३-गौ-पालन
वैदिक काल में गाय हमारी सभ्यता और संस्किर्ति की प्रतीक है!
सर्वे देवा स्तिथा देहे सूर्य्देवात्रयी गौ :
के सूत्र का सम्मान होता है !आर्य,गायों को शोधन और गायों से युक्त जगह गोष्ट कहते हैं !उत्तराखंड में आज भी इसी प्रकार गायों को गोधन व गायों के बाड़ों को गोठ या गोष्ट कहा जाता है !
आर्य बर्हद वनों में अस्थाई घर बनाकर वहां पशु लेकर रहते थे !ऋग्वेद में इन्हें अर्न्न्यानी कहा जाता था !आज भी उत्तराखंड में इस ब्यवस्था को मरोड़ा,खरक या गोठ कगते हैं !