Author Topic: Major Development News Of Uttarakhand - उत्तराखंड के विकास की प्रमुख खबरे  (Read 268272 times)

अरुण भंडारी / Arun Bhandari

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ya it's a good news to all for us......

एम.एस. मेहता /M S Mehta 9910532720

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ADB to fund Rs2500 cr urban development in Uttarakhand
« Reply #281 on: November 06, 2008, 10:03:56 AM »
ADB to fund Rs2500 cr urban development in UttarakhandThe centre has alloted Rs205 crore under Jawahar Lal Nehru National Urban Renewal Mission to improve basic facilities in Dehra Dun, Nainital and HaridwarPTI
 
  font size Dehradun: Uttarakhand government has inked an agreement for a Rs2500 crore urban development project with Asian Development Bank (ADB) to improve the civic facility in the hill state.
“The Uttarakhand Urban Sector Investment Programme, would get Rs1750 crore as loan from ADB to improve civic facilities in the state while the remaining amount of Rs750 crore would be contributed by the state government,” Urban Development Minister Diwakar Bhatt said.
“The loan from the ADB would be provided to the state through the central government,” he said.
“However, Uttarakhand would get 90% of the amount as grant and 10% as loan as the state enjoys the special category status,” Bhatt added.
The minister said that the project, which would be implemented in 31 towns including Dehradun, Nainital and Haridwar will improve the civic facilities like drinking water, solid waste management, slum development, transport and sewage system and would be executed by Urban Development Department through a society called ‘Uttarakhand Urban Sector Development Agency.
“The project would be completed in four phases till the year 2016,” Bhatt said, adding that ADB has already released Rs300 crore for the Rs428.5 crore first phase of the project.
“Besides, the centre has alloted Rs205 crore under Jawahar Lal Nehru National Urban Renewal Mission to improve basic facilities in Dehradun, Nainital and Haridwar,” Bhatt added.

एम.एस. मेहता /M S Mehta 9910532720

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Uttarakhand hopes to get Rs 30,000 crore investment
« Reply #282 on: November 11, 2008, 10:31:51 AM »

Uttarakhand hopes to get Rs 30,000 crore investment

Nearly 1,256 industrial units have started production in Uttarakhand taking the benefit of the Central Industrial Package (CIP).

 
The state government is expecting an investment of Rs 30,000 crore through these industries, says a new report “Sahi Disha Sahi Kadam” released by Chief Minister B C Khanduri on the 8th foundation day of the state.

All these industries, including heavyweights like ITC, Tata Motors, Delta, HUL and Nestle have set shops in Uttarakhand taking the benefit of the special package comprising excise and income-tax incentives for a period of seven years, effective from 2003.

The state government received thousands of investment proposals under the package. Out of these, 1,256 industrial units have already started their production with an investment of Rs 10,489 crore. At least 64,835 people have got employment in these units.

This apart, nearly 2,318 units are in different stages of implementation through which an investment of Rs 13,765 crore is expected. Over 100,000 people are expected to enjoy employment in these units.

The state government has also announced a special integrated industrial policy with an aim to promote industrial growth in the hilly and remote areas.

In the new policy, provisions for infrastructure development along with various incentives and subsidies have been made for the industries, which intend to set up unit in the hilly areas. In this category, the government has received proposals worth Rs 350 crore.

The government is also promoting the development of industrial estates in the private sector to ensure the availability of land for industrial purposes. A large number of local youths have also been benefitted by employment in the new industrial units in the state.

In the financial year 2007-08, nearly 41,880 people got employment in the SME sector, the report added.




http://www.business-standard.com/india/storypage.php?autono=339743

एम.एस. मेहता /M S Mehta 9910532720

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उत्तराखंड: 30,000 करोड़ के निवेश की उम्मीद
 
बीएस संवाददाता / देहरादून November 11, 2008
 
 
 
उत्तराखंड में केंद्रीय औद्योगिक पैकेज का फायदा उठाने वाली करीब 1,256 औद्योगिक इकाइयों ने उत्पादन शुरू कर दिया है। 
 
राज्य सरकार को इन कंपनियों के जरिए 30,000 करोड़ रुपये का निवेश मिलने की उम्मीद है। आईटीसी, टाटा मोटर्स, डेल्डा, एचयूएल और नेस्ले जैसी कंपनियों ने राज्य में निवेश किया है और इन्हें 2003 से  शुरू होकर सात वर्षो तक उत्पाद शुल्क और आयकर में छूट जैसे लाभ मिलेंगे।

मुख्यमंत्री भुवन चंद्र खंडूड़ी द्वारा जारी रिपोर्ट 'सही दिशा सही कदम' के मुताबिक सरकार को पैकेज के तहत हजारों प्रस्ताव मिले हैं। इनमें से 1256 औद्योगिक इकाइयां पहले ही चालू हो चुकी हैं। इन इकाइयों में 10,489 करोड़ रुपये का निवेश पहले ही किया जा चुका है।

 इन इकाइयों से कम से कम 64,835 लोगों को रोजगार मिलेगा। रिपोर्ट में आगे कहा गया है कि करीब 2318 इकाइयां क्रियान्वयन के विभिन्न स्तर पर हैं। इनमें 13,765 करोड़ रुपये का निवेश किया जाएगा। 

http://hindi.business-standard.com/hin/storypage.php?autono=9677

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उत्तराखंड में जिलेवार सर्वेक्षण की मांग
 
शिशिर प्रशांत / देहरादून October 21, 2008
 
 
 
उत्तराखंड उद्योग संघ (आईएयू) ने नए उद्योगों की स्थापना की संभावनाएं तलाशने के लिए राज्य में जिलावार सर्वेक्षण का अनुरोध किया है। 
 
आईएयू के अध्यक्ष पंकज गुप्ता के नेतृत्व में एक प्रतिनिधिमंडल ने मुख्यमंत्री भुवन चंद्र खंडूड़ी से मुलाकात कर यह आग्रह किया ताकि नए उद्यमों में स्थानीय संसाधनों का उपयोग किया जा सके।

खंडूड़ी ने शिष्टमंडल को आश्वासन दिया है कि वह विशेष पहाड़ी औद्योगिक नीति 2008 के तहत उनकी मांगों को ध्यान में रखते हुए उन्हें और मौजूदा इकाइयों को विभिन्न रियायतें मुहैया कराएंगे।
इसके अलावा, प्रतिनिधिमंडल ने राज्य में बिजली आपूर्ति को दुरुस्त बनाए रखने के लिए मुख्यमंत्री से पनबिजली परियोजनाओं के निर्माण में तेजी लाने का भी आग्रह किया है।

उत्तराखंड उद्योग संघ ने मुख्यमंत्री से राज्य में गैस और कोयला आधारित बिजली परियोजनाओं की स्थापना की संभावनाओं को तलाशने का भी आग्रह किया है। राज्य में औद्योगीकरण को गति प्रदान करने के लिए आईएयू के महासचिव अनिल गोयल को राज्य सरकार और उद्योगपतियों के बीच लगातार बैठकें आयोजित करने के लिए कहा गया है।

रियायती औद्योगिक पैकेज के नवीकरण के विस्तार मांग के बारे में खंडूड़ी ने बताया कि वे राज्य में 10 वर्षों की कुल अवधि के लिए कर छूट के  विस्तार पक्ष में हैं। खंडूड़ी ने बताया कि इस बाबत वह पहले से ही केंद्र सरकार के साथ बातचीत कर रहे हैं। केंद्र सरकार के साथ हाल ही में हुई कई बैठकों में उन्होंने सीआईपी को 2013 तक बढ़ाने की मांग की है।

मालूम हो कि जनवरी 2003 की विशेष कर छूट योजना के बाद उत्तराखंड के औद्योगिक क्षेत्र में बूम देखने को मिला था। उस दौरान टाटा मोटर्स, बजाज ऑटो, नेस्ले, महिंद्रा ऐंड महिंद्रा, ब्रिटानिया, एलजी जैसी बड़ी कंपनियों ने केंद्र सरकार द्वारा दिए जा रहे विभिन्न कर प्रोत्साहनों का लाभ उठाने के लिए नई इकाइयां स्थापित की थी।

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Wipro looks to expansion plans in Uttarakhand
« Reply #285 on: November 18, 2008, 04:43:20 PM »
Wipro looks to expansion plans in Uttarakhand

Despite the current economic slump, information technology major Wipro is eyeing to further expand its business footprints in Uttarakhand.

Source of news : http://www.topnews.in/wipro-looks-expansion-plans-uttarakhand-290232

Rajen

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ग्रामीण भी होंगे कारखानों के मालिक   (Jagran) Nov 25, 12:31 am

देहरादून। उत्ताराखंड के ग्रामीण भी अब कारखानों के मालिक बन सकेंगे। वह दिन दूर नहीं जब प्रदेश के ग्रामीण बेरोजगारों के खुद के उद्योग-धंधे होंगे। भारतीय उद्यमिता संस्थान आजकल इसी कसरत में जुटा है। युवाओं के उद्यमी बनने के सपनों को पंख देने के लिए रूरल इंडस्ट्रीलाइजेशन प्रोजेक्ट शुरू करने की तैयारी है। पौड़ी से इस प्रोजेक्ट को शुरू किया जाएगा। प्रदेश में अपनी तरह का यह पहला प्रयोग होगा। इसके लिए गढ़वाल मंडल में उद्योग संबंधी सर्वेक्षण कराया जा चुका है।

प्रदेश के ग्रामीण बेरोजगारों को अब उद्यमी बनाने की तैयारी है। इसके लिए उन्हें खुद के उद्योग स्थापित करने के लिए प्रोत्साहित किया जाएगा। उत्ताराखंड में भारतीय उद्यमिता संस्थान रूरल इंडस्ट्रीलाइजेशन प्रोजेक्ट शुरू करने जा रहा है। प्रोजेक्ट को शुरू करने के लिए गढ़वाल मंडल के पौड़ी जिले को चुना गया है। संस्थान ने पौड़ी जिले में उद्योग संबंधी डिस्ट्रिक्ट पोटेंशियल सर्वे कराया है। इस सर्वेक्षण का मकसद ऐसे उद्योगों का पता करना है जिन्हें स्थापित कर लोगों को स्वरोजगार से जोड़ा जा सके। इसके लिए जिले के बैंक, सरकारी विभागों, उद्यमियों से संपर्क कर फीडबैक लिया गया है। फोकस केवल बड़े उद्योगों पर ही नहीं होगा, बल्कि छोटे उद्योगों कीअच्छी संभावनाएं होने पर उन्हें स्थापित करने के लिए बेरोजगारों को प्रोत्साहित किया जाएगा। संस्थान की क्षेत्रीय प्रमुख डा. पूनम सिन्हा ने बताया कि इस प्रोग्राम से जुड़ने के लिए न्यूनतम योग्यता आठवीं पास है। प्रथम चरण में 75 बेरोजगारों को उद्यमिता के क्षेत्र में जागरूक किया जाएगा। इसके लिए उन्हें चार सप्ताह का प्रशिक्षण दिया जाएगा। संस्थान प्रशिक्षण प्राप्त करने वाले बेरोजगारों को उद्यम स्थापित करने के लिए प्रोजेक्ट रिपोर्ट तैयार करने में तो सहायता करेगा ही साथ में बैंकों से ऋण दिलाने में भी सहयोग करेगा। डा. सिन्हा ने बताया कि इसके साथ ही संस्थान के विशेषज्ञ समय-समय पर युवाओं द्वारा स्थापित उद्योग की प्रोग्रेस का जायजा लेंगे। साथ ही युवाओं को उद्यम संबंधी तकनीकी सहायता और विपणन में भी सहयोग किया जाएगा। पौड़ी जिले से इस प्रोजेक्ट को शुरू करने की योजना है। इसके लिए पौड़ी में संस्थान ने अपना कार्यालय भी स्थापित कर दिया है। संस्थान का ग्रामीण युवाओं को उद्यमिता से जोड़ने का पहला प्रयोग है और सफलता मिलने पर इसे राज्य के अन्य जिलों में भी लागू करने पर विचार किया जाएगा।

Rajen

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विकास योजनाओं की धीमी प्रगति पर पर्यटन मंत्री बिफरे    (Jagran) Nov 24, 10:29 pm

पिथौरागढ़। जिले में पेयजल, सिंचाई, स्वजल और इंदिरा आवास योजना की धीमी प्रगति पर पर्यटन मंत्री प्रकाश पंत ने गहरी नाराजगी जताई है। उन्होंने दिसम्बर तक योजनाओं में संतोषजनक प्रगति नहीं होने पर विभागीय अधिकारियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की चेतावनी दी है।

श्री पंत सोमवार को पिथौरागढ़ में विकास योजनाओं की समीक्षा कर रहे थे। बीस सूत्रीय कार्यक्रमों में पेयजल, स्वजल, इंदिरा आवास, सिंचाई आदि योजनाओं की धीमी प्रगति पर पर्यटन मंत्री ने गहरी नाराजगी जतायी और अधिकारियों को निर्देश दिये कि इन योजनाओं को दिसम्बर माह तक ए श्रेणी में लाया जाये। उन्होंने दिसम्बर तक ए श्रेणी में नहीं लाये जाने पर उन्होंने संबंधित विभागों के अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई की चेतावनी दी। उन्होंने विकास कार्यो के सत्यापन के लिए गठित टास्कफोर्स के अधिकारियों को निर्देश दिये कि वे सत्यापन की रिपोर्ट हर माह जिलाधिकारी को सौंपे, ताकि अनियमितता पाये जाने पर अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई अमल में लायी जा सके। उन्होंने योजनाओं का गलत सत्यापन करने पर टास्क फोर्स के अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई करने के निर्देश जिलाधिकारी को दिये। उन्होंने अधिकारियों को हर माह चार योजनाओं का स्थलीय निरीक्षण करने के निर्देश दिये।

पर्यटन मंत्री ने स्वर्ण जयंती रोजगार योजना, शहरी रोजगार योजना, राजकीय सिंचाई, लघु सिंचाई, जल निगम, जल संस्थान, स्वजल, अनु जाति जनजाति को आर्थिक सहायता, बच्चों के प्रतिरक्षण और आंगनबाड़ी केन्द्रों की स्थापना के कार्यो में तेजी लाने के भी निर्देश बैठक में दिये।

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नैनीताल, मसूरी की तर्ज पर होगा नगरों का विकास    Nov 24, 10:23 pm

द्वाराहाट (अल्मोड़ा)। राज्य के सभी नगरों को नैनीताल, मसूरी की तर्ज पर विकसित किया जाएगा। सरकार ऐसे कार्याें को प्राथमिकता देगी जिससे विकास के साथ-साथ निकायों की आय में वृद्धि हो सके। यह बात पत्रकार वार्ता के दौरान शहरी विकास मंत्री दिवाकर भट्ट ने कही। उन्होंने बताया कि राज्य के सभी नगरों को धार्मिक, ऐतिहासिक, सांस्कृतिक पर्यटक स्थलों के रूप में विकसित करना सरकार की प्राथमिकता है। उन्होंने बताया कि नगर पंचायत विकास के लिए ऐसे प्रस्ताव बनाएं जिससे कि क्षेत्र के विकास के साथ आय में भी वृद्धि हो सके। निकाय प्रतिनिधि अपने-पराए का भेद छोड़कर भावी जनसंख्या, भौगोलिक स्थिति को सामने रखकर ऐसे विशेष प्लान तैयार करे जो विकास में सार्थक हों। खाद्यान्न मंत्री श्री भट्ट ने कहा कि खाद्यान्न व गैस की कालाबाजारी के खिलाफ समय-समय पर अभियान चलाकर कालाबाजारियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी। उन्होंने बताया कि केन्द्र द्वारा समय से राशन न मिलने पर खाद्यान्न की कमी बनी हुई है। इसके लिए केन्द्र सरकार से बात की जा रही है। जहां पर भी बीपीएल व एपीएल के राशन की कमी हो रही है वहां आपूर्ति सुचारु की जाएगी। श्री भट्ट ने बताया कि वास्तविक आंदोलनकारियों को चिह्नित कर उन्हे उनका सम्मान दिलाया जाएगा। चाहे वह 1979 के पूर्व के राज्य आंदोलनकारी ही क्यों न हों।

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अब बनेगा दुनिया का सबसे बड़ा मास्टर प्लानDec 10, 01:21 am

देहरादून। भागीरथी और भिलंगना घाटी में दुनिया का सबसे बड़ा मास्टर प्लान प्रस्तावित है। साढ़े सात लाख हेक्टेयर क्षेत्र के इस विस्तृत मास्टर प्लान में विश्व बैंक भी रुचि ले रहा है। उत्ताराखंड ने विश्व बैंक से सिर्फ तकनीकी सलाह तक ही सीमित रहने को कहा है।

भागीरथी तथा भिलंगना जलागम क्षेत्र का सेक्टोरियल प्लान 2005 में बनाया गया था। अप्रैल-06 में इस क्षेत्र का मास्टर प्लान बनाने के लिए स्ट्रेटजी पेपर तैयार कर सीएम की संस्तुति ले ली गई थी। सितंबर-06 में एक्जीक्यूटिव कमेटी ने मास्टर प्लान के लिए विशेषज्ञों की सेवाएं लेने संबंधी प्रस्ताव पास किया। यह प्रस्ताव अभी लंबित है। इस बीच विश्व बैंक की टीम उत्ताराखंड आई और मास्टर प्लान में रुचि दिखाई। पिछले दिनों भागीरथी घाटी विकास प्राधिकरण के अफसरों की मुख्य सचिव इंदु कुमार पांडे के साथ हुई एक बैठक में तय किया गया कि विश्व बैंक का प्रस्ताव भारत सरकार के माध्यम से मंगाया जाए। प्रस्ताव को सरकार तभी स्वीकार करेगी, जब विश्व बैंक नीतिगत मामलों से दूर रहने की शर्त मानेगा। बैंक का सहयोग सिर्फ तकनीकी क्षेत्र में लिया जाएगा। यदि विश्व बैंक इस पर सहमत होता नहीं होता तो राज्य सरकार इस मास्टर प्लान के लिए खुद संसाधन जुटाएगी। अब इस बारे में सीएम के साथ होने वाली अगली बैठक में मास्टर प्लान के एप्रूव होने की संभावना है।

 

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