[justify]सर्वप्रथम मैं अपना ही क्षेत्र बागेश्वर जनपद के कपकोट विधानसभा के अंतर्गत आने वाला गाँव पोथिंग के बारे में बताना चाहूँगा। पोथिंग गाँव में इस समय कुछ विकास कार्य प्रगति पर हैं, कुछ कार्य पूरे हो गए और कुछ कार्य पूरे हो कर टूट कर ख़त्म भी हो चुके हैं। जैसा कि आप जानते हैं कि आज का युग सीमेंट का युग है, सीमेंट है तो रेता/बजरी तो चाहिए ही, पर इस गाँव में रेता/बजरी की जगह पहाड़ों/चट्टानों से निकलने वाला सफ़ेद रंग का कंकड़ युक्त मिट्टी, जिसे हम स्थानीय भाषा में कमेट बोलते हैं, का प्रयोग किया जा रहा है।( यह सफ़ेद रंग का पाउडर की तरह होता है, जिसे किसी ज़माने में हमारे दादा-परदादा अपने घर की पुताई के काम में लाते थे)
इस मिट्टी का प्रयोग आज से नहीं बल्कि १० वर्षों होता चला आ रहा है, इस मिट्टी से सरकार की बहुत सी नहरें, बहुत से पुल, बहुत से रास्ते और स्कूल की छतें बन चुकी हैं साथ ही साथ नहरें फट चुकीं हैं, पुल क्षतिग्रस्त हो चुके हैं, रास्तों का नामोनिशान नहीं और छत बेचारी भी क्या करे वो भी बरसात में आंसू टपकाने लगती है। यहाँ पर मेरा कहने का तात्पर्य है कि क्या रेता-बजरी की जगह इस मिट्टी का प्रयोग किया जाना उचित है ? यदि नहीं तो क्यों नहीं ?
इस मिट्टी में थोड़ा सा भी सीमेंट मिलाने से किया हुआ काम बिलकुल अच्छा दिखता है पर जब एक दिन बाद जब यह सूख जाता है तो इसमें दरारें आने लगती हैं और इन दरारों को सीमेंट के घोल से छिपा दिया जाता है। यह मिट्टी इस गाँव में काफी मात्रा में है और ठेकेदार लोग भी खूब प्रयोग कर रहे हैं। जहाँ भी कोई निर्माण कार्य होता है पास में ही यह मिट्टी मिल जाती है तो समझ लो ठेकेदार की चांदी ही चांदी पर। शासन-प्रशासन के आला अफसरों ने तो रिश्वत लेनी है। मोटी रकम मिल गयी और जो भी निर्माण कार्य हुआ, जैसा भी हुआ-सब पास ।
मैं आप सभी को बताना चाहूँगा कि यह मिट्टी यहाँ धड़ल्ले से काम में लाई जा रही है, देखने वाला कोई नहीं है। रिश्वत दे के काम पास हो ही जाता है। और जहाँ तक है गाँव वालों की आवाज़ की बात- गाँव के ही पैसे वाले लोग ठेकेदार हैं क्या करे गरीब लोग । इस गाँव में इस चूने वाले मिट्टी की बड़ी-बड़ी खाने बन चुकी हैं एक माह पूर्व ही इस खान में एक ग्रामीण महिला श्रमिक की दब कर मौत हो गयी जो इस खान से इस चूना मिट्टी खोद कर निकाल रही थी। जो यह दबकर मौत हुई उसका पता सिर्फ गाँव के लोगों को ही है।
जगह--जगह इस प्रकार के खनन के कारण बरसात में भू-स्खलन हो गया है। पर्यावरण प्रभावित हो रहा है। मेरा लिखने का तात्पर्य यह है कि क्या कोई इस गाँव में हो रही इस प्रकार के काम पर अंकुश लगा सकता है ? ताकि जो भी कार्य हो रहा है वह अच्छा हो, उसका लाभ सभी को मिले और गाँव को भूस्खलन जैसी समस्याओं का सामना न करना पड़े।
धन्यवाद
विनोद सिंह गढ़िया