Author Topic: Election 2012 in Uttarakhand Vs Development-उत्तराखंड में चुनाव २०११ बनाम विकास  (Read 43217 times)

एम.एस. मेहता /M S Mehta 9910532720

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pहाड़ की पीड़ा बनेगी मुद्दा
  राजेन्द्र जोशी
 देहरादून, जनवरी। उत्तराखंड जनमंच, उत्तराखंड क्रांतिदल जनतांत्रिक और परिवर्तन पार्टी ने साझा मोर्चा बनाने का ऐलान किया है। इन तीनों संगठनों के नेताओं ने कहा कि यह उक्रांद जनतांत्रिक,परिवर्तन पार्टी,उत्तराखंड जनमंच तथा सामाजिक क्षेत्र में सक्रिय संगठनों और व्यक्तियों का संयुक्त मोर्चा है।
 यह साझा मोर्चा मौजूदा राजनीति के खिलाफ राज्य में आंदोलन की लहर पैदा करने के इरादे के साथ बनाया गष्या है। उन्होने कहा कि हम पहाड़ की पीड़ा को विधानसभा चुनाव का केंद्रीय मुद्दा बनायेंगे। 14 जनवरी तक मोर्चा का नाम, झंडा, पदाधिकारी, न्यूनतम कार्यक्रम और चुनाव अभियान का स्वरुप तय कर दिया जाएगा। मोर्चे के नेताओं ने कहा है कि भाजपा और कांग्रेस के कुछ बागी नेताओं से उनका संपर्क बना हुआ है और जल्द ही इन दोनों दलों से जुड़े कुछ बड़े नेता मोर्चे में शामिल हो सकते हैं। आज यहां एक रेस्टोरेंट में आयोजित पत्रकार सम्मेलन में उत्तराखंड क्रांति दल के अध्यक्ष लक्ष्मण सिंह चुफाल, सुनील ध्यानी, उत्तराखंड जनमंच के प्रमुख महासचिव राजेन टोडरिया,प्रदेश प्रवक्ता शिवानंद पांडे और परिवर्तन पार्टी के प्रांतीय उपाध्यक्ष जयप्रकाश उत्तराखंडी, केंद्रीय प्रवक्ता राजीव कोठारी ने कहा कि तीनों संगठन आगामी चुनावों को देखते हुए एक साझा मोर्चा बनाने के लिए सहमत हैं। मोर्चे का व्यापक स्वरुप 14 जनवरी को तय किया जाएगा। उन्होने कहा कि कांग्रेस और भाजपा के कुछ बड़े नेता उनके संपर्क में हैं और जल्द ही कुछ और नेता साझा मोर्चे में शामिल हो सकते हैं। मोर्चा कांग्रेस और भाजपा को नष्ट करने के लिए ही इन दोनों दलों के बागियों से हाथ मिला रहा है।
 इन नेताओं ने बताया कि मोर्चे की साफ समझ है कि कांग्रेस और भाजपा को नष्ट करके ही उत्तराखंड में एक क्षेत्रीय विकल्प तैयार किया जा सकता है। उन्होने कहा कि कांग्रेस और भाजपा में जितने बड़े पैमाने पर बगावत और असंतोष व्याप्त है उससे साबित हो गया है कि इन दोनों दलों में आंतरिक लोकतंत्र खत्म हो चुका है और अब इन दोनों दलों में हाईकमान की तानाशाही चल रही है। उन्होने कहा कि मोर्चे ने राज्य में जनसेवा और सामाजिक क्षेत्र में सक्रिय कई संगठनों और व्यक्तियों से संपर्क किया है और अधिकांश संगठन प्रदेश की राजनीति में गुणात्मक परिवर्तन लाने के लिए मोर्चे का साथ देने को तैयार हैं। इसीलिए मोर्चा साफ-सुथरे ढ़ंग से चुनाव लड़ेगा और न्यूनतम साधनों के जरिये चुनाव प्रचार करेगा।मोर्चा चुनाव जीतने के लिए किस भी तरह का अनैतिक और अमर्यादित आचरण नहीं करेगा। उन्होने कहा कि यह साझा मोर्चा राज्य में जनविरोधी सरकार का गठन नहीं होने देगा।
 तीनों संगठनों के नेताओं ने कहा कि साझा मोर्चा राज्य की जनता को सही मायनों में एक प्रगतिशील, धर्मनिरपेक्ष और पहाड़ की जनाकांक्षाओं के अनुरुप एक वास्तविक क्षेत्रीय विकल्प देगा। रोजगार,कारोबार समेत राज्य के आर्थिक और प्राकृतिक संसाधनों पर राज्य के मूल निवासियों के हितों की गारंटी करने के लिए मोर्चा कटिबद्ध है। इस मुद्दे को लेकर मोर्चा चुनाव में जाएगा। उन्होने कहा कि साझा मोर्चा सिर्फ चुनावी मकासद के लिए नहीं बनाया गया है बल्कि इसका मकसद चुनाव के बाद एक मजबूत क्षेत्रीय विकल्प के लिए विभिन्न व्यक्तियों और संगठनों को एक मंच पर लाना है। उन्होने कहा कि मोर्चा राज्य के बुद्धिजीवियों,सामाजिक संगठनों,कर्मचारी संगठनों समेत जनता के व्यापक हिस्सों को भी साथ लाकर एक बड़ी पहल करेगा। पत्रकार वार्ता में मनोज ममगांई, कुलदीप, पुष्पा रावत, पीएस रावत मुख्य रूप से मौजूद थे।



http://www.janadesh.in

हलिया

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उत्तराखण्ड के बिकास के लिये एक तीसरे बिकल्प की आवश्यकता हम सब पहाडी लोग महसूस कर रहे हैं. अच्छी बात है.  लेकिन मेरी समझ में तो ये नहीं आरहा है कि तीन संगठन मिल कर एक संयुक्त मोर्चा क्यौं भई, यदि बिचार-धारा एक है और इरादे नेक हैं तो तीनों संगठन अपनी अलग पहचान मिटा कर एक मजबूत दल के रूप में आकर बडे दलों के खिलाप संघर्ष का शंखनाद करो जनता जयघोष करेगी. साझा कार्यक्रम बनायंगे फिर बाद में वही खींचतान, जनता हैरान, परेशान. क्या यह पहाड की भोली भाली जनता की सूख कर लकडी बनी आकांक्षाओं को चुनावी आंच में झोंककर अपनी-अपनी रोटियां सेकने जैसा नहीं हो रहा हो?

कृपया सभी लोग अपनी-अपनी बात जरूर खुल कर रखें हो इस मुद्दे पर. आखिर अपने पहाड के बिकास का मामला ठैरा.

एम.एस. मेहता /M S Mehta 9910532720

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जिस तरह से पहाड़ ने नेताओ ने अपनी जमीन छोड़ दी है और अपना चुनाव क्षेत्र मैदानी इलाको में चुन लिया है! इससे यह प्रतीत होता है उन्हें अब पहाड़ से चुनाव लड़ने की हिम्मत नहीं है क्योंकि को जनता को उन्होंने ने जवाब देना है कि उन्होंने अपने कितने वादों को पूरा किया! स्पष्ट है जनता की डर से इन लोगो ने पहाड़ से मैदानी इलाको की और रुख किया है!  कांग्रेस और भातीय जनता पार्टी ने ही केवल अभी तक उत्तराखंड के राज किया है और दोनों ही पार्टिया विकास करने में पूरी तरह से विफल हुयी है! [/color] मुझे लगता है उत्तराखंड राज्य बनाने का जो उद्देश्य था वह साकार नहीं हो पाया कही न कही कुर्सी की दौड़ में उलझ गया यह प्रदेश! अब समय आ गया है कि  जनता तीसरे बिकल्प को [/color]talaashe!

राज्य बनाने में अपना अहम् भूमिका निभानी वाली पार्टी उत्तराखंड क्रांति दल आज हासिये पर खडी दिखती है! इस पार्टी से जनता को जरुर उमीदे है लेकिन पार्टी के नेता एक अंदर एक जुटता न होने के कारण अब यह पार्टी के लिए अपना साख वचना ही मुश्किल हो गया है! जनता को जरुरत है. .राष्ट्रीय पार्टी को देखकर वोट न करे और एक सही और सच्चे, ईमानदार उमीदवार को ही वोट दे जो उनकी समस्याओं का निदान कर सके! इस चुनाव में उत्तराखंड राज्य के स्थाई राजधानी के मुद्दा कही धूमिल होता नजर आ रहा है! कोई भी पार्टी उत्तराखंड की स्थाई राजधानी गैरसैंन की बात नहीं कर रहा है ! स्पष्ट है इन पार्टियों की पहाड़ की विकास की कोई चिंता नहीं है इन्हें सिर्फ सत्ता चाहिए !
 

Mahi Mehta

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लुट गया पहाड़ - पहाड़ में विकास के सपने दिखाने वाले नेताओ का असली चेहरा सामने आया!

पहाड़ से भाग रहे है ये नेता..

Devbhoomi,Uttarakhand

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मौत की पाठशाला!





  चम्बा, : बाइस साल पहले स्थापित किया गया हाइस्कूल का यह भवन आज साक्षात मौत की पाठशाला नजर आता है। हाईस्कूल के इस भवन में इंटर तक की कक्षाएं चलाई जा रही हैं। भवन को देखकर इंटर कक्षाओं की तक की सभी सुविधाएं होने का अंदाजा स्वत: ही लगाया जा सकता है।



चम्बा प्रखंड के अंतर्गत राइंका नागणी पिछले 22 वर्षो से जूनियर हाईस्कूल के भवन पर चल रहा है। सर्व शिक्षा अभियान से लेकर रमसा तक सभी शिक्षा के स्तर को सुधारने में लगे हुए हैं, इसी बीच भवनों की ढांचागत सुविधाओं की ओर किसी का ध्यान नहीं जाता, जिसमें हर दिन बच्चे दहशत में रहकर पढ़ाई करते हैं। साथ ही क्या सभी सुविधाएं इन विद्यालयों में उपलब्ध हो सकेंगी ये भी निश्चित रूप से नहंी कहा जा सकता है। जब कक्षाएं ही जर्जर हों, तो कम्यूटर लैब, प्रयोगशाला और वाचनालय जैसी सुविधाओं की बात करना बेमानी होगा।


 विद्यालय में छात्र संख्या पौने चार सौ के करीब है। कमरों के अभाव में उन्हें भारी दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है। अभिभावक संघ के अध्यक्ष विजयपाल सिंह राणा, पूर्व अध्यक्ष विजय जड़धारी आदि का कहना है कि वे लम्बे समय से विद्यालय भवन के निर्माण की मांग कर रहे हैं, लेकिन विभाग इस मामले में लापरवाह बना हुआ है।
धन स्वीकृत होने पर होगा कार्य
Source Dainik Jagran

एम.एस. मेहता /M S Mehta 9910532720

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Mahi Singh Mehta Which party you are going to support in Uttarakhand during the upcoming Election. We have conducted  on-line exit poll. Just go through and read the views and result of vote by various members :
 
 http://www.merapahadforum.com/development-issues-of-uttarakhand/election-2011-in-uttarakhand-vs-development/msg88208/?topicseen#new
Election 2012 in Uttarakhand Vs Development-उत्तराखंड में चुनाव २०११ बनाम विकास www.merapahadforum.comElection 2012 in Uttarakhand Vs Development-उत्तराखंड में चुनाव २०११ बनाम विकासLike ·  · Share · 10 hours ago near Delhi
  • Umesh Kandpal and Ashish Pant like this.
    • Kashi Dangwal ‎100% BJP10 hours ago · Like
    • Tara Pepsico Bageshwar ‎101% BJP10 hours ago · Like
    • Rahul Himanti Pandey we  want bjp....10 hours ago · Like
    • Petwal SP BJP..,No doubt...9 hours ago · Like
    • Mahi Singh Mehta Thanks for your feedback. please open the link also click vote option.9 hours ago · Like
    • Kripal Rawat Bjp doing good job their9 hours ago · Unlike · 1
    • Devbhoomi Uttarakhand ये वाक्य कुछ जाना पहचाना लग रहा है,क्योंकि हर चुनाव में यही तो  बातें होती हैं,गैरसैण को उत्तराखंड की राजधानी बनायेंगे, पहाड़ों में जो लोग कच्चे मकानों में रहते हैं उन्हें पक्के मकान देंगे, बिजली देंग ,पानी देंगे,सड़क देंगें,  यही सब चोर नेता राजनेता बकवास करतें हैं, क्योंकि इनको वोट की भीख चाहिए और उस वोट की भीख के लिए ये कुछ बातें कर सकते हैं  चाहे वो,------"जो गैरसैण राजधानी बनाने की बात करेगा वो ही उत्तराखंड पर राज करेगा " ये भी बोलेंगें वोट के लिए ,"जो गैरसैण राजधानी बनाने की बात करेगा वो ही उत्तराखंड पर राज करेगा " गैसें राजधानी की बात करेंगे जरूर करेंगे लेकिन चुनाव होने तक,बाद में सब भूल जायेंगे की क्या बाते और वादे किये थे इन्होने ! "जो गैरसैण राजधानी बनाने की बात करेगा वो ही उत्तराखंड पर राज करेगा " गैरसैण राजधानी बनाने की बातें सभी करेंगे लेकिन क्या गैरसैण को ये भ्रष्टाचारी,राजधानी का ताज पहनाएंगे, ये तो सिर्फ अपना ताज ढूंडने निकल पड़ते हैं !
       
       जय हिंद,जय उत्तराखंड
      3 hours ago · Like · 1
    • Basant Joshi Vote to your good leader.who work to develop.about an hour ago · Like

हलिया

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और देखो प्रदेश के नेताओं के बंगले हर साल बडे और बडे होते जा रहे हैं.   >:( >:( >:(


मौत की पाठशाला!





  चम्बा, : बाइस साल पहले स्थापित किया गया हाइस्कूल का यह भवन आज साक्षात मौत की पाठशाला नजर आता है। हाईस्कूल के इस भवन में इंटर तक की कक्षाएं चलाई जा रही हैं। भवन को देखकर इंटर कक्षाओं की तक की सभी सुविधाएं होने का अंदाजा स्वत: ही लगाया जा सकता है।



चम्बा प्रखंड के अंतर्गत राइंका नागणी पिछले 22 वर्षो से जूनियर हाईस्कूल के भवन पर चल रहा है। सर्व शिक्षा अभियान से लेकर रमसा तक सभी शिक्षा के स्तर को सुधारने में लगे हुए हैं, इसी बीच भवनों की ढांचागत सुविधाओं की ओर किसी का ध्यान नहीं जाता, जिसमें हर दिन बच्चे दहशत में रहकर पढ़ाई करते हैं। साथ ही क्या सभी सुविधाएं इन विद्यालयों में उपलब्ध हो सकेंगी ये भी निश्चित रूप से नहंी कहा जा सकता है। जब कक्षाएं ही जर्जर हों, तो कम्यूटर लैब, प्रयोगशाला और वाचनालय जैसी सुविधाओं की बात करना बेमानी होगा।


 विद्यालय में छात्र संख्या पौने चार सौ के करीब है। कमरों के अभाव में उन्हें भारी दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है। अभिभावक संघ के अध्यक्ष विजयपाल सिंह राणा, पूर्व अध्यक्ष विजय जड़धारी आदि का कहना है कि वे लम्बे समय से विद्यालय भवन के निर्माण की मांग कर रहे हैं, लेकिन विभाग इस मामले में लापरवाह बना हुआ है।
धन स्वीकृत होने पर होगा कार्य
Source Dainik Jagran

विनोद सिंह गढ़िया

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कांडा के विधायक एवं वर्तमान में कपकोट से बीजेपी के प्रत्याशी श्री बलवंत सिंह भौर्याल जी का रिपोर्ट कार्ड

काबीना मंत्री बलवंत सिंह भौर्याल ने पांच साल के कार्यकाल में लोगों से मिलने-जुलने में कोई कोर कसर नहीं छोड़ी। लोनिवि के बागेश्वर स्थित डाक बंगला तथा अपने घर बीसा घर में लोगों से मिलते रहे।
वर्ष 2007 में कांडा से चुने गए विधायक बलवंत सिंह भौर्याल इस समय समाज कल्याण मंत्री हैं। समस्याग्रस्त इस क्षेत्र के गांवों की कायाकल्प करने में वह कुछ खास नहीं कर सके हैं। क्षेत्र के लोगों को आशा थी कि वह काफलीगैर उप तहसील को तहसील का दर्जा देकर लोगों की परेशानी कम कर देंगे, लेकिन यह काम भी अधूरा ही रह गया। क्षेत्र के देव मंदिरों को धार्मिक पर्यटन के रूप में विकसित करने का सपना भी साकार नहीं कर सके। स्कूलों में अध्यापकों की तैनाती तथा गांवों को सड़क से जोड़ने का काम भी पूरा नहीं हो सका।

कांडा में रसोई गैस गोदाम का निर्माण करवाया, लेकिन यह आज तक चालू नहीं हो सका।


विधायक के तौर पर भौर्याल के कार्यकाल को संतोषजनक नहीं कहा जा सकता है। लोग सड़क, बिजली, पानी, बीपीएल राशन कार्ड तथा दैवीय आपदा की समस्याओं को लेकर आंदोलित रहे, बावजूद कोई भी समस्या हल नहीं हो सकी। गांवों को सड़क से जोड़ने का काम धीमी गति से हुआ। आंदोलनों में लोगों के बीच कभी नहीं आए।
-बिशन सिंह टंगड़िया, संस्थापक गांव गरीब उत्थान मंच गड़ियागांव डोबा

भौर्याल जी का कार्यकाल पूरी तरह निराशाजनक रहा। वर्ष 1977 में स्वीकृत कांडा-रावतसेरा मोटर मार्ग को गंतव्य स्थान तक पहुंचाने का आश्वासन दिया, लेकिन काम अब तक पूरा नहीं हो सका है। अस्पतालों में डाक्टर तो स्कूलों में शिक्षकों की तैनाती नहीं करा सके।
-सतीश उप्रेती, कमस्यार

साभार : अमर उजाला

हलिया

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बिनोद जी उत्तराखण्ड में हर मा.मंत्री जी और मा.बिधायक जी की यही कहानी ठैरी. अब  जनता जागे तो इनके सिर से सत्ता का भूत भागे.

jagmohan singh jayara

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उत्तराखंड की जनता को ऐसा सतत विकास चाहिए, जो गाँव, खेत, खलिहान को खुशहाल बनाए.   उजड़ते   गाँव, पसरा सूनापन आज बयां कर रहे है हकीकत.   तराई विकास के लिए उत्तराखंड का सृजन हुआ, ऐसा प्रतीत होता है.   पहाड़ आज ठगा ठगा सा है क्यों?  पहाड़ से पलायन होता ही जाएगा....पहाड़ अकेला ही रह जाएगा.
 
हे नेता जी....

फिर एग्यैं तुम,
पांच साल पूरा करिक,
अपणि अर प्यारा चम्चौं की,
पापी पोटगी भरिक,
हम सनै क्या मिलि?
तुम सनै वोट दीक.......

अबरीं दां हम,
तुमारी मीठी बातु मा,
बिल्कुल नि औण्या,
उबरी त बोलि थै बात,
आपन मन भरमौण्या,
कथगा करि आपन,
हमारा गौं मुल्क कू विकास,
पिछला पांच साल मा,
गौं खाली ह्वैगी हमारू,
हम होयां छौं निराश.....

कुछ भि बोला,
भलु न ह्वान तुमारू,
तुम्न खाई हमारू,
हम तुम्तैं वोट द्योला,
कतै न रख्यन सारू,
तुम जूठा, अबिस्वासी,
दुबारा जीत कू सुपिनु न देखा,
पाप धोण का खातिर,
चलि जवा तुम अब,
हे नेता जी, गया अर काशी...

(रचनाकार: जगमोहन सिंह जयाड़ा "जिज्ञासु" )
सर्वाधिकार सुरक्षित एवं प्रकाशित
6.1.2012
www.pahariforum.net

 

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