...तो अब गोलज्यू करेंगे राजधानी मामले में न्याय
उक्रांद ने गोलू देवता के मंदिर में दी अर्जी
चंपावत। राज्य गठन के दस वर्ष बाद भी स्थायी राजधानी का मसला सुलझता न देख उक्रांद ने इस मामले में इंसाफ के लिए गोलू देवता की शरण ली है। कुमाऊं में न्याय करने के लिए प्रसिद्ध गोलू देवता के मूल मंदिर में स्टांप पेपर में याचिका लगाई है। याचिका में अस्थायी राजधानी देहरादून में निर्माण कार्यों में करोड़ों की धनराशि खर्च करने वालों को दंडित किए जाने और स्थायी राजधानी गैरसैंण को बनाए जाने की दिशा में सकारात्मक पहल नहीं किए जाने पर न्याय की गुहार लगाई गई है।
उक्रांद के वरिष्ठ नेता एवं सैन्य प्रकोष्ठ जिलाध्यक्ष त्रिलोक सिंह बोहरा एवं बसंत सिंह तड़ागी की ओर से दस रुपये के नॉन ज्यूडीशियल स्टांप पेपर पर राज्य की स्थायी राजधानी गैरसैंण बनाए जाने का मामला गोलू देवता के समक्ष जनहित याचिका के रूप में रखा गया है। गौरतलब है कि जिला मुख्यालय में स्थित न्याय के लिए प्रसिद्ध गोलू देवता के मंदिर में स्टांप पेपर, पत्र एवं सामान्य अर्जियों के माध्यम से पीड़ितों की ओर से फरियाद किए जाने का यह पहला मामला नहीं है। चंपावत में गोलू देवता के मूल मंदिर में अतीत से ही व्यवस्था अथवा न्यायालयों के फैसलों से असंतुष्ट लोग प्राकृतिक न्याय की गुहार लगाते रहे हैं। फरियादों में व्यवस्था की खामियों से नाराज लोगों को आस्था में ही उम्मीद रहती है।
ब्यूरो
न्याय के देवता हैं गोलू
कुमाऊं में गोलू देवता क ो भूमि देवता तथा न्याय का देवता माना जाता है। पीड़ित लोगों को जब कहीं से न्याय नहीं मिलता है तो वे गोलू देवता की शरण में जाकर न्याय की गुहार लगाते हैं। गोलज्यू का मुख्य मंदिर चंपावत में है। घोड़ाखाल (नैनीताल), चितई (अल्मोड़ा) और उदयपुर (बिंता) में भी गोलू देवता के प्रसिद्ध मंदिर हैं।
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