Author Topic: Upcoming Festivals - आने वाले स्थानीय त्यौहार  (Read 68765 times)

Risky Pathak

  • Core Team
  • Hero Member
  • *******
  • Posts: 2,502
  • Karma: +51/-0
Pahaado Me Janmaasthami Kal(13August2009) Manaayi Jaayegi. Vrat Bhi Kal Hi Rakha Jayega

Devbhoomi,Uttarakhand

  • MeraPahad Team
  • Hero Member
  • *****
  • Posts: 13,048
  • Karma: +59/-1
सोमवती अमावस्या मेला, गंगा दशहरा, Haridwaar,
गुघल मेला जिसमें लगभग २०-२५ लाख लोग भाग लेते हैं।

इस के अतिरिक्त यहाँ कुंभ मेला भी आयोजित होता है बार हर बारह वर्षों में मनाया जाता है जब बृहस्पति ग्रह कुम्भ राशिः में प्रवेश करता है। कुंभ मेले के पहले लिखित साक्ष्य चीनी यात्री, हुआन त्सैंग (६०२ - ६६४ ई.) के लेखों में मिलते हैं जो ६२९ ई. में भारत की यात्रा पर आया था।

भारतीय शाही राजपत्र (इम्पीरियल गज़टर इंडिया), के अनुसार १८९२ के महाकुम्भ में हैजे का प्रकोप हुआ था जिसके बाद मेला व्यवस्था में तेजी से सुधार किये गए और, 'हरिद्वार सुधार सोसायटी' का गठन किया गया, और १९०३ में लगभग ४,००,००० लोगों ने मेले में भाग लिया। १९८० के दशक में हुए एक कुम्भ में हर-की-पौडी के निकट हुई एक भगदड़ में ६०० लोग मारे गए और बीसियों घायल हुए। १९९८ के महा कुंभ मेले में तो ८ करोड़ से भी अधिक तीर्थयात्री पवित्र गंगा नदी में स्नान करने के लिए यहाँ आये।

हेम पन्त

  • Core Team
  • Hero Member
  • *******
  • Posts: 4,326
  • Karma: +44/-1
"मेरा पहाड़" फोरम के होम पैज के निचले हिस्से में Upcoming Events के अन्तर्गत आप शीघ्र ही आने वाले पहाड़ी त्यौहारों को देख सकते हैं...

हेम पन्त

  • Core Team
  • Hero Member
  • *******
  • Posts: 4,326
  • Karma: +44/-1
अगले सप्ताह के त्यौहार-

23 अगस्त 2009 हरतालिका व्रत
25 अगस्त 2009 बिरुड़ पंचमी
27 अगस्त 2009 दुर्वाष्टमी/सातों
28 अगस्त 2009 आठों/ आठूं

sanjupahari

  • Sr. Member
  • ****
  • Posts: 278
  • Karma: +9/-0
waah bahut badiya prayaas.....prawasiyoon ke liye bahut hi labhdayak rahega :)

Devbhoomi,Uttarakhand

  • MeraPahad Team
  • Hero Member
  • *****
  • Posts: 13,048
  • Karma: +59/-1
मेले हमारी संस्कृति के परिचायक

घनसाली, खतलिंग पर्यटन विकास मेला रंगारंग सांस्कृतिक कार्यक्रमों के साथ शुरू हो गया।
घुत्तु भिलंग में खतलिंग पर्यटन विकास मेले का शुभारंभ करते हुए बतौर मुख्य अतिथि सांसद विजय बहुगुणा ने कहा कि मेले हमारी संस्कृति के परिचायक हैं। पर्यटन की दृष्टि से खतलिंग, पंवाली कांठा उत्तराखंड के सबसे अधिक रमणीक स्थलों में से एक है
। इसे पर्यटन मानचित्र पर उभारने के लिए प्रयास किए जाएंगे। उन्होंने ग्रामीणों का अह्वान किया कि वह क्षेत्र के विकास के लिए एकजुट प्रयास करें। उन्होंने कहा कि घुत्तु से पंवाली कांठा तक रज्जु मार्ग निर्माण के प्रस्ताव को राज्य से केंद्र सरकार तक पहुंचाया जाएगा, ताकि यहां पर्यटक पहुंच सकें और स्थानीय लोगों को रोजगार मिल सके। सांसद श्री बहुगुणा ने राइंका घुत्तु में कक्ष निर्माण के लिए सांसद निधि से दो लाख रुपए देने की घोषणा की।
 क्षेत्रीय विधायक ने कहा कि मेले हमारी पौराणिक संस्कृति के प्रतीक है। इन्हें सहेजने के लिए ठोस प्रयास किए जाने चाहिए। उन्होंने राइंका घुत्तु के लिए विधायक निधि से फर्नीचर देने की घोषणा की। इसके पश्चात जागर सम्राट प्रीतम भरतवाण व मीना राणा की श्रृखंलाबद्व प्रस्तुतियों ने उपस्थित दर्शकों को झूमने पर मजबूर कर दिया।

कार्यक्रम की शुरूआत उन्होंने देवी स्तुति नारेणी मेरी दुर्गा भवानी से की। इसके पश्चात राम गंगा नहयोलो देवतो, बिंदुली, बांद अमरावती आदि की प्रस्तुति दी। इस अवसर पर मेला अध्यक्ष भरत सिंह गुसांई, एसडीएम मायादत्त जोशी, ब्लाक प्रमुख नीलम बिष्ट, जिला पंचायत सदस्य डा. नरेंद्र डंगवाल, पूर्व प्रमुख धनीलाल शाह, धनपाल सिंह राणा, गोविंद सिंह राणा, गोपाल दत्त बडोनी, सुखदेव बहुगुणा, बाल कृष्ण उनियाल, विजय गुनसोला उपस्थित थे।



Devbhoomi,Uttarakhand

  • MeraPahad Team
  • Hero Member
  • *****
  • Posts: 13,048
  • Karma: +59/-1
विजयादशमी से शुरू होगी विश्व मंगल गौ ग्राम यात्रा

गौ माता की उपयोगिता तथा संरक्षण को जन-जन तक पहुंचाने के उद्देश्य से विजयादशमी से प्रारंभ हो रही विश्व मंगल गौ ग्राम यात्रा को क्षेत्र में सफल बनाने की तैयारी जोरों पर है। कुरुक्षेत्र से शुरू होने वाली 108 दिवसीय इस यात्रा का पड़ाव सोमेश्वर में भी है।

योग गुरु बाबा रामदेव, रविशंकर तथा मां अमृतानंदमयी सहित अनेक धर्म गुरुओं की सहभागिता में चलने वाली इस गौ ग्राम यात्रा के माध्यम से गौ माता का स्थान, उपयोगिता तथा उसके संरक्षण के बारे में आम लोगों को जागरूक किया जाएगा। सोमेश्वर खण्ड की बैठक में यात्रा को जन-जन तक पहुंचाने के लिए ग्राम स्तर पर यात्रा समितियां बनाने का निर्णय लिया गया।

मंडलीय संयोजक ललित दोसाद ने कहा कि देवभूमि उत्तराखण्ड में गौ माता जिसमें 33 करोड़ देवी-देवताओं का निवास माना जाता है, उसका धार्मिक, संस्कृति, कृषि तथा दैनिक जीवन में विशेष महत्व है। बैठक में वक्ताओं ने गाय को राष्ट्रीय पशु घोषित करने, गौवंश की रक्षा करने तथा इसके लिए केन्द्रीय कानून बनाने जैसे उद्देश्यों को इस यात्रा का लक्ष्य बताते हुए इसकी सफलता पर विचार व्यक्त किए।

Risky Pathak

  • Core Team
  • Hero Member
  • *******
  • Posts: 2,502
  • Karma: +51/-0
Aaj Khaturwa Hai. Pahado me aaj ke dino gaay bailo ki pooja ki jaati hai..aap sabhi ko khaturwa ki shubkaamnaayein/size]

पंकज सिंह महर

  • Core Team
  • Hero Member
  • *******
  • Posts: 7,401
  • Karma: +83/-0
आज संकरात है तथा उत्तराखण्ड के कई हिस्सों में आज खतडुवा पर्व भी निम्नानुसार मनाया जाता है।

भैल्लो जी भैल्लो, भैल्लो खतडुवा,
गै की जीत, खतडुवै की हार,
जै बटि श्योल, खतडु़ पड़ो भ्योल,
भाग खतडुवा भाग।


इस लोकोक्ति के साथ, फूल और ककड़ी से सजाये गये भांग के तने को बच्चे हाथ में लिये जुलूस के रुप में नारे लगाते हुये गांव-मुहल्ले मेम घूमते हैं और उनके आगे एक नवयुवक एक हाथ में जलती हुई मशाल और दूसरे हाथ में बिच्छू घास को लेकर प्रत्येक मकान की गौशाला में जाता है और झाड़ने की मुद्रा में घुमाते हुये "हड़ि खतडुवा" कहते हुये किसी ऊंचे टीले में जाता है, जहां सभी के द्वारा लाये गये खतडुवों को जमीन में रखी घास और लकड़ी की टहनियों के ढेर के ऊपर रखकर आग लगाता है। जिसे शारीरिक रुप से समर्थ युवा फांदते भी हैं और ककड़ी को काट कर उसके बीज को माथे पर लगाया जाता है और खाया जाता है।
      इस उत्सव में गै (गाय) और खतड़ का द्वन्द है, जिसमें कामना की गयी है कि खतड़ को जलाकर जो ऊर्जा मिलेगी, उससे गाय शीत में अपनी रक्षा कर लेगी और खत्तड़ (खुरपका रोग) पहाड़ी ढाल (भ्योल) में उपेक्षित गिरा होगा।

Risky Pathak

  • Core Team
  • Hero Member
  • *******
  • Posts: 2,502
  • Karma: +51/-0
An article on Khaturwa by Dr. D.N. Badola
(http://www.merapahad.com/forum/articles-by-esteemed-guests-of-uttarakhand/articles-of-mr-d-n-barola/msg26166/#msg26166)
आज संकरात है तथा उत्तराखण्ड के कई हिस्सों में आज खतडुवा पर्व भी निम्नानुसार मनाया जाता है।

भैल्लो जी भैल्लो, भैल्लो खतडुवा,
गै की जीत, खतडुवै की हार,
जै बटि श्योल, खतडु़ पड़ो भ्योल,
भाग खतडुवा भाग।


इस लोकोक्ति के साथ, फूल और ककड़ी से सजाये गये भांग के तने को बच्चे हाथ में लिये जुलूस के रुप में नारे लगाते हुये गांव-मुहल्ले मेम घूमते हैं और उनके आगे एक नवयुवक एक हाथ में जलती हुई मशाल और दूसरे हाथ में बिच्छू घास को लेकर प्रत्येक मकान की गौशाला में जाता है और झाड़ने की मुद्रा में घुमाते हुये "हड़ि खतडुवा" कहते हुये किसी ऊंचे टीले में जाता है, जहां सभी के द्वारा लाये गये खतडुवों को जमीन में रखी घास और लकड़ी की टहनियों के ढेर के ऊपर रखकर आग लगाता है। जिसे शारीरिक रुप से समर्थ युवा फांदते भी हैं और ककड़ी को काट कर उसके बीज को माथे पर लगाया जाता है और खाया जाता है।
      इस उत्सव में गै (गाय) और खतड़ का द्वन्द है, जिसमें कामना की गयी है कि खतड़ को जलाकर जो ऊर्जा मिलेगी, उससे गाय शीत में अपनी रक्षा कर लेगी और खत्तड़ (खुरपका रोग) पहाड़ी ढाल (भ्योल) में उपेक्षित गिरा होगा।


 

Sitemap 1 2 3 4 5 6 7 8 9 10 11 12 13 14 15 16 17 18 19 20 21 22