तरुण भाई उत्तराखण्ड के विकास और आम उत्तराखण्डी मानस के बारे में आपके विचार जानकर गर्व महसूस होता है कि हमारे युवा साथी भावनात्मक रूप से किस कदर उत्तराखण्ड से जुङे हुए हैं...
असल में उत्तराखण्ड राज्य की राजधानी के रूप में गैरसैंण का सपना आज का नहीं है, प्रसिद्ध क्रान्तिकारी श्री चन्द्र सिंह गढवाली जी ने 50 के दशक में इस विषय में एक प्रस्ताव बना कर तत्कालीन प्रधानमन्त्री जवाहर लाल नेहरू को सौंपा था. उन्हीं को सम्मान देते हुए गैरसैण और इसके आसपास के इलाके को "चन्द्र सिंह गढवाली नगर" के नाम से विकसित करके एक नया शहर बसा कर उसे राज्य की राजधानी बनाने का प्रस्ताव उक्रांद के द्वारा भी रखा गया.
गैरसैण को राजधानी बनाने पर भौगोलिक रूप से राज्य के केन्द्र में स्थित राजधानी का सपना साकार होगा, जो पहाङी इलाकों के लिये काफी लाभप्रद साबित हो सकता है. आप तो खुद पिथौरागढ के रहने वाले हैं, वहां से लखनऊ, दिल्ली उतनी ही दूर हैं जितना देहरादून. छोटे-मोटे कामों के लिये जनता को 500 किमी की दूरी नापनी पङती है, दूरस्थ इआल्कों में रहने वालों को इससे भी ज्यादा.
जहां तक राज्य के विकास की बात है, आपके विचारो से मैं सहमत हूं, गैरसैण इलाके को राजधानी के रूप में विकसित करने पर राज्य में, विशेषकर पहाङी इलाकों में विकास कार्यों की एक नई लहर पैदा होगी.
It’s time to wake up and think about the real prospectus about the formation of Uttarakhand. I feel proud to be from Uttarakhand as the state provides basic need of peace to the citizens. I would feel more proud if the people of Uttarakhand think about development in state instead of fighting for the capitol. For past 17 years I’ve seen the making of an air port in Pithoragarh, but to no avail. I wish the sincere citizens of my state think about the development in terms of better education, transport, hospitality and good economic reforms. I wish the people and government of Uttarakhand work positively to make Uttarakhand on top of India.
Jai Uttarakhand!
Jai Bharat!