दीक्षित आयोग ने देहरादून को उत्तराखंड की स्थायी राजधानी के लिए बेहद उपयुक्त शहर बताया है।
स्थायी राजधानी के चयन के लिए वीएन दीक्षित आयोग का गठन किया गया था। इस एक-सदस्यीय आयोग ने संभाव्यता अध्ययन कर अपनी रिपोर्ट सरकार को सौंपी थी जिसे आज सार्वजनिक कर दिया गया।
9 नवंबर, 2000 को उत्तराखंड के गठन के वक्त देहरादून को अंतरिम राजधानी बनाया गया। दीक्षित आयोग द्वारा तैयार की गई 80 पृष्ठ की निर्णायक रिपोर्ट के मुताबिक राजधानी के चयन में देहरादून ने अन्य चार शहरों - काशीपुर, रामनगर, गैरसैण और आईडीपीएल ऋषिकेश- को पीछे छोड़ दिया है।
संसदीय कार्य मंत्री प्रकाश पंत ने रिपोर्ट को सदन में प्रस्तुत किया। स्थायी राजधानी के तौर पर देहरादून को विकसित किए जाने के लिए 1315 करोड़ रुपये खर्च करने की जरूरत होगी जो काशीपुर की तुलना में काफी कम है। काशीपुर को राजधानी की दौड़ में दूसरे श्रेष्ठ स्थान के रूप में चुना गया था।
महत्त्वपूर्ण तथ्य यह है कि आयोग को यह रिपोर्ट तैयार करने में आठ साल लगे। आयोग ने स्थायी राजधानी के लिए गैरसैण को उसकी कठिन भौगोलिक परिस्थिति, भूकंपीय आंकड़ों और अन्य कारकों के आधार पर ठुकरा दिया। प्रमुख क्षेत्रीय पार्टी उत्तराखंड क्रांति दल (उक्रांद) ने गैरसैण को राज्य की स्थायी राजधानी बनाए जाने के लिए जबरदस्त मुहिम छेड़ी थी।
इसी तरह आयोग ने रामनगर और आईडीपीएल ऋषिकेश जैसे अन्य स्थानों को भी अस्वीकार कर दिया। स्थायी राजधानी के लिए देहरादून को उपयुक्त घोषित किए जाने के पीछे रिपोर्ट में भौगोलिक दशा, आबादी घनत्व, पहुंच, कनेक्टिविटी, भूकंपीय आंकड़े, प्राकृतिक आपदा, जलवायु और विस्तार उद्देश्य के लिए भूमि की उपलब्धता आदि कारण प्रमुख बताए गए हैं।
इधर गैरसैण को स्थाई राजधानी बनाने की मांग करने वाले उत्तराखंड क्रांति दल ने राजधानी आयोग की रिपोर्ट के खिलाफ स्थानीय गांधी पार्क में धरना दिया और बाद में जिला मुख्यालय पहुंच कर मुख्यमंत्री और प्रधानमंत्री के नाम से संबोधित एक ज्ञापन भी दिया