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Do you feel that the Capital of Uttarakhand should be shifted Gairsain ?

Yes
97 (70.8%)
No
26 (19%)
Yes But at later stage
9 (6.6%)
Can't say
5 (3.6%)

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Voting closed: March 21, 2024, 12:04:57 PM

Author Topic: Should Gairsain Be Capital? - क्या उत्तराखंड की राजधानी गैरसैण होनी चाहिए?  (Read 351483 times)

सत्यदेव सिंह नेगी

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Mai Uttrakhand ki rajdhani ko Padah par banane ka paksdhar hun

Gairsain ke bare me itna to pata lag hi chuka hai ki ye jagah rajdhni banane ke liye upyukt hai

Jai Uttrakhand
Jai Bharat

Devbhoomi,Uttarakhand

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गैरसैंण राजधानी मुद्दे पर उक्रांद हुआ सक्रिय


Nov 02, 10:28 pm


गैरसैंण (चमोली)। गैरसैंण राजधानी की मांग को लेकर उक्रांद में एक बार पुन: सुगबुगाहट शुरू हो गयी है। पार्टी नेताओं ने राजधानी निर्माण के प्रति अपनी प्रतिबद्धता व्यक्त करते हुए सात दिवसीय धरना प्रारंभ कर दिया है।

रामलीला मैदान में आयोजित सभा को संबोधित करते हुए दल के केंद्रीय अध्यक्ष नारायण सिंह जंतवाल ने गैरसैंण राजधानी को दल के अंर्तआत्मा की आवाज बताया। उन्होंने कहा कि स्थायी राजधानी के मुद्दे पर आज भी दल की विचारधारा में बदलाव नहीं आया है। कांग्रेस पर अंगुली उठाते हुए डा. जंतवाल ने कहा जब प्रदेश में कांग्रेस की सरकार रही उस वक्त स्थानीय राजधानी मुद्दे पर कांग्रेस चुप्पी साधे रहा, जबकि वर्तमान में उनके कतिपय सिपहसलार गैरसैंण का समर्थन कर जनता को बरगलाने का प्रयास कर रहे हैं।

 सभा में उक्रांद विधायक पुष्पेश त्रिपाठी ने कहा कि वास्तव में यदि कांग्रेस गैरसैंण मुद्दे पर गंभीर होती तो पार्टी विधानमंडल में उन्हें प्रस्ताव पारित करना चाहिए था। भाजपा को समर्थन देने के मुद्दे पर पार्टी अध्यक्ष बोले कि प्रदेश को स्थिरता देने के लिए ही उक्रांद ने यह कदम उठाया। उन्होंने कहा यदि आज उक्रांद पूर्ण बहुमत में होती तो गैरसैंण राजधानी निर्माण कार्य प्रारंभ हो चुका होता।

शांतिभट्ट के संचालन में संपन्न सभा में मुख्य रूप से केंद्रीय सचिव वाईएन भट्ट, केद्रीय प्रवक्ता सतीश सेमवाल, सदस्य देवी प्रसाद, संगठन मंत्री गीता बिष्ट, केन्द्रीय महामंत्री एपी जुयाल, सुदर्शन, एसपी खंडूरी, मोहन भंडारी, सत्य प्रसाद सती, हरीश बिष्ट, प्रताप सिंह, हरीश जोशी, गजेन्द्र मोहन, दयाल सिंह, हयात ंिसंह व ब्लाक अध्यक्ष गणेश गिरी उपस्थित थे।

http://in.jagran.yahoo.com/news/local/uttranchal/4_5_5908637.html

MANOJPUNDIR

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राजधानी मसले पर आंदोलन को कसी कमर

देहरादून, जागरण संवाददाता: उत्तराखंड क्रांति दल राजधानी के मसले पर तेवर अख्तियार करने का मन बना चुका है। राज्य स्थापना दिवस पर राजधानी को लेकर गैरसैंण में प्रस्तावित धरना-प्रदर्शन के लिए उक्रांद ने कमर कस ली है। जिसके बाद इसको उग्र आंदोलन की शक्ल देने की रणनीति भी तय की जाएगी। उक्रांद के वरिष्ठ नेता बीडी रतूड़ी ने राजधानी के मसले भाजपा व कांगे्रस दोनों राष्ट्रीय दलों को आडे़ हाथों लेते हुए राज्यव्यापी आंदोलन का बिगुल बजाने का ऐलान किया है। शनिवार को यहां गांधी रोड़ स्थित एक होटल में मीडिया से बातचीत करते हुए उक्रांद के वरिष्ठ नेता बीडी रतूड़ी ने भाजपा व कांग्रेस दोनों राष्ट्रीय दलों पर राजधानी के मुद्दे पर राजनीतिक रोटियां सेकने का आरोप लगाया। उन्होंने कहा कि गैरसैंण में राजधानी स्थापित करने के मुद्दे को लेकर भी आंदोलन लड़ा गया था। उन्होंने कहा कि राज्य गठन के बाद जनता ने भाजपा व कांग्रेस दोनों राष्ट्रीय दलों के हाथों में शासन की कमान सौंपी। लेकिन दोनों ही दलों ने राजधानी के मुद्दे पर राजनीतिक रोटियां ही सेकी। जिसको यहां की जनता बखूबी भांप चुकी है। श्री रतूड़ी ने कहा कि गैरसैंण में राज्य स्थापना दिवस पर विशाल धरना-प्रदर्शन किया जाएगा, और इसी दिन से राजधानी को लेकर आंदोलन का बिगुल भी बजाया जाएगा। श्री रतूड़ी ने कहा कि दीक्षित आयोग की रिपोर्ट गलत तथ्यों के आधार पर तैयार की गई। उन्होंने कहा कि राजधानी के मसले पर उक्रांद सत्ता से अलग होने पर भी विचार कर सकती है। श्री रतूड़ी ने कहा कि जिस ऊर्जा के साथ राज्य आंदोलन लड़ा था उसी तर्ज पर राजधानी के मसले पर आम नागरिकों को एक मंच में आकर निर्णायक लड़ाई लड़ने के लिए आगे आना चाहिए। इससे पूर्व जीएमवीएन के पूर्व महाप्रबंधक डीएल शाह समेत कुल बीस लोगों ने उक्रांद की सदस्यता ग्रहण की। इस मौके पर उक्रांद के पीएन टौडरिया, हरीश पाठक, वीरेंद्र मोहन आदि मौजूद थे।

एम.एस. मेहता /M S Mehta 9910532720

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Today is Uttarakhand State formation day. We have traveled 9 yrs since the formation of Uttarakhand State on 9 Nov 2000. But the Capital issue of the State has not been solved so far.

There has been news that people have once once again started mobilizing for shifting of Capital to Gairsain which was proposed Capital of Uttarakhand State right from the demand of Uttarakhand separate state.

See the news
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गैरसैंण राजधानी मुद्दा पकड़ रहा जोर

Nov 08, 11:25 pmबताएं

गैरसैंण (चमोली)। गैरसैंण को राजधानी बनाने की मांग अब तेजी पकड़ती नजर आने लगी है। गत लंबे समय से राजधानी मुद्दे को लेकर आंदोलनरत जनप्रतिनिधियों व आम जनता का गैरसैंण पहुंचने का सिलसिला शुरू हो गया है। रविवार तक सैकड़ों लोग गैरसैंण पहुंच चुके थे, जबकि सोमवार को इस संख्या में और अधिक इजाफा होने की संभावना है। बताया जा रहा है कि राज्य निर्माण आंदोलन व राजधानी मुद्दे से जुड़े विभिन्न सामाजिक, राजनैतिक संगठनों व जनप्रतिनिधियों ने गैरसैंण में ही राज्य स्थापना दिवस मनाने का निर्णय लिया है।

रविवार को राजधानी मुद्दे को लेकर उक्रांद का धरना सातवें दिन भी जारी रहा। वक्ताओं ने गैरसैंण को स्थायी राजधानी घोषित किये जाने तक आंदोलन जारी रखने की बात कही। धरने पर केन्द्रीय महामंत्री एपी जुयाल, केन्द्रीय सचिव गीता बिष्ट, शांतिप्रसाद भट्ट, दरबान सिंह, अवधेश जुयाल, दिगंबर कुंवर, जसवंत ंिसह, शोभन सिंह, मनमोहन पंत, धूमादेवी, बलवंत सिंह, एपी डोभाल आदि उपस्थित रहे। दूसरी ओर, गैरसैंण राजधानी संयुक्त संघर्ष मोर्चा के आह्वान पर राज्य स्थापना दिवस गैरसैंण में मनाने को महिला मंच, लोकवाहिनी सहित कई संगठन कार्यकर्ता सक्रिय हो गये हैं। महिला मंच की कमला पंत, पुष्पा चौहान, लोकवाहिनी के शमशेर बिष्ट, राजीव लोचन शाह, राज्य आन्दोलनकारी कल्याण परिषद के पूर्व अध्यक्ष व राज्यमंत्री धीरेन्द्र प्रताप, उत्तराखंड संयुक्त संघर्ष समिति के केन्द्रीय सचिव जेपी पांडे सहित विभिन्न संगठनों के प्रतिनिधियों का देर शाम तक यहां पहुंचने का सिलसिला जारी रहा। उधर, स्थानीय जनता तथा प्रतिनिधि उक्रांद व संयुक्त मोर्चो को एक ही मुद्दे पर अलग-अलग स्थानों पर कार्यक्रम आयोजित किये जाने को लेकर भ्रम की स्थिति में हैं आम लोगों का कहना है कि अच्छा होता कि राजधानी की मांग पर सभी दल व आन्दोलकारी संगठन एक ही मंच पर आकर आवाज उठाते।

श्रीनगर गढ़वाल। गैरसैंण राजधानी बनाने को श्रीनगर में चल रहे धरने को सौ दिन पूरे हो गए। गैरसैंण राजधानी संयुक्त संघर्ष समिति के संयोजक अनिल स्वामी का कहना है कि इस आंदोलन को हल्के में लेना सरकार के लिए एक बड़ी भूल होगी। उन्होंने बताया कि श्रीनगर से बड़ी संख्या में आंदोलनकारी गैरसैंण कूच कर गए हैं। राज्य स्थापना दिवस पर वहां आयोजित कार्यक्रम में आंदोलन की अगली रणनीति पर चर्चा की जाएगी। उधर, एआईएसएफ के प्रदेश अध्यक्ष रजनीकांत, परिवर्तन पार्टी के गढ़वाल मंडल संगठन मंत्री जनार्दन कुकशाल, आइसा के राष्ट्रीय अध्यक्ष इंद्रेश मैखुरी आदि जनसामान्य को इस मुद्दे पर जागरूक करने में जुटे हैं।


Source : http://in.jagran.yahoo.com/news/local/uttranchal/4_5_5925043.html

Pooran Chandra Kandpal

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    उत्तराखंड दिवस ,९ नवम्बर २००९
   
         उत्तरांचल पत्रिका अंक नवम्बर २००९ में मेरा लेख है 'गैरसैण ही बने राजधानी'.
  उसमें से एक वाक्य लिख रहा हूँ.     "अपने हे देश में अपना राज्य पाने के लिए स्वतंत्र भारत के इतिहास
  में पहली बार अहिंसक आन्दोलनकारियों को शहीद होना पड़ा.  वर्ष १९९४ में एक एक करके साडे तीन दर्जन
  आन्दोलनकारियों के सीने में गोली उतार दी प्रजातंत्र के कातिलों ने "

                "गैरसैण तो पहले हे प्रसिद्ध हो गया है.  राजधानी गैरसैण बनाने के लिए विभिन्न संगठनों द्वारा
  आन्दोलन जारी है. लेख , परिचर्चा , विचार खूब छप रहें हैं.,  जलूस . प्रदर्शन, धरने, यात्रा, बहश खूब हो
  रहे हैं .आन्दोलन गति पकरने के शंख बज चुकी है.  " यह लेख राज्य आन्दोलन के शहीदों को समर्पित है.

                  इस सप्ताह देश की राजधानी में कई जगह उत्तराखंडी संगठनों ने सभाएं की और राजधानी
  गैरसैण बनाने के सरकार से अपील की गयी.  इसी तरह एक सभा में उत्तराखंडी भाषा कुमाउनी और
  गढ़वाली  को मान्यता देने और सविधान की ८वी सूचि में शामिल करने की अपील की गयी.

                                                          पूरन चन्द्र कांडपाल 

Devbhoomi,Uttarakhand

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गैरसैंण राजधानी दो वरना गद्दी छोड़ो

गैरसैंण (चमोली)। उक्रांद व राजधानी संघर्ष मोर्चा की सभाओं में स्थायी राजधानी गैरसैंण बनाने की मांग की। सूबे के कोने-कोने से पहुंचे लोंगों ने भाजपा व कांग्रेस पर गैरसैंण विरोधी होने का आरोप लगाया। इस दौरान लोगों रैली में गैरसैंण राजधानी दो, वरना गद्दी छोड़ दो के नारे लगाये।

एक ही नगर में एक ही मुद्दे पर अलग-अलग स्थानों पर सभा आयोजित हुई।

 इसमें संयुक्त मोर्चे के प्रतिनिधियों ने उक्रांद की सभा को नौटंकी बताया। वहीं, उक्रांद नेता तमाम आंदोलनकारी संगठनों से एक ही मंच पर आने की अपील करते नजर आये। स्थानीय रामलीला मैदान में उक्रांद विधायक व काबिना मंत्री दिवाकर भट्ट को छोड़ पार्टी के तमाम केंद्रीय पदाधिकारी सहित सरकार में राज्यमंत्री दर्जाधारी पार्टी नेता भी मौजूद थे। भागीरथी नदी घाटी विकास प्राधिकरण उपाध्यक्ष बीडी रतूड़ी ने कहा कि सरकार को समर्थन नौ सूत्रीय सहमति पत्र के आधार पर दिया गया था, जिसमें गैरसैंण राजधानी प्रमुख थी। पर विवश होकर उन्हें आंदोलन का रास्ता अपनाना पड़ा है। पार्टी के वरिष्ठ नेता व हिल्ट्रॉन अध्यक्ष काशी सिंह ऐरी ने कहा कि गैरसैंण मुद्दे को लेकर सरकार से यदि समर्थन वापस लेना पडे, तो उन्हें स्वीकार है।

केन्द्रीय सचिव शांति भट्ट के संचालन में संपन्न सभा में पार्टी अध्यक्ष नारायण सिंह जंतवाल, विधायक पुष्पेश त्रिपाठी, एपी जुयाल, रामलाल नवनी सहित सभी जनपदों के अध्यक्ष व पदाधिकारी मौजूद थे। दूसरी ओर, दर्जनों संगठनों के बैनरों के साथ रैली के रूप में जीआईसी मैदान में एकत्र संघर्ष मोर्चा प्रतिनिधियों ने उक्रांद को कोसा। मोर्चा में शामिल सूबे की नामचीन हस्तियों ने कहा कि उक्रांद ने सरकार में शामिल होकर विश्वसनीयता गंवा दी है।

जन-गीतों के साथ वरिष्ठ पत्रकार हरीश चंद्र चंदोला की अध्यक्षता में हुई सभा में महिला मंच नेत्री कमला पंत, संघर्ष मोर्चा संयोजक अनिल स्वामी, लोकवाहिनी अध्यक्ष शमशेर सिंह बिष्ट, परिवर्तन पार्टी अध्यक्ष पीसी तिवारी, कामरेड समर भंडारी आदि ने विचार रखे।


http://in.jagran.yahoo.com/news/local/uttranchal/4_5_5927079.html

पंकज सिंह महर

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गैरसैंण को जहर बनाया हथियार
« Reply #346 on: December 24, 2009, 01:39:34 PM »
देहरादून, जागरण संवाददाता: महंगाई के खिलाफ व उत्तराखंड की राजधानी को गैरसैंण ले जाने की मांग को लेकर निकाली गई उत्तराखंड क्रांति दल की रैली में एक महिला कार्यकर्ता ने जहर पीने का प्रयास किया, लेकिन एलआईयू महिला कर्मी की तत्परता से वह सफल नहीं हो पाई। उधर, रैली केदौरान विधानसभा गेट तक पहुंचे आधा दर्जन कार्यकर्ताओं को गिरफ्तार कर पुलिस लाइन भेज दिया गया। बुधवार को निकाली गई रैली के दौरान रिस्पना पुल से पहले बैरिकेडिंग के पास उक्रांद नेत्री प्रमिला रावत ने फिनाइल पीने का प्रयास किया। एलआईयू कर्मी पुष्पा रावत ने तत्परता दिखाते हुए तुरंत उसके हाथ से फिनाइल की शीशी छीन ली। छीना झपटी में बगल में बैठी जयंती के मुंह में भी फिनाइल की कुछ बूंदें गिर पड़ीं। दोनों को पुलिस तुरंत आराघर चौकी ले गई। इसके बाद इनका मेडिकल कराया गया। इससे पहले उक्रांद कार्यकर्ता कचहरी रोड स्थित केंद्रीय कार्यालय पर एकत्र हुए और रैली की शक्ल में विधानसभा कूच किया। रैली में कार्यकर्ता गैरसैंण को राजधानी बनाने और महंगाई के विरोध में नारे लगा रहे थे। रैली को पुलिस ने रिस्पना पुल के निकट बैरिकेडिंग लगाकर रोक लिया। यहां कार्यकर्ताओं और पुलिस के बीच हल्की धक्का-मुक्की हुई। इस बीच पुलिस को छकाकर बीना बहुगुणा, गीता बिष्ट, गोव‌र्द्धन शर्मा, बीपी डोभाल, देवदत्त व्यास व चंद्रा सुंदरियाल विधानसभा गेट तक पहुंच गए और नारेबाजी शुरू कर दी। यहां पुलिस ने इन्हें गिरफ्तार कर पुलिस लाइन भेज दिया। बैरिकेडिंग के पास रैली सभा में तब्दील हो गई। सभा को संबोधित करते हुए दल के केंद्रीय अध्यक्ष नारायण सिंह जंतवाल व अन्य वक्ताओं ने महंगाई, पलायन, रोजगार व स्थायी राजधानी के मुद्दे पर सरकार को आड़े हाथ लिया। इसी दौरान उक्रांद के सुनील ध्यानी और डीके पाल पुलिस को चकमा देकर बैरिकेडिंग पर चढ़ गए और नारेबाजी शुरू कर दी। इस दौरान कुछ अन्य कार्यकर्ताओं ने बैरिकेडिंग पार करने का प्रयास किया, जिसे पुलिस ने असफल कर दिया। सभा के बाद उक्रांद कार्यकर्ताओं ने एसडीएम के माध्यम से मुख्यमंत्री को मांगों से संबंधित ज्ञापन भी प्रेषित किया। रैली में पूर्व केंद्रीय अध्यक्ष बीडी रतूड़ी, काशी सिंह ऐरी, लताफत हुसैन, शैलेश गुलेरी, ओमी उनियाल, एनके गुसाई, बहादुर सिंह रावत, वीरेंद्र बिष्ट व जय प्रकाश उपाध्याय आदि शामिल थे।


पंकज सिंह महर

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उत्तराखण्ड का प्राचीन इतिहास को देखें तो हमारे शासको ने कई नये शहर पहाड़ और तराई, दोनों क्षेत्रों में बसाये। यथा- कीर्तिनगर, नरेन्द्रनगर, श्रीनगर, टिहरी, रुद्रपुर, काशीपुर, बाजपुर, पिथौरागढ़, अल्मोड़ा, चम्पावत  आदि-आदि...........गांवों से लोगों को निकालकर नये शहरों को बसाने का काम उन शासकों ने उस समय किया, जब साधन कम थे, टेक्नोलाजी भी विकसित नहीं थी, सीमेण्ट सरिया का तो आविष्कार तक नहीं हुआअ था, बाहरी मजदूरों की संख्या न्यून होती थी।
लेकिन हास्यास्पद बात यह है कि आज के वर्तमान टेक्नोलाजी के जमाने में हम अपनी स्थाई राजधानी के लिये एक नया शहर बसाने की कल्पना करने में भी डर रहे हैं।

इतिहास में एक बात और दर्ज है कि प्रसिद्ध चीनी यात्री ह्वेनसांग ने अपने यात्रा वॄतान्त में लिखा है कि जब वह काशीपुर पहुंचा, तो उसने देखा कि पहाड़ों का राजा मैदान में राजधानी बनाकर रहता है। इन पंक्तियों को लोग भले ही गर्व से कोट करते हों, लेकिन मुझे यह पंक्तियां चुभती हैं, व्यंग्यात्मक लगती हैं।  अगर हम आज भी नहीं चेते तो कल फिर कोई विदेशी इतिहासकार हमारा उपहास करते हुये लिखेगा कि पहाड़ों की राजधानी पूरे प्रदेश से हट्कर एक कोने और भाबर के इलाके में है।

KAILASH PANDEY/THET PAHADI

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Daju,

.....................9 November-----> 10 November----------> 24 December-----------------> aur uske baad AAJ ish topic par kuch likha jaa raha hai...........

agar ishi tarah Hamare pahad ke sabhi logo ko so-so kar Gershan ki yaad aayegi to mujhe nahi lagata hai ki wo kabhi bhi Rajdhani ban payegi.

एम.एस. मेहता /M S Mehta 9910532720

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The poll conducted by merapahad also shows that majority of people are in favour of shifting the capital to gairsain but our leaders and Govt are just playing the sentiment and development of the people.


 

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