भ्रष्टाचार मिटाने के नाम पर धरना, आन्दोलन या अनशन की नौटंकी करके अन्ना हजारे को कोई पुरस्कार जरुर मिल सकता है पर इस देश से भ्रष्टाचार दूर नही हो सकता है। २०१२ के चुनावों में भी वही होगा जो नेगी जी कि पिछली एलबमे के गीत के बोल हैं "हाथन व्हिस्की पिलायी, फूलन पिलायी रम"। नेताओं गालियां देके क्या होगा जब हम अपने स्वार्थवश ऎसे लोगों को चुनते है। आज इस देश में ऎसा कौन है जो भ्र्ष्ट नही है। जिसे भ्रष्टाचार का मौका नही मिला वही दूसरे को कोसता रह्ता है, जब उसे मौका मिलता है तो वह भी उसी लाईन पर जाता है।
इस देश में भ्रष्टाचार मिटाना है तो हर नागरिक को अपने चरित्र को सुधारना होगा। जब तक हमारे देश के हर नागरिक का चारित्रिक उत्थान नही होगा, भ्रष्टाचार मौजूद रहेगा। यह किसी नेता, वकील, पुलिसवाले, अधिकारी, जज या व्यापारी के भ्रष्ट होने का प्रश्न नही है। भ्रष्टाचार हर भारतीय के चरित्र का हिस्सा बन चुका है चाहे वह किसी वर्ग, धर्म या जाति को हो। भ्रष्टाचार मिटाना है तो अपने चरित्र को सुधारना होगा और उसे इतना मजबूत करना होगा कि हम बिना भ्रष्टाचार के आगे बढ़ सकें। किसी को गलियां देके कोसके और किसी का कार्टून बनाके भ्रष्टाचार दूर करने का सपना देखना हम छोड़ दें तो अच्छा है।
हर आदमी खुद या तो भ्रष्टाचार कर रहा है या उसमें भागीदारी कर रहा है, जब तक मेरा काम हो रहा है तो मैं ईमानदार और मेरा काम नही हुआ तो दूसरा भ्रष्टाचारी। चाहे २०१२ का चुनाव हो या उससे अगला चुनाव भ्रष्टाचारी ही चुने जायेंगे क्योंकि हम जैसे भ्रष्टाचारी ही उन्हें चुनेंगे। भ्रष्टाचार हमारे चरित्र में है नाकि किसी नेता, जज, वकील या पुलिसवाले में। अगर सही स्वच्छ प्रशासन चाहिये तो पहले हर नागरिक का चारित्रिक विकास जरुरी है।