दीक्षित आयोग ने प्रदेश की स्थाई राजधानी गैरसैंण के बारे में कुतर्क पेश किये हैं, मैं उनसे कुछ जबाब मांगना चाहता हूं-
१- आपने कहा कि इस स्थान पर सड़क की सुविधा नहीं है/कम है।
जबाब दीजिये कि जब २००४ में कर्णप्रयाग-गैरसैंण-द्वाराहाट-रानीखेत को राष्ट्रीय राजमार्ग घोषित किया जा चुका है और जो स्थान भारत सरकार के निदेशानुसार राष्ट्रीय राजमार्ग हो, उसमें सड़क परिवहन की कमी कैसे होगी?
२- आपने कहा कि यह बाढ़ संभावित क्षेत्र है और पेयजल की कमी है।
जबाब दीजिये कि गैरसैंण में पिछले २०० सालों में कब बाढ़ आई और अगर आई तो किस नदी से बाढ़ आई और अगर वहां पर कोई ऐसी नदी है, जिससे बाढ़ आ सकती है तो उससे क्या पेयजल की आपूर्ति नहीं की जा सकती?
३- आपने कहा कि यहां ओले, बर्फबारी और वर्षा का खतरा है,
तो बतायें कि यह स्थिति उत्तराखण्ड में कहां नहीं है, जम्मू कश्मीर को शेष देश से जोड़ने वाली जवाहर टनल अक्सर बर्फबारी से बंद हो जाती है, तो क्या वहां के लोगों ने रहना छोड़ दिया? मुंबई में २७ जुलाई, २००५ से बाढ़ आनी शुरु हुई जो अब आती रहती है तो क्या आप जैसे विद्वान वहां नहीं हैं, जो सरकार को सुझाव दें कि राजधानी कहीं और ले चलो। जो भी वहां के विद्वान हैं, वे इसी बात पर तो चर्चा कर रहे हैं कि कैसे इस आपदा से बच जा सके। फिर गैरसैंण के लिये ऐसे कुतर्क आपने दे कैसे दिये?
४- आपने कहा कि यह अंतर्राष्ट्रीय सीमा के अति निकट है, सुरक्षा की दृष्टि से ठीक नहीं होगा।
तो जज साहब आज राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली भी कई दुश्मन देशों की मिसाइल के निशाने पे हैं, क्या दिल्ली भी हटा दें? पूरा उत्तराखण्ड चीन और नेपाल की सीमा से जुड़ा है, अगर गैरसैंण में राजधानी बनेगी तो कौन सा सामरिक खतरा आने वाला है, इसका खुलासा कर दीजिये।
५- आपने कहा कि गैरसैंण में भूकम्प आ सकता है-
आपको याद होगा आपके ही अनुरोध पर सितम्बर २००४ में भारतीय भूगरभ सर्वेक्षण विभाग के निदेशक डा० पी०सी० नवानी ने एक अध्ययन के बाद आपको बताया था कि "गैरसैंण की चट्टानों में भुरभुरेपन और कच्चेपन की बात बिल्कुत गलत है।" उन्होंने अपने दो वैग्यानिकों डा० पी०वी०एस० रावत और डा० बी०एम० गैरोला के साथ किये अपने अध्ययन में पाया कि गैरसैंण क्षेत्र की चट्टानें काफी मजबूत हैं और वे नये निर्माण कार्यों का बोझ सहन करने में पूरी तरह से सक्षम हैं।
****याद है आपको? आई०आई०टी०, रुड़की के भूकम्प विभाग के पूर्व अध्यक्ष डा० वी०के०पाल की बार- जिसमें उन्होंने बताया थी कि भूकम्प का कोई भी बड़ा झटका देहरादून को भुज की ही तरह मटियामेट कर सकता है। क्योंकि देहरादून खतरनाक भूकम्पीय क्षेत्र जोन-४ में आता है और अगर यहां ७ रिक्टर स्केल का भूकम्प आया तो पूरा शहर धूल में मिल जायेगा। दून घाटी के दस कि०मी० के दायरे में भूकम्प फाल्ट गुजर रही है।
६- चौखुटिया अल्मोड़ा जनपद में है न कि चमोली, ऐसा क्यो लिखा आपने?
७- आपने कहा कि गैरसैंण संरक्षित वन और अभ्यारण के निकट है, तो उसका नाम तो बता दो, हमारा भी सामान्य ग्यान वर्धन हो जायेगा?
८- हवाई मार्ग से दूरी तो आपने लिख दिया, ये क्यों भूल गये कि जौलीग्रांट एयरपोर्ट, देहरादून शहर से २५ कि०मी० दूर है और ऐसे ही गौचर एयरपोर्ट से गैरसैंण की दूरी मात्र ५० कि०मी० है।
९- ये अर्जिता बंसल कौन है, इसने कहां और कब जनमत सर्वेक्षण किया...........इसकी प्रमाणिकता क्या है, किस संस्था के आदेश पर यह कराया गया?
अंत में ये भी बता देना कि यह सब तुमने किसके इशारे पर किया? रिपोर्ट का पेट भरने के लिये किसी पर आप अन्ट-शन्ट लिखने लगे। कम से कम अपनी पढाई और अपनी योग्यता का तो लिहाज कर लेते, जज रहे हो भाई, जिसके हाथ में जीवन और मौत है, जिसे न्यायमुर्ति कहते हैं।