Author Topic: Idioms Of Uttarakhand - उत्तराखण्डी (कुमाऊँनी एवं गढ़वाली) मुहावरे  (Read 304677 times)

Sunil Pandey

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"अपुन हाथ जगतनाथ "
मतलब अगर आपके हाथ मै की काम को करने का हुनर है तो वो आप के लिए जगत नाथ मतलब भगवान के सामान है

एम.एस. मेहता /M S Mehta 9910532720

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खेती नि बाड़ी, बड़ गो गौ पधान

यानी

पास में कुछ ना होना, झूटी शान दिखाना

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सौंण मरी सास, भादों में आय आशु


यानी

लम्बे समय बाद बेदना प्रकट करना

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ताल मल पेट क पाणी ना हिलूंण

यानी

किसी बात की चिंता ना करना

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गुड आनियार में ले मीठ, उजाव में ले मीठ

यानी

गुड अँधेरे में भी मीठा, उजाले में भी मीठा

(इंसान के अच्छे गुण हर जगह दिखाई देते है)

एम.एस. मेहता /M S Mehta 9910532720

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कौतिके कि आँखी घर नि जानी
गियु कि खापड़ी मडुव नि खानी

हिंदी : कौतिक (मेला) देख कर घर लौटना नहीं चाहती, गेहू मिले तो बाजरे कि रोटी अच्छी नहीं लगती

मतलब : सुविधाभोगी होना

एम.एस. मेहता /M S Mehta 9910532720

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यह कहावत :

"पानी में लाकडी मारी भे जै पानी क द्वी हुनी"

पानी में लठ चलाकर पानी में द्वो टुकड़े नहीं होते

यानी : फूट पड़ने के बाद आत्मियाता का आभाव होना

एम.एस. मेहता /M S Mehta 9910532720

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दस दसे, बीस बग्वाल
कुमु बिस, फुल भग्वाल

दस दिन नवरात्री के उसके बाद बीस दिन बाद दीपावली

(दिन को गिनती करना)

एम.एस. मेहता /M S Mehta 9910532720

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पौण रिसो तो रिसो, खांण तो बचो
( अतिथि नाराज हो तो होने दो, भोजन की बचत हो गयी)

यानी

प्रतिष्ठा जाय पर बचत की सोचना!

Lalit Mohan Pandey

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तातो खू  जली मरी जू
(जल्द वाजी का काम )

 

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