कुछ ढक्क्न में XX नुमा कला कटी हुयी है। एक दो घ्ककनों में हुक्के की ननई जैसे आकृतियां स्थापित हुयी हैं।
तोरणम छाजों के ढक्क्नों के ऊपरी भागों में हैं। तोरणम के स्कंधों में बेल बूटों का उत्कीर्णन हुआ है।
अल्मोड़ा बजार के प्रस्तुत भवन सह्य 16 (संदर्भ सं 30 ) के छाज उत्कृष्ट व आकर्षक प्रकार की हैं व कला में अद्वितीय कला है। कला में ज्यामितीय व प्राकृतिक अलंकरण तो दृष्टिगोचर हो रही है किन्तु मानवीय अलंकरण के दर्शन नहीं होते हैं। तोरणम में भी कोई देव मूर्ती नहीं लगी हैं।
संकलन - भीष्म कुकरेती
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सूचना व फोटो आभार : गजेंद्र बिष्ट संग्रह
Bhishma Kukreti:
राइकोट कुंवर (लोहाघाट , चम्पावत ) के एक भवन में कुमाऊँ शैली' की काष्ठ कला अंकन , अलंकरण, उत्कीर्णन
(काष्ठ कला पर केंद्रित )
Traditional House Wood carving Art of Raikot Kunwar , Champawat, Kumaun
कुमाऊँ ,गढ़वाल, के भवन ( बाखली, खोली , ) में ' कुमाऊँ शैली' की काष्ठ कला अंकन , अलंकरण, उत्कीर्णन - 621
संकलन - भीष्म कुकरेती
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राइकोट कुंवर (लोहाघाट , चम्पावत ) का प्रस्तुत भवन दुपुर व दुखंड भवन है। प्रस्तुत राइकोट कुंवर (लोहाघाट , चम्पावत ) के आधारिक तल (ground floor ) पर गौशाला व भंडार (दान ) हैं व् वहां कोई काष्ठ संरचना दृष्टिगोचर नहीं हो रही है। प्रथम तल की संरचना आधार तल के ऊपर बौळी या शहतीर चौखट है। संभवतया कभी बौळी पर उत्कीर्णन रहा ही होगा।
प्रथम तल पर दो छाज (झरोखनुमा ) व एक कमरे का द्वार दृष्टिगोचर हो रहे हैं। छाज व उनके सभी भाग सामन्य पारम्परिक कुमाउँनी छाजों की शैली में हैं। छाजों के स्तम्भ व छाजों के ढक्क्नों व तोरणमों में काष्ठ अलंकरण उत्कीर्णन हुआ है।
छाजों के ढक्क्नों के शीर्ष में तोरणम स्थापित हैं। तोर्न्म के स्कन्धों में उत्कीर्णन हुआ है।
छाजों के निम्न तल के ढक्क्नों में सपाट ज्यामितीय कला दर्शन हो रहे हैं।
स्तम्भ आम पारम्परिक छाजों के स्तम्भों जैसे ही हैं व आधार में अधोगामी पद्म पुष्प दल , ड्यूल व उर्घ्वगामी पद्म पुष्प दल उत्कीर्णन से कुम्भियाँ निर्मित हुयी है व ऐसा ही ऊपर पुनः दोहराव हुआ है। स्तम्भों के युगल योग से मोठे स्तम्भ बने हैं।
कला अलंकरण दृष्टि से राइकोट कुंवर (लोहाघाट , चम्पावत ) के प्रस्तुत भवन में ज्यामितीय व प्राकृतिक अलंकरण कला दृष्टिगोचर हो रहे हैं।
सूचना व फोटो आभार : सुमन पांडे , रोबिन मेहता
यह लेख भवन कला संबंधित है न कि मिल्कियत संबंधी। . मालिकाना जानकारी श्रुति से मिलती है अत: नाम /नामों में अंतर हो सकता है जिसके लिए सूचना दाता व संकलन कर्ता उत्तरदायी नही हैं .
Copyright @ Bhishma Kukreti, 2022
चम्पावत , उत्तराखंड में भवन काष्ठ कला, चम्पावत तहसील , चम्पावत , उत्तराखंड में भवन काष्ठ कला,; लोहाघाट तहसील चम्पावत , उत्तराखंड में भवन काष्ठ कला अंकन , पूर्णगिरी तहसील , चम्पावत , उत्तराखंड में भवन काष्ठ कला अंकन ;पटी तहसील चम्पावत , उत्तराखंड में भवन काष्ठ कला,, अंकन , चम्पावत की बाखली शैली , चम्पावत में भवन शैली , पारम्परिक चम्पावत भवन
Bhishma Kukreti:
ललाम -मिलाम ( जौहर घाटी पिथौरागढ़ ) घाटी के एक ढाबा से कुमाऊं में भवन विकाश के साक्ष्य
Traditional House Wood Carving Art of , Pithoragarh
कुमाऊँ,के भवनों ( बाखली,तिबारी , निमदारी,छाजो, खोली स्तम्भ) में कुमाऊं शैली की काष्ठ कला अलंकरण, काष्ठ उत्कीर्णन अंकन -622
संकलन - भीष्म कुकरेती
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लालम मुंसियारी - मिलम ट्रेक ( जोहर घाटी ) पर यह ढाबा बरबस यात्रियों की भूख तीस ही नहीं अपितु रात को बसेरा भी उपयोग में आता है। प्रस्तुत ढाबा की चर्चा काष्ठ कला या उत्कीर्णन हेतु नहीं हो रही है अपितु यह दर्शाने हेतु हो रही है कि अति ऊँचे व हिमवंत क्षेत्रों में ब्रटिश काल व उससे पहले आदि कालीन भवन शैली क्या रही होगी। प्रस्तुत भवन सरल शैली का है जिसमे घर (ढाबे ) के चारों दीवालें व छत लकड़ी के मोठे डंडों से बनी हैं व डंडों में किसी भी प्रकार का उत्कीर्णन नहीं हुआ है जो आदि कालीन भवनों में काष्ठ प्रयोग कैसे होता था का साक्ष्य देने में समर्थ है।
ढाबे की छत शक्तिशाली कांसे या बबूल या घास की है। ऐसे घास कम से कम तीन वर्ष तक चल जाती है व हिम व वर्षा झेलने में सक्षम होती है ।
सूचना व फोटो आभार:सुभम मानसिंह
यह लेख भवन कला संबंधित है न कि मिल्कियत संबंधी। . भौगोलिक मालिकाना जानकारी श्रुति से मिलती है अत: नाम /नामों में अंतर हो सकता है जिसके लिए सूचना दाता व संकलन कर्ता उत्तरदायी नही हैं .
Copyright @ Bhishma Kukreti, 2022
कैलाश यात्रा मार्ग पिथोरागढ़ के मकानों में लकड़ी पर कला युक्त अंकन -उत्कीर्णन , बाखली कला ; धारचूला पिथोरागढ़ के बाखली वाले मकानों में लकड़ी पर कला युक्त अंकन उत्कीर्णन ; डीडीहाट पिथोरागढ़ के मकानों में लकड़ी पर कला युक्त अंकन -उत्कीर्णन ; गोंगोलीहाट पिथोरागढ़ के मकानों में लकड़ी पर कला युक्त उत्कीर्णन ; बेरीनाग पिथोरागढ़ के बाखली वाले मकानों में लकड़ी पर कला युक्त अंकन ; House wood Carving of Bakhali art in Pithoragarh to be continued ; उत्तराखंड भवनों में काष्ठ कला उत्कीर्णन
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