Author Topic: Upcoming Festivals - आने वाले स्थानीय त्यौहार  (Read 68769 times)

Devbhoomi,Uttarakhand

  • MeraPahad Team
  • Hero Member
  • *****
  • Posts: 13,048
  • Karma: +59/-1
एक क्लिक के दायरे में आया ऐतिहासिक जौलजीबी मेला
=========================================

धारचूला: सीमांत धारचूला तहसील के ऐतिहासिक जौलजीबी मेले की जानकारी अब इंटरनेट पर भी मिलेगी। मेले की जानकारी के लिये तैयार वेबसाइट का शनिवार को उपजिलाधिकारी और मेलाधिकारी डा.अभिषेक त्रिपाठी ने लोकार्पण किया।

मालूम हो कि गौरी और काली नदी के संगम पर बसे जौलजीबी कस्बे में नवंबर में आयोजित होने वाले मेला एतिहासिक रूप में पहचान बना चुका है। पिछले वर्षो में इसे भव्य बनाने के लिये विशेष प्रयास मेला समिति और प्रशासन द्वारा किये जा रहे हैं। पिछले वर्ष मेले की जानकारी को लेकर एक पुस्तक प्रकाशित की गयी थी। इस पुस्तक में मेले के आयोजन के संबंध में विस्तृत जानकारी दी गयी है। पुस्तक के प्रकाशन के बाद मेला समिति और प्रशासन द्वारा इसके संबंध में और अधिक लोगों तक जानकारी पहुंचाने के उद्देश्य से इसकी वेबसाइट तैयार करने का निर्णय लिया गया। इसके बाद शनिवार को वेबसाइट का लोकार्पण करते हुये उपजिलाधिकारी डा.त्रिपाठी ने बताया कि जौलजीबी मेले के संबंध में किसी भी तरह की जानकारी प्राप्त करने के लिये एक क्लिक करने की जरूरत होगी। डब्लूडब्लूडब्लू डाट जौलजीबी मेला डाट कॉम और मेलाधिकारी एट द रेट जीमेल डाट काम में मेले के संबंध में पूरी जानकारी मिलेगी। उन्होंने बताया कि मेले के संबंध में किसी तरह के सुझाव भी लोग इंटरनेट, टेलीफोन या स्वयं उपस्थित होकर दे सकते हैं।

इस मौके पर तहसीलदार भवान सिंह गुंज्याल, नगर पंचायत अध्यक्ष अशोक नबियाल, कांग्रेस ब्लाक अध्यक्ष कैलाश रावत, मेला समिति के संयोजक लक्ष्मण सिंह बिष्ट, देवकृष्ण फकलियाल,जवाहर सिंह आदि गणमान्य व्यक्ति उपस्थित थे।

source dainik jagran

Devbhoomi,Uttarakhand

  • MeraPahad Team
  • Hero Member
  • *****
  • Posts: 13,048
  • Karma: +59/-1
लठमार एवं फूलों की होली में उमड़े श्रद्धालु
================================

ड़की (हरिद्वार) : श्री राधा माधव सेवा मंडल की ओर से आयोजित श्रीकृष्ण रासलीला में लट्ठमार एवं फूलों की होली खेली गई जिसमें बड़ी संख्या में श्रद्धालुओं ने भाग लिया।

रामनगर स्थित श्रीराम बारातघर में आयोजित श्री कृष्ण रासलीला में श्रद्धालुओं ने गुलाब, चंपा, चमेली, गेंदा आदि के फूलों से होली खेली। इससे पूर्व कलाकारों ने ब्रज की लट्ठमार होली में बढ़-चढ़कर हिस्सा लिया। कलाकारों के अभिनय को देखने उमडे़ श्रद्धालुओं ने भी फूलों की होली का आनंद लिया। इस मौके पर लीला संयोजक उमेश कोहली, मंडल अध्यक्ष सतीश कालरा, किशोर गुलाटी, अशोक भुटानी, अमित चटकारा, किशन मेहंदीरत्ता, मनीष जै सिंह, अंकित लखानी, अश्वनी मलिक, करण चांदना, रोहन, आशू गगन साहनी, कमल कोहली आदि उपस्थित रहे।

http://in.jagran.yahoo.com/news/local/uttranchal/4_5_6860022.html

Devbhoomi,Uttarakhand

  • MeraPahad Team
  • Hero Member
  • *****
  • Posts: 13,048
  • Karma: +59/-1
                    पर्वों का समूह दीपावली               
         ===================


दीपावली के दिन भारत में विभिन्न स्थानों पर मेले लगते हैं।  दीपावली एक दिन का पर्व नहीं अपितु पर्वों का समूह है। दशहरे के पश्चात ही  दीपावली की तैयारियाँ आरंभ हो जाती है। लोग नए-नए वस्त्र सिलवाते हैं।  दीपावली से दो दिन पूर्व धनतेरस का त्योहार आता है। इस दिन बाज़ारों में  चारों तरफ़ जनसमूह उमड़ पड़ता है। बरतनों की दुकानों पर विशेष साज-सज्जा व  भीड़ दिखाई देती है। धनतेरस के दिन बरतन खरीदना शुभ माना जाता है अतैव  प्रत्येक परिवार अपनी-अपनी आवश्यकता अनुसार कुछ न कुछ खरीदारी करता है। इस  दिन तुलसी या घर के द्वार पर एक दीपक जलाया जाता है।

 इससे अगले दिन नरक  चतुर्दशी या छोटी दीपावली होती है। इस दिन यम पूजा हेतु दीपक जलाए जाते  हैं। अगले दिन दीपावली आती है। इस दिन घरों में सुबह से ही तरह-तरह के  पकवान बनाए जाते हैं। बाज़ारों में खील-बताशे , मिठाइयाँ ,खांड़ के  खिलौने, लक्ष्मी-गणेश आदि की मूर्तियाँ बिकने लगती हैं । स्थान-स्थान पर  आतिशबाजी और पटाखों की दूकानें सजी होती हैं। सुबह से ही लोग रिश्तेदारों,  मित्रों, सगे-संबंधियों के घर मिठाइयाँ व उपहार बाँटने लगते हैं। दीपावली  की शाम लक्ष्मी और गणेश जी की पूजा की जाती है।

 पूजा के बाद लोग अपने-अपने  घरों के बाहर दीपक व मोमबत्तियाँ जलाकर रखते हैं। चारों ओर चमकते दीपक  अत्यंत सुंदर दिखाई देते हैं। रंग-बिरंगे बिजली के बल्बों से बाज़ार व  गलियाँ जगमगा उठते हैं। बच्चे तरह-तरह के पटाखों व आतिशबाज़ियों का आनंद  लेते हैं। रंग-बिरंगी फुलझड़ियाँ, आतिशबाज़ियाँ व अनारों के जलने का आनंद  प्रत्येक आयु के लोग लेते हैं। देर रात तक कार्तिक की अँधेरी रात पूर्णिमा  से भी से भी अधिक प्रकाशयुक्त दिखाई पड़ती है। दीपावली से अगले दिन  गोवर्धन पर्वत अपनी अँगुली पर उठाकर इंद्र के कोप से डूबते ब्रजवासियों को  बनाया था। इसी दिन लोग अपने गाय-बैलों को सजाते हैं तथा गोबर का पर्वत  बनाकर पूजा करते हैं।

अगले दिन भाई दूज का पर्व होता है। दीपावली के दूसरे  दिन व्यापारी अपने पुराने बहीखाते बदल देते हैं। वे दूकानों पर लक्ष्मी  पूजन करते हैं। उनका मानना है कि ऐसा करने से धन की देवी लक्ष्मी की उन पर  विशेष अनुकंपा रहेगी। कृषक वर्ग के लिये इस पर्व का विशेष महत्त्व है।  खरीफ़ की फसल पक कर तैयार हो जाने से कृषकों के खलिहान समृद्ध हो जाते  हैं। कृषक समाज अपनी समृद्धि का यह पर्व उल्लासपूर्वक मनाता हैं।


अंधकार पर प्रकाश की विजय का यह पर्व समाज में उल्लास, भाई-चारे व प्रेम  का संदेश फैलाता है। यह पर्व सामूहिक व व्यक्तिगत दोनों तरह से मनाए जाने  वाला ऐसा विशिष्ट पर्व है जो धार्मिक, सांस्कृतिक व सामाजिक विशिष्टता  रखता है। हर प्रांत या क्षेत्र में दीवाली मनाने के कारण एवं तरीके अलग  हैं पर सभी जगह कई पीढ़ियों से यह त्योहार चला आ रहा है। लोगों में दीवाली  की बहुत उमंग होती है।

लोग अपने घरों का कोना-कोना साफ़ करते हैं, नये  कपड़े पहनते हैं। मिठाइयों के उपहार एक दूसरे को बाँटते हैं, एक दूसरे से  मिलते हैं। घर-घर में सुन्दर रंगोली बनायी जाती है, दिये जलाए जाते हैं और  आतिशबाजी की जाती है। बड़े छोटे सभी इस त्योहार में भाग लेते हैं। अंधकार  पर प्रकाश की विजय का यह पर्व समाज में उल्लास, भाई-चारे व प्रेम का संदेश  फैलाता है। हर प्रांत या क्षेत्र में दीवाली मनाने के कारण एवं तरीके अलग  हैं पर सभी जगह कई पीढ़ियों से यह त्योहार चला आ रहा है। लोगों में दीवाली  की बहुत उमंग होती है।

Devbhoomi,Uttarakhand

  • MeraPahad Team
  • Hero Member
  • *****
  • Posts: 13,048
  • Karma: +59/-1
पाली पछाऊ का ऐतिहासिक बग्वाली मेला
================================

रानीखेत: पाली पछाऊ का ऐतिहासिक बग्वाली मेला कल सोमवार से शुरू होगा। बग्वालीपोखर में होने वाले दो दिवसीय मेले का उद्घाटन प्रदेश के स्वास्थ्य मंत्री बलवंत सिंह भौर्याल करेंगे। मेले के दौरान इस बार सांस्कृतिक कार्यक्रमों की प्रतियोगिता होगी।

बग्वालीपोखर का ऐतिहासिक बग्वाली मेला पाली पछाऊ के इतिहास का प्रतीक है। मान्यता है कि पूर्व में बग्वालीपोखर में स्थित तालाब के पानी में बग्वाल खेली जाती थी। वर्तमान में इसी के प्रतीक के रूप में मेले का आयोजन होता है। मेला समिति के आशुतोष शाही ने बताया कि सोमवार को मेले का उद्घाटन प्रदेश के स्वास्थ्य मंत्री बलवंत सिंह भौर्याल करेंगे।

 परंपरानुसार भंडरगांव के ग्रामीण नगाड़े-निशानों के साथ ओड़ा भेटने की रस्म पूरी करेंगे। मेले के दौरान इस बार नेहरू युवा केंद्र अल्मोड़ा के तत्वावधान में सांस्कृतिक प्रतियोगिताओं का आयोजन किया जाएगा। जिसमें द्वाराहाट तहसील के लोक कलाकार भाग लेंगे। इसके अलावा मेले के दौरान लकी ड्रा का भी आयोजन किया गया है।

मेले के समापन अवसर पर 9 नवंबर को एशियाड खेलों के स्वर्ण पदक विजेता राजेंद्र सिंह रावत व विधायक पुष्पेश त्रिपाठी सहित कई लोग भाग लेंगे। श्री शाही ने बताया कि मेले के लिए बाहर से व्यवसाइयों का आना शुरू हो गया है।

Devbhoomi,Uttarakhand

  • MeraPahad Team
  • Hero Member
  • *****
  • Posts: 13,048
  • Karma: +59/-1
                पौड़ी में शरदोत्सव का शानदार आगाज
            =======================


                     

                                                              पौड़ी  गढ़वाल, जागरण कार्यालय : दोपहर की गुनगुनी धूप में हिमालय से चलती मंद  ठंडी हवाओं के साथ सांस्कृतिक नगरी पौड़ी में शरदोत्सव का मार्चपास्ट व  झांकियों के साथ शानदार आगाज हुआ। मार्चपास्ट की सलामी केन्द्रीय श्रम एवं  रोजगार राज्य मंत्री हरीश रावत ने ली।
पौड़ी की विभिन्न स्कूलों के छात्र-छात्राओं ने मुख्य अतिथि के स्वागत  में मार्चपास्ट किया गया।

मार्चपास्ट के बाद झांकियों के दौरान दी गई गई  प्रस्तुतियों तो रंग ही जमा गई। राजकीय बालिका इंटर कॉलेज की प्रस्तुति  सबसे सुंदर रही। कॉलेज के पहाड़ के फूल संक्राति, बसंत पंचमी, चैती, कांडा  मेला समेत अन्य का समावेश करते हुए मात्र 9 मिनट में पहाड़ की परंपराओं और  रीति रिवाजों को मार्चपास्ट बेस के सामने रखा।

 नेहरू माउंटेसरी स्कूल के  बच्चों ने उत्तराखंड के अनमोल रतन, ब्राइट स्टार ने महात्मा गांधी का  सपना, राजकीय इंटर कालेज के छात्रों ने प्राणदायिनी गंगा को प्रदूषण मुक्त  करने, राजकीय उच्चतर माध्यमिक विद्यालय ने कॉमनवेल्थ गेम में महिलाओं के  योगदान को प्रस्तुत किया। गुरु राम राय पब्लिक स्कूल, डीएवी इंटर कालेज,  मैसमोर इंटर कालेज, सेंट जेम्स, हरीश आदर्श विद्यालय समेत अन्य विद्यालयों  ने मार्चपास्ट व झांकियों में शिरकत की

http://in.jagran.yahoo.com


       

Devbhoomi,Uttarakhand

  • MeraPahad Team
  • Hero Member
  • *****
  • Posts: 13,048
  • Karma: +59/-1

पौराणिक संस्कृति से विमुख होते मेले
=========================

मेले क्षेत्र की पौराणिक संस्कृति कीे झलक माने जाते हैं। पहले जहां मेले आपसी मेल जोल बढ़ाने का माध्यम हुआ करते थे। वहीं अब पहाड़ में लगने वाले मेले पूरी तरह से राजनीतिक रंग में रंग चुके हैं। इससे मेले के आयोजन के समय आपसी विवाद तो होता है। पिछले दिनों संपन्न हुआ अगस्त्यमुनि का मेला भी पूरी तरह से राजनीतिक रंग में रंगा दिखाई दिया।

पहाड़ में मेले के आयोजन का प्रचलन तो बढ़ा है, लेकिन मेले पर जिस तरह राजनीति हावी हुई है, उससे आम आदमी की रुचि मेलों के प्रति काफी कम हो गई है। मेलों के मंच पर अब मात्र एक ही पार्टी के कार्यकर्ता नजर आते हैं, ऐसे में अन्य लोगों का मेले के प्रति झुकाव कम होना स्वाभाविक है। आजादी से पहले लगने वाले पहाड़ के सबसे बड़े मेले गौचर की बात करें तो तिब्बती लोग इस मेले के माध्यम से व्यापार किया करते थे। इसके बदले वे यहां के उत्पादों की खरीदारी भी करते थे।

शरदोत्सव व औद्योगिक मेले के नाम से अगस्त्यमुनि में होने वाले मेले की भी कमोवेश ऐसी ही स्थिति है। यहां पर पांच दिवसीय मेले पूरी तरह भाजपा के रंग में डूबा रहा। क्षेत्र के वरिष्ठ सामाजिक कार्यकर्ता व जिला पंचायत सदस्य अवतार सिंह राणा चार दिन तक तो मेले में पूरी मेहनत से जुड़े रहे, लेकिन अंत में मेले में राजनीति बढ़ने से उन्होंने इससे नाता तोड़ लिया। उनका कहना है कि मेलों को राजनीति से दूर रखना चाहिए। जिला पर्यटन अधिकारी सीमा नौटियाल का कहना है कि पर्यटन को बढ़ावा देने के लिए विभाग द्वारा धनराशि दी जाती है।

इनसेट

पर्यटन विभाग द्वारा दी जा रही धनराशि--

अगस्त्यमुनि मंदाकिनी शरदोत्सव मेला - 2 लाख रुपये

जखोली महोत्सव- 2 हजार रुपये

रुद्रनाथ शरदोत्सव- 1 लाख रुपये

बधाणीताल मेला- 50 हजार रुपये

हरियाली देवी मेला-50 हजार रुपये

मद्देश्वर मेला- 1 लाख रुपये

जाख मेला- 50 हजार रुपये

सूर्यप्रयाग मेले- 50 हजार रुपये

देवरियाल मेले- 50 हजार रुपये

बैशाखी मेला अगस्त्यमुनि-1 लाख

http://in.jagran.yahoo.com/news/local/uttranchal/4_5_6898196.html

Devbhoomi,Uttarakhand

  • MeraPahad Team
  • Hero Member
  • *****
  • Posts: 13,048
  • Karma: +59/-1
जौलजीबी मेला शबाब पर
==================


                   

धारचूला/जौलजीबी  (पिथौरागढ़): ऐतिहासिक जौलजीबी मेला शबाब पर पहुंचने लगा है। नेपाल में भी  दुकानें सजने से अब दोनों देशों के बीच मेलार्थियों की आवाजाही अधिक बढ़  गई है। मेले में ऊनी माल बिकने पहुंच गया है। 17 नवंबर को मेले का सबसे  मुख्य दिन होगा, जब भारत और नेपाल की जनता मेले में बढ़-चढ़कर भाग लेगी।  इधर, दूसरी शाम स्थानीय कलाकारों ने अपनी कला का जादू बिखेरा।

जौलजीबी मेले के तीसरे दिन मेले में रौनक बढ़ गई। मेले में दूर-दूर से  पहुंचे व्यापारियों ने दुकानें सजा दीं। मेले में तिब्बती ऊन से निर्मित  सामग्री बहुतायत में पहुंची। इसके खरीदार भी बढ़ते जा रहे हैं। दूसरी तरफ  नेपाल में भी मेला शुरू हो गया है। वहां भी बड़ी संख्या में दुकानें खुल गई  हैं। अलबत्ता, अभी तक नेपाल के हुमली जुमली के घोड़े नहीं पहुंचे हैं। दो  दिनों के भीतर घोड़ों के पहुंचने की संभावना है।

 दोनों देशों में  मेलार्थियों के पहुंचने से चहल-पहल बढ़ गई है। विभागों द्वारा आयोजित  विकास प्रदर्शनियां भी इस बार आकर्षण का केंद्र बनी हुई हैं। इस वर्ष  स्टॉलों की संख्या अधिक होने से सामान पर्याप्त मात्रा में उपलब्ध है।  इनमें स्थानीय दस्तकारी और उत्पाद की मांग अधिक हो रही है। विकास  प्रदर्शनी देखने वालों की भीड़ लगी हुई है। विदित हो कि जौलजीबी मेले का  सबसे प्रमुख दिन मार्गशीर्ष संक्रांति रहता है। 17 नवंबर को संक्रांति  होने से मेले का मुख्य दिन रहेगा। उसी दिन से भारत और नेपाल की स्थानीय  जनता इस मेले में भाग लेना शुरू कर देती है। फलस्वरूप मेले में भीड़ और  खरीदारी बढ़ जाती है।

सांस्कृतिक मंच पर सोमवार रात भी रंगारंग  कार्यक्रमों की धूम रही। सांस्कृतिक दलों और विद्यार्थियों ने रंगारंग  कार्यक्रम पेश किये। इन्हें देखने मध्य रात्रि तक दर्शक जमे रहे।  सांस्कृतिक कार्यक्रमों को देखने नेपाल से भी बड़ी संख्या में दर्शक  पहुंचे। बुधवार दिन में विधिक शिविर का आयोजन किया जाएगा। मेले में शांति  व्यवस्था के लिए बड़ी संख्या में पुलिस बल तैनात किया गया। भारत-नेपाल को  जोड़ने वाले काली नदी के झूला पुल पर एसएसबी कड़ी चौकसी कर रही है। एसएसबी  सेनानी बीएस टोलिया ने सुरक्षा व्यवस्था का निरीक्षण कर जवानों को आवश्यक  दिशा-निर्देश दिये।
   
http://in.jagran.yahoo.com/

Devbhoomi,Uttarakhand

  • MeraPahad Team
  • Hero Member
  • *****
  • Posts: 13,048
  • Karma: +59/-1

सीता की याद में होता है मेला
=========================



पौड़ी गढ़वाल, : कोट विकासखंड का मनसार मेला संस्कृति व धर्म का अनूठा समावेश है। यह मेला हर साल मंगसीर माह की द्वादशी तिथि को मनाया जाता है। देवल मंदिर से ढोल दमाऊ, भंकोर आदि वाद्य यंत्रों के साथ देव यात्रा निकलती है।

मान्यता है कि सीता माता ने एक समय यहां निवास किया। यह मेला उनकी याद में मनाया जाता है। मंडल मुख्यालय से 20 किमी दूरी पर ब्लाक कोट के पलसाड़ी गांव में पिछले 50 वर्ष से अधिक समय से मां सीता का मनसार मेला आयोजित किया जाता है। पहले मेले में कम लोग आया करते थे, लेकिन आज मेले में हजारों की संख्या में श्रद्धालुओं की भीड़ उमड़ती है। मान्यता है कि मेले में दो बार आने से सारे कष्ट दूर हो जाते हैं। मेले हर वर्ष मंगसीर मास की द्वादशी को आयोजित होता है।

मां सीता का फलसाड़ी में मायका, देवल में ससुराल और कोटसाड़ा में ननिहाल माना जाता है। मां सीता के नाम से ही ब्लाक कोट की सितोन्स्यूं पट्टी का नामकरण किया गया। जिस दिन मेले का आयोजन होता है उस दिन फलसाड़ी गांव के किसी व्यक्ति के सपने सीता माता दर्शन देती है और उन्हें अपने स्वरूप के बारे में बताती है।

दूसरे दिन जिस खेत में मां सीता का पत्थर निकलता है उस दिन खेत की दीवार पर पीपल का पेड़ उगता है और उसके पत्तों पर ओंस की बूंदे रहती हैं। इसके बाद देवल गांव से निशान ढोल दमाऊं के साथ निकलते है और देवल मंदिर से मां सीता के जयजय कारा होता है। फलसाड़ी गांव में निशांन पहुंचने के बाद के खेत में खुदाई होती है। जहंा मां सीता का एक पत्थर निकलता है। जिसके दर्शन का लोग बेसर्बी से इंतजार करते हैं। दर्शन करने के बाद श्रद्धालु बबलू का रेशे छिनते हैं और इसे प्रसाद के रूप में स्वीकार करते हैं। देवल गांव के अतुल उप्रेती बताते हैं कि मेला पचास वर्ष से अधिक समय से मनाया जाता है। मान्यता है कि सीता फलसाड़ी गांव के खेतों में समा गई थी और राम के समाने के समय पर उनके बाल पकड़े थे। इसीलिए मां सीता के दर्शन के बाद बबलू का रेशा खींचा जाता है। पंडित वीरेन्द्र प्रसाद पांडेय बताते हैं देवल गांव में सीता माता ससुराल होने के के कारण यहां से निशान जाते हैं।

बाक्स: मेले की तैयारी में जुटे ग्रामीण

इस साल यह मेला गुरुवार को आयोजित हो रहा है और ग्रामीण मेले की तैयारियों में जुटे हुए हैं। मंदिर समिति के अध्यक्ष नरेश उप्रेती बताते हैं कि मेले मेला पूरी सात्विकता के साथ होता है। समिति पूरी शिदद्त से तैयारियों में जुटी हुई है।


http://in.jagran.yahoo.com/news/local/uttranchal/4_5_6913921.html

Devbhoomi,Uttarakhand

  • MeraPahad Team
  • Hero Member
  • *****
  • Posts: 13,048
  • Karma: +59/-1
माघ मेले के बिगड़े स्वरूप पर जताई चिंता
=============================

जिला पत्रकार संघ की ओर से आयोजित गोष्ठी में माघ मेले के बिगड़े स्वरूप पर चिंता जताई गई। वहीं मेलों पर आधारित स्मारिका प्रकाशन व बंसत मेला गंगनाणी को जनोपयोगी व विकासपरक बनाने के प्रयास करने का निर्णय लिया गया।

प्रेस क्लब में आयोजित गोष्ठी में वक्ताओं ने माघ मेले के स्वरूप को बदले जाने पर जोर दिया। अधिकांश लोगों ने कहा कि मेले के मौजूदा स्वरूप में स्थानीय उत्पादों, संस्कृति व रचनात्मक कार्यो के लिये कोई स्थान नहीं है। जबकि घटिया दर्जे के लग्जरी सामान की दुकानों के लिये जिला पंचायत की ओर से दिल खोलकर जगह आवंटित की जाती है। जिसके चलते मेले का मूल स्वरूप खो गया है। इसमें सुधार लाने की दिशा में प्रयास करने की आवश्यकता जताई गई। वहीं गंगनाणी में आयोजित होने वाले बसंतोत्सव में विभिन्न सरकारी स्टालों की भागीदारी, आय, जाति, विकलांग, वृद्धावस्था संबंधी प्रमाण पत्र व सेवायोजन कार्यालय की सेवाएं उपलब्ध कराने की आवश्यकता जताई गई। गोष्ठी के दूसरे सत्र में जिला पत्रकार संघ की ओर से जनपद के मेलों, उत्सवों व धार्मिक यात्राओं पर आधारित स्मारिका के प्रकाशन का निर्णय लेने के साथ ही उसकी रूपरेखा तय की गई। इस अवसर पर जिला पत्रकार संघ के अध्यक्ष सूरत सिंह रावत, प्रेस क्लब अध्यक्ष प्रताप सिंह रावत, महासचिव पंकज गुप्ता, कोषाध्यक्ष शिव सिंह थलवाल, राजेंद्र भट्ट, साब सिंह कलूड़ा, शूरवीर सिंह रांगड़, तिलकचंद रमोला, सुनील नवप्रभात, विजयपाल रावत, रामसुंदर नौटियाल, संतोष भट्ट, पुष्कर रावत, संजीव नौटियाल, सुरेंद्र नौटियाल, सुरेश रमोला, विनोद रावत, ओंकार बहुगुणा, अनिल असवाल, नितिन रमोला, सुभाष बडोनी, सुनील बहुगुणा, बलवीर परमार, सुरेश रमोला सहित अन्य पत्रकार मौजूद रहे।

http://in.jagran.yahoo.com/news/local/uttranchal/4_5_7198176.html

Devbhoomi,Uttarakhand

  • MeraPahad Team
  • Hero Member
  • *****
  • Posts: 13,048
  • Karma: +59/-1
सिस्टम पर करारी चोट कर गया बुढ़देवा
----------------------------------------------


लोकनाट्य बुढ़देवा माघ मेला मंच से जिले की तस्वीर को बखूबी पेश कर गया। सिस्टम पर करारी चोट करते बुढ़देवा के विदूषक चरित्र के व्यंगबाणों से जिले का कोई भी 'जिम्मेदार' नहीं बच सका।

चमोली जनपद की अलकनंदा घाटी में प्रचलित इस लोकनाट्य को केंद्र के पूर्व निदेशक डॉ.डीआर पुरोहित की कोशिशों से बाकी दुनिया के सामने आ सकी है। इस अनूठी शैली की खासियत यह है कि जहां इसे प्रस्तुत किया जाता है वहीं के मुद्दों पर बुढ़देवा का चरित्र अपनी बेबाक राय देने के साथ ही सवालों के जवाब भी देता है। अजीत पंवार के निर्देशन में बुढ़देवा के चरित्र में पंकज नैथानी का अभिनय सराहा गया। नाटक के दौरान लोकगीतों व मुखौटा शैली के नृत्यों की भी प्रस्तुति होती है। लोकगायन में संजय पांडे के साथ ही नवीन जोशी, गणेश बलूनी, दीपक बिष्ट, अरविंद पच्छिमी, मनीष, गणेश, यतेंद्र बहुगुणा, राजीव तलवाड़, मुकेश पैन्यूली, प्रमोद पैन्यूली, जयप्रकाश राणा ने भी अपनी भूमिकाओं में सराहना बटोरी।

चार घंटे तक चक्रव्यूह में बंधे रहे दर्शक

उत्तरकाशी : उत्तराखंड कला मंच पुजार गांव धनारी की कलाकारों ने अभिमन्यु के रूप में पंकज उनियाल व अर्जुन के पात्र के रूप में राजारामभट्ट का अभिनय भाव विभोर करने वाला रहा। चक्रव्यूह का शुभारंभ पं.सुरेश शास्त्री ने मंत्रोच्चार से किया। इसके बाद गढ़वाली और हिंदी संवादों के जरिये यह प्रस्तुति परवान चढ़ती गई। अन्य कलाकारों में रोशन, शोभा, कुलदीप उनियाल शामिल थे। प्रस्तुति का निर्देशन दिनेश चंद्र नौटियाल ने किया।

माघ मेले में चुनावी छौंका

उत्तरकाशी : जनता इकट्ठी हो तो राजनीति करने वाले कहां बाज आ सकते हैं। अगले साल आने वाले विधानसभा चुनावों के लिये भी मेला मंच का उपयोग होता नजर आया। सिर्फ माइक पर गला साफ करना ही नहीं बल्कि नेताओं के महिमामंडन के गीत भी मंच से गवा दिये गये। क्षेत्रीय विधायक, ब्लाक प्रमुख भटवाड़ी, जिला पंचायत उपाध्यक्ष के नाम के गीत बाकायदा कार्यक्रमों को रुकवा कर गाए गए। हालांकि इन गीतों का सुर ताल और शब्द विन्यास से कोई लेना देना नहीं था।

माघ मेला 2011 का समापन

उत्तरकाशी : माघ मेला 2011 का औपचारिक समापन हो गया। शुक्रवार को जिला पंचायत उपाध्यक्ष चंद्ररेखा पंवार ने मेले के समापन की घोषणा की। इस बार मौसम की बेरुखी और विवादों की छाया पूरे माघ मेले पर पड़ी रही। यही वजह है कि मेला समापन पर जिला पंचायत के अधिकारियों व कर्मचारियों ने राहत की सांस ली। समापन समारोह सादे ढंग से ही निपटा दिया गया।

http://in.jagran.yahoo.com/news/local/uttranchal/4_5_7214018.html

 

Sitemap 1 2 3 4 5 6 7 8 9 10 11 12 13 14 15 16 17 18 19 20 21 22