Author Topic: How To Save Forests? - कैसे बचाई जा सकती है वनसम्पदा?  (Read 38328 times)

एम.एस. मेहता /M S Mehta 9910532720

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दोस्तो,

उत्तराखंड के वन सम्पदा को वहुत खतरा है हर साल जंगल मे लगनी वाली आग से वन सम्पदा को बहुत नुकसान होता है. इसके अलावा जिस दंग से जंगल कट रहे है यह चिंता का विषय है.


Let us discuss how safe the forest.


M  S Mehta

एम.एस. मेहता /M S Mehta 9910532720

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दावाग्नि की चपेट में सोमेश्वरMay 02, 11:56 pm

सोमेश्वर (अल्मोड़ा)। सोमेश्वर क्षेत्र के अधिकांश जंगल आजकल दावाग्नि की चपेट में है। जिससे पूरे क्षेत्र में गहरी धुंध छाई हुई है एवं पेयजल योजनाओं का पानी प्रदूषित हो रहा है। क्षेत्र के अनेक पंचायत प्रतिनिधियों एवं सामाजिक कार्यकर्ताओं ने जल संस्थान व जल निगम से पेजयल टैकों की सफाई करने व कीटनाशकों का प्रयोग करने की मांग की है। उल्लेखनीय है कि क्षेत्र की अधिकांश पेयजल योजनाओं के मूल जंगलों में ही है तथा जंगलों में आग लगने एवं आधी तूफान के कारण इनका पानी भी बुरी तरह प्रभावित हो जाता है। पेयजल महकमा टंकियों की सफाई के मामले में सदैव उदासीन बना रहता है। फलस्वरूप क्षेत्रवासियों में जल निगम व जल संस्थान की कार्य प्रणाली के प्रति काफी रोष व्याप्त है।

एम.एस. मेहता /M S Mehta 9910532720

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 धू कर जल रहा कार्बेट पार्कMay 03, 01:17 am

रामनगर (नैनीताल)। भीषण गर्मी के चलते कार्बेट पार्क भी आग की चपेट में है। पार्क के लगभग प्रत्येक हिस्से में भयंकर आग लगी हुई है। आग की 38 घटनाओं में अब तक पार्क का 58 हेक्टेयर जंगल राख हो चुका है। बिनसर में भी दस हेक्टेयर जंगल जल चुका है। आग की घटनाओं को देखते हुए पार्क प्रशासन ने रात्रि विश्राम के तात्कालिक आरक्षण पर रोक लगा दी है। इससे पर्यटक खासे मायूस हो रहे है।

बारिश न होने से तपिश लगातार बढ़ती जा रही है। इससे जंगल सूख कर बारूद के ढेर में तब्दील हो चुके है। यही कारण है कि कार्बेट टाइगर रिजर्व के जंगल भी धधक रहे है। पार्क के ढिकाला रेज को छोड़कर लगभग सभी हिस्सों में आग लगी हुई है। सीटीआर के रामनगर क्षेत्र के सर्पदुली रेज में आग की चार घटनाओं में 4.50 हेक्टेयर, बिजरानी रेज में चार घटनाओं में 7.25, ढेला रेज में तीन मामलों में 2.50, झिरना में दो घटना में 4.25 तथा कालागढ़ रेज में आग की घटनाओं में 3.50 हेक्टेयर जंगल जल कर राख हो गया है।

सीटीआर के कालागढ़ क्षेत्र के सोनानदी रेज में सात घटनाओं में 8.80 हेक्टेयर, अदनाला रेज में चार घटनाओं में 14, मंदाल रेज में दो घटनाओं में 2.50, प्लेन रेज में दो घटनाओं में 2.50 तथा मैदावन रेज में दो घटनाओं में नौ हेक्टेयर जंगल जल गया है। बिनसर में चार घटनाओं में दस हेक्टेयर जंगल जल चुका है। बिनसर क्षेत्र के ही सिविल वन क्षेत्र में हुई दो घटनाओं में चार हेक्टेयर जंगल जल चुका है। उधर कार्बेट टाइगर रिजर्व प्रशासन ने आग बुझाने के लिये कर्मचारियों के अलावा फायर वाचर व ईको ग्राम विकास समिति के सदस्यों को लगाया है। आग बुझाने में उपकरणों की कमी कर्मचारियों के आड़े आ रही है।

आग की बढ़ती घटनाओं को देखते हुए पार्क प्रशासन ने वन विश्राम गृहों के तात्कालिक आरक्षण पर दो दिनों से रोक लगा रखी है। इसके चलते कई पर्यटकों को मायूस लौटना पड़ रहा है। पार्क प्रशासन के मुताबिक अग्रिम आरक्षण वाले पर्यटकों को प्रवेश दिया जा रहा है। दिवसीय भ्रमण भी जारी है। सीटीआर के निदेशक राजीव भरतरी ने बताया कि आग की घटनाओं पर तत्काल मौके पर पहुंच कर काबू किया जा रहा है। तेड़िया की ओर से आग ढिकाला में प्रवेश कर रही थी तो उसे रोक लिया गया है। उन्होंने माना कि उपकरणों व आर्थिक संसाधनों की आवश्यकता पड़ रही है। उन्होंने बताया कि कर्मचारियों को आग बुझाने में लगाया गया है। इस वजह से तात्कालिक आरक्षण बंद कर दिया गया है।

- इनसेट -

2005 में भी लग चुकी है भयंकर आग

रामनगर। काबेट टाइगर रिजर्व के रामनगर, कालागढ़ एवं बिनसर क्षेत्र में वर्ष 2005 में भी भयंकर आग लग चुकी है। जानकारी के मुताबिक वर्ष 2005 में सीटीआर के रामनगर क्षेत्र में 30 मामलों में 66.75 हेक्टेयर, कालागढ़ क्षेत्र में 12 मामलों में 94 हेक्टेयर तथा बिनसर में 12 मामलों में 217 हेक्टेयर जंगल जल कर राख हो गया था। 2006 एवं 2007 में बिनसर में तो एक भी मामले प्रकाश में नहीं आये जबकि कालागढ़ व रामनगर क्षेत्र में छिटपुट घटनायें हुई।

Risky Pathak

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Mehta Jee Kal Hi Meri ghar Baat Hui Hai.. Pahaado Me Jungle Dhhoo Dhhoo Kar Jal rhe Hai.....

Vishay Bahot Hi ChintaJanak Hai.. ???

एम.एस. मेहता /M S Mehta 9910532720

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I also talked to my younger brother a day before he had then gone to put off the fire in jungle. The situation all over the UK is very grave now a days.

This is basically pine trees leaves are falling now-a-days in summar and it catch the fire immediately. Due to this other plants in the jungle catch fire.




Mehta Jee Kal Hi Meri ghar Baat Hui Hai.. Pahaado Me Jungle Dhhoo Dhhoo Kar Jal rhe Hai.....

Vishay Bahot Hi ChintaJanak Hai.. ???

एम.एस. मेहता /M S Mehta 9910532720

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This is the one way of our natural treasure getting destroy. IN anothe way, people are cutting the forest at high speed.

There is a need to stop high rate of deforstaton in UK.

हेम पन्त

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ग्लोबल वार्मिंग एक वैश्विक चिंता का विषय है. पहाडों में अंधाधुंध कटते और जलते वन इस समस्या में इजाफा ही करेंगे. वैसे भी हिमालय की पारिस्थितिकी पूरे विश्व को प्रभावित करती है. इस समस्या की तरफ सरकार के साथ-2 आम जनता को भी जागरुक होना पडेगा.

हेम पन्त

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पिथौरागढ़। तापमान बढ़ने से जिले में पानी की किल्लत तो पैदा हो ही रही है, जंगलों में आग लगने की घटनाओं में भी तेजी से इजाफा हो रहा है। जिले में एक हफ्ते के भीतर 70 है.जंगल जलकर राख हो गया है। जिले में अब तक 110 है.जंगल जल चुका है। आग लगने की घटनाओं से वन विभाग के अधिकारी खासे परेशान है।

शुक्रवार की रात जंगल की आग जिला मुख्यालय के नजदीक तक पहुंच गयी। जिला मुख्यालय के नजदीक कुमौड़ गांव और टकाड़ी गांव के जंगलों में आग लग गयी। इन दोनों गांवों के जंगल पूरी रात सुलगते रहे। कुमौड़ में तो जंगल की आग उक्रांद नेता काशी सिंह ऐरी के आवास तक पहुंच गयी जिस पर बमुश्किल ग्रामीणों ने काबू पाया। वन विभाग की टीम मौके पर नहीं पहुंची। इस मामले में वन विभाग का कहना है कि जिला मुख्यालय के जंगल उनके नियंत्रण में नहीं आते है।

वन विभाग का कहना है कि पिछले एक हफ्ते के दौरान तापमान बढ़ने से जंगलों में आग लगने की घटनाओं में इजाफा हुआ है। पिछले एक हफ्ते के दौरान जिले में करीब 70 है.जंगल जलकर राख हुआ है। इससे पूर्व जिले में एक माह के दौरान मात्र 40 है.जंगल जला। जिले में अभी तक कुल 110 है.जंगल जलकर राख हो चुका है। वन विभाग का कहना है कि तापमान बढ़ने के साथ जंगल जलने की घटनाओं में और इजाफा होने की उम्मीद है।

हेम पन्त

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घनसाली (टिहरी गढ़वाल)। तहसील मुख्यालय व ब्लाक मुख्यालय के जंगल धू-धूकर जल रहे हैं, आग से अब तक लाखों की वन संपदा जलकर राख हो गई है। इसके बावजूद वन विभाग व शासन-प्रशासन के अधिकारी-कर्मचारी मूक दर्शक बने हुए है।

तहसील मुख्यालय, ब्लाक मुख्यालय व वन विभाग रेंज के आस पास के जंगल भयंकर आग की चपेट में है। सप्ताह भर से अधिक समय से भिलंगना प्रखंड के जंगलों में लगी आग में ब्लाक मुख्यालय व तहसील मुख्यालय के समीप के जंगल तो जल ही गए हैं, साथ ही बालगंगा रेंज के आरगढ़, गोनगढ़, केमर पट्टियों के जंगलों में व भिलंगना रेंज के भिलंग, नैलचामी व हिंदाव पट्टी तथा पौखल रेंज के ढुंगमंदार, कोटी फैगुल आदि पट्टियों के गांवों के जंगलों में भयंकर आग लगी हुई है। इससे कई हेक्टेयर वन संपदा नष्ट हो गई है। डा. नरेंद्र डंगवाल ने बताया कि आग के धुएं से आंखों पर असर पड़ता है, सांस लेने में परेशानियां होती है तथा गर्मी भी अधिक होने लगी है। पर्यावरणविद् ओम प्रकाश डंगवाल व सामाजिक कार्यकर्ता राजेंद्र पाल परमार ने बताया कि काफी समय से प्रखंड के जंगल आग की चपेट में हैं लेकिन अभी तक वन विभाग ने आग बुझाने की कोई ठोस कार्रवाई नहीं की। उन्होंने बताया कि प्रशासनिक अधिकारी कर्मचारी ब्लाक व तहसील मुख्यालय के समीप के जंगलों को जलने का तमाशा देखते रहे। उन्होंने बताया कि विभाग द्वारा शीघ्र ठोस रणनीति तैयार नहीं करने पर यह आग कभी भी गांव तक पहुंच सकती है। आगराखाल: नरेंद्रनगर के लसेर, सौंदाड़ी, नौगा, लवा, मनसारी, बजरिया, केनसूर, कछड़ीखाल, गुमाल गांव, अमसारी गांव, पोखरी व गजा के ऊपरी क्षेत्रों के आरक्षित वनों में विगत दस दिन से भीषण आग लगी है, जिससे वन संपदा को काफी नुकसान पहुंचा है।

एम.एस. मेहता /M S Mehta 9910532720

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There was rain yesterday in pahad. Hope there will be some respite on burning forest...


घनसाली (टिहरी गढ़वाल)। तहसील मुख्यालय व ब्लाक मुख्यालय के जंगल धू-धूकर जल रहे हैं, आग से अब तक लाखों की वन संपदा जलकर राख हो गई है। इसके बावजूद वन विभाग व शासन-प्रशासन के अधिकारी-कर्मचारी मूक दर्शक बने हुए है।

तहसील मुख्यालय, ब्लाक मुख्यालय व वन विभाग रेंज के आस पास के जंगल भयंकर आग की चपेट में है। सप्ताह भर से अधिक समय से भिलंगना प्रखंड के जंगलों में लगी आग में ब्लाक मुख्यालय व तहसील मुख्यालय के समीप के जंगल तो जल ही गए हैं, साथ ही बालगंगा रेंज के आरगढ़, गोनगढ़, केमर पट्टियों के जंगलों में व भिलंगना रेंज के भिलंग, नैलचामी व हिंदाव पट्टी तथा पौखल रेंज के ढुंगमंदार, कोटी फैगुल आदि पट्टियों के गांवों के जंगलों में भयंकर आग लगी हुई है। इससे कई हेक्टेयर वन संपदा नष्ट हो गई है। डा. नरेंद्र डंगवाल ने बताया कि आग के धुएं से आंखों पर असर पड़ता है, सांस लेने में परेशानियां होती है तथा गर्मी भी अधिक होने लगी है। पर्यावरणविद् ओम प्रकाश डंगवाल व सामाजिक कार्यकर्ता राजेंद्र पाल परमार ने बताया कि काफी समय से प्रखंड के जंगल आग की चपेट में हैं लेकिन अभी तक वन विभाग ने आग बुझाने की कोई ठोस कार्रवाई नहीं की। उन्होंने बताया कि प्रशासनिक अधिकारी कर्मचारी ब्लाक व तहसील मुख्यालय के समीप के जंगलों को जलने का तमाशा देखते रहे। उन्होंने बताया कि विभाग द्वारा शीघ्र ठोस रणनीति तैयार नहीं करने पर यह आग कभी भी गांव तक पहुंच सकती है। आगराखाल: नरेंद्रनगर के लसेर, सौंदाड़ी, नौगा, लवा, मनसारी, बजरिया, केनसूर, कछड़ीखाल, गुमाल गांव, अमसारी गांव, पोखरी व गजा के ऊपरी क्षेत्रों के आरक्षित वनों में विगत दस दिन से भीषण आग लगी है, जिससे वन संपदा को काफी नुकसान पहुंचा है।


 

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