मुझे तो पुराना तरीका ही पसंद है,
पहले दीन गणेश पूजा होती है ,फीर दूसरे दीन सुवल पथई होती है | फीर आता है शादी वाला दीन | दूल्हा बारात के साथ दुल्हन के घर जाता है | दुल्हन के घर मे बेसब्री से बारात का इंतज़ार होता है |
दुल्हे के घर मे जीस दीन बारात दुल्हन के घर जाती है घर की सारी महिलाएं रतीयाली करती हैं,खूब गाना बजाना होता है,बहुत अच्छा माहोल होता है बड़ा मजा आता है .कोई भी नही सोता है | और दुल्हन के घर मे बरात का जोरदार स्वागत होता है | सारे रीती रीवाजों के साथ शादी होती है | जिसमे पूरी रात लग जाती है | सुबह सुबह जहाँ दुल्हन के घर मे वीदाई हो रही होती है | सब की आँखें नम होती हैं |दुल्हे के घर मे बारात का बेसब्री से इंतज़ार रहता है ,बारात के साथ दुल्हन जो आने वाली है |
फीर उस दीन reception होता है |
बहुत मजा आता था | अब तो इस तरीके से शादियाँ होती ही नही हैं |