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Do you feel that the Capital of Uttarakhand should be shifted Gairsain ?

Yes
97 (70.8%)
No
26 (19%)
Yes But at later stage
9 (6.6%)
Can't say
5 (3.6%)

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Voting closed: March 21, 2024, 12:04:57 PM

Author Topic: Should Gairsain Be Capital? - क्या उत्तराखंड की राजधानी गैरसैण होनी चाहिए?  (Read 349355 times)

एम.एस. मेहता /M S Mehta 9910532720

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Well said Hukka bu,

People must intensify the protest.


गैरसैंण, उत्तराखण्ड के चमोली और अल्मोड़ा जनपद की सीमा में बसा हुआ एक छोटा सा कस्बा, जिसे उत्तराखण्ड आन्दोलन के आन्दोलनकारियों ने अपने प्रस्तावित राज्य की राजधानी घोषित कर दिया था। लम्बे संघर्ष, ५२ शहादतों, कई जलालतों के बाद आखिरकार प्रदेश बना, अपनी सरकारें बननी लगी, नेताओं को अस्थाई राजधानी देहरादून ज्यादा रास आने लगा। अब ये हुआ कि गैरसैंण का क्या किया जाय सो, ये मुद्दा कहीं गले न पड़ जाये, हल यह निकला कि एक आयोग बना दिया जाय, जिससे यह कुछ दिन के लिये टल जाये। एक रिटायर्ड जज साहब को यह जिम्मेदारी सौंप दी गई कि हमारे प्रदेश की राजधानी कहां होनी चाहिये, आप बता दें।

      सरकारें बदलती रहीं, निजाम बदले, वजीर बदले और इस आयोग का कार्यकाल आठ बार बढ़ाया गया, लाखों रुपये खर्च हो गये।  २००० में गठित हुये इस आयोग की रिपोर्ट २००९ में इसी महीने प्रदेश के सर्वोच्च सदन उत्तराखण्ड विधान सभा में भी पेश हो गई, लोगों में उत्सुकता थी कि इस रिपोर्ट में है क्या, बुद्धिजीवियों को आशा थी कि अब इस रिपोर्ट पर सदन में चर्चा होगी और हमारे प्रतिनिधि विधायक सब मिलकर एक आम राय बनायेंगे। लेकिन उक्रांद के मात्र एक विधायक ने आक्रोश स्वरुप विधानसभा में ही इसकी प्रति फाड़ दी औरों ने जम्हाई आंखों से इन्हें देखा और बैठ गये। कितने शर्म की बात है कि राज्य के एक ज्वलंत सवाल पर हमारे प्रतिनिधियों ने चर्चा की ही मांग नहीं की।

      होना तो यह चाहिये था कि सदन में इस पर विस्तृत चर्चा की जाती, राजधानी घोषित करने के लिये १५-२० दिन का एक विशेष सत्र बुलाया जाता, क्योंकि विधानसभा लोकतंत्र की सर्वोच्च संवैधानिक संस्था होती है और इससे बड़ी पंचायत प्रदेश में कुछ और होती नहीं और यह संस्था जब प्रदेश के लिये कानून बना सकती है तो स्थाई राजधानी पर भी निर्णय ले सकती है। लेकिन ऐसा कुछ नहीं हुआ, एक परम्परा, एक सामान्य कर्मचारी की तरह काम निपटाने सब विधायक आये और गये। और तो और जो पार्टी इस प्रदेश के लोगों की सर्वाधिक हितैषी और जन सरोकारों से जुड़े रहने का दावा करती है, उसके मंत्री और विधायकों की इस मुद्दे पर उदासीनता बिना कुछ कहे भी बहुत कुछ कह गई। जब कि इस पार्टी के कार्यकर्ता इसी विधानसभा के बाहर इस मुद्दे पर आत्मदाह का प्रयास कर रहे थे?  अफसोस जनक तो यह है कि उत्तराखण्ड के हितों, भावनाऒं के घोषित पहरेदार ७० विधायकों में से किसी एक ने भी इस प्रदेश के सबसे अविलम्बनीय, लोक महत्व, जनभावना के इस सवाल पर सदन में चर्चा की मांग ही नहीं की।

तभी मुझे यह ख्याल आया कि -

गैर तो गैर हुये, तमाशा ये क्या हुआ? पूछते हैं लोग यारो, गैरसैंण का क्या हुआ?



dayal pandey/ दयाल पाण्डे

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Creative Uttarakhand myor pahad and Myor Uttarakhand Uttarakhnd ki rajdhani Gairsain ke samarthan main ek vishaal Yatra karane ja raha hai , Yatra Delhi se shuru hokar Gairsain tak jayegi,
Yatra 27 Aug.09 ko saam ko delhi se rawana hogi aur 28 Aug ko Dwarahaat Pahuchegi jaha par Inter Colleges main ek Education program hoga aur 29 Aug ko Reilly Gairsain Jayegi es beech Haldwani Nainital, Almora Bageshwar aadi jagahun se aur yatri saamil hunge 30 Aug ko Dwarahaat main Gaisain ke Samarthan main ek Vishal Reilly Nikali Jayegi saam ko Swargeeya Shri Vipin Chandra Tripathy ko Shradhanjali dekar Reilly Gosti main badal jayegi.
Hum saare Garsain Samarthakun se aagrah karate hai ki kripaya hamaare saanth Samil Hokar reilly ko saphal banayan , Uttarakhand ki rajdhani Gairsain hi hogi yah hamara sankalp hai aao is yatra ko saphal banayain,

Aakanshi
Creative Uttarakhand Myor Pahad
Myor Uttarakhand

पंकज सिंह महर

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चलो गैरसैंण- CHALO GAIRSAIN
« Reply #302 on: July 30, 2009, 11:16:48 AM »
हिन्दी रुपान्तरण-

क्रियेटिव उत्तराखण्ड-म्यर पहाड़ और मेरा पहाड़ संस्थाओं के संयुक्त तत्वाधान में उत्तराखण्ड की स्थाई राजधानी गैरसैंण किये जाने के समर्थन में एक विशाल यात्रा का आयोजन किया जा रहा है। यह यात्रा दिल्ली से प्रारम्भ होगी और गैरसैंण तक जायेगी।
      यात्रा दिनांक 27-08-2009 को दिल्ली से प्रारम्भ होकर २८ अगस्त को द्वाराहाट पहुचेगी, जहां पर द्वाराहाट इण्टर कालेज में एक शैक्षणिक कार्यक्रम आयोजित किया जायेगा। २९ अगस्त को यात्रा गैरसैंण जायेगी, जिसमें उत्तराखण्ड के अनेकों स्थानों से अनेकानेक यात्री भी प्रतिभाग करेंगे, गैरसैंण को स्थाई राजधानी बनाने के समर्थन में वहां पर एक विचार गोष्टी का भी आयोजन किया जायेगा। इसके पश्चात ३० अगस्त को गैरसैंण को उत्तराखण्ड की राजधानी बनाये जाने के लिये द्वाराहाट में एक विशाल रैली का आयोजन किया जायेगा। इसके बाद शाम को उत्तराखण्ड के क्रान्तिवीर स्व० श्री विपिन चन्द्र त्रिपाठी जी की पुण्य तिथि पर एक गोष्ठी का आयोजन किया जायेगा।
      इस अवसर पर हम सभी गैरसैंण समर्थकों से अपील करते हैं कि इस रैली में अपनी गरिमामय उपस्थिति देकर इस कार्यक्रम को सफल बनाने में सहयोग प्रदान करें। उत्तराखण्ड राज्य की स्थाई राजधानी गैरसैंण में ही बनें, यह हमारा संकल्प है, आइये इस संकल्प को सफल बनाने के लिये हम और आप शुरुआत करें।
आकांक्षी,
क्रियेटिव उत्तराखण्ड-म्यर पहाड़,
मेरा उत्तराखण्ड।

हुक्का बू

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दीक्षित आयोग जबाब दो.....................!
« Reply #303 on: August 04, 2009, 01:56:58 PM »
दीक्षित आयोग ने प्रदेश की स्थाई राजधानी गैरसैंण के बारे में कुतर्क पेश किये हैं, मैं उनसे कुछ जबाब मांगना चाहता हूं-

१- आपने कहा कि इस स्थान पर सड़क की सुविधा नहीं है/कम है।
जबाब दीजिये कि जब २००४ में  कर्णप्रयाग-गैरसैंण-द्वाराहाट-रानीखेत को राष्ट्रीय राजमार्ग घोषित किया जा चुका है और जो स्थान भारत सरकार के निदेशानुसार राष्ट्रीय राजमार्ग हो, उसमें सड़क परिवहन की कमी कैसे होगी?
२- आपने कहा कि यह बाढ़ संभावित क्षेत्र है और पेयजल की कमी है।
जबाब दीजिये कि गैरसैंण में पिछले २०० सालों में कब बाढ़ आई और अगर आई तो किस नदी से बाढ़ आई और अगर वहां पर कोई ऐसी नदी है, जिससे बाढ़ आ सकती है तो उससे क्या पेयजल की आपूर्ति नहीं की जा सकती?
३- आपने कहा कि यहां ओले, बर्फबारी और वर्षा का खतरा है,
तो बतायें कि यह स्थिति उत्तराखण्ड में कहां नहीं है, जम्मू कश्मीर को शेष देश से जोड़ने वाली जवाहर टनल अक्सर बर्फबारी से बंद हो जाती है, तो क्या वहां के लोगों ने रहना छोड़ दिया? मुंबई में २७ जुलाई, २००५ से बाढ़ आनी शुरु हुई जो अब आती रहती है तो क्या आप जैसे विद्वान वहां नहीं हैं, जो सरकार को सुझाव दें कि राजधानी कहीं और ले चलो। जो भी वहां के विद्वान हैं, वे इसी बात पर तो चर्चा कर रहे हैं कि कैसे इस आपदा से बच जा सके। फिर गैरसैंण के लिये ऐसे कुतर्क आपने दे कैसे दिये?
४- आपने कहा कि यह अंतर्राष्ट्रीय सीमा के अति निकट है, सुरक्षा की दृष्टि से ठीक नहीं होगा।
तो जज साहब आज राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली भी कई दुश्मन देशों की मिसाइल के निशाने पे हैं, क्या दिल्ली भी हटा दें? पूरा उत्तराखण्ड चीन और नेपाल की सीमा से जुड़ा है, अगर गैरसैंण में राजधानी बनेगी तो कौन सा सामरिक खतरा आने वाला है, इसका खुलासा कर दीजिये।
५- आपने कहा कि गैरसैंण में भूकम्प आ सकता है-
आपको याद होगा आपके ही अनुरोध पर सितम्बर २००४ में भारतीय भूगरभ सर्वेक्षण विभाग के निदेशक डा० पी०सी० नवानी ने एक अध्ययन के बाद आपको बताया था कि "गैरसैंण की चट्टानों में भुरभुरेपन और कच्चेपन की बात बिल्कुत गलत है।" उन्होंने अपने दो वैग्यानिकों डा० पी०वी०एस० रावत और डा० बी०एम० गैरोला के साथ किये अपने अध्ययन में पाया कि गैरसैंण क्षेत्र की चट्टानें काफी मजबूत हैं और वे नये निर्माण कार्यों का बोझ सहन करने में पूरी तरह से सक्षम हैं।
****याद है आपको? आई०आई०टी०, रुड़की के भूकम्प विभाग के पूर्व अध्यक्ष डा० वी०के०पाल की बार- जिसमें उन्होंने बताया थी कि भूकम्प का कोई भी बड़ा झटका देहरादून को भुज की ही तरह मटियामेट कर सकता है। क्योंकि देहरादून खतरनाक भूकम्पीय क्षेत्र जोन-४ में आता है और अगर यहां ७ रिक्टर स्केल का भूकम्प आया तो पूरा शहर धूल में मिल जायेगा। दून घाटी के दस कि०मी० के दायरे में भूकम्प फाल्ट गुजर रही है।
६- चौखुटिया अल्मोड़ा जनपद में है न कि चमोली, ऐसा क्यो लिखा आपने?
७- आपने कहा कि गैरसैंण संरक्षित वन और अभ्यारण के निकट है, तो उसका नाम तो बता दो, हमारा भी सामान्य ग्यान वर्धन हो जायेगा?
८- हवाई मार्ग से दूरी तो आपने लिख दिया, ये क्यों भूल गये कि जौलीग्रांट एयरपोर्ट, देहरादून शहर से २५ कि०मी० दूर है और ऐसे ही गौचर एयरपोर्ट से गैरसैंण की दूरी मात्र ५० कि०मी० है।
९- ये अर्जिता बंसल कौन है, इसने कहां और कब जनमत सर्वेक्षण किया...........इसकी प्रमाणिकता क्या है, किस संस्था के आदेश पर यह कराया गया?

अंत में ये भी बता देना कि यह सब तुमने किसके इशारे पर किया? रिपोर्ट का पेट भरने के लिये किसी पर आप अन्ट-शन्ट लिखने लगे। कम से कम अपनी पढाई और अपनी योग्यता का तो लिहाज कर लेते, जज रहे हो भाई, जिसके हाथ में जीवन और मौत है, जिसे न्यायमुर्ति कहते हैं।

पंकज सिंह महर

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उत्तराखण्ड के लोकप्रिय अखबार नैनीताल समाचार ने अपनी साईट में गैरसैंण राजधानी आन्दोलन शीर्षक से एक अलग कालम बनाया है- http://nainitalsamachar.in/category/people-movement/gairsain-capital-issue/
जिसमें श्री प्रीतम अपछ्याण जी ने एक सारगर्भित लेख लिखा है- सिर्फ एक स्थान विशेष नहीं है गैरसैण

11 बार कार्यकाल बढ़ाने के बाद आखिरकार दीक्षित आयोग ने अपनी रिपोर्ट सरकार को सौंप ही दी। इस रिपोर्ट में क्या होगा इसके लिये माथापच्ची करने की जरूरत नहीं, क्योंकि यह आयोग बनाया ही इसलिये गया था कि गैरसैण राजधानी न बन सके। मान लो बिल्ली के भाग्य से छींका फूट जाये और आयोग ने गैरसैण की संस्तुति कर भी दी हो तो भी क्या गैरसैण राजधानी बन पायेगी ? मानें या न मानें, गैरसैण नाम का यह स्थान उत्तराखण्ड की राजनैतिक चौसर बन गया है, जिस पर सभी पार्टियाँ अपनी-अपनी गोटियाँ फिट कर रही हैं। गजब की बात यह है कि इस चौसर में सब के सब शकुनि हैं और किसी भी प्रकार से इस मुद्दे को उलझाये रखना चाहते हैं।"

पूरा पढने के लिये निम्न लिंक पर जांये-
http://nainitalsamachar.in/gairsain-capital-issue-gairasain-is-not-just-a-place/

पंकज सिंह महर

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गैरसैंण को राजधानी घोषित किया आंदोलनकारियों ने

देहरादून (एसएनबी)। राज्य आंदोलन में अग्रणी भूमिका निभाने वाले विभिन्न आंदोलनकारी शक्तियों ने गैरसैंण को राजधानी घोषित करते हुए आगे की लड़ाई और तेज करने का एलान किया है। रविवार को शहीद स्मारक में व्यापक विचार विमर्श के बाद आंदोलनकारी ताकतों ने इस लड़ाई को महिला मंच के नेतृत्व में आगे बढ़ाने का संकल्प लिया। राज्यस्तरीय इस बैठक में कई महत्वपूर्ण प्रस्ताव पारित किये गये। बैठक में कई घंटे तक विचार-विमर्श के बाद आंदोलनकारी शक्तियों ने एक स्वर से गैरसैंण को राजधानी घोषित करने का प्रस्ताव पारित किया। प्रस्ताव में कहा गया है कि गैरसैंण जनघोषित राजधानी है। इस आंदोलन को आगे बढ़ाने के लिए 2 सितम्बर को श्रीनगर (गढ़वाल) पहुंचकर गैरसैंण के चलाये जा रहे आंदोलन को और धार देने का फैसला लिया गया है। इसी दिन सभी जिला मुख्यालयों पर धरना-प्रदर्शन कर लोगों को गैरसैंण आंदोलन में कूदने का आह्वान किया जाएगा। राज्य आंदोलन के सबसे चर्चित मुजफ्फरनगर कांड की बरसी पर काला दिवस मनाते हुए गैरसैंण को स्थायी राजधानी बनाने की मांग को लेकर प्रदेश व्यापी बंद का आह्वान किया जाएगा। इसका एलान आज की बैठक में कर दिया गया है। एक महत्वपूर्ण प्रस्ताव यह भी पारित किया गया कि इस वर्ष राज्य स्थापना दिवस पर गैरसैंण में एक वृहद कार्यक्रम का आयोजन किया जाए। सभी आंदोलनकारी शक्तियों व प्रदेश की जनता से अपील की गयी है कि इस कार्यक्रम के लिए वे अधिक से अधिक संख्या में गैंरसैंण पहुंचें। बैठक में गैरसैंण, चमोली, पौड़ी, श्रीनगर, उत्तरकाशी, टिहरी, नैनीताल, देहरादून व हरिद्वार से आंदोलनकारियों ने शिरकत की। अल्मोड़ा से आये लोक वाहिनी के डा. शमशेर सिंह बष्टि ने कहा कि राजनीतिक दलों के छलावे में बहुत समय गुजर गया है। अब समय आ गया है कि सभी आंदोलनकारी ताकत राज्य आंदोलन की तर्ज पर इस आंदोलन को पहाड़ के गांव-गांव तक ले जाएं। उत्तराखंड पूर्व सैनिक एवं अर्द्धसैनिक संगठन के केंद्रीय अध्यक्ष ले. कर्नल (रि.) गंगा सिंह रावत ने कहा कि राज्य आंदोलन में मातृशक्ति की भूमिका सराहनीय रही है। इसलिए गैरसैंण के इस आंदोलन का नेतृत्व महिला मंच करे, अन्य संगठन उनके साथ कंधे से कंधा मिलकर चलेंगे। मंच की संयोजक कमला बष्टि ने आंदोलनकारी शक्तियों द्वारा महिला मंच पर विश्वास जताने पर आभार जताया। संचालन मंच की जिलाध्यक्ष निर्मला बष्टि ने किया। बैठक में सीपीआई माले के कैलाश पांडे, गैरसैंण राजधानी संयुक्त संघष समिति के संयोजक अनिल स्वामी, उक्रांद नेता लताफत हुसैन, कर्मचारी संयुक्त परिषद के महासचिव सुभाष देवलियाल, राज्य आंदोलनकारी मंच के प्रदीप कुकरेती, जगमोहन नेगी, नैनीडांडा के मनीष सुंदरियाल, सोमेश्वर के दिनेश जोशी,, बागेश्वर के सुरेन्द्र कोरंगा, अल्मोड़ा से पीसी तिवारी, नैनीताल से शीला रजवार, टिहरी से प्रभा रतूड़ी, चंपावत से भगवती जयंती, उत्तरकाशी से पुष्पा चौहान, चमोली से चंद्रकला बष्टि, ऋषिकेश से द्वारिका बष्टि सहित बड़ी संख्या में आंदोलनकारी उपस्थित थे।


्साभार-राष्ट्रीय सहारा, देहरादून

Meena Rawat

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pahad ki rajdhani yadi pahad me nahi hogi to iss se durbhagyapurn baat kya hogi......?

agar aisa hi hai to fir plane area ko pehle UTTRAKHAND Se nikalne ki ladai ki jaye....fir sirf pure UTTRAKHAND Me pahad wala area reh jayga uske baad GAIRSEN ko rajdhani banai jaye...sirf pahad k area k liye hi ye sab...baki kya UTTRAKHAND ka hissa nahi hai?

साथियों,
गैरसैंण हमारे उत्तराखण्ड के लोगों के लिये मात्र जगह नही है, गैरसैंण हमारे आन्दोलनकारियों का सपना है, उत्तराखण्डियों की भावना है, एक विचार है, एक सपना है. क्योंकि जब उत्तराखण्ड आन्दोलन हुआ था तो हमारे आन्दोलनकारियों ने सोच-विचार कर गैरसैंण को अपने प्रस्तावित राज्य की राजधानी घोषित कर दिया था,जो पूरे राज्य की जनता में सर्वमान्य भी हुआ. पहाड की राजधानी यदि पहाड में नहीं होगी तो इससे दुर्भाग्यपूर्ण बात और क्या हो सकती है. जो नीति नियंता है, उन्हें पहाड की जानकारी नही हो़गी और वे पहाड की विषम भौगोलिक परिस्थितियों से परिचित ही नहीं होंगे, तो वे पहाड के लिये क्या नीति बना सकते हैं?
       

dayal pandey/ दयाल पाण्डे

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Meena ji plane waale hisse main pahad se aaye huye pahadi hi base hain unaki jadain pahad main hi hain, han ye baat alag hain ki kuchh bahri mafiya tatwa bhi jarur plane main aa gaya hai Rajdhani Gairsain banane se ye Mafiyaraj bhi kam hoga ,

Meena Rawat

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gairsen ka to naam bhi nahi suna hai 60% logo ne....

maine kafi Uttrakhandi people se pucha ki..vo GAIRSEN ko uttrakhand ki rajhdhani banna chahte hai....

mujhe reply milta hai ki Ye GAIRSEN Hai kaha?????
ye Uttrakhand me hai ??

kafi log GAIRSEN k bare me nahi jante hai, unhe pata hi nahi hai ki ye Uttrakhand k kis kone me hai...

Rajen

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भगीरथ प्रयास तो करना ही ठैरा, पहले राज्य के लिए, अब राजधानी के लिए.  पहाड़ के लोग जानने ही वाले हुए  कि बिना कठोर परिश्रम के पहाड़ में न दाना मिलता है न पानी फिर राजधानी कैसे मिल जायेगी हो थाली में सजा के?  अब संघर्ष से ही सब कुछ हासिल करने वाले हुए तो 'गैरसैण' भी पा ही जायेंगे. 

 

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