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Do you feel that the Capital of Uttarakhand should be shifted Gairsain ?

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Voting closed: March 21, 2024, 12:04:57 PM

Author Topic: Should Gairsain Be Capital? - क्या उत्तराखंड की राजधानी गैरसैण होनी चाहिए?  (Read 351424 times)

Sunder Singh Negi/कुमाऊंनी

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पहाडी मे एक कहावत है कि

जब तक पहाडी अपने पर नही आता, तब तक उसकी कठोरता मालुम नही पडती।

Mohan Bisht -Thet Pahadi/मोहन बिष्ट-ठेठ पहाडी

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Devbhoomi,Uttarakhand

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राजधानी गैरसैंण बनाने को जन आंदोलन शुरू करेंगे


आंदोलनकारी ताकतों ने एक बार फिर से उत्ताराखंड की स्थायी राजधानी गैरसैंण को लेकर जनांदोलन खड़ा करने का ऐलान किया है। सोमवार को उत्ताराखड संयुक्त संघर्ष समिति, महिला मंच व भाकपा ने स्पष्ट किया कि आगामी दो सितंबर को शहीद दिवस के अवसर पर सभी आंदोलनकारी ताकतें एक मंच पर आकर राजधानी आंदोलन गैरसैंण को लेकर व्यापक स्तर पर रणनीति तैयार करेंगे।

सोमवार को जीएमवीएन के विश्राम गृह में आयोजित पत्रकार वार्ता में उत्ताराखंड संयुक्त संघर्ष समिति के जिलाध्यक्ष भगवती भट्ट ने कहा कि गैरसैंण के लिए पहाड़ के लोगों को दोबारा आंदोलन करना होगा। उन्होंने कहा कि दीक्षित आयोग की रिपोर्ट को राज्य की समूची जनता ने नकार दिया है, जनभावनाओं के अनुरूप ही राजधानी बननी चाहिए।
 उन्होंने कहा कि राज्य के एक विधायक को छोड़ बाकी किसी के भी आयोग की रिपोर्ट पर टिप्पणी न करना दुर्भाग्यपूर्ण है। उत्ताराखंड महिला मंच की केंद्रीय सदस्य चंद्रकला बिष्ट ने कहा कि पहाड़ वासियों ने अलग राज्य की मांग पहाड़ के विकास के लिए की थी न की अधिकारी नेताओं की सुख सुविधाओं के लिए। ब्लाक प्रमुख अगस्त्यमुनि लक्ष्मी जग्गी ने कहा कि राज्य गठन के करीब एक दशक बीत जाने के बावजूद अभी तक स्थायी राजधानी के मसले पर निर्णय नहीं हो सका, यह बेहद दुर्भाग्यपूर्ण पहलू है।

पत्रकार वार्ता में भाकपा के प्रदेश सह सचिव आनंद सिंह राणा, पूर्व प्रमुख पीतांबरी विष्ट समेत कई लोग मौजूद थे।


http://in.jagran.yahoo.com/news/local/uttranchal/4_5_5751204.html

Devbhoomi,Uttarakhand

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राजधानी गैरसैंण बनाने को जनता मुखर

उत्तराखंड की राजधानी गैरसैंण बनाने की मांग को लेकर संयुक्त संघर्ष मोर्चा के कार्यकर्ताओं ने कलक्ट्रेट में एक दिवसीय धरना दिया। उन्होंने कहा कि राज्य की राजधानी जल्द से जल्द गैरसैंण घोषित की जाए।

मंगलवार को धरना प्रदर्शन के बाद हुई सभा में संघर्ष समिति ने कहा कि राज्य निर्माण आंदोलन के प्रारंभ से ही जनता ने राजधानी चन्द्रनगर गैरसैंण की मांग की थी। स्वतंत्रता संग्राम सेनानी और पेशावर कांड के नायक वीर चन्द्र सिंह गढ़वाली के नाम पर गैरसैंण के नाम को चन्द्रनगर घोषित करते हुए उत्तराखंड के गांधी स्व. इन्द्रमणी बडोनी के नेतृत्व में राज्य निर्माण आंदोलनकारियों ने गैरसैंण में ही राज्य की राजधानी का शिलान्यास भी किया था।
 बाद में उत्तरकाशी से राजधानी निर्माण आंदोलन के दस कार्यकत्र्ताओं का प्रतिनिधिमण्डल महिला मंच नेता पुष्पा चौहान के नेतृत्व में श्रीनगर रवाना हो गया। प्रतिनिधिमंडल में राम सिंह राणा, डा.नगेन्द्र जगूड़ी, जेढूलाल भारती, निखिल उनियाल यशोदा तड़ियाल शामिल हैं। धरना सत्याग्रह में दिनेश नौटियाल, वीरेन्द्र सिंह गुसाई, चतर सिंह राणा, कमल पोखरियाल, भुवनेश्वरी बडोला, विनिता भट्ट, माहेश्वरी भट्ट, रविन्द्र नौटियाल, प्रमिला भट्ट, विश्वंभर पैन्यूली सुरेन्द्र, विष्णुपाल रावत, भगवती बहुगुणा आदि मौजूद थे।

एम.एस. मेहता /M S Mehta 9910532720

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It is never to subdue the sentiment and genuine demand of people.

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गैरसैंण राजधानी का मामला फिर गरमायाSep 01, 10:49 pmबताएं
 

नैनीताल। राज्य की स्थाई राजधानी गैरसैंण घोषित करने के समर्थन में मंगलवार को विभिन्न आंदोलनकारी संगठनों ने यहां गांधी चौक पर धरना दिया। इस मौके पर आयोजत सभा में वक्ताओं ने सरकारों पर जनभावनाओं को कुचलने का आरोप लगाया गया। आंदोलनकारी संगठनों ने इस मुद्दे पर 2 अक्टूबर को राज्यव्यापी बंद का ऐलान किया है और राज्य स्थापना दिवस गैरसैंण में मनाने की घोषणा की।

मंगलवार को उत्तराखण्ड महिला मंच व उत्तराखंड लोक वाहिनी, बेरोजगार संगठन आदि संगठनों से जुड़े दर्जनों लोग तल्लीताल गांधी चौंक पर एकत्र हुए और धरना दिया। इस मौके पर हुई सभा में वक्ताओं ने भाजपा-कांग्रेस पर सीधा हमला बोला। वक्ताओं ने कहा कि राज्य गठन के नौ साल बाद भी स्थाई राजधानी का मसला हल नहीं हुआ है। जनभावनाओं की अनदेखी कर प्रभावशाली राजनीतिज्ञ व नौकरशाह गैरसैंण को राजधानी बनाने में रोड़ा अटका रहे है। जबकि गैरसैंण जनभावनाओं के अलावा कुमाऊं-गढ़वाल के मध्य स्थित होने के नाते हर लिहाज से राजधानी के लिए उपयुक्त है। वक्ताओं ने कहा कि राजधानी गैरसैंण बनने से राज्य के विकास के रास्ते खुलेंगे और आंदोलकारियों के सपनों के अनुरूप राज्य का विकास हो सकेगा। इस दौरान बताया गया कि गैरसैंण राजधानी बनाने के समर्थन में सभी आंदोलकारी ताकतों के आह्वान पर 2 अक्टूबर को राज्यव्यापी बंद का ऐलान किया गया। इसके अलावा सभी संगठनों द्वारा राज्य स्थापना दिवस 9 नवंबर को गैरसैंण में मनाने का निर्णय लिया गया

Devbhoomi,Uttarakhand

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नौ नवंबर को होगी गैरसैंण राजधानी घोषित

नई टिहरी गढ़वाल। गैरसैंण राजधानी के मुद्दे पर भले ही प्रमुख राजनैतिक दल मौन हो, लेकिन राज्य आंदोलनकारी 9 नवंबर को गैरसैंण को जनराजधानी घोषित करेंगे।

जिला मुख्यालय में पत्रकारों से बातचीत में गैरसैंण राजधानी संयुक्त मोर्चा से जुड़े त्रेपन सिंह चौहान ने कहा कि उत्तराखंड का जनपक्ष गैरसैंण के पक्ष में है। पहाड़ की राजधानी पहाड़ में हो इसको लेकर राज्य आंदोलन लड़ा गया था। आंदोलनकारियों ने राजधानी के साथ ही गैरसैंण में हाइकोर्ट स्थापना की मुद्दा भी उठाया है। श्री चौहान ने बताया कि राज्य स्थापना दिवस यानी 9 नवंबर को आंदोलनकारी गैरसैंण को जनराजधानी घोषित करेंगे,
साथ ही 2 अक्टूबर को उत्तराखंड बंद का अह्वान किया गया है। सीपीआई के जिला सचिव कामरेड जयप्रकाश पांडेय ने पार्टी की ओर से गैरसैंण राजधानी के मुद्दे पर समर्थन की घोषणा की है। उन्होंने कहा कि कर्मचारी-शिक्षकों को साथ लेकर गैरसैंण राजधानी की लड़ाई लड़ी जाएगी। उत्तराखंड संयुक्त संर्घष समिति के जिला प्रवक्ता महीपाल नेगी ने दीक्षित आयोग की रिपोर्ट को छलावा करार दिया। उन्होंने सरकार से दीक्षित आयोग की रिपोर्ट पर विधानसभा में चर्चा कर इस मामले में मतदान कराए जाने की मांग उठाई।


http://in.jagran.yahoo.com/news/local/uttranchal/4_5_5756927.html

एम.एस. मेहता /M S Mehta 9910532720

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Satpal Mahraj also says Capital should be in Gairsain

उत्तराखंड की राजधानी हो पर्वतीय क्षेत्र में 
कोटद्वार (पौड़ी गढ़वाल)। गढ़वाल सांसद सतपाल महाराज ने कहा कि उत्तराखंड का विकास तब तक संभव नहीं है, जब तक कि उत्तराखंड की राजधानी पर्वतीय क्षेत्र में न हो।

प्रखंड एकेश्वर के पाटीसैण, नौगांवखाल, जणदा देवी, एकेश्वर, ग्वाड़ी, सेड़ियाखाल सहित विभिन्न ग्रामों के भ्रमण के दौरान सतपाल महाराज ने यह बात कही। उन्होंने जनता की उम्मीदों का खरा उतरने का आश्वासन देते हुए कहा कि संसद सत्र के दौरान वे स्थाई राजधानी, पेयजल, पर्वतीय क्षेत्रों में रेल मार्ग, हिमालयन हाईवे, पर्वतीय विकास प्राधिकरण की स्थापना जैसे मुद्दों को जोर-शोर से उठाएंगे। प्रदेश सरकार पर केंद्र की ओर से मिलने वाले अनुदान के दुरूपयोग करने का उन्होंने आरोप लगाया। उन्होंने कहा कि प्रदेश सरकार की अनुभवहीनता के चलते विकास के नाम पर केंद्र की ओर से अवमुक्त करोड़ों की धनराशि लैप्स हो रही है व सरकार केंद्र पर भेदभाव का आरोप लगा रही है। सतपाल महाराज ने कहा कि उत्तराखंड के पांचों सांसदों के दबाव में केंद्र प्रदेश सरकार को विकास के लिए करोड़ों की धनराशि अवमुक्त कर रही है, लेकिन प्रदेश के मुख्यमंत्री इसे अपनी उपलब्धि बता रहे हैं। भ्रमण के दौरान पूर्व मंत्री अमृता रावत, कार्यकारी जिलाध्यक्ष जगमोहन सिंह रावत, ब्लाक अध्यक्ष मनवर सिंह, जिला प्रवक्ता प्रवेश रावत, पूर्व प्रमुख जसपाल सिंह, मनमोहन सिंह, रामपाल सिंह, लक्ष्मण भंडारी सहित कई अन्य मौजूद थे।

http://in.jagran.yahoo.com/news/local/uttranchal/4_5_5824554.html

dayal pandey/ दयाल पाण्डे

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Main Satpal ji Maharaj ji ke is bayan ka swagat karata huin ki Rajdhni Gaisain main hi honi chahiye kyuki pahad main baithkar hi pahad ka vikas ho sakta hai, raj netao se bhi agrah hai ki ek dusare par chhita kashi se uthkar ek santh mil kar vikas ki baat karain.
Hum 2 oct. ko Gairsain Rajdhani ke samarthan main band ka samarthan karate hain.


Jai Goljyu Jai Badri Kedar, Gairsain main baithe Uttarakhand Sarkar,

 

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